उम्मीदों के बोझ तले रिश्ते

रिश्ता कोई भी हो उसमें उम्मीदें अपने आप पनपने लगती हैं. उम्मीदों पर खरा उतर गए तो रिश्ता गहराने लगता है वरना दरारों में देर नहीं लगती. कुछ रिश्ते जन्म से जुड़े होते हैं जहां कई दफा लाठी मारने से पानी अलग नहीं होता. लेकिन उनका क्या जो बीच सफर में जुड़े वो भी जीवन भर के लिए. जब बात हो पति पत्नि के रिश्ते की तो उम्मीदें कई बार सामान्य से ज्यादा हो जाती हैं. उम्मीदें स्वाभाविक हैं लेकिन यही दुख का बड़ा कारण भी. यानि जितनी ज्यादा उम्मीद उतना बड़ा दुख. रिश्तों की कामयाबी के लिए कई बातों का ध्यान रखना होता है. इनमें ये भी शामिल है कि आप अपने साथी के लिए क्या करते हैं और बदले में क्या उम्मीद रखते हैं. लेकिन ये किस हद तक ठीक है जिससे रिश्ता खूबसूरती से आगे बढ़ता चले ये बात भी मायने रखती है. इसका एक आसान फॉर्मुला है 80/20.

क्या है 80/20?

रिश्ते की डोर दोनों साथी थामें हैं. यानि उम्मीदें दोनो ओर से हैं. ऐसे में तकरार से बचने के लिए 80/20 का फॉर्मुला आपके काम आ सकता है. यहां आपको खुद की उम्मीदों से अपने साथी को 20 प्रतिशत की रिहायत देने की जरूरत है. बचा 80 प्रतिशत उनको आपकी उम्मीदों पर खरा उतरने का मौका देगा और आपको रिश्ते में संतुष्टी का अहसास होगा. एक बात आपको समझने की जरूरत है सौ प्रतिशत कुछ भी संभव नहीं, फिर इंसानी गलतियां कुछ हद्द तक नजरअंदाज किए बिना कैसे निभाया जा सकता है? इसलिए ये बीस प्रतिशत की रियायत आपके साथी को भी खुलेपन का अनुभव होने देगी और आपको शिकायत का कम मौका मिलेगा.

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जानकारों की मानें तो

80/20 का फॉर्मुला जानकारों का सुझाया हुआ है. शोध बताते हैं कि ज्यादा उम्मीद रखने वाले साथियों में तकरार की स्थिति अधिक बनी रहती है. इसलिए जानकारों का मानना है कि रिश्ते की मिठास को बनाए रखने के लिए उम्मीदों के बोझ को कम करना बेहद जरूरी है. जानकार ही नहीं बड़े बुजुर्गों से भी अक्सर यही नसीहत मिलती है कि जितनी उम्मीदें कम उतनी खुशियां ज्यादा. इसलिए इस फॉर्मुला को लागू करने के लिए जरूरी है कि आप खुद को और अपने साथी को स्पेस दें.

डॉ अमूल्य सेठ, साइकैटरिस्ट, कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल गाजियाबाद से बातचीत पर आधारित

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इज्जत बनाने में क्या बुराई है

ऑफिस के गेट पर सफेद रंग की कैब रुकी और उस में से क्रीम कलर की खूबसूरत ड्रेस और हाई हील्स पहने प्राप्ति उतरी तो आसपास खड़े लोगों की निगाहें बरबस ही उस की तरफ खिंच गई. ऑफिस के दरबान ने भी बड़ी इज्जत से उसे सलाम ठोका. अपने स्टाइलिश बैग को कंधे से लटकाए  हुए प्राप्ति अदा से मुस्कुराई और अंदर चली आई.

शाहदरा में रहने वाली प्राप्ति का ऑफिस झंडेवालान में है. वह पुलबंगश तक मेट्रो से आती है और फिर वहां से कैब कर लेती है. लौटते समय भी वह पुलबंगश तक कैब से जा कर फिर मेट्रो लेती है. इतनी कम दूरी के लिए कैब में मुश्किल से 50 से 70 तक का किराया लगता है. मगर ऑफिस वालों को लगता है कि देखो लड़की कैब में आनाजाना करती है यानी काफी पैसे वाली है. बहुत अच्छे घर की है.

