Deepika Padukone Pregnancy: बॉलीवुड एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रेग्नेंसी की खबर शेयर की हैं. काफी समय से एक्ट्रेस की प्रेग्नेंसी को लेकर अटकले लगाई जा रही थी, लेकिन अब रणबीर और दीपिका के घर में भी जल्द ही किलकारियां गूंजने वाली है.
इस कपल ने इंस्टाग्राम पर पोस्ट शेयर कर बताया है कि वे सितंबर में अपने पहले बच्चे का स्वागत करेंगे, उनके इस पोस्ट फैंस और फ्रेंड्स बधाई संदेश दे रहे हैं.
दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह सिंतबर में पेरेंट्स बनेंगे. इस कपल ने आज यानी 29 फरवरी को अपने-अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक कार्ड शेयर किया है, आप देख सकते हैं कि इस कार्ड पर बच्चों के कपड़े, जूते, खिलौने बने हुए हैं.
इसी के साथ कार्ड पर सितंबर, 2024 भी लिखा है. इस पोस्ट के कैप्शन में फोल्डिंग हैंड की इमोजी डाला है. इस पोस्ट पर बॉलीवुड सेलिब्रिटीज अनुपम खेर, सोनू सूद, सोनाक्षी सिन्हा, कृति सेनॉन, प्रियंका चोपड़ा सहित तमाम स्टार्स ने बधाई दी है. अनिल कपूर, माधुरी दीक्षित, सोनम कपूर, अभिषेक बच्चन ने भी इस जोड़े को बधाई दी है.
गौरतलब है कि दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह ने साल 2018 में शादी की थी और छह साल बाद ये कपल नए मेहमान के स्वागत की तैयारियों में जुट गए हैं. आपको बता दें कि दीपिका पादुकोण हाल ही में बाफ्टा अवॉर्ड्स फंक्शन में नजर आई थीं. इस अवॉर्ड्स से जुड़ा एक वीडियो फैंस के बीच वायरल हुआ था, जिसे देखने के बाद तमाम यूजर्स ने कयास लगाई थीं कि वह प्रेग्नेंट हैं और उन्होंने अपने बेबी बंप को साड़ी से छिपाया है. अब इस कपल ने यह खुशखबरी सोशल मीडिया पर अपने फैंस के साथ शेयर भी की है.
2010 में फिल्म ‘बैंड बाजा बारात’’ से अभिनय कैरियर की शुरूआत करने वाले अभिनेता रणवीर सिंह के सितारे कुछ वर्षों से गर्दिश में चल रहे हैं. ‘घूमकेतु’,‘सूर्यवंशी’,‘83’, ‘जयेशभाई जोरदार’ व ‘सर्कस’ जैसी फिल्मों की लगातार असफलता की वजह से रणवीरं सिंह बुरी तरह से आहत व परेशान हैं.उनके हाथ से कई ब्रांड भी जा चुके हैं.लेकिन किसी ने भी कल्पना नही की होगी कि रणवीर सिंह की आर्थिक हालत इस कदर गड़बड़ है कि दीवाली से चंद दिन पहले उन्हें अपने मुंबई के दो फ्लैट औने पौने दाम पर बेचने पड़े.
रणवीर सिंह ने अपनी मां के साथ मिलकर 2014 में मुंबई के गोरेगांव पूर्व इलाके की बहुमंजली इमारत के 43 वें फ्लोर पर दो हजार छह सौ अड़तालिस स्क्यायर फुट क्षेत्रफल के दो रिहायशी फ्लैट खरीदे थे,जिसे अब उन्हे बेचना पड़ा. जी हाॅ!छह नवंबर को रणवीर सिंह ने अपने यह दो फ्लैट महज 15 करोड़ बीस लाख रूपए में बेच दिए. जिसके लिए 91 लाख पचास हजार रूपए स्टैंप ड्यूटी भी भरी गयी. इसमें दो पार्किंग भी समाहित हैं. हर फ्लैट की कीमत 7 करोड़ 62 लाख रूपए बतायी जा रही है. तो क्या वास्तव में रणवीर सिंह इस कदर कंगाल हो गए हैं? या उनके सामने कोई मजबूरी थी,जिसके चलते उन्हे यह कदम उठाना पड़ा?
माना कि रणवीर सिंह की लगातार कई फिल्मों ने बाक्स आफिस पर पानी भी नही मांगा और आज की तारीख में उनके पास रोहित शेट्टी के निर्देशन में बन रही फिल्म ‘‘सिंघम अगेन’’ के अलावा कोई दूसरी फिल्म भी नही है.‘जयेशभाई जोरदार ’की असफलता के बाद रणवीर सिंह ने एक विदेशी पत्रिका के लिए ‘नग्न’ फोटो शूट भी कराया था,जिससे उन्हे फायदे की बजाय नुकसान ही हुआ. इसी वजह से कुछ ब्रांड उनके हाथ से निकल गए.फिर भी यकीन नही होता कि रणवीर सिंह कंगाली के मुकाम पर पहुॅच गए हैं. क्योंकि गत वर्ष ही बैंड स्टैंड पर सलमान खान की इमारत ग्लैक्सी और शाहरुख खान के मन्नत बंगले के बीच एक इमारत में रणवीर सिंह ने सी फेसिंग फ्लैट 129 करोड़ रूपए में खरीदकर हंगामा बरपाया था.तो फिर एक वर्ष के अंदर ही उन्हे अपने दो फ्लैट क्यों बेचने पड़े? इस सवाल के जवाब फिलहाल नजर नहीं आ रहे हैं. मगर बौलीवुड में तो यही कहा जा रहा है कि रणवीर सिंह कंगाली की तरफ बढ़ रहे हैं……
सोशल मीडिया पर दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह ने एक बार फिर अपने फैंस का दिल खुश कर दिया है. दीपिका ने इंस्टाग्राम पर खूबसूरत नोट साझा किया है, दीपिका ने इस लैटर में लिखा कि ‘शादी अपने बेस्ट फ्रेंड से करो, ये बात में ऐसे ही नहीं बोल रही हूं. जब आपकी दोस्ती गहरी होगी, तब आपको प्यार होना तय है. आप ऐसे आदमी से शादी करो जो अपके अंदर के पागलपन को बाहर निकाल पाए और आपके दुख-तकलीफ को समझ सके.’
