कोरोना वैक्सीन आने के बाद शादी करेंगी ये एक्ट्रेस, इंटरव्यू में किया खुलासा

बौलीवुड में अपनी अभिनय क्षमता के बल पर निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर रिचा चड्ढा अब तक ‘गैंग आफ वासेपुर‘,  ‘फुकरे’, ‘गोलियों की रास लीला रामलीला’, ‘लव सोनिया’, ‘मसान’, ‘इश्कारिया’,  ‘सेक्शन 375’ व ‘पंगा’जैसी फिल्में कर चुकी हैं. इन दिनों वह फिल्म ‘शकीला’ को लेकर चर्चा में हैं, जो कि दक्षिण भारत की एडल्ट स्टार के रूप में प्रसिद्ध रही हैं. हिंदी के अलावा तमिल,  तेलगू,  कन्नड़ व मलयालम भाषा में बनी फिल्म ‘शकीला’ 25 दिसंबर को सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है.

प्रस्तुत है रिचा चड्ढा से हुई एक्सक्लूसिब बातचीत के अंश. .

लॉक डाउन के चलते आपने अपने अंदर कितना बदला पाया?

-बदला हुआ इस तरह पाया कि हर काम खुद ही करना पड़ रहा था. ऐसा नहीं है कि हमें अपना खुद का काम करने में कोई शर्म है. मगर अभिनय में व्यस्तता के चलते घर के कुछ काम करने के लिए बाई रखी हुई थी, पर लॉक डाउन में उसका आना बंद हो गया, तो वह सारा काम खुद करना ही था. आपके पास कई दूसरे काम भी होेते हैं, उसके बाद जब घर के काम करने पड़ते हैं, जब आप खुद राशन लेने जाते हैं, तो आपको अहसास होता है कि जिंदगी जीने के लिए कितनी चीजों की आवश्यकता पड़ती है. एक अंदाजा लग जाता है, मैंने सबसे बड़ी सीख पायी कि हमें कम में भी खुश रहना चाहिए. सभी कहते थे कि फोन पर दूसरों से बात करते रहें. मगर लॅाक डाउन में मै अपने फोन से काफी समय तब तक दूर भी रही. मैने यह ध्यान नहीं दिया कि दुनिया में क्या चल रहा है. मैंने खुद के साथ समय बिताया. अपनी किताब और लघु फिल्म की पटकथा पर भी काम किया. अपनी बिल्लियों के साथ समय बिताया. कुछ नए पौधे उगाए. गाजर, हरी मिर्च, नींबू, अमरूद,  अनार, तुलसी,  एलोवीरा, पुदीना व धनिया उगा लिया है. यह रोजमर्रा के उपयोग की चीजें हैं. इसके अलावा जब हम पर्यावरण की बात करते हैंं, पर्यावरण में आ रहे बदलाव की बात करते हैं, तो ऐसे वक्त में हमें खुद कुछ कदम उठाने होंगे, जो कि पर्यावरण के बदलाव से निपटने में सहायक हो. पेड़ पौधे उगाना बहुत जरुरी है. मैंने घर में खाना पकाते हुए वीडियो भी सोशल मीडिया पर साझा किया था. देखिए, हम तो घर का काम खुद करते आए हैं,  इसलिए लॉक डाउन के दिनों में घर काम करना कोई नई बात नही है. कुछ लोग जरुर ऐसे है, जिनके लिए यह नई बात है. लॉक डाउन में छूट मिलते ही मैने वेब फिल्म‘लाहोर कंफीडेशियल’की शूटिंग पूरी की. अब 18 दिसंबर को अमेजान पर ‘अनपाज्ड’की एक लघु फिल्म ‘अपार्टमेंट’ में मैं नजर आयी थी. इसकी शूटिंग भी सिंतबर माह में की. अब 25 दिसंबर को फिल्म ‘शकीला’ओटीटी प्लेटफार्म की बजाय ‘सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है. तो उसके प्रचार में जुट गयी हूं.