एक तरह से देखा जाए तो प्राप्ति  ने  इस तरह ऑफिस में अपनी छद्म इज्जत कायम की है और इस के लिए उस ने और भी कई तरीके अपनाए हैं मसलन;

घर में भले ही वह  पूरा दिन फटी जींस और पतली सी टीशर्ट पहन कर गुजार देती हो, मगर जब ऑफिस के लिए निकलती है तो हमेशा लेटेस्ट स्टाइल के ब्रांडेड कपड़े पहनती है.

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उस के टिफिन में हमेशा पनीर, मशरूम जैसी महंगी सब्जियां और चिकन वगैरह होता है. घर में भले ही सूखी रोटियां खाती हो, मगर टिफिन में हमेशा परांठे होते हैं.

उस के पेन से ले कर पर्स, मोबाइल और मोबाइल कवर तक सभी लेटेस्ट ब्रांड और स्टाइल के होते हैं. घर में भले ही वह फटी चप्पल में सारा दिन निकाल दे मगर ऑफिस या बाहर आनेजाने के लिए उस ने 2 -3 हाई हील्स और स्टाइलिश सैंडल्स रखे हुए हैं.

वह फोन या दूसरों से आमने सामने होने पर हमेशा हाईफाई लाइफस्टाइल की बातें करती है. घर में भले ही कभी भी उस ने बाई नहीं रखी मगर सहेलियों से हमेशा अपनी कामवालियों के नखरों और उन के  प्रति अपनी दिलदारी की बातें करती है.

हमेशा अपने बड़े से घर का बखान करती रहती है जब कि उस के पास छोटेछोटे दो कमरों का फ्लैट है.

वह हमेशा दूसरों के आगे अपनी प्रॉपर्टीज और हाईफाई लाइफ़स्टाइल का जिक्र करती रहती है. उस ने अपने ऑफिस कुलीग्स और अपनी सहेलियों को बताया हुआ है कि उस के घर में एक बड़ा सा स्वीमिंग पूल और जिम भी है. जहाँ वह रोज स्वीमिंग और वर्कआउट का अभ्यास करती है जब कि सच्चाई यह है कि उस के पास पर्सनल स्वीमिंग पूल या जिम नहीं है. वह कॉमन जिम और स्वीमिंग पूल का इस्तेमाल करती है.

वह दूसरों के आगे कभी भी फलसब्जियां या कपड़े खरीदते वक्त कीमत को ले कर चिकचिक नहीं करती. घर में भले ही वह आसपास के सब्जीवालों के बीच पैसों के मामले में खडूस के रूप में बदनाम है.

उस ने अपने रिश्तेदारों के बारे में ऑफिस कूलीग्स से बढ़चढ़ कर बताया हुआ है. अक्सर वह उन के आगे जताती रहती है कि उस के रिश्तेदार बहुत पढ़ेलिखे और ऊँचे ओहदों पर आसीन है

इन बातों का नतीजा यह निकला कि ऑफिस में लोग उस की इज्जत करते हैं. उस से अच्छे संबंध बनाए रखने का प्रयास करते हैं. पूरे ऑफिस में उस की अलग धाक बन चुकी है और वह सब की चहेती है.

प्राप्ति ने जिस तरह से अपनी इज्जत बनाई है उस में कोई बुराई नहीं है. सुनने में भले ही कुछ अजीब लगे  मगर हम सब कहीं न कहीं अपनी छद्म इज्जत बनाते फिरते हैं. भले ही सोशल मीडिया हो, फैमिली गेदरिंग हो, ऑफिस इवेंट हो या फिर सोसायटी फंक्शन.

हर कोई दूसरों के आगे अपनी बेहतर छवि दिखाने का प्रयास करता है. तस्वीरें खिंचवाते समय हम कितने ही टेंशन में क्यों न हो पर हमेशा अपनी मुस्कुराती हुई तस्वीर ही खिंचवाते हैं. कोशिश करते हैं कि हमारी  बाहर निकली हुई बेडौल टमी किसी भी तरह छुप जाए. हमारी जुल्फें ज्यादा बाउंसी दिखे. चेहरे की रंगत बेहतर बनाने के लिए फिल्टर्स  का सहारा लेते हैं. अच्छे से अच्छे कपड़ों में तस्वीरें खिंचवाकर उसे फेसबुक, व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम पर डालते हैं.

