प्रैग्नैंसी के समय मेरे चेहरे झाइयां हो गई हैं, मैं क्या करुं?

सवाल

मेरी उम्र 30 साल है. प्रैगनैंसी के समय मेरे चेहरे पर झांइयां हो गई थीं. 2 साल हो गए. कई तरह के ट्रीटमैंट किए, कुछ घरेलू नुसखे भी आजमाए पर कोई असर नहीं हो रहा है. बताएं, क्या करूं?

जवाब-

आप डाक्टर से मिल कर कैल्सियम, आयरन और हारमोन लैवल चैक करवाएं. फिर डाक्टर की सलाह पर ही अपनी डाइट में कैल्सियम, आयरन, विटामिन सी और प्रोटीन युक्त खाद्यपदार्थों की मात्रा बढ़ाएं. इस के अलावा धूप में जाने से पहले चेहरे व अन्य खुले भागों पर सनस्क्रीन लोशन जरूर लगाएं. यदि और कोई हैल्थ प्रौब्लम हो तो चैकअप कराएं.

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उम्र बढने के साथ ही शरीर में कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं. इसमें बाहरी से लेकर अंदरूनी समस्याएं भी होती हैं. सबसे ज्यादा आसानी से लोग आपकी स्किन या स्किन को देखकर अंदाजा लगाते है. ऐसे में जरूरी है कि आप अपनी स्किन का ध्यान रखें और खुद को काॅन्फिडेंट महसूस करें.

एक्सपर्ट सौमाली अधिकारी ब्यूटी एंड लाइफ़स्टाइल एक्सपर्ट की मानें तो 30 के बाद स्किन पर समस्याएं दिखने लगती हैं. इनमें

सुस्त स्किन (स्किन डलनेस)

फाइन लाइंस

अर्ली एजिंग (जल्दी बुढापा)

झाइयां

झुर्रियां

मॉइश्चराइजर लगाएं

यदि आप भी इन समस्याओं से परेशान हैं तो सबसे पहले स्किन को पहचानें कि ये ऑयली है या ड्राई. घर से बाहर या धूप में निकलने से पहले स्किन के हिसाब से फेसवॉश चुनें. इसके बाद मॉइश्चराइजर लगाएं. मॉइश्चराइजर के बाद चाहें तो आप अपनी पसंद की कोई भी क्रीम लगा सकती हैं. मॉइश्चराइजर लगाने से स्किन को नमी मिलती है. इससे झु्र्रियां कम दिखाई देती है. विटामिन सी और बायो-ऑयल्स से भरे मॉइश्चराजर का इस्तेमाल करने से स्किन सॉफ्ट बनी रहेगी.

आंखों की देखभाल सबसे ज्यादा जरूरी

उम्र बढने के साथ ही सबसे पहले आंखों के आसपास वाली स्किन पर असर दिखने लगता है. बहुत बारीक रेखाएं इसके आसपास दिखने लगती है, जो उम्र बढने का संकेत देती हैं. इसीलिए आंखों की क्रीम का इस्तेमाल करें, इससे आंखों के आसपास मौजूद स्किन हमेशा नम रहेगी और इससे आंखों की थकान भी दूर होगी. साथ ही ध्यान रखें कि आंखों को बार-बार न रगड़ें और न ही बार-बार पानी का छींटा मारें. इससे आंखों को नुकसान पहुंचने का खतरा रहता है.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

पोस्टपार्टम ब्यूटी : क्या है इसका मतलब?

बच्चे के जन्म की घटना जीवन को बदलने वाला अनुभव है।लेकिन  बच्चे को जन्म देने के बाद आपके शरीर में कई पोषक तत्वों में कमी हो जाती है और आपके बाल झड़ने लगते हैं और स्किन मुर्झाने लगती हैं , जो किसी भी महिला के लिए एक  डरावने पल से कम नहीं है. पोस्टपोर्टम के दौरान कुछ महिलाएं स्किन टेक्सचर में बदलाव , मुंहासे , डार्क सर्कल्स , स्ट्रेच मार्क्स और पिगमेंटेशन का अनुभव करती हैं , यह कारण है की अपनी त्वचा की विशेष देखभाल करना महत्वपूर्ण हैं. हो सकता है आपके बाल टूटना या त्वचा का खराब होना आपको एक बार के लिए डरा सकता  हैं. लेकिन यह पोस्ट डिलीवरी के बाद आपके शरीर में होने वाले हार्मोनल परिवर्तनों के कारण होता है. आपके बच्चे के जन्म के तुरंत बाद , आपके हार्मोन का स्तर तेज़ी से गिरता है और इसमें मुख्य रूप से एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन शामिल हैं. अगर आप हाल ही में मां बनी हैं तो हम यहां आपके साथ कुछ सुपर आसान , टिप्स शेयर करने जा रहें हैं जो आपके बड़े ही काम आ सकती हैं.

