Fitness Tips: प्रौफेशनल से जानें कैसे रखें फिटनेस का ख्याल

आज की इस तेज रफ्तार जिंदगी में एक महिला कई भूमिकाएं निभाती हैं, जैसे कि एक माता, एक पत्नी, एक देखभाल करने वाली महिला, एक बेटी, एक बहू या एक सहकर्मी की.  हाल ही में ऑमंड बोर्ड ऑफ कैलिफोर्निया ने नई दिल्ली में एक पैनल चर्चा का आयोजन किया जिस का विषय था ‘पारिवारिक स्वास्थ्य सुनिश्चित करने में कामकाजी माताओं की दुविधा’. पैनल में प्रियंका चोपड़ा की मां, डॉ. मधु चोपड़ा, प्रबंधनिदेशक, स्टूडियोएस्थेटिक, फिटनेस एंड पिलेट्स एक्सपर्ट, माधुरी रुइया, जानीमानी आहार सलाहकार शीला कृष्णस्वामी ने भी भाग लिया. पेश है इस इवेंट के दौरान मधु चोपड़ा से की गई बातचीत के मुख्य अंश;

अपनी फिटनेस और खूबसूरती के लिए आप क्या करती हैं?

फिटनेस के लिए समय निकालना बहुत कठिन होता है. किसी खास जिम में जा कर वर्कआउट करना मेरे लिए संभव नहीं है. इसलिए मैं ने शुरू से ही ऐसा नियम रखा है कि सुबह उठते ही सब से पहले 5 मिनट के लिए ध्यान, उस के बाद अगले 10 मिनट वार्मअप और 2-4 सूर्य नमस्कार करती हूं. इस के बाद थोड़ी सी एरोबिक्स कर के तब बाहर निकलती हूं और काम में लग जाती हूँ. मुश्किल से 15 मिनट का समय लगता है जो मैं खुद हेल्थ पर इन्वेस्ट करती हूं. खुद के साथ बिठाये इस समय की बदौलत दिन भर बढ़िया से स्टिमुलेटेड रहती हूं. ब्रेन भी जाग जाता है. सो चाय पर निर्भर न रह कर मैं वर्कआउट पर ज्यादा ध्यान देती हूँ. यही नहीं रात में कुछ बादाम भिगा कर रखती हूँ. सुबह एक्ससाइज के बाद पहला काम होता है एक खजूर और 4- 5 बादाम खाना.

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बादाम खाने का सब से अच्छा समय और तरीका क्या है ?

बादाम सुबहसुबह ही ले लेना चाहिए. इस से पूरे दिन आप को एनर्जी मिलती है. आप पूरे दिन आराम से भागदौड़ कर सकती हैं. बेहतर है कि इसे आप ब्रेकफास्ट से पहले लें. यदि सुबह नहीं ले सके तो बैग में रखें और कभी भी खा ले. यह कंप्लीट पौष्टिक आहार है.

इसे यदि रात भर पानी में भिगो कर खाया जाए तो ज्यादा अच्छा है. भिगा कर खाने से इस में सॉफ्टनेस आ जाती है और छिलका भी आसानी से उतर जाता है. जिस से बच्चे और बूढ़े आसानी से इसे खा सकते हैं. इसे चबाना आसान हो जाता है और तासीर भी थोड़ी ठंडी हो जाती है. उम्रदराज शख्स हो या छोटा बच्चा, हर उम्र के लोग बादाम खा सकते हैं.

पिछले कुछ सालों में प्रियंका एक स्ट्रांग वुमन के रूप में उभरी हैं. आप इस का श्रेय किसे देंगी?

कहीं न कहीं बच्चे मां-बाप जैसे ही होते हैं. सो सब से पहले तो इस का श्रेय उस के जींस को जाता है. दूसरा स्ट्रांग पक्ष यह रहा कि मैं ने कभी उस की सेहत के साथ समझौता नहीं किया. हमेशा उस के खानपान और फिटनेस का ख़याल रखा.