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सोशल मीडिया पर हम वैसी ही चीज़ें डालते हैं जिस से लोग हम से  प्रभावित और आकर्षित हों. हमारे अधिक से अधिक दोस्त बनें. यही वजह है कि  हम अपनी सफलता, खूबसूरती और सम्पन्नता का प्रचार करते नहीं थकते. इन सभी प्रयासों के पीछे एकमात्र जो चाह होती है  वह है दूसरों  की नजरों में ऊँचा उठने की ख्वाहिश.

अपनी चीजें बढ़ाचढ़ा कर दिखाने की आदत हमें बचपन से ही लग चुकी होती है और इस में कुछ गलत भी नहीं. दूसरों के आगे अपनी कमियां दिखा कर रोने से कोई नतीजा नहीं निकलता. उल्टे लोग आप से कतराने लगते हैं. तो फिर क्यों न खुद को बेहतर दिखा कर अपने अंदर का आत्मविश्वास बढ़ाएं और चेहरे पर खुशनुमा रौनक जगाएं. दोस्तों की फेहरिस्त बढ़ाएं और जी भर कर जीएं.

Valentine’s Special: तेरी-मेरी बनती नहीं पर तेरे बिना चलती भी नहीं

तनिशी 3 साल की थी जब उसके घर एक नन्हा मेहमान आया था .माता पिता ने पहली बार उसके भाई से उसे मिलवाया था. तनिशी ने अपने भाई का नाम शिबू  रखा था . जो उसने बहुत पहले से सोच रखा था .तनिशी के लिए वो सिर्फ उसका भाई ही नहीं था उसकी पूरी दुनिया था.उन दोनों में बहुत प्यार था .तनिशी थी तो उसकी बहन पर प्यार वो उसे माँ जैसा प्यार करती थी. साथ खाना-पीना ,साथ उठना -बैठना ,एक पल को कभी वो उसे अपनी आँखों से ओझल नहीं होने देती थी. अगर एक पल को भी वो उसकी आँखों के सामने से ओझल हो जाता तो रो-रोकर पूरा घर भर देती थी.

अब तनिशी  10 साल की हो चुकी थी और शिबू 7 साल का.एक बार शिबू स्कूल ट्रिप पर गया था .ट्रिप 3 दिन की थी.तनिशी बहुत परेशान थी की कहीं उसका भाई खो न जाये या उसे कहीं चोट न लग जाये.मम्मी पापा ने उसे बहुत समझाया पर वो कहाँ सुनने वाली थी.वो रोरोकर भगवन जी से कहती थी की “भगवन जी मेरे भाई को जल्दी से घर भेज दो”. जब शिबू ट्रिप से घर लौटा तब जाकर तनिशी की जान में जान आई.

समय बीतता गया, तनिशी  और शिबू बड़े होने लगे .दोनों की पढाई कम्पलीट हो गयी थी.तनिशी डॉक्टर बन चुकी थी और शिबू इंजिनियर .कुछ समय बाद तनिशी  की शादी तय हो गयी. तनिशी को ये चिंता सताने लगी की वो अपने परिवार के बिना कैसे रहेगी खास कर अपने भाई के बिना.तनिशी शिबू को चिढाती थी और कहती थी की देखूँगी की मेरी शादी के बाद तेरा काम कौन करेगा?शिबू भी कह देता था की “शादी करके कब जाओगी  तुम इसकी राह देख रहा  हूँ मै ,मै तुम्हारी शादी में ज़रा सा भी नहीं रोने वाला हूँ .“

शादी का दिन आया.पूरी शादी भर शिबू शांत- शांत सा था. तनिशी भी बहुत दुखी थी .अब विदाई का टाइम आया. तब शिबू ने सबसे कहा की मैंने अपनी बहन के लिए कुछ लिखा है .मै वो सब सुनाना  चाहता हूँ .उसने अपनी डायरी निकाली और उसे पढना शुरू किया ,”मैं थोड़ा introvert टाइप का लड़का हूँ .ज्यादा अपनी feeling एक्सप्रेस नहीं कर पता.ज्यादा बाते भी नहीं करता हूँ. लेकिन  मैंने आज अपनी बहन के लिए कुछ लाइन्स लिखी है ;-

मुझसे मेरे दोस्त पूछते थे की बड़ी बहन का होना कैसा लगता है?