वहीं दीपिका ने और भी कई बातें लिखी है. इस तस्वीर के कैप्शन में दीपिका पादुकोण ने रणवीर सिंह को टैग किया है. दीपिका पादुकोण की ये पोस्ट सोशल मीडिया पर खूब शेयर की जा रही है.
दीपिका पादुकोण ने फ्रेंडशिप डे पर पति रणवीर सिंह के लिए एक इमोशनल नोट शेयर किया. नोट में, एक्ट्रेस ने ‘अपने सबसे अच्छे दोस्त से शादी करने’ की खुशी व्यक्त की. रणवीर सिंह ने पोस्ट पर भावनात्मक रूप से प्रतिक्रिया देते हुए पोस्ट के टिप्पणी अनुभाग में एक बुरी नजर, एक दिल और एक अनंत प्रतीक डाला.
दीपिका-रणवीर प्रेम कहानी की शुरूआत
दीपिका और रणवीर की प्रेम कहानी की जड़ें संजय लीला भंसाली की 2013 की फिल्म गोलियों की रासलीला राम-लीला में एक साथ अभिनय करने के बाद शुरू हुईं. छह साल की डेटिंग के बाद, इस जोड़े ने 14 नवंबर, 2018 को इटली के लेक कोमो में एक डेस्टिनेशन वेडिंग में सात फेरे लिए. राम-लीला के अलावा, इस जोड़ी ने फाइंडिंग फैनी, बाजीराव मस्तानी, पद्मावत और स्पोर्ट्स ड्रामा 83 जैसी फिल्मों में स्क्रीन साझा की है.
दीपिका पादुकोण नजर आएंगी इन फिल्मों में
बॉलीवुड एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण की वर्क की बात करें तो दीपिका अपनी अपकमिंग फिल्मों को लेकर का काफी चर्चा में है. दीपिका शाहरूख खान की फिल्म जवान में कैमियो करने वाली हैं. इसके साथ ही एक्ट्रेस फिल्म फाइटर में ऋतिक रोशन साथ लीड रोल में नजर आएंगी.
बॉलीवुड एक्ट्रेस अलिया भट्ट और रणवीर सिंह की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ सिनेमाघरों में 28 जुलाई को रिलीज हो रही है. वहीं अलिया भट्ट और रणवीर सिंह की ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ फिल्म की एंडवास टिकट मंगलवार से बुक शुरु हो गई है. ऐसे में फिल्मी जगत की निगांहे इस शुक्रवार को रिलीज होने वाली फिल्म ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ पर है पहल दिन ये फिल्म किनती कमाई करती है.
मुबंई में बॉलीवुड स्टार्स के लिए फिल्म की स्क्रीनिंग रखी गई. इस स्क्रीनिंग में कई सितारों ने शिरकत की. स्क्रीनिंग के दौरान आलिया भट्ट अपने पति रणबीर कपूर के साथ बेहद स्टाइलिश अंदाज में नजर आई थीं. दोनों ने इस इवेंट में ग्रैंड एंट्री मारी थी.
आलिया भट्ट-रणबीर कपूर ने साथ में मारी एंट्री
अभी हाल ही में ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ की स्क्रीनिंग रखी गई थी, जिसमें कई सितारों ने अपने कदम रखें. वहीं सबका ध्यान आलिया भट्ट-रणबीर कपूर ने खींच लिया. रणबीर कपूर और आलिया भट्ट बेहद ही कूल लुक में दिखाई दिए. देखें इन कपल की तस्वीरें.
सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों में ये कपल काफी क्यूट लग रहा है. आलिया भट्ट और रणबीर कपूर ने ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ की स्क्रीनिंग पर साथ में एंट्री की. दोनो की तस्वीरें सोशल मीडिया पर छाई हुई है. वहीं रणबीर कपूर और आलिया भट्ट ने फिल्म की स्क्रीनिंग पर एक जैसी टी-शर्ट पहने पहुंचे थे. इस इवेंट में रणवीर की तरह नजर आए. आलिया और रणवीर की टीर्सट पर लिखा हुआ था, टीम ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’. तस्वीरों में काफी खुश दिखाई दे रही है आलिया. आलिया भट्ट की तस्वीरें उनके फैंस काफी शेयर कर रहे है.
‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ की स्क्रीनिंग पर रणवीर सिंह एक अलग ही अंदाज में नजर आए, लेकिन उनकी पत्नी दीपिका पादुकोण इस इवेंट में नजर नहीं आई. सबकी नजर उनकी पत्नी पर थी, हालांकि अभिनेत्री ने फैंस को काफी नराज कर दिया. वहीं रेड करपेट पर विक्की कौशल और कैटरीना कैफ एक-दूसरे का हाथ थामे नजर आए. कैटरीना वाइट गाउन में बेहद खूबसूरत लग रही थी.
मषहूर लेखक,कवि व निर्देषक गुलजार 1982 में षेक्सपिअर के नाटक ‘‘द कॉमेडी आफ एरर्स’’ पर आधारित फिल्म ‘‘अंगूर’’ लेकर आए थे.जिसमें संजीव कुमार व देवेन वर्मा की मुख्य भूमिका थी.इस फिल्म में दो जुड़वाओं की जोड़ी बचपन में बिछुड़ जाती है.युवावस्था में पहुचने पर यह जोड़ी मिलती है,तो कई तरह की उलझनें पैदा होती हैं.अब 40 साल बाद उसी अंगूर’ फिल्म के अधिकार लेकर ‘गोलमाल’ सीरीज फेम निर्देषक रोहित षेट्टी टैजिक कौमेडी फिल्म ‘‘सर्कस’’ लेकर आए हैं और उन्होने एक क्लासिक फिल्म का बंटाधार करने में कोई कसर नही छोड़ी है.
यूं तो फिल्म के ट्रेलर से ही आभास हो गया था कि फिल्म कैसी होगी? इसके अलावा जब कुछ दिन पहले हमने फिल्म के पीआरओ से पूछा था कि फिल्म के कलाकारों के इंटरव्यू कब होगे,तो उसने जवाब दिया था-‘‘अब कलाकारों का इंटरव्यू से विष्वास उठ गया है.इसलिए कोई इंटरव्यू नहीं होगे.’’ फिल्म देखकर समझ में आया कि जब निर्देषक व कलाकारों को पता था कि उन्होने बहुत घटिया फिल्म बनायी है,तो इंटरव्यू क्या देते. पर ‘सर्कस’ सफल नही होगी,इसका अहसास निर्देषक रोहित षेट्टी को था,इसीलिए कुछ दिन पहले उन्होने कहा था कि हर वर्ष सिर्फ चार फिल्में ही सफल होती हैं.’
