फिर से नहीं: भाग-6

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प्लाक्षा और विवान में गहराई तक दोस्ती थी. बात शादी तक पहुंचती, इस से पहले ही दोनों का ब्रेकअप हो गया. कुछ साल बाद दोनों की फिर से मुलाकात हुई, जो बढ़ती ही गई. अपनीअपनी शादी रुकवाने के लिए दोनों ने एकदूसरे के घर वालों के सामने नाटक किया और कुछ दिनों तक के लिए शादी रुकवा ली. उधर जिस लड़की साक्षी को विवान ने अपनी मंगेतर बताया था, उसे प्लाक्षा के बचपन के एक दोस्त आदित्य ने भी अपनी मंगेतर बता कर प्लाक्षा की उलझनें बढ़ा दी थीं. उन दोनों को एकसाथ प्लाक्षा ने मौल में भी खरीदारी करते देखा था. पर जब इस बात की जानकारी उस ने विवान को दी तो विवान ने कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई. प्लाक्षा को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है. जब वह विवान से मिली तो यह सुन कर और भी हैरान रह गई कि यह सब उस ने उसे ही पाने के लिए किया था.

विवान के बारबार झूठ बोलने की वजह से प्लाक्षा का उस से मोहभंग हो चुका था. विवान के बारबार मनाने के बावजूद भी दोबारा जुड़ने और शादी करने को ले कर प्लाक्षा ने साफसाफ मना कर दिया था. आंखों में आंसू लिए विवान वापस लौट गया और फिर कभी उसे फोन नहीं किया.

कुछ दिनों बाद अपने मम्मीपापा की बारबार विवाह करने की जिद पर वह एक लड़के वाले के घर मिलने जाने के लिए तैयार हो गई. एक दिन जब प्लाक्षा अपने मम्मीपापा के साथ लड़के वाले के यहां पहुंची तो उस के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा. प्लाक्षा के मम्मीपापा उसे जिस लड़के वाले के यहां ले कर आए थे, वह तो विवान का ही घर था. वहां भी विवान उसे अकेले में कमरे में मिला तो रोरो कर उस की आंखें लाल हो गई थीं. विवान अपने किए पर शर्मिंदा था और बारबार प्लाक्षा से माफी मांग रहा था. प्लाक्षा ने शादी के लिए उस वक्त हां कर दी.

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मेरे लिए यह सब किसी सपने से कम नहीं था. उस दिन तो अचानक सारा सच सामने आ जाने के कारण कुछ महसूस नहीं कर पा रही थी. लेकिन आज यह सब मुझे अच्छा लग रहा था. आज लग रहा था कि मैं खास हूं. कोई मुझ से इतना प्यार करता है और सब से बड़ी बात यह कि वह और कोई नहीं बल्कि विवान है, जिस से मैं ने अपनी जिंदगी में सब से ज्यादा प्यार किया है.

‘‘थैंक्यू सो मच प्लाक्षा. अब आखिरी और सब से अहम सवाल,’’ एक पल को चुप्पी छा गई. मेरा दिल बहुत जोरजोर से धड़क रहा था, क्योंकि मुझे पता था कि वह क्या पूछने वाला था. वह उस की आंखों में साफ लिखा था. यह पहली बार नहीं था कि वह मुझ से यह पूछने वाला था, लेकिन उस दिन मैं कोई और ही थी. आज विवान के आंसुओं ने मेरा कड़वापन धो दिया था. आज मैं फिर से उस की पहले वाली प्लाक्षा बन गई थी, जो उस के मुंह से प्यार भरे शब्द सुनने को हर पल बेकरार रहती थी. कई दिनों बाद मेरी आंखों में फिर से वही हसरत थी. आखिरकार उस ने खामोशी तोड़ी.

‘‘तुम तो जानती हो प्लाक्षा, मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं. मेरी अब तक की हरकतों से तो शायद तुम्हें समझ आ ही गया होगा,’’ विवान मासूमियत से बोला.

मैं हंस पड़ी. सच में अब उस की हरकतें याद कर के मुझे हंसी आ रही थी. अब गुस्सा कहीं नहीं था. बस यह लग रहा था कि उस ने जो कुछ भी किया मेरे लिए किया. मुझे यह बताने के लिए किया कि मैं उस के लिए कितनी महत्त्वपूर्ण हूं. उस के एकएक शब्द से मेरे शरीर में अजीब सी लहर दौड़ रही थी.