रोज सुबह उसे भिगाये हुए बादाम खिलाती थी. यदि वह सुबह खाना भूल जाती तो भी उस के बैग में हमेशा बादाम रखा करती. बादाम और दुसरे सूखे मेवे एक ही तरह से खा कर वह बोर हो जाती तो कुछ नए एक्सपेरमेंट्स करती. कभी भून कर कभी खीर बना कर तो कभी मिल्क शेक के रूप में देती. फलसब्जी ,प्रोटीन ,विटामिन ,कैल्शियम  किसी चीज़ की कमी नहीं होने देती.

एक मां के रूप में आप की सब से बड़ी चिंता क्या रहती है ?

मेरी चिंता यही रहती है कि उस ने कुछ खाया या नहीं खाया. किसी ने खाना दिया या नहीं. जब भी हम फोन पर बात करते हैं तो हमारी बातचीत की शुरुआत भी इसी बात से होती है.

फिटनेस के लिए आप अपने मरीजों को क्या सलाह देती हैं ?

प्रौपर न्यूट्रिशन और वर्कआउट के साथसाथ साफ़ क्लीन सोच, क्लीन हैबिट्स और ईटिंग्स जरुरी है. इस के साथ प्लांट्स बेस्ड फूड भी सेहत के लिए जरूरी है. जिन्हें प्रोटीन की ज्यादा आवश्यकता है वे एनिमल फूड्स भी ले सकते हैं. मगर नॉनवेज हैवी हो जाए तो प्रौब्लम होती है. इसलिए आप बैलेंस बना कर रखे. साथ में हरीभरी सब्जियां भी खाएं वरना स्किन पोर्स खुल जाते हैं और एजिंग भी ज्यादा दिखने लगती है.

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एक कामकाजी मां को आप क्या सलाह देना चाहेंगी?

इन दिनों कामकाजी माताओं के कंधों पर बहुत सी जिम्मेदारियां हैं. पूरे भारत के अधिकांश परिवारों में माताएं ही प्राथमिक केयरगिवर होती हैं जिन्हें अपने परिवार के संपूर्ण स्वास्थ्य को सुनिश्चित करना होता है. अपने पूरे परिवार की देखभाल करने के साथ ही वह दिन का लंबा समय काम में भी बिताती हैं. ऐसे में एक कामकाजी माता के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है कि वह अपने खुद के स्वास्थ्य, नींद एवं डाइट पर पूरा ध्यान दे और अपने लिए भी पर्याप्त समय निकाले.

हेल्थ से जुड़ी इन समस्याओं को न करें अनदेखा

हेल्थ एक्सपर्ट्स नम्रता गॉड ने, हेल्थ से सम्बंधित कई परेशानियों व उनके इलाज के बारे में जानकारी दी, जैसे, मेनोपॉज़, एनीमीया व ऐसिडिटी आदि जिनका स्वास्थ्य पर तो प्रभाव पड़ता ही है,साथ ही सुंदरता  भी प्रभावित हुए बिना नहीं रहती.

जब तक आप भीतर से स्वस्थ नहीं हैं तब तक,मँहग़े से महग़ा प्रोडक्ट व ट्रीटमेंट भी आपको सुंदर नहीं बना सकता.सुंदर व चमकदार बाँहें,रेशमी बाल,गालों की गुलाबी रंगत,कांतिमय स्किन- ये लक्षण हैं,जिन्हें देखकर आसानी से ये जाना जा सकता है कि अमुक व्यक्ति वास्तव में सुंदर है–

1-कमर दर्द

पतली बलखाती कमर,महिला के फिगर को तो आकर्षक बनाती है,लेकिन,यदि,महिला की वही कमर दर्द से ग्रस्त हो,और महिला सीधी भी खड़ी न हो सके तो,सुंदरता कैसी ?प्रसव के बाद,उचित व्यायाम ,सेंक या मालिश का अभाव,भारी वज़न उठाना,गर्भाशय के रोग,वात रोग,मेंरुदंड में ख़राबी,ग़लत फ़ुटवैअर का इस्तेमाल,आदि कुछ ऐसे कारण हैं,जिनसे कमर दर्द हो सकता है.