कहानीः
फिल्म की षुरूआत में कुछ डाॅक्टरों को संबोधित करते हुए डाक्टर राय बच्चों के ख्ूान की बजाय परवरिष की बात करते हुए एक नए प्रयोग की बात करते हैं.जिससे अन्य डाक्टर सहमत नही होते.पर वह अपना प्रयोग जारी रखने की बात करते हैं.पता चलता है कि डाक्टर राॅय अपने मित्र जाॅय के साथ मिलकर ‘जमनादास अनाथालय’’ चला रहे हैं.इसी अनाथालय में चार जुड़वा बच्चे हैं,इनमें से दो एक घर से और दो दूसरे घर से हैं.जब उन्हें गोद लेने के लिए एक परिवार उटी से आता है जो कि बहुत बड़े सर्कस के मालिक हैं और दूसरा परिवार बंगलोर का उद्योगपति है.तब डॉक्टर रौय (मुरली शर्मा) अपने प्रयोग को सही साबित करने के लिए दोनों जुड़वा बच्चों की अदला बदली कर देते हैं.वह दुनिया को दिखाना चाहते हैं कि एक बच्चे के लिए उसका वंश नहीं, बल्कि उसकी परवरिश जरूरी होती है.
दोनों परिवार अपने बच्चों का नाम रौय (रणवीर सिंह) और जौय (वरुण शर्मा) रखते हैं.चारों सुकुन से अपनी जिंदगी गुजार रहे होते हैं.इस बीच सर्कस के मालिक की मौत के बाद रौय व जौय अपने पिता केव्यवसाय को आगे बढ़ाते हैं.और माला (पूजा हेगड़े ) से रौय की षादी को पांच साल हो जाते हैं.उधर बंगलोर में राय बहादुर (संजय मिश्रा ) की बेटी बिंदू (जैकलीन फर्नाडिष ) से रौय प्यार कर रहे हैं और षादी करना चाहते हैं.राय बहादुर को लगता है कि उनकी बेटी बिंदू गलत युवक से षादी करना चाहती है.एक दिन उटी में एक चाय बागान को खरीदने के लिए बैंगलौर वाले रौय और जौय लाखों रूपए लेकर ऊटी आते हैं.उन्हे लूटने के लिए पाल्सन (जौनी लीवर ) के गंुडे उनके पीछे लग जाते हैं.ऊटी शहर पहुॅचते ही कन्फ्यूजन षुरू होता है. अब उटी षहर में दो रौय और दो जौय. हैं. कभी लोग एक से टकराते हैं तो कभी दूसरे से.परिणामतः उलझनें बढ़ती हैं और यह भी फंसते जाते हैं.वहीं अब डाॅक्टर रौय भी छिप्कर सारामाजरा देख रहे हैं.जब यह चारो सामने आएंगे,तब क्या होगा?
लेखन व निर्देषनः
किसी क्लासिक कृति को कैसे तहस नहस किया जाए,यह कला रोहित षेट्टी व रणवीर सिंह से बेहतर कोई नहीं बता सकता.फिल्म में कहानी का कोई अता पता नहीं,उपर से संवाद भी अति बोझिल.बतौर निर्देषक जमीन’,‘गोलमाल’,‘सूर्यवंषी’ के बाद रोहित षेट्टी की यह 15 वीं फिल्म हैं,जहां वह बुरी तरह से चूक गए हैं.इस फिल्म से साफ झलकता है कि उनका जादू खत्म हो गया.रोहित षेट्टी के कैरियर की यह सबसे ज्यादा कमजोर फिल्म है. फिल्म का नाम सर्कस है,मगर फिल्म में सर्कस ही नही है.युनूस सजावल लिखित पटकथा बेदम है.
फिल्म षुरू होने पर लगता है कि कुछ मजेदार फिल्म होगी,लेकिन पंाच मिनट बाद ही फिल्म दम तोड़ देती है.इंटरवल के बाद संजय मिश्रा,जौनी लीवर, सिद्धार्थ जाधव अपनी कौमेडी से फिल्म को संभालने का असलप्रयास करते नजर आते हैं,मगर अफसोस इन्हें पटकथा व संवादों का सहयोग नही मिलता. यह पहली बार है,जब रोहित शेट्टी फिल्म के किसी भी किरदार के साथ न्याय नहीं कर पाए.सभी किरदार काफी अधपके से लगते हैं.मुरली षर्मा का किरदार उटी में आकर क्या करता है और फिर अचानक कहंा गायब हो जाता है,किसी की समझ में नही आता.फिल्म का क्लायमेक्स तो सबसे घटिया है.रोहित षेट्टी जैसा समझदार फिल्मकार इतनी घटिया फिल्म बना सकता है,इसकी तो कल्पना भी नही की जा सकती. कहानी तीस साल आगे बढ़ जाती है,मगर डाॅक्टर रौय यानी कि मुरली षर्मा की उम्र पर असर नजर नही आता.अमूमन देख गया है कि जुड़वा बच्चों में से एक को दर्द होता है, तो दूसरे को भी होता है.पर यहां उसका उल्टा दिखाया गयाहै.
रोहित षेट्टी ने कुछ क्लासिकल गीतों के अधिकार खरीदकर फिल्म में पिरोए हैं,मगर कहानी का काल गानों से मेल ही नही खाता.यहां तक कि दीपिका पादुकोण का गाना ‘करंट लगा..’भी फिल्म को नही बचा पाता. बंटी नागी की एडीटिंग और जोमोन टी जॉन की सिनेमैटोग्राफी प्रभावित नहीं करती है.
अभिनयः
दोहरी भूमिका में रणवीर सिंह और वरूण षर्मा हैं.फिल्म देखकर लगता है कि दोनो अभिनय की एबीसीडी भूल चुके हैं.जैकलीन ने यह फिल्म क्यों की,यह बात समझ ेसे परे हैं.पूजा हेगड़े के अभिनय मंे ंभी दम नजर नहीं आता.मुरली षर्मा को मैने छोटे किरदारों से लेकर बड़े किरदारों तक में देखा है और हर बार उनका अभिनय निखरता रहा है.मगर इस फिल्म में वह भी मात खा गए.राय बहादुर के किरदार में संजय मिश्रा कुछ हद तक फिल्म को संभालते हैं.मगर उनके अभिनय में भी दोहराव ही नजर आता है.इसफिल्म में संजय मिश्रा जिस अंदाज में अंग्रेजी बोलते नजर आते हैं,उस तरह से वह कई फिल्मों में कर चुके हैं.उनके अभिनय नयापन नही है.पर यह कहना गलत नही होगा कि संजय मिश्रा,रणवीर सिंह पर भारी पड़ गए हैं.मुकेष तिवारी को इस तरह की फिल्म व इस तरह के फालतू किरदारों को निभाने से बचना चाहिए.सुलभा आर्या,अष्विनी कलसेकर,टीकू तलसानिया,ब्रजेष हीरजी,ब्रजेंद्र काला तो महज षोपीस’ ही हैं.सिद्धार्थ जाधव ओवरएक्टिंग ही करते है.
