बौलीवुड में नेपोटिज्म के बारे में बोलीं एक्ट्रेस प्राची देसाई, पढ़ें इंटरव्यू  

अभिनेत्री प्राची देसाई छोटे पर्दे की जानी मानी कलाकार है. धारावाहिक ‘कसम से’ से उनकी पहचान बनी और उन्होंने कई धारावाहिकों में काम किया है. अभिनय के अलावा प्राची ने कई विज्ञापनों में भी काम किया है. हिंदी सिनेमा जगत में उनकी पहचान डेब्यू फिल्म ‘रॉक ऑन’ से हुई, जिसमें उनकी भूमिका को काफी सराहना मिली. इसके बाद उनकी कई फिल्में आई पर बॉक्स ऑफिस पर बहुत कमाल नहीं कर सकी. हंसमुख और स्पष्टभाषी प्राची फिल्मों में कम दिखाई देने की वजह वे नेपोटिज्म मानती है, जिसकी शिकार वह हुई है. वह हर किरदार को सोच विचार कर लेती है और किसी भी चुनौती से नहीं घबराती. जी 5 की फिल्म ‘साइलेंस…. कैन यू हियर इट? में प्राची कॉप की भूमिका निभा रही है और उन्हें उम्मीद करती है कि ये फिल्म दर्शकों को पसंद आएगी. क्या कहती है प्राची अपनी जर्नी के बारें में, आइये जाने.

सवाल-इस फिल्म में काम करने की खास वजह क्या रही?

चुनौती रही, पर मुझे अच्छा लगा कि किसी ने मुझे अलग पुलिस इंस्पेक्टर की भूमिका का ऑफर दिया है, मैं पहली बार इस भूमिका को निभा रही हूं. स्क्रिप्ट पढने के बाद बहुत अच्छा लगा, क्योंकि ये सस्पेंस थ्रिलर है और मैंने रात के 12 बजे से 3 बजे तक पढ़ी. स्क्रिप्ट बहुत ही अच्छी तरीके से लिखी गयी है. इसके अलावा निर्देशक एक महिला है और उन्होंने मुझे इस फिल्म का हिस्सा बनाया है. डेब्यू करने वाले निर्देशक अधिकतर पोपुलर कलाकार को लेते है, ताकि उनकी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल हो. मुझे काम मिलने में समय लगने की वजह भी यही है, क्योंकि मुझे ऐसे ही अलग भूमिका करने की इच्छा थी.

सवाल-पुलिस इंस्पेक्टर की भूमिका निभाने में कितनी चुनौती रही?

अभी तक जो इमेज पुलिस को लेकर थी, उससे ये काफी अलग भूमिका है. पहले दिन सेट पर जाने के बाद निर्देशक ने मुझसे महिला पुलिस की एक अलग रूप निभाने की बात कही,  जिसके चेहरे पर नारीत्व के भाव दिखे. उनका कहना था कि महिला पुलिस नार्मल टी शर्ट क्यों नहीं पहन सकती. ट्रेनिग या जॉब के अलावा उसकी एक खुद की व्यक्तित्व होती है, इसलिए मैं जैसी हूं, वैसी ही रहकर अभिनय करने के लिए कहा गया, इससे मुझे काम करने में आसानी हुई और किसी प्रकार की चुनौती का सामना नहीं करना पड़ा. मेरे हिसाब से फिमेल निर्देशक की सोच हमेशा रिफ्रेशिंग होती है. फिल्म में पुलिस की पूरी टीम में एक लड़की मैं हूं और उसे लड़की की तरह ही रहना चाहिए. इसके अलावा इस भूमिका से मैं खुद को रिलेट भी कर पाती हूं.

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सवाल-असल जिंदगी में महिला कॉप को कम महत्व देने की वजह क्या मानती है?

वर्षों से पुरुषों, समाज और आसपास के लोगों की मानसिकता ऐसी ही रही है. वे मानते है कि महिला बड़े ओहदे को सम्हाल नहीं सकती, जब कि हर क्षेत्र में महिलाएं आज उत्तम काम कर रही है. ये सोच कोर्पोरेट से लेकर कलाकार सभी क्षेत्र में है. मैंने काफी लोगों को महिलाओं के बारें में अजीब बातें सोचते या कहते हुए सुना है. मसलन महिलाओं की काम की अवधि पुरुषों की तुलना में कम होती है, क्योंकि उन्हें बच्चे और घर सम्हालना पड़ता है.  मुझे पुरुषों की ये बातें समझ में नहीं आती, क्योंकि महिलाओं ने किसी भी उम्र में बड़े-बड़े काम किये है और अपनी पहचान बनाई है. इस बारें में चर्चा होने की जरुरत है, जो बचपन से क्लास रूम में इसकी शिक्षा बच्चों को देना चाहिए. महिला की बॉडी टाइप भले ही पुरुषों की तरह न हो, लेकिन मानसिक क्षमता महिलाओं की पुरुषों के बराबर  होती है. इसके अलावा एक महिला दर्द को सहकर एक लाइफ को जन्म दे सकती है. इन सभी बातों पर हर पुरुष को ध्यान देना जरुरी है. महिला पुलिस की जॉब भी बहुत ही स्ट्रेसफुल होती है, जिसे कोई समझ नहीं सकता.