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कमर दर्द को दूर भागने के लिए अपनी जीवन शैली बदलें.लम्बी झाड़ू से घर की सफ़ाई करें,जिससे आगे की ओर झुकना न पड़े.वज़न न बढाएँ.बार बार कमर को आगे की ओर न झुकाए पंजों के बल चलने का अभ्यास करें.सीधे बैठें.सीधे चलने का अभ्यास करें.ठंडी चीज़ें कम खाएँ.सर्दी का मौसम हो तो गुनगुना पानी पिएँ,और गुनगुने पानी से ही स्नान करें.यदि फिर भी आराम न मिले तो डॉक्टर को दिखाएँ.

2-स्किन

उन के अनुसार यदि स्किन में पीले या गुलाबी रंग के चकत्ते बन जायँ तो ,ये सूर्य किरणो से होने वाले  स्किन के ट्यूमर हो सकते हैं,जिनका इलाज समय पर होना ज़रूरी है.स्किन पर यदि सफ़ेद रंग के छोटे छोटे दाग़ बढ़ रहे हों तो,यह एक क़िस्म का स्किन का कैंसर हो सकता है.

3-पैर व पंजेप

लाख पेडिक्योर करवाएँ यदि पंजों में सूजन है,स्किन साफ़ नहीं है,उँगलियों में लालिमा है ,पंजो में गर्र्माहट है अधिक पसीना आता है तो पैरों में कभी निखार नहीं आ सकता .ये सब ,ग्रंथियों में अधिक असंतुलन की निशानी है .इसके विपरीत यदि आप ,पंजों में ठंडक,रूखी स्किन तथा नाख़ूनों के टूटने से परेशान हों तो ये, पंजों में ख़ून का सही दौरा न होने का संकेत देते हैं.पंजों का सुन्न हो जाना या हल्की हल्की झनझनाहट ,डाइबिटीज की निशानी है.स्किन का रंग बदलना तथा एड़ी के पास के हिस्सों में सूजन,ह्रदय से सम्बंधित रोगों का संकेत देते हैं.

4-हेअर फ़ौल

यदि आपके बालों में स्वाभाविक चमक व मज़बूती है तो आपका स्वास्थ्य ठीक है.रूखे बाल,हल्के थाइरायड के कारण भी हो सकते हैं,जब की फूले फूले बालों का अर्थ है शरीर में ज़िंक व मैगनेशियम की कमी.सिर की स्किन में रूसी,तनाव या स्किन के अन्य किसी रोग के कारण भी हो सकती है.१०० से१५० बालों का झड़ना सामान्य सी बात है ,लेकिन इससे अधिक यदि बाल झड़ते हैं तो यह गम्भीर समस्या है.

प्रोटीन की कमी-  डाइट में इसकी कमी फंगल इन्फ़ेक्शन और रूसी को जन्म देती है,जिससे बालों के झड़ने की समस्या होती है.इसके लिए किसी स्किन रोग विशेषज्ञ की सलाह लें.

5-हाथ व नाख़ून

हाथों में नीला पन बताता है कि,रक्त का दौरा,सुचारू रूप से नहीं चल रहा है.हाथों में सूजन का कारण थाइरोइड हो सकता है. हाथों का कम्पन–उक्त रक्त चाप या न्यूरोलोजिकल गड़बड़ी की निशानी है.