बीते दिनों अपने न्यूड फोटोशूट के कारण सुर्खियों में रहने वाले बौलीवुड एक्टर रणवीर सिंह (Ranveer Singh) हाल ही में अपनी वाइफ दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) संग एक फैशन शो में साथ पहुंचे, जिसकी फोटोज सोशलमीडिया पर छाई गई हैं. आइए आपको दिखाते हैं बौलीवुड के पावर कपल दीपिका-रणवीर की फोटोज…
इंडस्ट्री के पावर कपल्स में से एक दीपिका और रणवीर की जोड़ी फैंस को बेहद पसंद है, जिसके चलते दोनों को साथ देखने के लिए फैन तरसते हैं. वहीं हाल ही में एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण पति रणवीर सिंह के साथ शादी के 5 साल बाद एक फैशनशो का हिस्सा बनती दिखीं, जिसे फैंस काफी पसंद कर रहे हैं.
शादी के बाद दीपिका के कई अवतार सामने आए हैं. हालांकि एक्ट्रेस के रॉयल अवतार की झलक के लिए आज भी फैंस तरसते हैं. वहीं हाल ही में फैशन डिजाइनर मनीष मल्होत्रा (Manish Malhotra) के मिजवान फैशन शो 2022 (The Mijwan Couture Show 2022) में दीपिका रॉयल अंदाज में पति संग रैंप वॉक करती नजर आईं.
‘दीपवीर’ के लुक की बात करें तो रणवीर सिंह जहां ब्लैक एंड व्हाइट कौम्बिनेशन वाली शेरवानी में दिखे तो वहीं दीपिका रॉयल लहंगा पहने नजर आईं. वहीं मीडिया के सामने दोनों रोमांटिक अंदाज में नजर आए. इसी के साथ फैशन शो के दौरान रणवीर सिंह अपनी मां अंजू भवनानी के पैर छूते हुए दिखे, जिसकी वीडियो सोशलमीडिया पर वायरल हो रही है.
बता दें, दीपिका-रणवीर के अलावा मनीष मल्होत्रा के फैशन शो में कई बौलीवुड सितारे नजर आए, जिनमें गौरी खान, सारा खान समेत कई सेलेब्स हिस्सा लेते हुए दिखे. वहीं दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह शोज टॉपर बनते हुए सुर्खियों में रहे. हालांकि बीते दिनों रणवीर सिंह के न्यूड फोटोशूट के कारण वह चर्चा में बने हुए हैं. जहां सेलेब्स उनका सपोर्ट कर रहे हैं तो वहीं उन्हें खरी खोटी सुना रहे हैं.
‘लिंग परीक्षण के बाद भ्रूण हत्या’ और ‘बेटी बचाओ’ जैसे अति आवश्यक मुद्दे पर कितनी घटिया कथा व पटकथा वाली फिल्म बन सकती है, इसका उदाहरण है फिल्म ‘‘जयेशभाई जोरदार’’. लेखक व निर्देशक कथा व पटकथा लिखते समय यह भूल गए कि वह किस मुद्दे को उभारना चाहते हैं?वह अपनी फिल्म में ‘लिंग परीक्षण’ व भ्रूण हत्या के खिलाफ जनजागृति लाकर ‘बेटी बचाओ ’ की बात करना चाहते हैं अथवा इस नेक मकसद की आड़ में दर्शकों को कूड़ा कचरा परोसते हुए उन्हे बेवकूफ बनाना चाहते हैं. फिल्म का नायक जयेश भाई कहीं भी अपनी पत्नी के गर्भ धारण करने पर अपने पिता द्वारा उसका लिंग परीक्षण कराने के आदेश का विरोध नहीं करता. बल्कि वह खुद अस्पताल में डाक्टर के सामने स्वीकार करता है कि ‘वारिस’ यानी कि लड़के की चाहत में उसकी पत्नी को छह बार गर्भपात करवाया जा चुका है. कहने का अर्थ यह कि यह फिल्म बुरी तरह से अपने नेक इरादे में असफल रही है. इस फिल्म के लेखक निर्देशक के साथ ही कलाकार भी कमजोर कड़ी हैं. यह फिल्म इस संदेश को देने में बुरी तरह से असफल रही है कि ‘परिवार में लड़का हो या लड़़की, सब एक समान हैं. ’’यह फिल्म लिंग परीक्षण के खिलाफ भी ठीक से बात नही रख पाती है. अदालती आदेश के बाद जरुर फिल्म मेंे दो तीन जगह लिखा गया है कि ‘लिंग परीक्षण कानूनन अपराध है. ’
फिल्म में दिखाया गया है कि हरियाणा के एक गांव में लड़कियों के जन्म न लेने के चलते गांव के सभी पुरूष अविवाहित हैं. मगर यदि हम सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो 2019 के आंकड़ों के अनुसार हरियाणा में प्रति हजार पुरूष के पीछे 905 औरते हैं. जबकि गुजरात में प्रति हजार पुरूष के पीछे 909 औरतें हैं. इस हिसाब से दोनों राज्यों में बहुत बड़ा अंतर नहीं है.