बालों और स्किन केयर की कुछ सुपर टिप्स :

चलिए जानते हैं क्या हैं यह सुपर टिप्स –

* स्कैल्प मसाज : भारतीय घरों में एक लोकप्रिय बॉन्डिंग प्रैक्टिस जिसे आप स्कैल्प मसाज कहें या साथ ही इसे चांपी भी कह सकते हैं , यह बालों के विकास को प्रोत्साहित करने का एक शानदार तरीका है. यह बालों को पुनर्जीवित करने और उन्हें मजबूत बनाने में मदद करता है , बालों को झड़ने से रोकता है और बालों के पुनः विकास को बढ़ावा देता है.

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* हेयर स्पा या हेयर मास्क : एक हेयर स्पा न केवल बालों की सेहत को बढ़ाने में उपयोगी है , बल्कि यह आपके हैक्टिक शेड्यूल से उभरने का एक शानदार तरीका है ! हेम्प आपके चारों ओर नींद का चक्र बनाए रखता है , बालचद और शंखपुष्पी आपके मन को शांत करते हैं. हेम्प आपके बालों में प्राकृतिक चमक भी लाता है और डैंड्रफ और ड्राइनेस को भी कम करने में मदद करता है.

आपके लिए आसान स्किन केयर हैक्स :

*क्लींजिंग एक्सफोलिएट : सुनने में यह थोड़ा भारी भरकम शब्द लगा होगा , लेकिन वास्तव में यह स्किन केयर के लिए सबसे महत्वपूर्ण कदम है. केमिकल फ्री क्लींज़र का उपयोग करना आपकी त्वचा के लिए अति आवश्यक है – न केवल अच्छा देखने के लिए बल्कि स्वस्थ महसूस करने के लिए भी. आप क्लींज़र का उपयोग करें जिसमें एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल प्रॉपर्टीज होती है जो आपके मुंहासे और काले धब्बे को खत्म करने में मदद करते है.

* कुमकुमादि ऑयल : जरूरी नहीं की आप हमेशा मॉइश्चराइजिंग क्रीम का ही इस्तेमाल करें , आपको हर बार इसकी आवश्यकता नहीं होती है. अपनी त्वचा को मॉइस्चराइज करने के लिए कुमकुमादि तेल का उपयोग करें. फेस ऑयल से आपकी त्वचा चमकती और कोमल दिखाई देती है. इस ऑयल का उपयोग डैमेज्ड और डल स्किन के लिए भी किया जाता है. इसके आयुर्वेदिक प्रकृति को देखते हुए , यह ऑयल पिग्मेंटेशन और स्ट्रेच मार्क्स को कम करने में भी मदद करता है.

* फेस मास्क : जब आप चेहरे की सफाई और एक्सफोलिएट करने के लिए उतावले होती हैं , तो फेस मास्क सबसे पहले आपके दिमाग में आता है वह है चारकोल, जो प्रभावी रूप से त्वचा को साफ करता है , पोर्स को बंद करता है , और गहरी इम्पुरिटी और डेड सेल्स को हटाता है। यह उन दिनों में आपका सबसे अच्छा दोस्त है जब आप कुछ और करने के मूड में नहीं होती.

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* कुछ और बेहतरीन टिप्स

वैसे तो ऊपर बताई गई सभी टिप्स बहुत प्रभावी है , लेकिन इनके अलावा और भी बातों का रखें ख्याल जैसे –

* रोजाना सुबह एक्सरसाइज करें

* संतुलित डाइट है जरूरी

* फलों और हरी सब्जियों का करें सेवन

* अधिक से अधिक पानी पिएं

प्रैग्नेंसी में भी स्किन रहे बेदाग

प्रैगनैंसी के दौरान बौडी में तमाम तरह के हारमोनल बदलाव होते हैं, जिन का प्रभाव बौडी पर अलगअलग तरह से पड़ता है. इन बदलाव का सब से ज्यादा प्रभाव स्किन पर पड़ता है, जिस की वजह से झंइयां, स्ट्रैच मार्क्स और पिंपल्स भी पड़ जाते हैं. मगर इन्हें ले कर ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है. बच्चे के जन्म के बाद कुछ समय के अंदर यह परेशानी खुद दूर हो जाती है. कई बार स्किन पर होने वाले कुछ बदलाव जैसे झंइयां और स्ट्रैच मार्क्स का प्रभाव स्किन पर रहता है. इस से बचने के लए प्रैगनैंसी के दौरान कुछ केयर करनी जरूर है. इस संबंध में अमरावती अस्पताल, लखनऊ की स्किन और हेयर स्पैशलिस्ट डाक्टर प्रियंका सिंह कहती हैं, ‘‘प्रैगनैंसी जीवन का बहुत खूबसूरत एहसास होता है. इस में स्किन से जुड़ी कुछ परेशानियां होती हैं. मगर इन्हें ले कर किसी तरह का तनाव लेने की जरूरत नहीं होती है. थोड़ी सी केयर और डाक्टर की सलाह से इन परेशानियों से बचा जा सकता है.’’

पिंपल्स से डरें नहीं

प्रैगनैंसी का स्किन पर अच्छा प्रभाव भी पड़ता है. इस दौरान स्किन में चमक आती है. पिंपल्स होने से स्किन पर निशान पड़ जाते हैं. किशोरावस्था की तरह कई महिलाओं को प्रैगनैंसी में भी पिंपल्स होने लगते हैं. ऐसा हारमोन का स्तर घटनेबढ़ने के कारण होता है. प्रैगनैंसी के शुरुआती महीनों में ऐसा होने की संभावना ज्यादा रहती है.

अगर पीरियड से पहले या पीरियड के दौरान पिंपल्स होते हैं, तो बहुत संभव है कि प्रैगनैंसी के दौरान भी हों. अत: इन से बचने  के लिए लैक्टिक ऐसिड और ट्री औयल का इस्तेमाल करें. प्रैगनैंसी के दौरान चेहरे और स्किन पर झंइयां और दागधब्बे भी हो सकते हैं. हारमोन बढ़ने के कारण स्किन पर तिल, निप्पल आदि भी ज्यादा गहरे रंग के दिखने लगते हैं. धूप में निकलने से यह समस्या और बढ़ सकती है. वैसे तो कुछ महिलाओं में डिलिवरी के बाद ये धब्बे अपनेआप हलके हो जाते हैं, मगर कुछ के साथ ऐसा नहीं होता. अत: जब भी वे बाहर निकलें तो कम से कम 30 एसपीएफ का सनस्क्रीन लगाना न भूलें.

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प्रैगनैंसी में स्किन के रूखेपन के लिए व उसे नम और चिकनी बनाए रखने के लिए मौइस्चराइजर का प्रयोग करें. इस से स्किन पर झर्रियां नहीं पड़ेंगी और वह जवां दिखाई देगी.

मौइस्चराइजर प्रैगनैंसी में स्किन की नमी को बढ़ा नहीं सकता, पर उस की कुदरती नमी को बनाए रख सकती हैं. अपनी स्किन के अनुरूप ब्यूटी प्रोडक्ट्स चुनें और जरूरी हो तो प्रैगनैंसी के दौरान अपनी स्किन के अनुसार उन्हें बदलें. प्रैगनैंसी के दौरान पूरे 9 महीने स्किन एकजैसी नहीं रहती. इसलिए उस में आए बदलाव के अनुसार क्रीम का भी प्रयोग करें. इस संबंध में डाक्टर से सलाह भी लेती रहें.

कई महिलाओं को प्रैगनैंसी के दौरान शरीर में दर्द की शिकायत रहती है, जिस की वजह से उन्हें नींद लेने में तकलीफ होती है. पूरी नींद न लेने के कारण भी स्किन पर प्रभाव पड़ता है. अच्छी नींद के लिए सोने से पहले सिर या पूरे शरीर की मालिश फायदेमंद रहती है.

प्रैगनैंसी के दौरान पड़ने वाली झंइयों से बचने के लिए अपनी डाइट का भी ध्यान रखें. झंइयों को स्थाई रूप से ठीक करने के लिए लेजर ट्रीटमैंट ही कारगर होता है. किसी अच्छी डीप पिगमैंटेशन क्रीम का नियमित प्रयोग करने से भी लाभ हो सकता है.

स्ट्रैच मार्क्स हो जाना

झंइयां की ही तरह महिलाओं को पेट और स्तनों पर प्रैगनैंसी के दौरान स्ट्रैच मार्क्स हो जाते हैं. कुछ महिलाओं को जांघों, कूल्हों और हाथों पर भी स्ट्रैच मार्क्स हो जाते हैं. ये कभी नहीं जाते. हां, समय के साथ हलके जरूर हो जाते हैं. प्रैगनैंसी में पड़ने वाले स्ट्रैच मार्क्स से बचने के लिए गर्भ के चौथे महीने से विटामिन ई औयल नियमित पेट व पेडू पर हलके हाथों से लगाएं स्ट्रैच मार्क्स कम होंगे.

नसों का उभरना

कई महिलों में प्रैगनैंसी के दौरान नसों के उभर आने की समस्या होती है. पैरों, चेहरे, गरदन और हाथों पर आमतौर पर यह समस्या होती है. कुछ महिलाओं को नसों में सूजन और चेहरे के लाल होने जैसी समस्याएं भी होती हैं. कुछ महिलाओं की स्किन प्रैगनैंसी में रूखी और संवेदनशील हो जाती है. इसे घर पर ही उपचार कर के ठीक किया जा सकता है.