सवाल-आपने कुछ दिनों का ब्रेक लिया, उस दौरान क्या कर रही थी?

मुझे ब्रेक लेने की कोई इच्छा नहीं थी, लेकिन एक अच्छे प्रोजेक्ट की खोज में ऐसा हो गया. उसके बाद कोविड आ गया. लॉकडाउन के दौरान मैं घर पर रही, क्योंकि मुझे अकेला रहना पसंद है, मैं एक प्राइवेट पर्सन हूं. मुझे किसी प्रकार की समस्या नहीं आई. ऑनलाइन योगा क्लास किया और खुश रही, लेकिन लॉकडाउन में मैंने खाना बनाना और बेकिंग करना नहीं सीख पायी. इसके अलावा मनोविज्ञान पर कुछ कोर्स किये. कोरोना संक्रमण से मुझे ये सीख मिली है कि भाग-दौड़ की जिंदगी से थोडा समय खुद के लिए निकलना बहुत जरुरी है.

सवाल-आप की जर्नी में उतार-चढाव और फिल्मों में कम दिखाई देने की वजह क्या आपका स्पष्टभाषी होना है ?

मेरी ये समस्या है कि मुझे जो ठीक नहीं लगता, वह मैं सामने बोल देती हूं, जिससे लोगों को बुरा लगता है. उतार-चढ़ाव की वजह मेरा इंडस्ट्री के बाहर से आना है, क्योंकि कई चीजे यहाँ काम करने के बाद में समझ में आती है. मैंने 17 साल की उम्र में काम शुरू किया था और तब कुछ पता नहीं था, जब बाद में पता चला भी, तो उसे सम्हालने के लिए खुद में मैच्युरिटी नहीं थी.  अब सारी बातें समझ में आती है और जवाब देना भी आता है.

सवाल-इसका अर्थ ये हुआ कि नेपोटिज्म इंडस्ट्री में है?

(हंसती हुई) बॉलीवुड में नेपोटिज्म है. जो चीजे है, उसे हटाया नहीं जा सकता. उसके साथ ही काम करना पड़ता है.

सवाल-ऐसा सुनने में आता है कि टीवी के कलाकार फिल्मों में सफल नहीं होते, इसमें कितनी सच्चाई है?

ऐसी बात नहीं है, मौका मिले तो हर कोई जो टीवी पर अभिनय कर रहा हो, वह फिल्मों में भी कर सकता है. मैंने कम उम्र में बहुत सारी ऐसी चीजे कर ली है, जो मुझे नहीं करनी चाहिए थी, 17 साल की उम्र में मैंने खुद से बहुत बड़ी भूमिका को निभा ली थी और उसी से  मैं चर्चित हुई. 19 साल की उम्र में फिल्म में मुझे फिल्मों में ब्रेक भी मिल गया था. इस तरह से मुझे बहुत कुछ मिला है और आगे भी मिलेगा, लेकिन मैं इस बात से खुश हूं कि मैंने अपनी शर्त पर काम किया है. आगे एक फिल्म और वेब सीरीज है.

सवाल-कोई सुपर पॉवर मिलने पर क्या बदलना चाहेंगी?

महिलाओं की खुद के बारें में सोच को बदलना चाहती हूं, ताकि उन्हें खुद पर हमेशा भरोसा हो और अपनी ख़ुशी के लिए कुछ काम करें.

सवाल-कोविड के समय या किसी भी मानसिक समस्या से उबरने में परिवार कितना सहायक होती है?

परिवार का हर तरफ से सहायता मुझे मानसिक समस्या से उबरने में मिला है, लेकिन परिवार के साथ अच्छी बोन्डिंग होनी चाहिए, ताकि किसी भी स्ट्रेस का अच्छी और हल्के तरीके से समाधान हो जाय. मेरे लिए परिवार का इंडस्ट्री से न होना प्लस पॉइंट है. अभी फिल्म का टीजर निकला है, जिसे मैं अपने परिवार को दिखाऊँगी. इसके अलावा परिवार व्यक्ति को ग्राउंडेड रखती है. मैं सभी परेंट्स से ये कहना चाहती हूं कि बच्चे को अपने हिसाब से काम करने की आज़ादी दें. उन्हें गाइड करें, पर अपनी इच्छाओं को उनपर न थोपें.

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