कहानीः
फिल्म की कहानी गुजरात के एक गांव से शुरू होती हैं, जहां सरपंच के पद पर एक पृथ्विश (बोमन ईरानी) के परिवार का कब्जा है. जब सरपंच के लिए दूसरा उम्मीदवार मैदान में आया तो उन्होने ‘महिला आरक्षित सीट’ का हवाला देकर अपने बेटे जयेश भाई (रणवीर सिंह ) की बहू मुद्रा (शालिनी पांडे )को मैदान में उतारकर सरपंच अपने परिवार के अंदर ही रखा है. एक दिन पंचायत में जब गांव की एक लड़की सरपंच से कहती है कि स्कूल के बगल में शराब की बिक्री बंद करायी जाए, क्योंकि शराब पीकर लड़के, लड़कियों को छेड़ते हैं, तो पृथ्विश आदेश देते है कि गांव की लड़कियंा व औरतें साबुन से न नहाए. खैर, पृथ्विश को अपनी बहू मुद्रा से परिवार के वारिस के रूप में लड़की चाह हैं. मुद्दा की पहली बेटी सिद्धि(जिया वैद्य) नौ वर्ष की हो चुकी है. सिद्धि के पैदा होने के बाद ‘घाघरा पलटन’ नही चाहिए. वारिस के तौर पर लड़के की चाहत में पृथ्विश के आदेश की वजह से मुद्रा का छह बार लिंग परीक्षण के बाद गर्भपात कराया जा चुका है. मुद्रा अब फिर से गर्भवती हैं. इस बार भी लिंग परीक्षण में जयेश भाई को डाक्टर बता देती है कि लड़की है, तो पत्नी से प्रेम करने वाले जयेशभाई नाटक रचकर बेटी सिद्धि व मुद्रा के साथ घर से भागते हंै. पृथ्विश गांव के सभी पुरूषों के साथ इनकी तलाश में निकलते हैं. पृथ्विश ऐलान कर देते हैं कि अब पकड़कर मुद्रा को हमेशा के लिए खत्म कर जयेशभाई की दूसरी शादी कराएंगे. चूहे बिल्ली के इसी खेल के बीच हरियाणा के एक गांव के सरपंच अमर ताउ(पुनीत इस्सर) आ जाते हैं. जिनके गांव में लड़कियों के अभाव में सभी पुरूष अविवाहित हैं. एक मुकाम पर अमर ताउ अपने गांव के सभी पुरूषों के साथ सिद्धि के बुलाने पर मुद्रा अपनी बेटी को जन्म दे सकें, इसके लिए पहुॅच जाते हैं.
लेखन व निर्देशनः
इस फिल्म की सबसे बड़ी कमजोर कड़ी तो इसके लेखक व निर्देशक दिव्यांग ठक्कर ही हैं. खुद गुजराती हैं, इसलिए उन्होने कहानी गुजरात की पृष्ठभूमि में बुनी. गुजरात पर्यटन विभाग ने अपने राज्य की छवि को सुधारने में पिछले कुछ वर्षों के दौरान कई सौ करोड़ रूपए खर्च कर दिए, जिसमें पलीटा लगाने में दिव्यांग ठक्कर ने कोई कसर नही छोड़ी. फिल्म शुरू होने के दस मिनट बाद से ही अविश्वसनीय सी लगने लगती है और इंटरवल तक फिल्म का बंटाधार हो चुका होता है. इंटरवल के बाद तो फिल्म नीचे ही गिरती जाती है.
‘शायद दिव्यांग ठक्कर ‘समाज की पिछड़ी सोच, लैगिक असमानता व ‘भ्रूण हत्या’ जैसे गंभीर मुद्दे पर नेक इरादे से कोई डाक्यूमेंट्री बनाना चाहते हांेगे, पर फीचर फिल्म का मौका मिला, तो बिना इस विषय की गहराई में गए अनाप शनाप घटनाक्रम जोड़कर भानुमती का पिटारा बना डाला. फिल्म में एक दृश्य में एक गांव में सरकारी स्तर पर आयोजित ‘‘बेटी बचाओ’ के मेेले का दृश्य दिखाया, पर इसका भी फिल्माकर सही ढंग से उपयोग नही कर पाएं.
फिल्म में एक कहानी जयेशभाई की बहन प्रीती का भी हैं. फिल्म में बताया गया है कि गुजरात की परंपरा के अनुसार जयेशभाई की बहन प्रीती की शादी जयेश की पत्नी मुद्रा के भाई से हुई है. जब जब प्रीती का पति उसकी पिटायी करता है, तब तब जयेश को भी मुद्रा की पिटायी करने के लिए कहा जाता है. कई दशक पुरानी गुजरात के किसी अति पिछड़े गांव की इस तरह के घटनाक्रम का इस फिल्म की मूल कहानी से संबंध समझ से परे है. इतना ही नही पृथ्विश के गांव के सारे पुरूष पृथ्विश के साथ मुद्रा व सिद्धि पकड़ने की मुहीम में शामिल हैं, मगर इनमें से एक भी पुरूष अपनी पत्नी या बेटी के साथ गलत व्यवहार करते हुए नहीं दिखाया गया. इतना ही नही फिल्मसर्जक फिल्म में सोशल मीडिया की ताकत को भी ठीक से चित्रित नही कर पाए. यह सब जोकर की तरह आता जाता है.
फिल्मकार का दिमागी दिवालियापन उस दृश्य से समझा जा सकता है, जहां प्रसूति गृह यानी कि अस्पताल में मुद्रा बेन द्वारा बेटी को जन्म देने में आ रही तकलीफ से डाक्ठर परेशान हैं, मगर अचानक मुद्राबेन व जयेश भाई एक दूसरे की ‘पप्पी’ यानी कि ‘चंुबन’ लेने लगते हैं और बेटी का जन्म सहजता से हो जाता है. वाह क्या कहना. . .
पूरी फिल्म देखकर यही समझ में आता है कि लेखक व निर्देशक ने महसूस किया कि इन दिनों सरकारी स्तर पर ‘बेटी बचाओ’ मुहीम चल रही है. तो बस उन्होेने इसी पर फिल्म लिख डाली. पर वह विषय की गहराई में नहीं गए. उन्होने कथा पटकथा लिखने से पहले यह तय नही किया कि वह अपनी फिल्म में ‘लिंग परीक्षण’ के खिलाफ बात करने वाले हैं या उनका नजरिया क्या है. . . . उन्होने जो किस्से सुने थे, , उन सभी किस्सों को जोड़कर चूंू चूंू का मुरब्बा परोस दिया. जो कि इतना घटिया है, कि दर्शक सिनेमाघर से निकलते समय अपना माथा पीटता नजर आता है.
अभिनयः
फिल्म में किसी भी कलाकार का अभिनय सराहनीय नही है. लोग सवाल कर रहे हैं कि आखिर रणवीर सिंह जैसे उम्दा कलाकार ने यह फिल्म क्यों की? शायद वह यशराज फिल्मस व आदित्य चोपड़ा को इंकार करने की स्थिति में नही रहे होंगें. पर इस फिल्म से एक बात साफ तौर पर सामने आती है कि रणवीर सिंह जैसे कलाकार से अदाकारी करवाने के लिए संजय लीला भंसाली जैसा निर्देशक ही चाहिए. फिल्म की नायिका शालिनी पांडे भी इस फिल्म की कमजोर कड़ी हैं. उनके चेहरे पर कहीं कोई हाव भाव एक्सप्रेशन आते ही नही है. उन्हे तो नए सिरे से अभिनय क्या होता है, यह सीखना चाहिए. जयेशभाई के पिता के किरदार में बोमन इरानी का चयन ही गलत रहा. रत्ना पाठक शाह भी अपने अभिनय का जलवा नही दिखा पायी. पुनीत इस्सर के हिस्से करने को कुछ था ही नहीं.
लगभग पौने दो वर्ष बाद मुंबई के सभी सिनेमाघर पचास प्रतिशत की क्षमता के साथ 22 अक्टूबर से खुल चुके हैं. लेकिन अफसोस अब तक एक भी फिल्म दर्शकों को अपनी तरफ आकर्षित नहीं कर पायी है. फिल्म जगत से जुड़े लोगों को आज 5 नवंबर को देश विदेश के सिनेमाघरों में पहुॅची रोहित शेट्टी की महंगी और मल्टीस्टारर एक्शन मसाला फिल्म ‘‘सूर्यवंशी’’से काफी उम्मीदें थी. कोविड महामारी के बाद भारतीय सिनेमा की जो दयनीय स्थिति हो गयी है,उसे सुधारने के लिए आवश्यक है कि लोग सिनेमा देखने सिनेमाघर के अंदर जाएं. हम भी चाहते है कि लोग पूरे परिवार के साथ फिल्म देखने सिनेमाघर में जाएं. मगर रोहित शेट्टीे की फिल्म ‘‘सूर्यवंशी’’ को दर्शकों का साथ मिलेगा,ऐसी उम्मीद कम नजर आ रही हैं. फिल्मकारों को भी सिनेमा जगत को पुनः जीवन प्रदान करने के लिए फिल्म निर्माण के विषय वगैरह पर गंभीरता से विचार करने की जरुरत है.
कहानीः
रोहित शेट्टी के दिमाग मे पुलिस किरदारों की अपनी एक अलग कल्पना है. ‘सिंघम’ और ‘सिंबा’के बाद उसी कड़ी में उनकी यह तीसरी फिल्म ‘सूर्यवंशी है. जिसके प्री क्लायमेक्स में सिंबा यानी कि रणवीर सिंह और क्लायमेक्स में सिंघम यानीकि अजय देवगन भी सूर्यवंशी यानी कि अक्षय कुमार का साथ देने आ जाते हैं.
एक काल्पनिक कथा को यथार्थ परक बताने के लिए ही रोहित शेट्टी ने फिल्म की कहानी की शुरूआत ही मार्च 1993 में मुबई में हुए लगातर सात बम विस्फोट से होती है. इस बम विस्फोट के बाद पुलिस अफसर कबीर श्राफ(जावेद जाफरी) इस बम विस्फोट के लगभग हर गुनाहगार को पकड़ लेेते हैं. मगर बम ब्लास्ट के मास्टर माइंड बिलाल (कुमुद मिश्रा) और ओमर हफीज (जैकी श्रॉफ) मुंबई में अमानवीय कांड करके पाकिस्तान भाग गए थे. पर अपने फर्ज को अपनी डॉक्टर पत्नी रिया (कटरीना कैफ) और बेटे से भी उपर रखने वाले बहादुर पुलिस अफसर सूर्यवंशी को बिलाल और ओमर हफीज की तलाश है. क्यांेकि मुंबई बम विस्फोट में सूर्यवंशी अपने माता-पिता को खो चुके हैं. कबीर श्राफ को जांच में पता चला था कि मुंबई बम विस्फोट के लिए असल में एक हजार किलो आरडीएक्स लाया गया था, जिसमें से महज 400 किलो का इस्तेमाल करके तबाही मचाई गई थी. जबकि 600 किलो आरडीएक्स मुंबई में ही कहीं छिपा कर रखा है. अब सुर्यवंशी उसी की जांच को आगे बढ़ाते हुए सूर्यवंशी यह पता लगाने में सफल हो जाते हैं कि पिछले 27 वर्षों से आतंकी संगठन लश्कर के स्लीपर सेल फर्जी नाम वह भी हिंदू बनकर देश के विभिन्न प्रदेशों में रह रहे हैं. अब ओमर हाफिज अपने दो बेटों रियाज(अभिमन्यू सिंह) व राजा(सिकंदर खेर ) को भारत भेजता है कि वह वहां सावंत वाड़ी में उस्मानी की मदद से छिपाकर रखे गए छह सो किलो आरडीएक्स का उपयोग कर मुंबई के सात मुख्य भीड़भाड़ वाले इलाकों में एक बार फिर बम विस्फोट कर देश को दहला दे. मगर सूर्यवंशी अपनी सूझबूझ से रियाज को गिरफ््तार कर जेल में डाल देता है. तब ओमर शरीफ पाकिस्तान से पुनः बिलाल को भेजता है. अब मुंबई को आतंकी हमले से सूर्यवंशी,सिंबा और सिंघम की मदद से किस तरह बचाते हैं,यह तो फिल्म देखकर ही पता चलेगा.
लेखन व निर्देशनः
पटकथा तेज गति की है. मगर फिल्म ‘सूर्यवंशी’ की सबसे बड़ी कमजोर कड़ी इसकी कहानी और फरहाद सामजी के संवाद हैं. फरहाद सामजी के संवाद अति साधारण हैं. कुछ संवाद अतिबचकाने हैं. 1993 में मुंबई आए एक टन आरडीएक्स में से मार्च 1993 में मुंबई बम विस्फोट में सिर्फ चार सौ किलो आरडीएक्स उपयोग किया गया था. बाकी की तलाश व अपराधियों को पकड़ने की कहानी में जबरन राष्ट्वाद ठूंसने की कोशिश की गयी है. एक दृश्य में मंदिर से भगवान गणेश जी की मूर्ति को स्थानांतरित करते समय मौलानाओं को गणेश जी की मूर्ति उठाते हुए दिखाया गया है. रोहित शेट्टी ने सूर्यवंशी ( अक्षय कुमार)के किरदार को जिस तरह से गढ़ा है,वह भी हास्यास्पद ही है. सूर्यवंशी( अक्षय कुमार) हमेशा अपने साथ काम करने वालों के नाम भूल जाते हैं. मगर मुस्लिमों को धर्मनिरपेक्षता, देशभक्ति और मुस्लिम कट्टरपंथियो का समर्थन देने के खतरे को लेकर भाषणबाजी देना नही भूलते.
