Rituparna Sengupta : ऐक्ट्रैस शर्मिला टैगोर के साथ काम करने की खुशी अलग थी

Rituparna Sengupta : खूबसूरत, हंसमुख ऐक्ट्रैस व प्रोड्यूसर ऋतुपर्णा सेनगुप्ता से कोई अपरिचित नहीं. उन्होंने बांग्ला सिनेमा के अलावा हिंदी और तेलुगु फिल्मों में भी काम किया है. उन्हें बांग्ला फिल्म ‘दहन’ में दमदार अभिनय के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है.

इन दिनों ऋतुपर्णा ने शर्मिला टैगोर के साथ एक बांग्ला फिल्म ‘पुरातन’ प्रोड्यूस किया है, जिस में वे अभिनेत्री शर्मिला टैगोर की बेटी की भूमिका में हैं. आज के समय में मांबेटी के संबंधों पर बनी इस फिल्म को दर्शक काफी पसंद कर रहे हैं, क्योंकि यह अभिनेत्री शर्मिला टैगोर की अंतिम फिल्म है, जिस में उन्होंने मां की भूमिका को बहुत ही संजीदगी से निभाया है.

बता दें कि कोलकाता की ऋतुपर्णा को छोटी उम्र से ही गायन, नृत्य, चित्रकारी, हस्तशिल्प आदि में बहुत रुचि थी. उन्होंने बांग्ला फिल्म ‘स्वेत पाथोरेर’ से अपनी अभिनय कैरियर की शुरुआत की थी, लेकिन सफलता फिल्म ‘दहन’ से मिली, जिस में उन के ऐक्टिंग को आलोचकों ने सराहा.

ऋतुपर्णा एक प्रशिक्षित मणिपुरी और ओडिसी डांसर भी हैं. काम के दौरान उन्होंने एक कंपनी के सीईओ संजय चक्रवर्ती से शादी की और 2 बच्चों बेटा अंकन और बेटी रिशोना निया की मां बनी.

लिजैंड के साथ काम करना नहीं मुश्किल

ऋतुपर्णा ने  गृहशोभा से खास बात की और बताया कि फिल्म ‘पुरातन’ उन के लिए काफी महत्त्वपूर्ण है, जिसे सालों से करने की इच्छा थी. वे कहती हैं कि शर्मिला टैगोर को काफी सालों से एक बांग्ला फिल्म करने की इच्छा थी और मैं ऐसी कहानी ढूंढ़ रही थी। अंत में मुझे एक अच्छी कहानी मिली, मैं ने उन्हें सुनाई और वे राजी हो गईं. शर्मिला के साथ काम करना मुश्किल और आसान दोनों ही था, क्योंकि इतनी बड़ी अदाकारा अगर मेरे साथ काम कर रही हैं तो तनाव रहता है, लेकिन उन की खूबसूरत अदाएं और उन का व्यवहार बहुत अच्छा है और मेरे लिए उन का बहुत प्यार है.

उन्होंने मेरा काम सालों से देखा है और मेरे साथ काम करना चाही, यही मेरे लिए बड़ी बात रही. इस के निर्देशक सुमन घोष का स्क्रिप्ट बहुत ही सुंदर था, जिस में एक मांबेटी की कहानी को बताया गया है. इस फिल्म को करते हुए पूरी टीम एक परिवार की तरह बन गई थी.

शर्मिला टैगोर की अंतिम फिल्म

ऋतुपर्णा आगे कहती हैं कि कई बार मैं शर्मिला की ऐक्टिंग देख कर हैरान हो जाती थी कि 80 साल की उम्र में उन की अदाएं, उन की शालीनता और प्रतिभा आज भी मुझे उन से बहुत कुछ सीखने को प्रेरित करती है. उन का कमिटमैंट काम के प्रति बहुत अलग है. इस फिल्म को सभी का बहुत प्यार मिल रहा है. मेरे हिसाब से इमोशन की कोई भाषा नहीं होती, वह यूनिवर्सल होती है और आजकल लोग कोरियन, चाइनीज, फ्रांस आदि हर भाषा की फिल्में देख रहे हैं। इस में भी अंगरेजी में सबटाइटल है, जिसे सभी देख पा रहे हैं और पसंद कर रहे हैं.

इस फिल्म में मैं ने बांग्ला, हिंदी और अंगरेजी सभी भाषा में मिक्स्ड संवाद दिए हैं, ताकि अलगअलग भाषा के दर्शक इस फिल्म को देख सकें और यह उन की अंतिम फिल्म है, ऐसा शर्मिला ने खुद कहा है. आगे इसे कई भाषाओं में इस फिल्म की डबिंग की जा रही है.

आज की कहानी

इस फिल्म में ऋतुपर्णा ने कारपोरेट जगत की स्ट्रौंग बेटी की भूमिका निभाई है और शर्मिला उन की मां की भूमिका में हैं. जब कारपोरेट जगत की सफल स्त्री बन चुकी बेटी घर आती है और मां के बदलाव को समझ नहीं पाती और किनकिन परिस्थितियों से वह गुजरती है, उसे ही दिखाने की कोशिश की गई है.

असल में फिल्म का नाम ‘पुरातन’ है, लेकिन यह मौडर्न इमोशनल फिल्म है, जिस से लोग रिलेट कर पा रहे हैं और कह रहे हैं कि उन्होंने अपनी दादीनानी को ऐसा करते हुए देखा है. इतना ही नहीं पुराने दोस्त, रिश्ते आदि हर चीज को व्यक्ति संभाल कर रखना चाहते हैं, उस के लगाव को लोग हमेशा याद करते हैं.