मैंने कहा एक साथ तुम्हे 2 माँ का प्यार मिलता है,सिर्फ बहन ही नहीं माँ की तरह भी ख्याल रखती है वो

कभी डांटती है तो कभी प्यार करती है वो

वैसे तो जानती थोड़ा कम  है मुझे, पर समझती ज्यादा है मुझे

मेरी छोटी छोटी गलतियों को पापा से छुपा कर रखने वाली एक वही तो थी

जब मैं सभी से लड़ झगड़ कर एक कोने में बैठ जाता था ,तब मुझे प्यार से खाना लाकर देने वाली वही तो थी

वैसे तो 3 साल का फर्क है हमारी उम्र में लेकिन न तो मैंने इसे कभी दीदी कहा और न ही इसने कभी शिकायत की

स्कूल ,ट्यूशन ,कॉलेज सब साथ किया है हमने ,एक बॉडीगार्ड की तरह मेरा ख्याल रखा है तुमने

कभी कभी ऐसी उलझनों में फंसा था मै  ,अगर तुम न होती तो शायद कभी न निकल पाता मै

जब भी लाइफ में रोया हूँ तुमने मुझे संभाला है ,वरना तुम्हारे बिना कौन मुझे झेलने वाला है

तुम्ही तो थी एक जिसे मैं अपनी प्रॉब्लम बताता था, वरना ऐसी सिचुएशन से निकलना मुझे कहाँ आता था

तुम बोली सामान मेरा पैक हो गया है ,ये सुनकर न जाने तुम्हारा भाई कितना रोया है

आज छोड़कर हमें चली जाओगी तुम, एक खूबसूरत सी नयी दुनिया बसाओगी  तुम

दूर मत समझना खुद को कभी हमसे ,जब याद करोगी मिलने पहुँच जायेंगे हम तुमसे

तुम सिर्फ बहन नहीं ,दुनिया हो मेरी ,कुछ भी करूंगा देखने को खुशियाँ मैं तेरी

i love you बहना .मैंने कभी ये बोला नहीं but i know  की तुम ये जानती हो “

तालियों से कमरा भर गया. सभी की आँखे नाम थी .तनिशी ये सब सुनकर स्तब्ध थी .वो सोच रही थी की आज मेरा भाई कितना बड़ा हो गया उसने शिबू को अपने गले से लगा लिया.

जी हाँ दोस्तों ये सच है भाई-बहन का रिश्ता दुनिया के सबसे खूबसूरत रिश्तों में से एक है. दोस्तों भाई बहन चाहे जितना भी लड़ झगड़ ले ये रिश्ता ऐसा होता है जो कभी नहीं टूटता .भाई की नज़रों में अपनी बहन से अच्छी कोई लड़की नहीं होती . वो भाई ही तो है जो मुंह पर कड़वा  बोले और पीठ पीछे दुनिया के सामने बहन की तारीफ़ करे .जो सबके कपडे खुद चॉइस करके दे लेकिन खुद के कपडे बहन की चॉइस के ले.ये स्टाइल मुझ पर सूट हो रही है क्या?ये बात गर्लफ्रेंड से पहले 100 बार अपनी बहन से पूछे .खुद के phone को हाथ न लगाने दे पर बहन का phone हक से मांगे .

दोस्तों भाई बहन का रिश्ता आपकी पहचान का इतना गहरा हिस्सा हैं कि उनके  मौजूद नहीं होने के बावजूद भी मिटाया  नहीं जा सकता .भाई -बहन का रिश्ता आपका  सबसे बड़ा मेमोरी बैंक है इसमें न जाने कितनी यादे संजोई रहती है जिन्हें याद करके हमारे चेहरे पर हमेशा मुस्कान  आ जाती है.ये  वह व्यक्ति हैं जो आपको किसी और से बेहतर जानते हैं  .

पर पता नहीं क्यों बचपन में जिनको छोटी छोटी बात बताये बिना वो  रह नहीं पाते थे .अब बड़ी बड़ी मुश्किलों से वो  अकेले जूझते जाते हैं.ऐसा नहीं की उनको अहमियत नहीं है हमारी पर शायद हम  परेशान न हो इसलिए वो  अपनी तकलीफे छुपा जाते हैं.पता नहीं कब वो इतने बड़े हो जाते हैं.

