पोस्ट कोविड में फिट कैसे रहें, जानें सेलेब्रिटी फिटनेस इंस्ट्रक्टर यस्मिन कराचीवाला से

26 साल से अधिक फिटनेस को महत्व देने वाली सेलेब्रिटी फिटनेसइंस्ट्रक्टर यास्मिनकराचीवाला से कोई अपरिचित नहीं. उन्होंने फिटनेस के क्षेत्र में अपनी एक अलग छवि बनाई है. यही वजह है कि बॉलीवुड की कई बड़ी-बड़ी एक्ट्रेसेस यास्मिन के पास अपनी फिटनेस को बनाये रखने के लिए आती है. जिसमें कैटरिना कैफ, दीपिका पादुकोण, अलिया भट्ट, प्रीति जिंटा, नोरा फतेही, वानी कपूर आदि कई है. इतना ही नहीं वह ‘पिलाटेस’यानि फिजिकल फिटनेस की पायोनियर मानी जाती है. इसके अलावा उन्होंने फिटनेस को एक अलग स्थान देने की वजह से कई पुरस्कार भी जीती है. स्वभाव से हंसमुख और विनम्र यास्मिन से ‘समग्र स्वास्थ्य’ के अंतर्गत फिटनेस को लेकर बात हुई, पेश है कुछ खास अंश.

सवाल-फिटनेस के क्षेत्र में आने की प्रेरणा कहाँ से मिली?

अगर कोई फिट है तो उसे बीमारी नहीं होती और मैं बचपन से ही फिटनेस पसंद करती हूं. बहुत बड़ी ग़लतफ़हमी है कि लोग बीमार पड़ने के बाद वर्कआउट करते है, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए. हमेशा फिट रहना, हर किसी के लिए जरुरी है. मेरे बच्चों को भी मैंने फिटनेस की आदत बचपन से डाली है और अब वे दौड़ना, खेलना, वाक करना आदि कर एक्टिव रहते है. इससे वे अधिक बीमार भी नहीं पड़ते. अधिक वर्कआउट कभी भी नहीं करना चाहिए. व्यायाम के बाद फील गुड हार्मोन निकलता है, जिससे व्यक्ति ख़ुशी और एक्टिव महसूस करता है.

सवाल-कोरोना और लॉकडाउन में महिलाएं घर पर है, पहले वे काम के बाद थोड़ी पार्क में टहल लेती थी, लेकिन अब संभव नहीं, उन महिलाओं को आप क्या सुझाव देना चाहती है?

इसमें मैं हर महिलाओं को एक ही सलाह देती हूं, क्योंकि आज हर महिला के पास स्मार्ट फ़ोन है और उसमे हर घंटे ‘वाक फॉर 5 मिनट’ का अलार्म लगाइए, इससे घर के अंदर ही वाक, मार्चपास्ट करना मुश्किल नहीं. अगर मैं किसी महिला को एक घंटे घर पर वाक करने के लिए इस लॉकडाउन में कहूं, तो वह भी आसान नहीं, क्योंकि किसी का घर अधिक बड़ा न होना या घर में काफी लोगों का रहना हो सकता है, पर 5 मिनट कही भी वाक किया जा सकता है. इस तरह 8 अलार्म से हर घंटे 5 मिनट वाक करने पर वह टोटल 40 मिनट हो जाता है. उस समय अगर कोई खाना पका रही हो और अलार्म बज उठता है,तो वही खड़े रहकर 5 मिनट तक खाना पकाते हुए मार्चपास्ट कर सकती है. इस तरह से व्यायाम करना आसान होने के साथ-साथ मोबाइल के अलार्म से आपको 5 मिनट चलने की भी आदत होजाती है. जल्दी टोंड बॉडी पाने के लिए कुछ अलग एक्सरसाइज करने की जरुरत होती है, लेकिनमैंने देखा है कि ये तकनीक भी अच्छा काम करती है.

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सवाल-घर पर रहने वालों को किस प्रकार की डाइट फोलो करना उचित है?

