समझ में कम होना है बगावत के लक्षण – रितेश देशमुख

अच्छी कौमिक टाइमिंग और ह्यूमर के लिए पौपुलर रितेश देशमुख (Riteish Deshmukh) को हर कोई जानता है. राजनैतिक फैमिली से सम्बन्ध रखने वाले रितेश देशमुख (Riteish Deshmukh) एक्टिंग करियर में अपनी पहचान बना चुके हैं. एक्टिंग की दुनिया में ही उन्हें अपनी लाइफ पार्टनर जेनिलिया डिसूजा (Genelia Deshmukh) मिलीं, जिसके बाद उनकी लाइफ में नया मोड़ आया. हंसमुख और विनम्र रितेश देशमुख (Riteish Deshmukh) फिल्म ‘बागी 3’ (Baaghi 3) में एक अलग लुक में सामने आये हैं. पेश है उनसे बातचीत के कुछ अंश.

सवाल-इस लुक की वजह क्या है? क्या किसी फिल्म की तैयारी है?

नहीं,अभी कुछ सोचकर नहीं किया है. समय मिला इसलिए सिर के बाल मुड़वा लिए है. इस तरह की लुक आज से 12 साल पहले मैंने फिल्म ‘रण’ के लिए किया था और कई बार कुछ अलग करना अच्छा लगता है.

सवाल- फिल्म बागी-3 करने की वजह क्या है?

मैंने भाईयों की कहानी में कभी काम नहीं किया है, जिसमें खासकर भाई का प्यार ऐसा है कि वे किसी भी हद तक जा सकता है. वह मेरे लिए नया है. ऐसा अनुभव मुझे अपने परिवार से मिला है. इसलिए इसे करने में अच्छा भी लगा. इसके अलावा इस चरित्र से मैं अपने आपको जोड़ पाया, क्योंकि मेरे दो भाई है. हम तीनों भाई एक दूसरे के लिए किसी भी हद तक जा सकते है और इस इमोशन को मैं जन्म से जी रहा हूं. फिल्म में भी इसे करना मेरे लिए बहुत बड़ी बात है.

 

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#baaghi3 with my partners the lovely @shraddhakapoor & the hunk @tigerjackieshroff

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सवाल- आपने किसी दूसरे के साथ फ्रेंचाइजी नहीं किया है, इसे करने के लिए राजी कैसे हुए?

मैंने हमेशा से इंडस्ट्री के हर इन्सान के साथ काम करने की कोशिश की है, क्योंकि हर इंसान का नजरिया अलग-अलग होता है. मैं फिल्मों का फैन हूं. मैंने अमिताभ बच्चन, ऋषिकपूर, मिथुन चक्रवर्ती, जैकी श्रॉफ, अजय देवगन, अक्षय कुमार,सुनील शेट्टी आदि सभी के साथ फिल्में की है. मुझसे अलग जब भी मैं किसी के साथ काम करता हूं, तो उससे बहुत कुछ सीखने को मिलता है.

सवाल- अलग-अलग कलाकारों के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?

जब मैंने अमिताभ बच्चन के साथ काम किया, तो देखा कि उन्होंने कभी किसी सिंगल लाइन को भी नहीं बदला. जैसा स्क्रिप्ट उन्हें मिलता है उसी के अनुसार वे शांति से अभिनय करते है.ये सब बातें मैंने उनसे सीखी है. इसके अलावा अक्षय कुमार , सिद्धार्थ मल्होत्रा, विवेक ओबेरौय आदि सभी के साथ काम करने का अनुभव बहुत अलग-अलग था. किसी का काम के प्रति अधिक झुकाव तो किसी का शांति से अभिनय करना ये सब मेरे अनुभव है. टाइगर श्रौफ के काम के प्रति समर्पण को मैं बहुत मानता हूं. उसनें माइनस 7 डीग्री तापमान में बिना शर्ट के एक्शन किया है और मैं गरम कपडे पहनकर भी कांप रहा हूं. इससे ये दर्शाता है कि उनलोगों ने अपने माइंड और बौडी को कितनी अच्छी तरह से कंट्रोल किया हुआ है.