कुछ महिलाओं में खासकर जो ठंडी  जगहों पर रहती हैं उन में प्रैगनैंसी में ज्यादा हारमोन बनने से पैरों में अस्थाई तौर पर दाग  हो जाते हैं. इस से स्किन का रंग खराब हो जाता है, आमतौर पर बच्चे के जन्म के बदा ठीक हो जाता है.

मेकअप में छिपा सकती हैं ये निशान

प्रैगनैंसी के दौरान इस तरह के निशान पड़ने से सुंदरता प्रभावित न हो इस से बचने के लिए मेकअप का सहारा लिया जा सकता है. मेकअप आर्टिस्ट पायल श्रीवास्तव कहती हैं, ‘‘प्रैगनैंसी में स्किन केयर के साथ ही साथ मेकअप करने में भी सावधानी बरतनी चाहिए ताकि किसी मेकअप प्रोडक्ट का स्किन पर गलत प्रभाव न पड़े. नारियल के तेल से स्किन की नियमित मालिश करें. हमेशा सोने से पहले मेकअप उतार लें.

ऐसा न करने से स्किन के छिद्र बंद हो जाते हैं, जिस से उस पर दागधब्बे पड़ जाते हैं. हर  रोज रात को चेहरे को अच्छी तरह साफ करे ताकि उस पर मेकअप का कोई निशान, मैल,  धूल आदि न रहे.

सुबह मेकअप करने से पहले क्लींजिंग करें ताकि स्किन तरोताजा, साफसुथरी और चिपचिपाहट रहित रहे क्लींजिंग के बाद हलका टोनर इस्तेमाल करें. ताकि स्किन के रोमछिद्र बंद हो जाएं और क्लींजर का निशान न रहे. इस से आप की स्किन स्वच्छ रहेगी.

प्रैग्नेंट महिलाओं के हारमोन में  अनेक उतारचढ़ाव होते हैं, जो उन की स्किन  को संवेदनशील बनाते हैं. परिणामस्वरूप उन  की स्किन पर पिगमैंटेशन होने का खतरा बढ़  जाता है.

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प्रैग्नेंसी में स्किन संबंधी समस्याओं का कारण गलत आहार लेना और सही देखभाल न करना भी होता है. प्रैग्नेंसी के दौरान भोजन में पर्याप्त ताजे फल, सब्जियां, साबूत अनाज, वनस्पति तेल, सेम, दालें, अंडा, दूध, पनीर, मछली आदि शामिल करें. दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी जरूर पीएं. इस से भी स्किन का रंग साफ होता है. प्रैगनैंसी में जो भोजन  करती हैं, उस का सीधा असर स्किन पर पड़ता है. ऐसे में प्रैगनैंसी में डाइट ऐसी हो, जो स्किन को हैल्दी बनाए.

विटामिन से स्किन की देखभाल

प्रैग्नेंसी में स्वस्थ और सुंदर स्किन के लिए विटामिन लेनी बहुत जरूरी होते हैं. विटामिन ‘ए’ की कमी से स्किन रूखी हो जाती है. इस से धारियां पड़ जाती हैं और स्किन के छिद्र बड़े हो जाते हैं. फल, सब्जियां, गाजर, हरी पत्तेदार सब्जियां, मछली का तेल, अंडे और कलेजी विटामिन ‘ए’ के अच्छे स्रोत हैं. विटामिन ‘बी’ से रक्त प्रवाह बढ़ता है. यह अतिरिक्त चिकनाहट को कम करता है.

स्किन की अधिकांश समस्याओं की जड़ विटामिन ‘बी’ की कमी होती है. साबुत अनाज, कलेजी, हरी पत्तेदार सब्जियां, मछली, अंडा आदि विटामिन ‘बी’ के अच्छे स्रोत हैं.

स्वस्थ, चमकदार व सुंदर स्किन के लिए विटामिनट ‘सी’ जरूरी होता है. इस के इस्तेमाल से स्किन ढीली नहीं होती, बल्कि जवां बनी रहती है. खट्टे फल, स्ट्राबैरी, हरी पत्तेदार सब्जियां, टमाटर और भुने आलू विटामिन ‘सी’ के अच्छे स्रोत हैं. विटामिन ‘ई’ की कमी से स्किन में असमय झुर्रियां पड़ जाती हैं. हरी पत्तेदार सब्जियों, साबूत अनाज और वनस्पति तेलों में विटामिन ‘ई’ पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. विटामिनों के साथसाथ कुछ खनिजपदार्थ भी स्किन की कुदरती खूबसूरती को बढ़ाने में मदद करते हैं.

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