“मैं वो नहीं जो तुम्हे अकेला छोड़ दूंगा ,मैं वो नहीं जो तुमसे नाता तोड़ लूँगा ,मै हूँ तेरा भाई ,हर खुशी  को तुम्हारी तरफ मोड़ दूंगा”

जिम्मेदारियों के बीच न भूलें जीवनसाथी को वरना हो सकता है ये अफसोस

घर से ऑफिस ,ऑफिस से घर ये रूटीन बन गया .2 से 3 साल और निकल गए. मेरी उम्र 25 की हो गयी और फिर शादी हो गयी. मेरे जीवन की कहानी शुरू हो गयी. अपने जीवनसाथी के हाथों में हाथ डालकर घूमना -फिरना ,रंग बिरंगे सपने  देखना ,जीवन से एक अलग सा ही लगाव महसूस होने लगा.पर ये दिन जल्दी ही उड़ गए .फिर बच्चे के आने की आहट  हुई.अब हमारा सारा ध्यान बच्चे पर केन्द्रित हो गया. उठाना-बैठाना ,खिलाना-पिलाना ,लाड-दुलार ,समय कैसे फटाफट निकल गया मुझे पता ही नहीं चला.

इस बीच कब मेरा हाथ उसके हाथ से निकल गया ,बातें करना ,घूमना -फिरना कब बन्द हो गया दोनों को पता ही नहीं चला. वो बच्चे में व्यस्त हो गयी और मैं अपने काम में.

घर और गाडी की क़िस्त ,बच्चे की पढाई लिखी और भविष्य की जिम्मेदारी और साथ ही साथ बैंक में शून्य बढ़ाने  की चिंता ने मुझे घेर लिया .उसने भी अपने आपको काम में पूरी तरह झोंक दिया और मैंने भी.

इतने में मै  35 साल का हो गया .इसी बीच दिन बीतते गए,समय गुजरता गया ,बच्चा बड़ा होता गया .एक नितांत, एकांत पल में मुझे वो गुज़रे दिन याद आये और मौका देखकर मैंने अपने जीवन साथी से कहा “अरे यहाँ आकर मेरे पास बैठो ,चलो हाथ में हाथ डालकर कहीं घूम कर आते है .” उसने अजीब नज़रों से मुझे देखा और कहा ‘आपको  घूमने की पड़ी है और यहाँ इतना सारा काम पड़ा है आप  भी हद करते हो ‘.मैं शांत हो गया .

बेटा उधर कॉलेज में था इधर बैंक में शून्य बढ़ रहे थे .देखते ही देखते उसका कॉलेज ख़त्म हो गया और वो परदेश चला गया.

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मैं भी बूढा हो गया वो  भी उम्रदराज़ लगने लगी .दोनों 55 से 60 की ओर बढ़ने लगे .बैंक में शून्य बढ़ रहे थे और हमारे जीवन के भी.

बाहर आने जाने के कार्यक्रम बन्द होने लगे.अब तो गोली ,दवाइयों के दिन और समय निश्चित होने लगे.जब बच्चे बड़े होंगे तब हम सब साथ रहेंगे ये सोचकर बनाया गया घर बोझ लगने लगा.बच्चे कब वापस आयेंगे यही सोचते-सोचते बाकी के दिन गुजरने लगे.

एक शाम ठंडी हवा का झोका चल रहा था .वो भी दिया- बाती कर रही थी और मैं अपनी  कुर्सी पर बैठा अपने अतीत के कुछ खुशनुमा पल याद कर रहा था . आज भी उस पल  को याद करके मेरे चेहरे पर मुस्कराहट आ जाती है जब हमारी शादी की बारहवी  सालगिरह पर उसने मुझसे सालगिरह का तोहफा माँगा. उसने मुझसे कहा की मैं  जो भी मांगूंगी आप मुझे दोगे . मैंने हाँ में सिर हिला दिया .वो अन्दर कमरे से जाकर 2 डायरी ले आई और मुझसे बोली कि मुझे आपसे बहुत कुछ कहना रहता है लेकिन हमारे पास एक दूसरे के लिए समय ही नहीं होता.इसलिए हमारी जो भी शिकायतें होंगी हम पूरा साल अपनी -अपनी डायरी में लिखेंगे और अगली सालगिरह पर हम एक दूसरे की डायरी पढेंगे .मैं भी सहमत हो गया की विचार तो अच्छा है.