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आपने दक्षिण फिल्मों की स्टार रही शकीला की बायोपिक फिल्म ही क्यों चुनी?

-कई वजहें हैं. शकीला की कहानी में सबसे बड़ी बात यह है कि वह एक मोटी औरत है. कट्टर मुसलमान है. पूरी जिंदगी बुरखा पहनकर घूमतीरही. फिल्मों में अभिनय करने के लिए उसने बॉडी डबल रखा हुआ था. हर फिल्म में उसने बॉडी डबल से सारे दृश्य करवाए और खुद आराम से सड़क पर घूमती थी. सब्जी खरीदती थी. उसकी सबसे बड़ी खासियत यह थी कि उसने पुरूष प्रधान फिल्म इंडस्ट्री में अपनी एक अलग जगह बनायी. उसने दक्षिण के कई सुपर स्टार का कद घटाया.

कुछ समय पहे दक्षिण की ही अभिनेत्री सिल्क स्मिता की जिंदगी पर फिल्म‘‘डर्टी पिक्चर्स’’ आयी थी, जिसमें विद्या बालन ने अभिनय किया था. उस फिल्म से शकीलाकितनी अलग है?

-दोनो फिल्मों में जमीन आसमान का अंतर है. सिल्क स्मिता की मौत के बाद शकीला का कैरियर शुरू हुआ था. सिल्क स्मिता और शकीला ने एक फिल्म साथ में की थी. शायद सिल्क स्मिता की वह अंतिम फिल्म थी. आपने ‘डर्टी पिक्चर्स’देखी होगी, तो उसमें एक दृश्य है. फिल्म में दृश्य यह है कि सिल्क स्मिता एक नई अभिनेत्री से खुद को असुरक्षित हमसूस करते हुए उसे एक थप्पड़ जड़ देती है. तो जिसे थप्पड़ मारा गया था, वह शकीला थी. इस घटना के बाद शकीला बहुत परेशान हो गयी थीं. उन्होने सोचा कि अपना कैरियर, अपनी जिंदगी सब कुछ खत्म कर दॅूं, मुझे कुछ नही चाहिए. सिल्क स्मिता व शकीला में सबसे बड़ा फर्क यह था कि सिल्क स्मिता स्टारडम चाहती थी. वह स्टार का दर्ज चाहती थीं. जबकि शकीला ऐसा कुछ नहीं चाहती थी. उनकी सोच यह थी कि मैं इतना कमा लूं कि घर वालों को ठीक से खाना मिल जाए. कपड़े वगैरह मिल जाएं.

शकीला की जिंदगी के दो पहलू हैं. एक वह जो फिल्म इंडस्ट्री ने उनके साथ किया और दूसरा वह जो उनके परिवार के लोगों ने उनके साथ किया?क्या इनकी वजह फिल्म में दिखायी गयी है?

-देखिए, फिल्म इंडस्ट्री ने उनके साथ जो कुछ किया, उसे हमने बड़ी इमानदारी के साथ इस फिल्म में दिखाया है. अभी वह एक तरह से फिल्म इंडस्ट्री में बैन ही हैं. इसकी मूल वजह यह है कि शकीला ने एक सुपर स्टार से साफ साफ कह दिया था कि वह समझौता करने के लिए तैयार नहीं है. उनके परिवार ने उनके साथ जो कुछ किया, वह सब गरीबी व मजबूरी के चलते किया. उनकी मॉं है और उनकी छोटी बहन हैं. आप जानते होंगे कि शकीला की मां एक ज्यूनियर आर्टिस्ट थीं. जब शकीला स्कूल में पढ़ रही थी, तो 14-15 साल की उम्र में उनकी मां ने उनकी स्कूल की पढ़ाई छुड़ाकर फिल्म इंडस्ट्ी में काम करने के लिए मजबूर कर दिया था. शकीला को पता नही था मां उससे क्या करवाना चाहती हैं. उससे काम करवाने के लिए उसकी मां ने उसे दारू पिलवा दी थी. फिर दारू की लत डलवा दी. जबकि उस वक्त नग्नता वाला कोई दृश्य नहीं था. दक्षिण भारत में पोर्नोग्राफी तो यही है कि पेटीकोट व ब्लाउज पहनकर खड़ी रहे, पर कम छोटी उम्र की बच्ची के दिमाग पर इसका क्या असर पड़ा होगा, आप सोच सकते हैं. उसकी हालत बहुत खराब हो गयी थी. उसे सिगरेट की आदत पड़ गयी थी. वह डिप्रेशन में चली गयी थी. जब अपनी मां ऐसा काम करा सकती है,  तो फिर किस पर विश्वास किया जाए. यही सब हमने फिल्म में दिखाया है. शकीला की मां की निजी भूख का जिक्र है.

अपने करियर की शुरूआत में शकीला ने चाहे जितने बोल्ड सीन किए हों,  लेकिन बाद में उन्होंने हर बोल्ड सीन के लिए अपनी बॉडी डबल का इस्तेमाल किया. इस पर आपकी शकीला से कुछ बात हुई है?

-जीहां!मेरी बात हुई है. मैंने उनसे पूछा था कि आपको क्या सूझा कि बाद में आपने बॉडी डबल का इस्तेमाल नहीं किया. तो उन्होंने कहा कि,  ‘शुरुआत में मेरी मजबूरी थी. तो एक-दो फिल्मों में जो कहा गया, वह मैंने किया. वह भी मेरी मम्मी ने मुझसे करवाया था. उसके बाद जैसे ही मुझे मौका मिला, मैं अपनी सहूलियत के लिए किसी को ले आयी, जिसे काम की जरूरत थी. ’जो औरत शकीला की बॉडी डबल का काम करती थी,  वह असल में प्रोस्टीट्यूट काल गर्ल जैसे धंधे में थी. तो उन्हें यह भी लगा कि मैं बच जाऊंगी. मुझे उनकी यह बात बहुत अच्छी व ज्यादा रोचक लगी. दुनिया बहुत ज्यादा मतलबी है. जीवन में कई तरह के तनाव हैं. मैंने  उनसे कहा कि आपने बॉडी डबल क्यों लिया?आप अभिनय करना बंद कर देती. इस पर उन्होने कहा,  ‘‘शुरुआत में मुझे अपने परिवार को खाना खिलाना था, इसलिए मैंने जो कहा गया, वह किया. उसके बाद जब मुझे लगा कि मेरे पास मौका है, तो मैं यह सब क्यों करूं?मैने वह सब अपने बॅाडी डबल’से करवाया. ’’

इस पर मैंने शकीला से पूछा कि बॉडी डबल भी औरत ही थी?इस पर उन्होंने कहा, ‘वह धंधा करने वाली औरत है. वह पहले भी यही काम करती थी. ’जब मैंने उनसे कहा कि आपको डर नहीं लगा कि यह लोग आपका कैरियर बर्बाद कर देंगे, जिन बड़े लोगों के साथ पंगा ले लिया था?तब शकीला ने मुझसे कहा, ‘कामइंसान नहीं देता है. काम तो भगवान देता है. ’मैंने उनसे कहा कि आपको तकलीफ नहीं होती है कि आपके परिवार वालों ने आपके साथ ऐसा किया?तो शकीला ने कहा-‘‘हर इंसान की अपनी मजबूरियां रहती हैं.  ऐसे में सब को माफ कर देना चाहिए. ’’

