प्रेग्नेंसी में तनाव होने से मेरे बच्चे को कोई खतरा तो नहीं?

सवाल-

हैलो डाक्टर! मैं 26 वर्षीय युवती हूं. मैं तीन महीने से प्रेगनेंट हूं. पिछले कुछ समय से मैं बहुत तनाव में रहने लगी हूं. मैं जानना चाहती हूं क्या इसका असर मेरे होने वाले बच्चें के स्वस्थ पर भी पड़ सकता हैं? मुझे इसे रोकने के लिए क्या करना चाहिए?

जवाब-

उत्तर- जी हां, तनाव का असर मां और बच्चें दोनों पर ही पड़ता है. जब आप तनाव से गुजरती हैं तो, शरीर से स्ट्रेस हार्मोन रिलीज होता है जो एक तरह से जहरीला होता है और शरीर के लिए हानिकारक भी. जिस वजह से चिढ़चिढ़ापन, बात बात पर गुस्सा आता है. तनाव ज्यादा बढ़ने पर डिप्रेशन भी हो सकता है. प्रेग्नेंसी के दौरान पहले से ही शरीर में हार्मोनल बदलाव होने शुरू हो जाता है. जो शारीरिक और मानसिक बदलाव को भी दर्शाता है. तनाव के बुरे प्रभाव से बचने के लिए पहले आपको यह सोचना है की आपके लिए सबसे महत्वपूर्ण क्या है, आपकी गर्भाव्स्था या तनाव. तनाव को आप नजरअंदाज कर सकती हैं, लेकिन गर्भावस्था को नहीं. इसलिए अपनी प्रेग्नेंसी पर ज्यादा ध्यान दें. तनाव से बचने के लिए आप कुछ हेल्दी एक्टिविटी कर सकती हैं जैसे मेडिटेशन, अच्छी किताबे पढ़ सकती हैं, रोजाना वॉक पर जा सकती हैं, कुछ ऐसे गाने सुन सकती हैं जिससे आपको सकारात्मकता महसूस हो. हमेशा वही सब करें जिससे आपको खुशी मिलती हो..

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मां बनना एक बेहद खूबसूरत एहसास है, जिसे शब्दों में पिरोना मुश्किल ही नहीं, बल्कि असंभव सा भी प्रतीत होता है. कोई महिला मां उस दिन नहीं बनती जब वह बच्चे को जन्म देती है, बल्कि उस का रिश्ता नन्ही सी जान से तभी बन जाता है जब उसे पता चलता है कि वह प्रैगनैंट है.

प्रैग्नेंसी के दौरान हालांकि सभी महिलाओं के अलगअलग अनुभव रहते हैं, लेकिन आज हम उन आम समस्याओं की बात करेंगे, जिन्हें जानना बेहद जरूरी है.

यों तो प्रैग्नेंसी के पूरे 9 महीने अपना खास खयाल रखना होता है, लेकिन शुरुआती  3 महीने खुद पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है. पहले ट्राइमैस्टर में चूंकि बच्चे के शरीर के अंग बनने शुरू होते हैं तो ऐसे में आप अपने शरीर में होने वाले बदलावों पर नजर रखें और अगर कुछ ठीक न लगे तो डाक्टर का परामर्श जरूर लें.

प्रैग्नेंसी के दौरान महिलाओं को काफी हारमोनल और शारीरिक बदलावों से गुजरना पड़ता है. मितली आना, चक्कर आना, स्पौटिंग, चिड़चिड़ापन, कब्ज, बदहजमी, पेट में दर्द, सिरदर्द, पैरों में सूजन आदि परेशानियोंसे हर गर्भवती महिला को गुजरना पड़ता है. आप कैसे इन समस्याओं से नजात पा सकती हैं, बता रही हैं गाइनोकोलौजिस्ट डा. विनिता पाठक:

शरीर में सूजन

शरीर में सूजन आ जाना भी प्रैग्नेंसी का एक सामान्य लक्षण है. विशेषज्ञों के अनुसार प्रैग्नेंसी में महिला का शरीर लगभग 50 फीसदी ज्यादा खून का निर्माण करता है. गर्भ में पल रहे बच्चे को भी मां के ही शरीर से पोषण मिलता है, जिस की वजह से मां का शरीर ज्यादा मात्रा में खून और फ्लूइड का निर्माण करता है.

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