देखते ही देखते साल बीत गए. शादी की अगली सालगिरह आई .हम दोनों ने एक दूसरे की डायरी ली.उसने कहा की पहले आप पढ़िए.मैंने पढना शुरू किया.पहला पन्ना,दूसरा पन्ना, तीसरा पन्ना शिकायते ही शिकायते “आज शादी की वर्षगांठ पर मुझे ढंग का तोहफा नहीं दिया ”.

“आज होटल में खाना खिलाने का वादा करके भी नहीं ले गए “.

“आज जब शौपिंग के लिए कहा तो जवाब मिला की मैं बहुत थक गया हूँ “ ऐसी अनेक रोज़ की छोटी छोटी फरियादें लिखी हुई थी.ये सब पढ़कर मेरी आँखों में आंसू आ गए. मुझे एहसास हुआ की वाकई में इन औरतों की ज़िन्दगी हमारे इर्द-गिर्द ही घूमती है.मैंने कहा की मुझे पता ही नहीं था मेरी गलतियों का .मै ध्यान रखूंगा की आगे से  ऐसा न हो.

अब बारी उसकी थी .उसने मेरी डायरी खोली .

पहला पन्ना कोरा? दूसरा पन्ना कोरा? अब उसने दो,चार पन्ने साथ में पलटे  वो भी कोरे? फिर पचास –सौ पन्ने साथ में पलटे  वो भी कोरे?

उसने कहा कि मुझे पता था की आप  मेरी इतनी सी इच्छा भी पूरी नहीं कर सकेंगे .मैंने पूरा साल इतनी मेहनत से आपकी सारी  कमियां लिखी ताकि आप  उन्हें सुधार सको.

मै मुस्कुराया और मैंने कहा की मैंने सबकुछ अंतिम पन्ने पर लिख दिया है.उसने उत्सुकता से अंतिम पन्ना खोला उसमे मैंने लिखा था;- “मैं तुम्हारे मुंह पर तुम्हारी जितनी भी शिकायत कर लूं लेकिन तुमने मेरे और मेरे परिवार के लिये जो  त्याग किये है मैं उनकी भरपाई कभी नहीं कर सकता.

मैं इस डायरी में लिख सकूं ऐसी कोई कमी मुझे तुममे दिखाई नहीं दी.ऐसा नहीं है की तुममे कोई कमी नहीं है, लेकिन तुम्हारा प्रेम,तुम्हारा समर्पण,तुम्हारा त्याग उन सब कमियों से ऊपर है.मेरी अनगिनत भूलों के बाद भी तुमने जीवन के हर समय में मेरी छाया  बनकर मेरा साथ निभाया है.अब अपनी ही छाया में कोई दोष कैसे निकाल सकता है.” अब रोने की बारी उसकी थी .वो मेरे गले लगकर  बहुत रोई .शायद अब उसके सारे गिले शिकवे दूर हो चुके थे.

तभी अचानक phone की घंटी बजी . मैं अपने अतीत के उस खुशनुमा पल से बाहर आ चुका था .मैंने लपक कर phone उठाया .बेटे का phone था जिसने कहा की उसने शादी कर ली है अब वो परदेश में ही रहेगा.उसने कहा’पिताजी आपके बैंक के शून्य आप दोनों के लिए पर्याप्त होंगे ,आप आराम से अपना जीवन बिता लीजियेगा और अगर जरूरत पड़े तो वृदाश्रम चले जाइएगा  वहां आप लोगों की देखभाल हो जाएगी.’ और भी कुछ ओपचारिक बातें करके उसने phone रख दिया.

मैं वापस आकर कुर्सी पर बैठ गया उसकी भी दिया- बाती ख़त्म होने को आई थी .मैंने उसे आवाज़ दी “चलो आज फिर हाथों में हाथ लेकर बातें करते है.” वो तुरंत बोली “अभी आई “.उसने शेष पूजा की और मेरे पास आकर बैठ गयी.”बोलो क्या कह रहे थे “लेकिन मैंने कुछ नहीं कहा.उसने मेरे शरीर को छूकर देखा शरीर बिलकुल ठंडा पड़  गया था. “मैं उसकी ओर एक टक  देख रहा था “.