आप यकीन नही करेंगे. वह एक वक्त में सुपर स्टार थी. बड़े बडे पुरूष सुपर स्टार को घास नही डालती थी. पर वह आज एक बेडरूम के फ्लैट में रहती हैं. जब मैंने उनसे इस पर बात की, तो उन्होंने कहा , ‘‘ किसने कहा कि मैं एक बेडरूम के फ्लैट में रहती हॅूं. मैं अपने दिमाग मे रहती हॅूं. मुझे बहुत ज्यादा सुकून है. मैं लोगों की मदद करती हूं. उन्होने एक गरीब निग्रो को गोद ले रखा है. मैने पूछा कि यह कौन है, तो उन्होने कहा कि, ‘यह एक दिन बहुत बुरी हालत मे मेरे पास आकर खाना खाने के लिए कुछ पैसे मांगे. मैने कुछ दिन का इंतजाम कर दिया था. फिर मैने उसे गोद लेकर अपने घर पर ही रख लिया. तो उनकी यह बात मुझे बहुत ज्यादा रोचक लगी. क्योंकि हमें क्या सलाह दी जाती है कि पहले तुम सलमान खान बन जाओ,  फिर ‘बिइंग ह्यूमन’ शुरू करना. लेकिन मैने पाया कि शकीला एक ऐसी इंसान हैं, जिनके पास सच में कभी कुछ नहीं था खाने के लिए या किसी भी चीज के लिए. मुझसे मिलने के लिए रिक्शे से आने के भी पैसे उनके पास नही थे. आप सोचिए कि उनकी हालत खराब है, फिर भी वह दूसरे को पाल रही हैं.

जब आपने शकीला से बातें की, तो उनकी किस बात ने आपको प्रेरित किया?

-उनका जो जिंदगी के प्रति नजरिया है, उसने मुझे सच में बहुत ज्यादा प्रेरित किया. वह बहुत तकलीफ में हैं,  इसके बावजूद उन्होंने कभी भी किसी के लिए अपने दिल में कोई मलाल नहीं रखा. उनकी यह बात मुझे काफी अच्छी लगी.

क्या हर फिल्म इंडस्ट्री में महिला कलाकारों के साथ वैसा ही हो रहा है, जैसा कि शकीला के साथ हुआ?

-अभी तो ऐसा नही हो रहा है. मगर ‘शकीला’की कहानी 1990 के दशक की मलयालम और तमिल इंडस्ट्री की कहानी है. जहां तक मेरा अनुभव है, तब से अब तक काफी चीजें बदल गई हैं. खैर, मेरे साथ वैसा कुछ करने की कोई हिम्मत नहीं करेगा. फिर वह दौर बदल गया है. अभी इंडस्ट्री में औरतें इतनी ज्यादा आगे आ गई हैं कि हर निर्माता-निर्देशक हर चीज बदल गई है. ‘मी टू’के बाद तो ऐसा लगता है कि कोई भी इंसान कुछ भी करने से पहले 10 बार सोचेगा.

यह फिल्म पांच भाषाओं में है. आपने कितनी भाषाओं में इसकी डबिंग खुद की है?

-मैने तो सिर्फ हिंदी में ही डबिंग की है. अन्य भाषाओं में डबिंग दूसरों ने की है. इसकी दो वजह रही. पहली बात तो सभी पांच भाषाओं मे डब करते हुए आवाज को मैच करना थोड़ा मुश्किल था, दूसरी वजह यह रही कि निर्माता और निर्देशक चाहते थे कि दक्षिण के दर्शक शकीला की जिस तरह की आवाज के साथ खुद को जोड़ते हैं, उस तरह की आवाज में डबिंग करना चाहते थे. यह निर्णय सही रहा. शकीला आज भी जीवत हैं और जूनियर आर्टिस्ट के रूप में अभिनय कर रही हैं. ऐसे में हम सिनेमायी स्वतंत्रता ज्यादा ले नही सकते. उन्होने अपने जीवन की कहानी लिखी, हमने उसे उनके विजन के अनुसार ही परदे पर उतारा. उन्होने हमारे साथ जो बातें की, उन्हे हमने सुना और उन्हें भी फिल्म में दिखाया है. एक जीवित इंसान की बायोपिक बनाते समय हमारी जिम्मेदारी और काम बढ़ जाता है.

आपको लगता है कि फिल्म इंडस्ट्री में औरतों के साथ अच्छा व्यवहार  हो रहा है. क्या ओमन इम्पॉरवमेंट की बातें लागू हो रही हैं?