‘‘पहले शायद मैं तुम्हारे प्यार को समझ नहीं पाया, लेकिन जिस दिन से समझ आया तो जीना दुश्वार हो गया. तुम्हें पाने का जनून सा सवार हो गया. उसी जनून में न जाने क्याक्या कर गया.’’

मैं बस मुसकरा रही थी. वह बोलता जा रहा था और आज मैं बस उसे सुनना चाहती थी.

‘‘तुम ने मुझ से बहुत प्यार किया है प्लाक्षा. उस का हिसाब तो मैं जीवन भर नहीं चुका सकता. बस इतनी कोशिश कर सकता हूं कि हमेशा तुम्हें और तुम्हारे प्यार को पूरी अहमियत दे पाऊं. मैं तुम से प्यार करता हूं प्लाक्षा और हमेशा करता रहूंगा.’’

मेरी आंखों से आंसू छलक पड़े. लेकिन इस बार ये दुख के नहीं, बल्कि खुशी के थे.

‘‘मैं भी तुम से प्यार करती हूं विवान. मैं ने हमेशा सिर्फ और सिर्फ तुम से ही प्यार किया है और जिंदगी भर करती रहूंगी,’’ मैं उस से लिपट कर रो पड़ी. आज अपने अंदर का सारा जहर निकाल देना चाहती थी. उस की बांहों का एहसास मुझे सुकून दे रहा था. एक यही वह जगह थी जहां मुझे शांति मिल सकती थी. वह हौलेहौले मेरी पीठ सहला रहा था. धीरेधीरे मेरे आंसुओं का सैलाब थमने लगा. आज सालों बाद उस का स्पर्श पा कर लग रहा था जैसे मैं फिर से जी उठी थी.

‘‘प्लाक्षा, क्या तुम मुझ से शादी करोगी?’’ उस ने मुझे बांहों में लिए हुए ही पूछा.

‘‘शादी? मम्मीपापा को तो मैं ने शादी के लिए मना कर दिया था. अब फिर से क्या कहूंगी उन से? वे तो किसी और के साथ मेरी बात चला रहे थे,’’ मैं उस की बांहों से निकल कर हकीकत में आ गई, ‘‘क्योंकि मैं ने उन से कह दिया था कि हमारा ब्रेकअप हो गया है.’’

मेरी बात सुन कर वह परेशान होने के बजाय हंस पड़ा.

फिर बोला, ‘‘अरे हां, एक बात बताना तो मैं भूल ही गया. मैं ने तुम से एक और बात छिपाई है.’’

‘‘क्या?’’ मैं ने संदेह से उस की तरफ देखा.

‘‘मैं तुम्हारे मम्मीपापा से पहले मिल चुका हूं.’’

‘‘हां, मुझे पता है. मेरे साथ ही तो गए थे.’’

मैं उस की बात बीच में ही काट कर बोला, ‘‘उस से भी पहले मैं उन से मिला था, अपने मम्मीपापा के साथ अपनी शादी की बात करने के लिए,’’ वह हलकी मुसकान के साथ डरते हुए मुझे देख रहा था.

‘‘क्या?’’ पिछले कुछ दिनों में क्याक्या कर गया था विवान. और मम्मीपापा ने भी मुझे कुछ नहीं बताया.

‘‘हां बेटा यही है वह लड़का जिसे हम ने तेरे लिए पसंद किया था,’’ मम्मी ने कमरे में दाखिल होते हुए कहा. पापा और विवान के मम्मीपापा भी अंदर आ चुके थे.

‘‘बेटा, पहली बार विवान जब अपने मम्मीपापा के साथ हमारे घर आया तो हमें भी कुछ अटपटा लगा. मैं तो इसे पहले से जानती ही थी, कुछ तुम ने भी इस के बारे में बताया था. इस से बात करने पर पहले तो यह हमें नहीं जंचा. लेकिन खुशी इस बात की थी कि कोई हमारी बेटी से इतना प्यार करता है कि उस के लिए कुछ भी करने को तैयार है. फिर भी हम शंकित तो थे ही. जब तुम ने इसे घर बुलाया तब हम जानते थे कि तुम दोनों नाटक कर रहे हो. उस दिन विवान की बातें सुन कर यकीन हो गया कि वह तुम से कितना प्यार करता है.’’