उसने मेरा ठंडा हाथ अपने हाथों में  लिया और बोली “चलो कहाँ घूमने चलना है तुम्हे?क्या बातें करनी है तुम्हे? “

बोलो !! ऐसा कहते हुए उसकी आँखे भर आई !! वो एकटक मुझे देखती रही.उसकी आँखों से आंसू बह निकले .मेरा सर उसके कंधे पर गिर गया . ठंडी हवा का झोका अब भी चल रहा था.

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जी हाँ दोस्तों ये तो सिर्फ एक कहानी है पर शायद ये बहुत से लोगों के जीवन ही हकीकत भी है . हम अपनी जिम्मेदारियों को निभाते -निभाते अपने जीवन साथी के लिए समय निकालना ही भूल जाते है .

पति पत्नी का रिश्ता बहुत ही प्यार भरा रिश्ता होता है. इसमें कई तरह की भावनाएँ होती हैं जैसे की प्यार, देखभाल, परवाह, लड़ना-मनाना व छोटी मोटी नोंक-झोंक. यह नोंक झोंक भी वहां होती हैं जहाँ प्यार होता है.

जीवनसाथी, जीवन की ऐसी आवश्यकता है, जिसे किसी भी कीमत पर नकारा नहीं जा सकता . वह आपको सहज महसूस कराने के लिए सब कुछ करेगा. आपका साथी हमेशा आपके मुश्किल समय में आपके साथ रहेगा . वो  हर कठिन परिस्थिति में आपके ठीक पीछे खड़ा होगा . आपका जीवनसाथी मृत्यु तक आपकी हर चीज का ख्याल रखेगा. सच्चाई ये है की जीवनसाथी के बिना जीवन बिलकुल अधूरा है

सब अपना अपना नसीब साथ लेकर आते हैं .इसलिए कुछ समय अपने लिए भी निकालो . जीवन अपना है ,जीने के तरीके भी अपने रखो .शुरुआत आज से करो क्यूंकि कल कभी नहीं आएगा.

“कभी कभी किसी से ऐसा रिश्ता बन जाता है कि हर चीज़ से पहले उसी का ख्याल आता  है”

कुछ खामोशियों को खामोश ही रहने दो…

एक औफिस में दो लोग वैभव और दिव्या काम करते थे. काम तो कई लोग करते थे लेकिन मैं उन दो लोगों की बात कर रहीं हूं जो ऑफिस में साथ काम करते-करते अच्छे दोस्त बन गए, लेकिन दिव्या को पता ही नहीं चला कि वैभव उसे पसंद करने लगा था. वैभव उसे रोज़ फोन करता था…उससे प्यार-प्यारी बातें करता था लेकिन उसकी कभी कहने की हिम्मत नहीं हुई कि वो दिव्या को पसंद करता है. वो कहते हैं न कि कुछ खामोशियां…अगर खामोशियां ही बनकर रहें तो रिश्ता बना रहता है…शायद वैभव भी ऐसा ही सोचता था.

वैभव को दिव्या से बात करना बहुत पसंद था.उसे अच्छा लगता था खुशी होती थी जब वो दिव्या से बात करता था हर बार वो कुछ कहने की कोशिश करता था लेकिन वही खामोशी सामाने आ जाती थी. औफिस में मिलना –जुलना तो लगा ही रहता था लेकिन फोन किए बिना भी रह नहीं पाता था.एक दिन की बात है वैभव ने दिव्या को फोन किया और बोला कि मैं तुम्हें याद कर रहा हूं…बहुत मिस कर रहा हूं तब दिव्या को थोड़ा अटपटा सा लगा और उसने सवाल कर लिया कि आप मुझे क्यों याद कर रहें हैं? वैभव ने तुरन्त पलटकर जवाब दिया कि काश तुम ये कह देती कि अरे वैभव आज ही तो मिले थे हम औफिस में फिर क्यों याद आ रही है तो ज्यादा अच्छा लगता. दिव्या थोड़ा घबराई उसके हांथ-पांव ठंडे हो रहे थें. उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं.उसे ये तो समझ आ चुका था कि कुछ तो है वैभव के दिल में… वो अबतक ये समझ चुकी थी कि वैभव क्या चाहता है और उसके दिल में उसके लिए क्या है, लेकिन फिर वही बात आड़े आती है कि कुछ खामोशियों को खामोश ही रहने दें.