-यह चर्चाएं तो काफी समय से चल रही हैं. यह भी सच है कि फिल्म इंडस्ट्री में स्थिति पहले से काफी बेहतर हुई हैं. अभी भी हमें लंबी यात्रा तय करनी है. अभी हमें इस दिशा में बहुत काम करने की जरुरत है. अभी बदलाव जमीनी स्तर पर आना जरुरी है. वास्तव में फिल्म इंडस्ट्री में सिर्फ कलाकार ही नहीं, बल्कि प्रोडक्शन,  निर्देशन, लेखन सहित हर विभाग में औरतों की संख्या बढ़ी है, इसका भी असर है कि फिल्म इंडस्ट्री में बदलाव नजर आ रहा है.

कुछ लोग कहते हैं कि नारी स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ने वाली महिलाएं ही सबसे ज्यादा भ्रष्ट हैं?

-मुझे पता नहीं कि आप किनकी बात कर रहे हैं. मेरी राय में नारीवाद का मतलब है कि नारी भी पुरूषों की तरह अपने निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है. पर यदि पुरूष बेवकूफ है, तो नारी भी बेवकूफ होने का हक रखती है. अब वह बेवकूफ में सिगरेट या शराब पीती है, तो यह उनका हक है. पुरूष भी सिगरेट या शराब पीते हैं. तो यह उनका हक है. यदि औरतें भी बेवकूफी में बराबरी चाहती है, तो गलत क्या है. यहां लोग नारीयों से जुड़े मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए कहते हकि नारीयां शराब पीती हैं.

अमजॉन पर अनपॉज्ड में एक लघु कहानी अपार्टमेटमें अभिनय किया है. क्या कहना चाहेंगी?

-हमारी यह फिल्म यह संदेश देती है कि खुद के मुश्किल बढ़ने वाली हो, तो भी इंसान को सच का साथ देना चाहिए. फिल्म छोटी जरुर है,  मगर इस फिल्म के निर्माता निर्देशक निखिल अडवाणी के संग मैं काम करना चाहती थी. इसलिए मैने इसे लघु फिल्म के नजरिए से नही देखा. मुझे लगा कि यह बड़े निर्देशक की तरफ से एक प्रयोग हो.

आप एक वेब फिल्मलाहौर कंफीडेशियलकर रही है?

-ज हॉ!यह एक स्पाई फिल्म है,  जिसकी शूटिंग हमने पूरी कर ली है. यह रॉ एजेंट अनन्या की क्रास बॉर्डर प्रेम कहानी है. कुणाल कोहली  के साथ काम करना चाहती थी. ‘फना’के बाद वह एक बेहतरीन फिल्म लेकर आ रहे हैं. लॉक डाउन में छूट मिलने के बाद मैने इस पहली फिल्म की शूटिंग की है. एक एक्साइटेंट था कि सेट पर जल्दी जाएं. क्योकि सभी के लिए रोजी रोटी भी चाहिए. जब मैं इसकी शूटिंग के लिए सेट पर पहुंची, तो क्रू मेंबर, कैमरा असिस्टेंट सहित सभी ने मेरा धन्यवाद अदा किया था कि मैंने शूटिंग करने के लिए हामी भर दी,  इसलिए शूटिंग शुरू हो गयी.

पार्टी तो अभी शुरू हुई है?

-अनुभव सिन्हा कब रिलीज करेंगे, पता  नहीं.

थिएटर में फिल्म के रिलीज होते ही रिस्पॉंस मिलता है. क्या ओटीटी प्लेटफार्म पर वेब सीरीज या फिल्म के आने पर उसी तरह का रिस्पांस मिलता है?

-जी हॉ!मिलता है. जब सभी ओटीटी के खिलाफ थे, तब भी मैने पहली भारतीय वेब सीरीज‘इनसाइड एज’की थी. वेब सीरीज लाइव होती है. इन दिनों सिनेमा घर की तरफ लोग डर की वजह से जा नहीं पा रहे हैं.

तो क्या ओटीटी प्लेटफार्म,  सिनेमाघरों का पर्याय बन जाएगा?