रोहित शेट्टी ने अपनी पुरानी फिल्मों के दृश्यों को ही फिर से इस फिल्म में पिरो दिया. इसमें फिल्म में जॉन को पकड़ने के लिए सूर्यवंशी को बैंकॉक भेजने वाला पूरा घटनाक्रम अनावश्यक है. हकीकत में बतौर निर्देशक रोहित शेट्टी इस फिल्म में काफी मात खा गए हैं. फिल्म के कई दृश्यों का वीएफएक्स भी काफी कमजोर है. फिल्म में नयापन नही है. यहां तक कि रोहित शेट्टी ने क्लायमेक्स के लिए कई दृश्यों को अपनी पुरानी फिल्म ‘‘सिंघम’’से चुराए हैं.
रोहित शेट्टी ने नायक के साथ साथ खलनायकों के परिवार, उनके सुख दुःख के साथ भावनात्मक इंसान के रूप में दिखाया जाना गले नही उतरता.
अक्षय कुमार और कटरीना कैफ के बीच रोमांस सिर्फ एक गाने में है. कहानी की बजाय सिर्फ एक्शन देखने के शौकीन लोग जरुर खुश होंगे. रोहित शेट्टी के अंदाज के अनुरूप इसमें गाड़ियों का उड़ना नजर आता है. लेकिन यह सारे एक्शन दृश्य हौलीवुड फिल्मों के एक्शन दृश्यों से प्रेरित हैं.
अक्षय कुमार के अभिनय मे भी दोहराव ही है. वह हर दृश्य में किरदार की बजाय अक्षय कुमार ही नजर आते हैं. कटरीना कैफ गाने ‘टिप टिप बरसा पानी’ में सेक्सी व सिजलिंग नजर आयी हैं. कुमुद मिश्रा,जैकी श्राफ और गुलशन ग्रोवर की प्रतिभा को जाया किया गया है. इनके किरदारांे के साथ न्याय नही हुआ.
फिल्म ‘83’कोविड 19 और लॉकडाउन की वजह से बंद बक्से में चली गयी है, क्योंकि निर्देशक कबीर खान उसे थिएटर में रिलीज करना चाहते है. इस प्रोजेक्ट को उन्होंने 20 साल पहले सोचा था, लेकिन फाइनेंसर न मिलने की वजह से उन्हें इतना समय लगा है. ये फिल्म उनकी एक ड्रीम प्रोजेक्ट है, जिसे वे दर्शकों के बीच में अच्छी तरह से लाना चाहते है.
एक इंटरव्यू के दौरान निर्देशक कबीर खान कहते कि अभिनेता रणवीर सिंह ने क्रिकेटर कपिलदेव की एक-एक चीज को सामने बैठकर देखा है, हर संवाद को पहले कपिलदेव के कहने के बाद, रणवीर सिंह उसे दोहराते थे. अगर नोटिस किया जाय, तो रणवीर हमेशा खुद को किसी भी चरित्र में ढालने में माहिर है, क्योंकि यही एक्टर किसी में गलिबॉय, तो किसी में सिम्बा, तो किसी में अलाउद्दीन खिलजी आदि का अभिनय करता है. एक कलाकार के रूप में उसकी क्वालिटी आश्चर्यजनक है. वह एक गिरगिट की तरह है, क्योंकि गिरगिट भी अपने आसपास के माहौल के हिसाब से अपना रंग बदलती है. रणवीर सिंह भी किसी भूमिका में खुद को आसानी से ढाल लेते है. उनकी तक़रीबन सभी फिल्मों ने बहुत अच्छा काम किया है. इसलिए बहुत सोच समझकर रणवीरसिंह को लिया गया है, क्योंकि वे ही क्रिकेट प्लेयर कपिलदेव की भूमिका अच्छी तरह से निभा सकते है.वैसे कई कलाकारों के नाम मन में आये थे,बात भी किया जा चुका था, लेकिन अंत में रणवीर को ही फाइनल किया गया. अभिनेत्री दीपिका को भी लेने का मकसद यही है कि इन दोनों की जोड़ी को दर्शक शादी के बाद एक साथ देखना पसंद करेंगे. दीपिका इसमें कपिलदेव की पत्नी की भूमिका निभा रही है.
इसके आगे कबीर कहते है कि ये कहानी खिलाड़ियों के स्पिरिट की कहानी है. इसमें जब यहाँ की टीम लन्दन वर्ल्ड कप के लिए पहुंची थी तो सभी ने कहा था कि उन्हें यहाँ नहीं आना चाहिए था, क्योंकि ये टीम वर्ल्डकप के स्तर को कम कर देगी, लेकिन सभी प्लेयर्स ने साथ मिलकर वर्ल्ड कप को जीता है. ये अविश्वसनीय ह्यूमन स्टोरी है. इस फिल्म की कहानी हीरो है और हमारे देश में हर बच्चा गली मोहल्ले में क्रिकेट खेलकर ही बड़ा होता है. इसमें क्रिकेट हटाकर अगर कबड्डी भी डाल दिया जाता, तो भी ये उतनी ही दमदार स्क्रिप्ट होती. ऐसे में इस जबरदस्त कहानी को सही ढंग से पर्दे पर लाना बहुत जरुरी था.
सभी जानते है कि फिल्मइंडस्ट्री के कबीर खान को हमेशा से ही कला और साहित्य से जुड़े विषयों पर काम करने का शौक था. उनका सपना मुंबई आकर एक फिल्म बनाने की थी. हालाँकि उनका शुरूआती दौर बहुत संघर्षमय था, पर उन्हें जो भी काम मिला करते गए. उनकी सबसे सफलतम फिल्म ‘एक था टाइगर’ रही, जिसकी वजह सेकबीर खान को इंडस्ट्री में पहचान मिली.उन्हें बड़ी फिल्मों से अधिक डॉक्युमेंट्री फिल्में बनाना पसंद है, क्योंकि कम समय में वे बहुत सारी बातें कह पाते है. ह्यूमन स्टोरी वाली कहानी, जिसे बहुत कम लोग जानते है, उन्हें लोगों तक लाने की कोशिश कबीर ने की है. ऐसी कहानी को लेकर उन्होंने काफी फिल्में बनाई है, जिसमें किसी कहानी में नेता, तो किसी में आर्मी तो किसी में क्रिकेट प्लेयर की कहानी होती है. किसी भीकहानी को कहने में वे पीछे नहीं हटते. फिल्म फॉरगॉटन आर्मी- आज़ादी के लिए’, ‘बजरंगी भाईजान’, न्यूयार्कआदि कई सफल फिल्मों के साथ-साथ उन्होंने ‘’फैंटम’,‘काबुल एक्सप्रेस’, ‘ट्यूबलाइट’ जैसी असफल या एवरेज फिल्में भी बनाई, जिसे दर्शकों ने नहीं स्वीकारा. इस बारें में पूछे जाने पर उनका कहना है कि मैं असफलता को सीरियसली नहीं लेता न ही सफलता को अधिक महत्व देता हूं, क्योंकि असफलता से ही व्यक्ति बहुत कुछ सीख पाता है, जबकि सफलता उसकी सोच को नष्ट कर देती है. प्रोसेस को मैं एन्जॉय करता हूं. मैने 15 साल की इस कैरियर में देखा है कि सफलता से व्यक्ति का दिमाग ख़राब हो जाता है और उसका कैरियर नष्ट हो जाता है. हर फिल्ममेकर की फिल्में सफल और असफल दोनों होती है. जो इसे समझ लेता है वही इंडस्ट्री में टिका रहता है.
ये बात कबीर खान जितनी संजीदगी से कह गए, उसे समझना मुश्किल था, क्योंकि हर फिल्म को बनाने में करोड़ों रूपये लगते है, ऐसे में फिल्मों का सफल न होना बहुत बड़ी बात होती है, क्योंकि निर्माता, निर्देशक और कलाकार सभी की जिंदगी दांव पर लग जाती है, जिसे आसानी से पचा जाना मुश्किल होता है. एक फिल्म के असफल होने पर निर्देशक से लेकर कलाकार सभी को आगे बड़ी फिल्म के मिलने में कठिनाइयाँ आती है, जिसे सभी स्वीकारते है.
कबीर खान का राजनीति से काफी गहरा सम्बन्ध रहा है, इसलिए उनकी हर फिल्म में राजनीति की झलक देखने को मिलती है. उनकी पत्नी उनके स्क्रिप्ट की आलोचक है, जिसका सहयोग हमेशा कबीर खान को मिलता है. उनका कहना है कि एक अच्छी सपोर्ट सिस्टम ही क्रिएटिविटी को बढ़ाने में समर्थ होती है. घर का सुकून भरा माहौल मुझे बहुत कुछ करने की आज़ादी देता है. आगे भी मैं ऐसी ही कुछ चुनौतीपूर्ण कहानियों को लेकर आने वाला हूं.
सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर मोनिश चंदन अपने स्टाइल स्टेटमेंट और अमेजिंग फैशन सेंस के लिए जाने जाते हैं. मोनिश कभी बिजनेसमेन के रूप में, कभी कैजुअल अटायर में तो कभी कुर्ते में पोज देते दिखाई देते हैं. इस से हट कर अपने लैटेस्ट फोटोशूट में मोनिश एक अलग अंदाज में नजर आ रहे हैं. इस फोटोशूट में मनीष इंडो-वेस्टर्न लुक में हैं जिस की इंसपिरेशन वे बौलीवुड अभिनेता रणवीर सिंह को बताते हैं. मोनिश के अनुसार उन के इस शूट का आइडिया उन्हें रणवीर सिंह के वार्डरोब से आया है.
रणवीर सिंह अपनी सुपरहिट फिल्मों और दमदार एक्टिंग के अलावा अपनी बोल्ड फैशन चौइसेस और यूनिक ड्रेसिंग सेंस के लिए जाने जाते हैं. अन्य अभिनेताओं से हट कर वे ऐसी ड्रेसेस चुनते हैं जिन्हें पहनने से अधिकतर पुरुष घबराते हैं या कहें कभी पहन ही नहीं सकते. लेकिन रणवीर कभी शर्ट के नीचे घाघरा तो कभी फौर्मल्स के नीचे फंकी शूज पहन वे साबित कर चुके हैं कि लोग चाहे कुछ भी कहें उन के लिए यही उन का फैशन है.
इसी से इंस्पायर्ड मोनिश अपने फोटोशूट में बोल्ड और क्वर्की वाइब्स दे रहे हैं. एक तस्वीर में वे एंकल बूट्स व पेंसिल स्कर्ट के साथ टक्सीडो में नजर आ रहे हैं तो दूसरी में इंडोएथनिक बंदगला कुर्ता व स्कर्ट में जिस के साथ उन्होंने बैंगल्स और नथ पहनी है. यकीनन इस लुक को इतने ग्रेस और कौंफिडेंस के साथ कैरी करना हर किसी के बस की बात नहीं है.
मोनिश कहते हैं, “मैं हमेशा से ही रणवीर सिंह का बहुत बड़ा प्रशंसक रहा हूं. जब फैशन की बात आती है तो यह बिलकुल आसान नहीं है कि आप बाहर जा कर ऐसे आउटफिट्स पहनें जो सामान्य से बेहद अलग हों, असाधारण हों. लेकिन, रणवीर एक ऐसे अभिनेता हैं जिन्हें किसी के विचारों से फर्क नहीं पड़ता. इतनी ट्रोल्लिंग के बावजूद वे अपने लुक्स के साथ एक्सपैरिमेंट करना नहीं छोड़ते. यही कारण है कि आज हम सभी उन्हें फैशन इंफ्लुएंसर के रूप में जानते हैं. वे मेरे लैटेस्ट फोटोशूट के पीछे की प्रेरणा हैं.”
अपने लुक को डिस्क्राइब करते हुए मोनिश बताते हैं, “मैं ने चमकदार, चटख रंगों को अपने अटायर में चुना जोकि इस विचारधारा को नकारते हैं कि पुरुषों को केवल हल्के रंग के कपड़े ही पहनने चाहिए. साथ ही, इस शूट में मैं कपड़े पहनने की पारंपरिक शैली से आगे निकला हूं.”
यकीनन, मोनिश चंदन हमेशा से चली आ रही पहनावे की पित्रसत्तात्मक सोच पर वार करते हैं, लेकिन वह फैशन ही क्या जो व्यक्ति को भीड़ से अलग न बनाता हो.