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वैभव ने एक दिन दिव्या को फोन करके कहा कि तुम सफेद शर्ट और ट्राउज़र पहन कर आना दिव्या चाहती तो मना कर सकती थी लेकिन शायद वो खुद भी उसकी तरफ अट्रैक्ट हो रही थी और उसने वैभव का कहना मान लिया. वो वही कपड़ा पहन कर गई जिसमें वैभव ने उसे बुलाया था. उसी दिन की बात है…रात के करीब साढ़े बारह बज रहे थे… दोनों की बात हो रही थी और बात ही बात में वैभव ने कुछ कहा जिसपर दिव्या ने पूछा की आप इनता मेरे बारे में क्यों सोचते हो? वैभव ने कहा कि क्यूं तूम मुझे सफेद कपड़ों में अच्छी लगती हो? क्यूं मैं तुमसे आधी रात को भी मिलने के लिए तैयार रहता हूं? तुम जो भी सोचती हो मैं उसे पूरा करना चाहता हूं क्यूं ? क्यूं तुमसे मिलना मुझे अच्छा लगता है? और क्यूं तुम्हारी याद आती है?शायद इसका जवाब मैं तुम्हें दे सकता हूं लेकिन मैं खामोश रहना चाहता हूं……

दिव्या अबतक सब कुछ समझ चुकी थी और उसने धीमी सी आवाज में बस इतना ही कहा कि कुछ खामोशियों को खामोश ही रहने दों…..वो खामोशियां अच्छी होती हैं…. वैभव आज भी बात करता है, दिव्या भी उसे शायद चाहने लगी थी लेकिन इन सबके बीच एक मोड़ ऐसा था जिसपर दिव्या दोराह में खड़ी थी और जिंदगी में उसके कश्मकश थी..जानते हैं क्यूं? क्योंकि वो पहले से ही एक रिलेशनशिप में थी शायद इसलिए ही उसने कहा था कि कुछ खामोशियों को खामोश ही रहने दों…..अब ये रिश्ता गुमनाम ही रहेगा या आगे कुछ होगा ये तो वक्त ही बताएगा….

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खूबसूरत महिलाओं की पहली पसंद होते हैं ऐसे लड़के

महिलाओं को आखिर कैसे मर्द पसंद आते हैं. पुरुषों में हमेशा ही इस बात को जानने की उत्सुकता होती है. इस विषय पर हुए एक शोध में सामने आया है कि खूबसूरत महिलाओं की पहली पसंद वाले मर्दों में कौन-कौन सी खूबियां होती है.

महिलाओं को पसंद आते हैं ऐसे पुरुष…

यूनिवर्सिटी औफ क्रैंबिज में हुए एक शोध में थामस वर्सलुय्ज का कहना है कि इस औनलाइन सर्वे में अमेरिका की 800 महिलाओं ने ऐसे मेल फिगर्स को तरजीह दी जिनके पैर औसत से थोड़े ज्यादा लंबे थे. हालांकि बहुत ज्यादा लंबे पैर वालों को महिलाओं ने नकार दिया.

relationship

19 से 76 साल की महिलाओं के बीच हुआ सर्वे…

19 से 76 साल के बीच की अलग-अलग उम्र वाली महिलाओं को कुछ पुरुषों की कंप्यूटर जेनरेटेड तस्वीरें दिखाईं गईं और उनसे पूछा गया कि इनमें से कौन सबसे ज्यादा अट्रैक्टिव दिख रहा है. इन सभी तस्वीरों में पुरुषों के हाथ और पैर की लंबाई में मामूली अंतर था. सर्वे में शामिल महिलाओं ने औसत से थोड़े ज्यादा लंबे पैर वाले पुरुषों को अट्रैक्टिव माना.

relationship

सेक्शुअल सिलेक्शन में अहम रोल निभाती है लंबाई…

इस सर्वे के नतीजे बताते हैं कि पुरुषों के पैर की लंबाई उनके सेक्शुअल सिलेक्शन में एक अहम रोल निभाती है. यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एक ऐसा फैक्टर है जो तब से चला आ रहा है जब से मानव का विकास शुरू हुआ. इसमें स्वास्थ्य और पोषण जैसी चीजें भी शामिल हैं.

तो मतलब अगर आप भी किसी महिला का ध्यान अपनी तरफ खींचना चाहते हैं तो आपको अपने कपड़ों और बिहेवियर के साथ-साथ अपनी लंबाई पर भी ध्यान देना होगा.

 

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