-ऐसा नहीं होगा. सिनेमाघर रहेंगे, पर ओटीटी प्लेटफार्म की वजह से दर्शक को एक नया माध्यम मिल गया है,  जिसका लुत्फ वह घर पर बैठे बैठे उठा सकते हैं. ऐसे हालात में अब सिनेमाघरों को भी नई रणनीति बनानी होगी. टिकट के दाम घटाने होंगे.

मगर लोग आरोप लगा रहे हैं कि ओटीटी प्लेटफार्म पर गंदगी ज्यादा बढ़ गयी है?

-यह आरोप सही है. हिंसा, नग्नता,  सेक्स ज्यादा परोसा जा रहा है. इसीलिए सरकार इसे सेंसर के दायरे में लाने की दिशा में काम कर रही है. देखिए, जब भी कोई नया माध्यम मिलता है, तो पहले लोग पूरी तरह से उसे एक्स्प्लाइट करते हैं. कुछ दिन बाद लोग कहने लगते हैं कि कुछ ज्यादा ही नग्नता परोसी जा रही है. सर जी, आप यह भी मान लीजिए कि कुछ लोग तो सिर्फ यही कर रहे हैं.

बीच में बात चल रही थी कि ‘आल्ट बालाजी’ हमारी फिल्म ‘शकीला’को‘डर्टी पिक्चर्स दो ’की तरह रिलीज करना चाहता है. तब मैने कहा कि इसमें ‘डर्टी पिक्चर्स’जैसे दृश्य नही है. उसके बाद उन्होने हमारे पास अपनी एक वेब सीरीज ‘गंदी बात’का टीजर भेजा. इतना जलील,  हिंसक व नंगा शो लगा कि हमारा मूड़ खराब हो गया. इस तरह के कार्यक्रम छोटे बच्चे ही देख रहे होंगें. अब आप बताइए, आप छोटे बच्चों को कौन सी संस्कृति परोस रहे हैं. जब गांवों में इस तरह के कार्यक्रम छोटी उम्र के बच्चे अपने मोबाइल पर देखते हैं, तो बलात्कार जैसी घृणित कृत्य की तादात बढ़नी तय है. तो जरुरत है कि जल्द से जल्द ऐसे कायक्रमों पर रोक लगायी जाए. इसके लिए सेंसरशिप बहुत जरुरी हो गयी है.

कोरोना के चलते आपकी शादी टल गयी. अब क्या योजना है?

-हम तो जल्द से जल्द शादी करना चाहते हैं. मगर जब तक वैक्सीन नहीं आती, तब तक तो सोच नही सकते. हमारे लिए जिम्मेदारी ज्यादा होती है कि हमारे यहां आने वाला कोई भी इंसान कोरोना संक्रमित न होने पाए. हमोर परिवार वाले मेहमानों की सूची कम नही कर सकते. जिसे नहीं बुलाएंगे, उसके लिए मुझे नही बल्कि मेरे माता पिता को गाली पड़ेगी.

कंगना रनौत के साथ आप फिल्म पंगा कर चुकी हैं. तो उन्हे नजदीक से समझा होगा?

-मैने उनके साथ काम किया, हम दोनों ही बहुत प्रोफेशनल हैं. हमने राजनीति पर कोई चर्चा नहीं की थी. वह बेहतरीन अदाकारा हैं.

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आपको सोशल मीडिया पर काफी ट्रोलिंग का सामना करना पड़ता है?

-यह ट्रोलिंग थोड़े ही है. कुछ लोग ट्रोलिंग करने के लिए ही नौकरी कर रहे हैं. इसलिए मैं ट्रोलिंग को गंभीरता से नहीं लेती. मुझे लगता है कि बेरोजगारी के वक्त में किसी का घर चल रहा है, तो अच्छी बात है. कुछ समय बाद जब उन्हें कहीं दूसरी जगह अच्छी नौकरी मिल जाती है, तो वह ट्रोलिंग वाली नौकरी छोड़़ देते हैं.

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