सवाल- आपने कॉमेडी, एक्शन, निगेटिव आदि हर तरह की फिल्में की है, किसमें काम करने में अधिक अच्छा लगा?

हर फिल्म में कुछ चीजे आसान तो कुछ मुश्किल होती है. कॉमेडी मैंने अधिक की है, इसलिए उसमें काम करना थोडा आसान होता है,लेकिन कुछ बदलाव होने पर उसे प्रैक्टिस करने की जरुरत होती है और ये हर तरह की फिल्मों के लिए होता है.

सवाल-आजकल बगावत की भावना यूथ में बहुत अधिक बढ़ चुकी है, हर जगह कुछ न कुछ लेकर बगावत चलती रहती है, इस बारें में आपकी सोच क्या है?

ये जानना बहुत मुश्किल है कि आज के यूथ को किस बात का प्रेशर है और वे ऐसा क्यों कर रहे है. टीवी पर जो दिखाई जाती है उसे हम सब देखते है, लेकिन पत्थर फेकने की वजह क्या है इसे समझना भी बहुत कठिन है. मेरे हिसाब से किसी भी तरह की हिंसा और तोड़-फोड़ करना गलत है. जो भी बगावत होती है वह किसी बात में सहमत न होने की वजह से होती है. मैंने अपने जीवन में कभी किसी बात के लिए बगावत इसलिए नहीं की, क्योंकि मैंने जो कहा उसे मेरे परिवार ने माना अगर नहीं मानते और मैं करता, तो वह बगावत होता. इसमें मैं इतना ही कहना चाहता हूं कि समझ में कम होने की वजह से आज पूरे देश में बगावत हो रही है. लोग एक दूसरे की बातों को समझ नहीं पा रहे है. इसलिए ये सड़कों पर दिखाई दे रही है.

सवाल- क्या इसके लिए सोशल मीडिया जिम्मेदार है?

पहले भी बगावत होता था. तब मीडिया के द्वारा एक दूसरे तक समाचार देर में पहुंचती थी. आज जो हो रहा है ये लोगों की ओपिनियन है, जिसे वे सोशल मीडिया के ज़रिये व्यक्त कर रहे है. ये सही और गलत दोनों ही हो सकता है. इसे मिल बैठकर सुलझाने की जरुरत है.

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सवाल- क्या जब पहली बार आपने जेनिलिया से शादी की बात कही तो बगावत नहीं हुई?

हुई, पर वह शादी के बाद हुई, जो धीरे-धीरे ख़त्म हो गयी.

 

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Happy Anniversary Baiko @geneliad

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सवाल- क्या आप अपने पिता की बायोपिक पर काम करना चाहते है?

बहुत लोगों ने इसे करने की कोशिश की और मेरे पास कई स्क्रिप्ट भी आई, पर ये आसान नहीं होता. मैं उनका बेटा हूं, इसलिए मेरे बनाने पर लोगों का कहना होगा कि मैंने सब अच्छा उनके बारें में दिखाया है, जबकि कोई और बनाए तो मुझे लगेगा कि उसने ठीक नहीं किया. किताब लिखना आसान है, पर सिनेमा बनाना मुश्किल होता है. कभी अगर सही स्क्रिप्ट आये तो सोच सकता हूं.

सवाल- पिता की कौन सी सीख को आप अपने और बच्चों के जीवन में उतारना चाहते है?

परिवार की एकता, संस्कृति और मूल्यों को उन्हें समझाना चाहता हूं और इसे मैंने भी फोलो किया है.

सवाल- आप निर्माता और एक्टर है, किसमें मेहनत अधिक लगती है?

सबसे अधिक मेहनत स्क्रिप्ट पर लगती है, वह सही नहीं होता तो फिल्म अच्छी नहीं बनती. इसके बाद फिल्म का निर्माण और अंत में पब्लिसिटी आती है. इसमें प्रोमो खास होता है. अच्छी फिल्म की प्रोमो सही नहीं होने पर फिल्म नहीं चलती.

सवाल- आगे की योजनाये क्या है?

मैं छत्रपति शिवाजी महाराज पर फिल्म बनाने की कोशिश कर रहा हूं. मैं इसे मराठी और हिंदी में बनाने की सोच रहा हूं.

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