स्वस्थ नाख़ून गुलाबी रंग के होते हैं और नीचे की ओर सफ़ेद रंग की गोलाई लिए होते हैं.शरीर में लौह तत्व की कमी के कारण ,नाख़ून सख़्त होकर टूटते हैं.रूखे ,खुरदरे,उठे हुए या मोटे नाख़ून संक्रमण के कारण हो सकते हैं.नाखूनों पर सफ़ेद निशान,ज़िंक या प्रोटीन की कमी या अत्यधिक शुगर की वजह से होते हैं.यदि नाख़ून हरे या पीले हैं तो ऐसा फ़ंगस इन्फ़ेक्शन की वजह से होता है

नियमित रूप से अपनी डाइयट में  ज़िंक,रेड मीट,सी फ़ूड,गेहूँ,दाल,अंडे,पनीर की मात्रा बढ़ायें कहती हैं न्यूट्रिशनिस्ट दिव्या

6-झाईयाँऔर आँखों के इर्द गिर्द काले गड्ढे-

आँखों के इर्द गिर्द काले गड्ढेअनिद्रा,तनाव व खुराक में पोषक तत्वों की कमी के कारण होते हैं.झाईयाँ एनेमीया की वजह से होती हैं,भारत में लगभग७०% महिलाएँ एनीमीया की शिकार हैं,जिसकी वजह से शरीर में,हीमग्लोबिन की कमी हो जाती है.यह,पिरीयड्ज़ के दौरान,अत्यधिक ब्लीडिंग के कारण भी हो सकता है.इससे  थकान,महसूस होना ,चेहरे पर सफ़ेदी आ जाना जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं.

आइरनयुक्त पदार्थों जैसे,पालक,आँवला,सेब,टमाटर,एल्लोवीरा,किशमिश का नियमित सेवन करने से एनेमीया से बचा जा सकता है.ठंडे गुलाब जल/या ठडी चाय के पानी में कॉटन भिगोकर आँखों पर रखें.भरपूर नींद लें तनाव से दूर रहें.

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7-पी॰सी.ओ.ड़ी.

पोलीसिसटिक ओवेरीयन डिज़ीज़,ओवर्री से सम्बंधित है,जिसकी शुरुआत १५ से २२ साल तक युवतियों में हो जाती है, लेकिन इसका पता,काफ़ी समय बाद लग पाता है इस सिंड्रोम के कारण ब्यूटी से सम्बंधित परेशनियाँ जैसे,हिरसोटिज़्म,पिग्मेंटेशन,पिरीयड्ज़ में देरी जैसी कई समस्याएँ देखने को मिलती हैं.कई बार इन परेशानियों का इलाज करवाने पर भी ये ठीक नहीं होतीं.ऐसे स्थिति में ,ब्यूटीशिअन को चाहिए कि वो अपने क्लाइयंट को डॉक्टर के पास जाने की सलाह दे या टेस्ट आदि करवाने की सलाह दे.पी.सी.ओ.ड़ी.के लिए,पैल्विस का अल्ट्रा साउंड,थाईरायड,और डी.एच.ई.एस का टेस्ट करवाएँ ट्रीटमेंट में दवाईयों के साथ वज़न कम करने पर ज़ोर दिया जाता है.

8- झुर्रियाँ

झुर्रियाँ बढ़ती उम्र का तो संकेत होती ही हैं इनमे,जींस की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है.इस के अतिरिक्त धूम्रपान कुपोषण,मुँह बिराने से भी झुर्रियाँ पड़ती हैं.

चीनी या शक्कर का सेवन कम करें क्योंकि ये ,ब्लड शुगर लेवल को बढाकर शर्करा बनने की प्रक्रिया को तेज़ करता है जिससे कोलाजन और इलास्टिक बनने की क्षमता कम हो जाती है और झुर्रियाँ जल्द ही नज़र आने लगती हैं.पर्याप्त पानी पियें,मेवे और दालों का सेवन करें.ये खाद्य,स्किन पर क़ुदरती तेल प्रदानों करके उसमें कसाव और चमक लाते हैं.कार्बोरेटेड ड्रिंक्स कुकीज़,कैंडीज का प्रयोग कम करें.नियमित फ़ेशिअल करवाएँ.

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