कितना कुछ हो रहा था मेरी पीठपीछे और मुझे कोई खबर ही नहीं थी. बड़ी होशियार समझती थी खुद को. मगर आज इन सब ने मिल कर कितनी सफाई से मुझे बेवकूफ बना दिया था.

‘‘लेकिन हमारे लिए यह जानना ज्यादा जरूरी था कि तुम्हारे मन में क्या है. मैं ने कई बार तुम्हारे मन को टटोलने की कोशिश की और हर बार यही पाया कि तुम विवान से अपने प्यार को दबाती रही हो.’’

मां मेरे पास आ कर बैठ गईं और मेरा सिर सहलाने लगीं. फिर बोलीं, ‘‘जब तुम ने ब्रेकअप की खबर सुनाई तो मैं घबरा ही गई थी. मैं ने उसी वक्त विवान को फोन लगाया, तो उस ने बताया कि तुम ने साक्षी को देख लिया है. उसे मैं ने हमारे दिल्ली आने के प्लान के बारे में बताया और आगे कुछ भी करने को मना कर दिया. मुझे लगा कि तुम दोनों की आमनेसामने अच्छे से बात कराने से ही सब कुछ ठीक होगा. लेकिन फिर तुम ने साक्षी और आदित्य को साथ देख लिया जिस से मामला और बिगड़ गया.

‘‘विवान तो बिलकुल हिम्मत हार चुका था लेकिन हम ने प्लान में कोई बदलाव नहीं किया. यहां आ कर तुम्हें देखा तो यह भी विश्वास हो गया कि हम जो कुछ भी कर रहे हैं सही है. हम जानते थे कि तुम दोनों एकदूसरे से बहुत प्यार करते हो. बस कुछ गलतफहमियां और अहं ही बीच में आ रहा है. जब आमनेसामने बैठ कर एकदूसरे की दिल की बात सुनोगे तो सब ठीक हो जाएगा.’’

मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या प्रतिक्रिया करूं. सब को सब कुछ पता था, एक मैं ही इन सारी बातों से अनजान थी. सब मेरी तरफ देख कर मुसकरा रहे थे. विवान माफी मांगने के अदांज में मेरी तरफ देख रहा था. मैं कुछ कहूं उस से पहले ही पापा बोल पड़े, ‘‘तुझे जितना गुस्सा आ रहा है उसे इस विवान पर निकालना. यही मुजरिम है तेरा. हम बस तुम्हें खुशी देना चाहते थे. इसी ने हमें झूठ बोलने पर मजबूर किया. अब जी भर के इस की पिटाई करो,’’ सब हंस पड़े साथ में मैं भी.

विवान के मम्मीपापा ने भी उन का साथ देते हुए कहा, ‘‘हमारी बातों का कुछ बुरा लगा हो, तो माफ कर देना बेटा. हम तो बस इस के कहे अनुसार चल रहे थे. यही तुम्हारा गुनहगार है. अब तुम ही इस से निबटो,’’ इतना कह कर वे सब बाहर चले गए.

एक बार फिर हम दोनों अकेले थे. विवान मेरे पास आ कर बैठ गया. टेबल से अंगूठी उठा कर मेरे सामने कर दी और बोला, ‘‘अब तो हां कर दो या अब भी कोई ऐतराज है?’’

मैं ने हामी में सिर हिलाया, ‘‘अब क्या, अब तो सब कुछ साफ हो गया न? अब क्या बचा है?’’ वह फिर से नर्वस दिखने लगा.

‘‘वादा करो अब कभी मुझे परेशान नहीं करोगे, झूठ नहीं बोलोगे और…’’ मैं ने गंभीरता से कहा.

‘‘और?’’ उस ने पूछा.

‘‘और रोज मुझे दिन में कम से कम एक बार ‘आई लव यू’ कहोगे. कभी गुस्सा हुए तब भी,’’ मैं ने मुसकरा कर कहा.

‘‘पक्का,’’ कह कर उस ने मुझे सीने से लगा लिया. अब मुझे कोई डर नहीं था. उस की आंखें, उस का स्पर्श, उस की खुशी सब कुछ एक ही बात कह रहे थे कि वह अब कभी मेरा दिल नहीं दुखाएगा. उस की बांहों का घेरा यही सुकून दे रहा था कि अब फिर से मुझे कभी प्यार के लिए तरसना नहीं पड़ेगा.

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