यह सही है कि पुरानी चीजों को छोड़ना व्यक्ति नहीं चाहता, लेकिन समय के साथ उसे छोड़ कर आगे निकलना पड़ता है. यही वजह है कि फिल्म में बेटी और और मां के बीच मनमुटाव चलता रहता है, जो अंत में एक अंजाम तक पहुंचती है.

प्रियंका चोपड़ा से प्रेरित

एक नामचीन ऐक्ट्रैस से ऋतुपर्णा अब निर्माता बन चुकी हैं, इस की वजह के बारे में पूछने पर वे बताती हैं कि मैं अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा से बहुत अधिक प्रेरित हूं, उन्होंने अभिनय के अलावा कई अच्छीअच्छी रिजनल फिल्में प्रोड्यूस की हैं. ऐसा हर अभिनेत्री को करना चाहिए, अगर किसी अभिनेत्री को कुछ अच्छा विषय प्रोड्यूस करने को मिले, तो उस की अथौरिटी ले कर उस कहानी को कहने से पीछे नहीं हटना चाहिए. फिल्म का निर्माण आसान नहीं होता, एक बड़ी टीम इस में मेरे साथ काम करती है और मैं ने खुद को कभी प्रोड्यूसर नहीं समझा. मेरी टीम सारा काम करती है, मैं फिल्म को लोगों तक पहुंचाने और क्रिएटिव औस्पैक्ट पर ध्यान केंद्रित करती हूं. इस के अलावा प्रोडक्शन के लिए सही कंटेंट को चुनना मेरा काम होता है.

लोग करते हैं निराश

वे कहती हैं कि एक महिला का प्रोड्यूसर बनना कठिन होता है, क्योंकि लोग आप को निराश करते हैं, मसलन मार्केट में कई प्लेयर्स हैं, जो आप को आगे आने नहीं देंगे, आप इन सब चीजों को कैसे हैंडल करोगी, आदि कहते रहते हैं, लेकिन अगर आप में जनून है, तो आप सब सुनते हुए भी फिल्म का निर्माण कर लेंगी.

मैं ने ऐक्टिंग और प्रोडक्शन दोनों किए हैं, लेकिन ऐक्टिंग काफी कठिन है, क्योंकि किसी भी नई भूमिका को अच्छी तरह पेश करने की चिंता हमेशा मुझे आज भी रहती है. यह सही है कि प्रोडक्शन की बारीकियों को मैं अधिक समझ नहीं पाती, नंबर्स पर मेरा ध्यान नहीं जाता, कैलकुलेशन अधिक नहीं समझती, इसलिए मेरे पति भी मुझे कैलकुलेशन में कमजोर कहते हैं, क्योंकि मैं क्रिएटिव पर्सन हूं और उस पर अधिक ध्यान दे पाती हूं.

सहज ऐक्टिंग है खासियत

ऋतुपर्णा कहती हैं कि आगे भी मैं ऐसी कहानियां कहती रहूंगी. आगे मेरी एक हिंदी फिल्म ‘इत्तर’ रिलीज पर है, जिस में मैं ने दीपक तिजोरी के साथ काफी सालों बाद काम किया है.

सहज ऐक्टिंग करना मेरे लिए बहुत जरूरी है, क्योंकि मैं मैथड ऐक्टिंग सीखी नहीं हूं, न तो किसी ऐक्टिंग स्कूल में गई और न ही किसी ग्रूमिंग क्लास में गई हूं। यह मेरा सैट पर जाते ही निर्दशक के अनुसार खुदबखुद हो जाता है. ऐसी ऐक्टिंग में कोई मैथड नहीं होता और नैचुरली अभिनय करती हूं. इस के लिए मुझे बहुत मेहनत आज भी करनी पड़ती है और रोज मैं कुछ नया सीख रही हूं. चुनौतीपूर्ण अभिनय मुझे हमेशा पसंद है.

अभिनय था इत्तफाक

ऋतुपर्णा का अभिनय में आना एक इत्तफाक रहा है। वे कहती हैं कि मेरे एक दोस्त मेरी पिक्चर ले कर अपने भाई के पास गई, जो एक बांग्ला टीवी सीरीज बना रहे थे। उन्होंने मेरी तसवीर देखी और मुझे उस में कास्ट कर लिया। मैं ने 19 साल की उम्र से ही अभिनय शुरू कर दिया था. मैं ने काम बहुत किए हैं और अभी भी कर रही हूं, लेकिन ऐसी कई भूमिकाएं और कंटेंट हैं, जिन्हें ऐक्स्प्लोर करना है, जो मेरे लिए काफी चुनौती होगी.

हर अच्छी फिल्म को मिलते हैं दर्शक

आज की फिल्मों को ले कर ऋतुपर्णा का कहना है कि आज हर तरीके की फिल्में बन रही है और यह अच्छी बात है, क्योंकि हर तरीके के दर्शक आज हैं. मुझे आर्ट और कमर्शियल दोनों तरीके की सिनेमा पसंद है. रीजनल फिल्मों की बात करें तो साउथ की फिल्में, अमेरिकन फिल्म्स, फ्रेंच फिल्म्स आदि सभी बहुत पसंद हैं, क्योंकि हर देश की अपनी एक अलग कहानी होती है, जिसे देखना और जानना अच्छा लगता है. इतना ही नहीं मैं इंटरनैशनल फिल्म्स भी करने की इच्छा रखती हूं.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें