प्रोस्टेट कैंसर का समय रहते करवाएं इलाज 

भारत में फेफडों और मुंह के कैंसर के बाद प्रोस्टेट कैंसर तीसरी बडी समस्या बनकर सामने आ रही है प्रोस्टेट कैंसर (Prostate Cancer) पुरूषों को होने वाली प्रमुख समस्या है, जिसे पौरूष ग्रंथि के कैंसर के नाम से भी जाना जाता है. यह समस्या लगातार पुरूषों में बढ रही है. लेकिन प्रोस्टेट कैंसर के बारे में लोगों में जो जागरूकता होनी चाहिऐ वह अभी तक नही है इसलिए लोगों में इसके प्रति जागरूकता फैलाने की जरूरत है, ताकि बिमारी का शीघ्र पता चले और बेहतर इलाज हो सके.

इस बारें में न्यू दिल्ली के अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल के वरिष्ठ यूरोलोजिस्ट डॉ, एस. के. पाल कहते है कि समय रहते अगर इस बीमारी का पता चलता है तो व्यक्ति इलाज कर रोग मुक्त हो सकता है.

प्रोस्टेट कैंसर है क्या 

प्रोस्टेट कैंसर प्रोस्टेट की कोशिकाओं में बनने वाला एक प्रकार का कैंसर है. प्रोस्टेट कैंसर आमतौर पर बहुत ही धीमी गति से बढ़ता है, इसलिए उसे सायलेंट किलर भी कहते हैं. ज्यादातर रोगियों में तब तक लक्षण नहीं दिखाई देते जब तक कि कैंसर उन्नत अवस्था में नही पहुँच जाता. इसलिए सतेज रहना आवश्यक है. कई मरीजों को तो ज्ञात ही नहीं होता कि उन्हें प्रोस्टेट कैंसर है. इसलिए समय समय पर जांच करवाना आवश्यक होता है. कैंसर बढ जाने पर डॉक्टरों को भी इलाज करना काफी मुश्किल होता है. समय रहते प्रोस्टेट कैंसर के बारे में पता चले तो ऑपरेशनद्वारा उसे ठीक किया जा सकता है, क्योंकि प्रोस्टेट कैंसर के लिए बहुत अच्छे इलाज उपलब्ध हैं.

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 प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण

  • पेशाब करने में कठिनाई
  • पेशाब करने में दर्द होना
  • मूत्राशय खाली न होने की भावना
  • वीर्य में रक्त
  • वजन कम होन
  • पेशाब से खून आना
  • पेशाब रूक-रूक के आना

प्रोस्टेट कैंसर से बचने के उपाय

पीएसए – यह रक्त की जांच है. इसी जांच से सबसे पहले प्रोस्टेट कैंसर के शुरूआती कि जानकारी मिलती है. प्रतिवर्ष पीएसए की जांच करानेसे यह पता चलता है की, यह किस गती से बढ रहा है. इसे पीएसए-वेलॉसिटी कहते है. पीएसए के असाधारण गति से बढने पर प्रोस्टेट कैंसर होने वाला है. यह जानकारी तीन से पांच साल पहले पता चल सकता है.

अल्ट्रा साऊंड – के.यू.बी. हर साल कराना होता है. प्रोस्टेट के ग्रंथी का आकार कितना है यह इस जांच में पता चलता है और यह मालुम होता है कि उसमें कोई कैंसर की संभावना है या नहीं.

युरोफ्लोमीटरी – इस जाचं में मूत्र विसर्जन की गति का पता चलता है. सिर्फ एक बार पेशाब करने से संगणक द्वारा यह जानकारी होती है कि प्रति सेंकड कितना मूत्र विसर्जित किया जा रहा है. प्रोस्टेट द्वारा मूत्र के विसर्जन मे कितनी रूकावट हो रही है यह पता चलता है.

लायकोपिन – लायकोपिन यह टमाटर में पाया जाता है. कुछ अनुसंधानों से पता चला है कि लायकोपीन के उपयोग से प्रोस्टेट कैंसर का बचाव हो सकता है.

इस बिमारी की संभावना होनेपर किस डॉक्टर से मिले 

यदि किसी पुरूष को अपने शरीर में प्रोस्टेट कैंसर के  लक्षण नज़र आते हैं तो उसे बिना देरी किए यूरोलॉजिस्ट के पास जाना चाहिए. प्रोस्टेट कैंसर समय रहते पता चले इसलिए ४० वर्ष से जादा उम्र के पुरूषों को हर साल तीन जांच अवश्य कराना चाहिए.

प्रोस्टेट कैंसर के कारण 

बढती उम्रः- प्रोस्टेट कैंसर का खतरा उम्र के साथ बढता है. 40 वर्ष से कम उम्र में यह कैंसर बहुत ही कम पाया जाता है. लेकिन 50 वर्ष की उम्र के बाद प्रोस्टेट कैंसर का खतरा तेजी से बढता है. ज्यादा उम्र के पुरूषों को अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखना जरूरी है. इसलिए ४० वर्ष की उम्र के बाद हर साल प्रोस्टेट की जांच करनी जरूरी है, ताकि प्रोस्टेट कैंसर का खतरा तुरंत पता चल सके.

अनुवांशिकताः- परिवार में किसी को पहले प्रोस्टेट कैंसर हुआ है तो इस कैंसर का खतरा उस परिवार के अन्य पुरूष सदस्यों को कई गुना बढ जाता है.

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हार्मोन बदलावः- पुरूषों के जींवन मै उर्मे के साथ-साथ हॉर्मोनल बदलाव होते है. हॉर्मोनल बदलाव के कारण भी यह कैंसर हो सकता है. ऐसे में हॉर्मोन को नियंत्रित रखने वाली दवाईयां लाभदायक साबित हो सकती हैं.

 प्रोस्टेट कैंसर किस उम्र के लोगों को होती है अधिक 

यह बिमारी 60 साल से अधिक उम्र के पुरूषों में अक्सर होती है. 40 वर्ष से कम आयु के 10,000 पुरूषों में से केवल १ प्रोस्टेट कैंसर का मामला देखने को मिलता है. लेकिन 50 से अधिक उम्र के पुरूषों मे प्रोस्टेट कैंसर का खतरा अधिक होता है.

 प्रोस्टेट कैंसर का इलाज

प्रोस्टेट कैंसर के उपचार अक्सर कैंसर के चरण पर निर्भर करता है. कैंसर कितना तेज़ी से बढ़ रहा है. यह देखना जरूरी होता है. बहुत ही शुरूआती चरण में कैंसर है, तो आपका डॉक्टर आपको पहले उसे निगरानी में रहने की सलाह देते हैं, जिसे सक्रिय निगरानी भी कहा जाता है. यदि आपका कैंसर बढ गया है तो उसके लिए और उपचार उपलब्ध है. जैसे की, शल्यचिकित्सा, रेडिएशन, किमोथेरपी, हार्मोनथेरपी, स्टिरियोटॅक्टिक रेडिओथेरपी और इम्युनोथेरपी आदि, इससे प्रोस्टेट कैंसर का इलाज किया जाता है.

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