अगर खाना घर पर बन रहा है, तो उसे हेल्दी बनाया जा सकता है. हर व्यक्ति के लिए 3 चाय चम्मच आयल सही होता है. खाने में तेल की मात्रा हमेशा ठीक होना चाहिए. स्वादिष्ट खाना बनाने के लिए अधिक मात्रा में तेल डालना जरुरी नहीं. अगर खाना कंट्रोल्ड आयल में बनाया जा रहा हो और ब्रेकफास्ट, लंच के बाद डिनर में 4 से 5 घंटे का गैप होने पर सही  स्नैक्स का चयन करना जरुरी होता है. इसमें फ्रूट्स, स्प्राउट्स, आलमंड, सीड्स आदि रखने पर उसे स्नैक्स के रूप में प्रयोग किया जा सकता है. आलमंड में बहुत सारे गुण होते है, इसे लेने पर पेट भरा हुआ महसूस होता हैऔर क्रेविंग्स नहीं होती. साथ ही आलमंड में फाइबर भी अधिक होता है. फ्रूट्स का सेवन करने से शुगर की क्रेविंग्स नहीं होती. अभी लॉकडाउन में हर कोई कुछ न कुछ मंचिंग के बारें में सोचते रहते है. सही तरीके से भोजन और स्नैक्स की प्लानिंग करने पर गलत ईटिंग कभी नहीं करेंगे.

सवाल-कोरोना की दूसरी लहर में अधिकतर लोगों को लंग्स की समस्या आ रही है, ऐसे में किस प्रकार की वर्कआउट लंग्स को मजबूत कर सकती है?

हर किसी को 5 मिनट का प्राणायाम करना आवश्यक है. इससे ब्रीदिंग सही होती है. हर एक्सरसाइज की ब्रीदिंग रिदम होती है, इसलिए व्यायाम करते समय सही ब्रीदिंग हो,इसका ख्याल रखनी चाहिए. इससे लंग्स की कैपासिटी बढ़ती है, क्योंकि लंग्स को ऑक्सीजन पूरे शरीर में भेजनी पड़ती है, ताकि थकान कम हो और लैक्टिक एसिड अधिक न बढे. लंग्स को मजबूत बनाने के लिए व्यायाम ही सबसे अच्छा विकल्प है. मैंने किसी को वर्कआउट का समय नहीं दिया है, जिस व्यक्ति के पास जितना समय हो उतना वह व्यायाम कर सकता है.

सवाल-कोविड के बाद किस प्रकार की एक्सरसाइज करना जरुरी है, ताकि व्यक्ति जल्दी तंदुरुस्त हो सकें?

मुझे और मेरे पूरे परिवार को कोविड से ठीक होने के बाद मैंने सबसे अधिक ध्यान ब्रीदिंग पर दिया, इसके बाद फ्लेक्सिबिलिटी पर ध्यान दिया, क्योंकि कोविड में जॉइंट्स बहुत टाइट हो जाते है. मैंने मूवमेंट पर अधिक फोकस्ड किया था, क्योंकि यह एक वायरस है और इसके जाने के बाद कितना डैमेज शरीर को हुआ है उसका पता लगाना मुश्किल होता है. बहुत धीरे-धीरे लंग्स की कैपेसिटी और फेल्क्सिबिलिटी को बढ़ाना पड़ता है. इसमें शरीर के किस भाग में टाइटनेस है, उसे महसूस कर उस पर अधिक फोकस करना पड़ता है. इसके अलावा वाक करें, जिसमें पहले 5 से 10 मिनट इसके बाद समय को धीरे-धीरे बढाएं. कोरोना के बाद शरीर कमजोर हो जाता है, ऐसे में बॉडी को समझकर वर्कआउट करें, ताकि थकान महसूस न हो.

सवाल-बॉलीवुड की कलाकारों को देखकर आम जनता उनके जैसे बनने का प्रयास करते है, इस बारें में आपकी राय क्या है?

मैंने हमेशा हर व्यक्ति से पहले ही कहती हूं कि अपने शरीर की सुने. सलमान खान, कैटरिना कैफ, दीपिका पादुकोण की बॉडी आपकी बॉडी नहीं है और आपको उनकी फिटनेस जर्नी कैसे बीती है, ये भी पता नहीं है. वर्कआउट की जो भी विडियो मैं और कैटरिना कैफ सोशल मीडिया पर डालते है,कैटरिना की फिटनेस इस वर्कआउट को करके नहीं हुई है, बल्कि उनकी बॉडी अभी फिट हुई है और वह इसे कर पा रही है. हर किसी को अपनी फिटनेस लेवल को देखना है और उस हिसाब व्यायाम करना पड़ता है. पहले नीव रखनी पड़ती है इसके बाद आगे बढ़ा जाता है. फाउंडेशन किसी भी एक्सरसाइज में बहुत जरुरी होता है. कई बार लोग मुझसे दीपिका पादुकोण के जैसे आर्म्स या कैटरिना कैफ की तरह एब्स चाहते है. अच्छी बात यह है कि वे उनके जैसे कद नहीं चाहते. मुझे उन लोगों को एक्सप्लेन करना पड़ता है, क्योंकि कई बार वर्कआउट के बाद उनकी एब्स कैटरिना से भी अच्छी हो सकती है और ऐसा होता भी है. खुद में बेस्ट वर्जन होने की कोशिश करने के लिए  उन्हें प्रेरित करती हूं. जहाँ भी वर्कआउट के लिए जाएँ, वहाँ जाने से पहले उसकी ट्रेनर और सिखाने के बारें पूरी जानकारी प्राप्त कर फिर जाए.

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सवाल-वर्कआउट की कोई 5 मंत्र बताइए, जिसे लॉकडाउन में हर कोई कर सकें?

स्क्वाट्स, ट्राईसेप्ट्स, पुशप्स, शोल्डर और एब वर्कआउट इसमें पूरी बॉडी कवर हो जाती है. ये करना आसान भी है, कहीं जाने की जरुरत नहीं पड़ती और हर किसी के घर में कुर्सी या पलंग होती है, उसका सहारा लेकर ये वर्कआउट किया जा सकता है.

सवाल-क्या वर्क आउट के बाद व्यक्ति एग्रेसिव हो जाता है?

ऐसा नहीं है, वर्कआउट से व्यक्ति का गुस्स रिलीज हो जाता है. इससे हर काम करने की एनर्जी बढती है. जो लोग एस्टेरोइड और तनाव को लेकर वर्कआउट करते है, वे अधिक एग्रेसिव हो जाते है.

पोस्ट कोविड कैसे रखें खयाल

कोरोना संक्रमित लोग हमारे आसपास घूम रहे हैं और हमें पता ही नहीं है. वायरस हर इंसान की इम्यूनिटी पावर को देख कर हमला कर रहा है, किसी को कम तो किसी को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है. इसलिए लौकडाउन भले खत्म हो गया हो, औफिस जाना शुरू हो गया हो, मैट्रो, ट्रेन, बसों ने रफ्तार पकड़नी शुरू कर दी हो, मगर ठंड के मौसम में कोरोना को ले कर हमें और ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है.

दिल्ली में कोविड महामारी की तीसरी लहर चल रही है. डाक्टर सुगंधा गुप्ता, संस्थापक व वरिष्ठ मनोचिकित्सक दिल्ली माइंड क्लीनिक, करोल बाग, हमें पोस्ट कोविड के बारे में पूरी जानकारी दे रही हैं:

क्या है कोविड की तीसरी लहर का कारण

– मौसम में बदलाव और प्रदूषण में बढ़ोतरी.

– लौकडाउन के बाद धीरेधीरे खुलते व्यवसाय और बाजार.

– त्योहारों और शादियों का समय.

– लंबे समय से नियमों में बंधे लोगों को छूट मिलने पर लापरवाही.

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इन बढ़ते आंकड़ों के साथ एक चीज सम?ानी बहुत जरूरी है और वह यह कि हम में से 60-70% लोग या तो कोविड से ग्रस्त हो चुके हैं या फिर किसी कोविड पेसैंट के संपर्क में आ चुके हैं. जहां कई लोग हलकेफुलके लक्षण आने पर भी बारबार टैस्ट करा रहे हैं, वहीं कुछ मरीज ज्यादा बीमार होने के बावजूद सामाजिक बायकाट के डर से टैस्ट कराने से कतरा रहे हैं, तो कई लोग बिना डाक्टर की सलाह के ही कोविड पौजिटिव पेसैंट की परची से दवा खरीद कर खा रहे हैं, जिस का शरीर पर साइड इफैक्ट देखने को मिल रहा है. आप की रिपोर्ट पौजिटिव आई हो या नैगेटिव, चाहे आप हौस्पीटल रह कर आए हों या होम क्वारंटीन में रहे हों, इन बातों का विशेष ध्यान रखना जरूरी है:

पोस्ट कोविड केयर

– पौष्टिक, घर का बना आहार. तेल, चिकन, मीठा कम, प्रोटीन, फल, सलाद, जूस ज्यादा.

ओमेगा फैटी ऐसिड आप की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.

– पूरी तरह से रिकवरी के लिए 6-7 घंटे की नींद जरूरी है.

– व्यायाम करना बेहद जरूरी है. चाहे 15 मिनट की सूर्य की रोशनी में सैर हो या कमरे में ऐरोबिक्स. कसरत आप की मांसपेशियों में रक्तसंचार बढ़ाने के साथ ही हड्डियों में कैल्सियम, विटामिन डी के प्रवाह को भी बढ़ाती है, जिस से बौडी का स्टैमिना बढ़ने में मदद मिलती है.

पिछले 3-4 महीने में कई ऐसे मरीज हमारे पास आए जिन की कोविड रिपोर्ट नैगेटिव हुए

1 महीने से ज्यादा का समय हो गया है या फिर उन के परिवार में कोई पौजिटिव था, लेकिन वे नैगेटिव थे इस के बावजूद ये लोग भय के कारण मानसिक रोग के साथ सामने आ रहे हैं.

इन में से प्रमुख हैं:

पैनिक डिसऔर्डर: अचानक बहुत तेज घबराहट होना, जिस में छाती में दर्द, सांस फूलना, धड़कन बढ़ना, चक्कर, उलटी, बेहोशी जैसा महसूस करना, लेकिन सभी जांचें नौर्मल आती हैं.

इंसोम्निया: नींद न आना, सोने से डर लगना कि कहीं नींद में कुछ हो न जाए, सोतेसोते डर कर नींद का खुल जाना, धड़कनें बढ़ाना, पसीना आना जैसे लक्षण होते हैं.

सोमेटाइजेशन डिसऔर्डर: मन में बारबार बीमारी का वहम आना, छोटेछोटे मामूली लक्षण पर भी डर जाना, ज्यादा चिंता करना, गूगल पर बीमारी के लक्षण ढूंढ़ना, बारबार डाक्टर से परामर्श लेना और टैस्ट कराना, रिपोर्ट नौर्मल आने पर भी तसल्ली न मिल पाना.

डिप्रैशन: तनाव की वजह से उदासी, मायूसी, नकारात्मक विचार आना, काम की इच्छा न करना, जल्दी थक जाना, चिड़चिड़ा रहना आदि.

इन के अलावा कोविड ने कई और तरह की भी भावनात्मक और मानसिक तकलीफों को जन्म दिया है.

मानसिक स्वास्थ्य के लिए पोस्ट कोविड केयर

– शारीरिक दूरी को सामाजिक दूरी न सम?ों.

– 6 फुट दूर से पड़ोसी, सब्जी वाले से बात करें.

– सोशल मीडिया का सही उपयोग करते हुए अपने परिवार और रिश्तेदारों से जुड़े रहें.

– आइसोलेटेड, अकेले न रहें.

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हर 15 मिनट में औक्सीमीटर पर औक्सीजन नापना, हर आधे घंटे में बुखार चैक करना, गूगल पर कोविड के बारे में लगातार पढ़ते रहना, इस से संबंधित न्यूज देखना, ये सब करने से बचें. अपनी दिनचर्या व्यस्त रखें.

इस बीच एक अच्छी खबर यह भी है कि फाइजर कंपनी की वैक्सीन शोध में 90% कारगर पाई गई है, जो जल्द ही मार्केट में उपलब्ध होगी. इसलिए सकारात्मक रहें और अपना खयाल रखें.

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