मूर्तियों की गुलामी आखिर कब तक

जो लोग बड़े खुश हो रहे थे कि औरतों की हमदर्दी की आड़ में उन्होंने मुसलमानों का तीन तलाक का हक सुप्रीम कोर्ट से छिनवा कर किला फतह कर लिया, उन्हें अब गहरा सदमा हो रहा है कि उन की चहेती उसी सुप्रीम कोर्ट ने केरल के सबरीमाला मंदिर में औरतों के प्रवेश को खुली छूट दिलवा दी. औरतों का सबरीमाला मंदिर में प्रवेश इसलिए वर्जित था कि वहां का देवता अविवाहित था और उस को रजस्वला औरतों को देख कर कुछकुछ होने न लगे इसलिए औरतों को जाने ही न दो.

कहानी जो भी हो पर सच तो यह है कि इस तरह के रीतिरिवाज औरतों को यह जताने को लागू किए जाते रहे हैं कि वे कमजोर हैं, कोमल हैं, पुरुषों पर आश्रित हैं और एक तरह से गुलाम हैं.

कभी इसी केरल में दलित औरतों को वक्ष दिखाने पर मजबूर किया जाता था, क्योंकि यह बताना था कि औरत, खासतौर पर दलित कमजोरों में कमजोर है और उस का अपना बदन अपना नहीं है दूसरों की कृपा पर है.

अब सबरीमाला में प्रवेश को ले कर कट्टरपंथी और उदारपंथी आमनेसामने हैं. सुप्रीम कोर्ट ने चूंकि अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की सहमति दे दी है, लिहाजा राज्य सरकार किसी भी कीमत पर यह फैसला लागू करने को तैयार नहीं.

वैसे सुप्रीम कोर्ट कई देशों में कई मामलों में धर्म की हठ के आगे नहीं झुकी है. पिछला फैसला बिलकुल सही है. इसे लागू करना कठिन होगा पर यदि कट्टरपंथी औरतों को रोकें तो राज्य सरकार को कानून व्यवस्था का हवाला दे कर हरेक की, पुरुषों की भी ऐंट्री बंद कर देनी चाहिए.

असल में तो धर्म का धंधा इस देश की जड़ में लगा घुन है. यह देश को बुरी तरह खा रहा है. लगता है कि हम जी ही रहे हैं धर्म की खातिर. धर्म हमें सही मार्ग नहीं दिखाता, सही नियंत्रित नहीं करता, हमें गुलाम बना कर रखता है.

सबरीमाला में जाने के नाम पर जिस तरह के कपड़े पहनने पड़ते हैं, जिस तरह के अनुष्ठान करने पड़ते हैं, जिस तरह पैदल चलना पड़ता है, जिस तरह की गंद फैलाई जाती है, सब साफ  करता है कि धर्म जिंदा रहे इसलिए भक्त जिंदा है.

इस तरह के मंदिर जो भेदभाव और आम भक्त को कंट्रोल करते हैं, असल में बंद ही रहने चाहिए. वैसे सभी धर्म एक जैसे हैं, जो भक्तों

को लूटते हैं, मरवाते हैं पर हिंदू धर्म तो सैकड़ोंहजारों देवीदेवताओं की फौज के साथ पूरे देश पर शासन करता है. हमें 1947 में कोई आजादी नहीं मिली. हम गोरे राजाओं के चंगुल से निकल कर मूर्ति राजाओं के हाथों में फंस गए हैं.

औरतों का दुरुपयोग धर्म की देन

जिस तरह से सैक्सुअल हैरेसमैंट के आरोप देशभर में लगाए जाने लगे हैं, उस से साफ है कि यहां सारी शिक्षा, सादगी, सतकर्मों के व्याख्यानों, पूजापाठ के ढकोसलों के बावजूद मर्द आज भी मर्द हैं और उन की निगाहों में लड़कियां और औरतें सिर्फ और सिर्फ उन के इशारों पर चलने वाली सैक्सी गुडि़याएं हैं, और कुछ नहीं.

हर सुंदर, आकर्षक, बोल्ड, सफल युवती के साथ यह चैलेंज रहता है कि वह अपनी सफलता पर गर्व करे या नहीं, क्योंकि चाहेअनचाहे उसे तरहतरह के कंप्रोमाइज करने होते हैं. आज स्थिति यह है कि वह समझ नहीं पाती कि उस का सैक्स पार्टनर उस से वास्तव में प्रेम करता है या सिर्फ अपनी मर्दानगी और ओहदे का उपयोग कर रहा है. जिसे वह प्यार व समर्पण समझती है हो सकता है केवल नकली हो और पुरुष नाना पाटेकर या आलोक नाथ की तरह हो सकता है जो ऐक्टिंग में सहायता देने के बहाने सैक्सुअल टैस्टिंग कर रहा हो.

औरतों ने शरीर की कीमत सदियों से दी है. धर्म का पूरा ढांचा ही औरतों की टांगों के बीच पर टिका है और यह केवल हिंदू धर्म में ही नहीं है, लगभग हर धर्म में है कि औरतों को सैक्स गुलाम बनाने के कुछ स्पष्ट तो कुछ अस्पष्ट नियमकानून व रिवाज बनाए गए हैं.

हर धर्म कौमार्य के गुणगान गाता है पर पुरुष के नहीं केवल स्त्री के. विधवा विवाह ज्यादातर धर्मों में हिकारत से देखा जाता है. हिंदू धर्म तो इजाजत ही नहीं देता, इसलाम और क्रिश्चियनिटी में भी आसान नहीं रहा है. पुरुष को कभी भी अनब्याहियों की कमी नहीं रही है.

जो औरतें घर से बाहर निकल कर पिता, पति या खुद के कारणों से किसी तरह सफल हो पाई हैं उन्हें भी हर तरह की आफत सहनी पड़ी है और कई बार तो खुद उन के बेटों ने ही उन का दुरुपयोग किया है. पुरुष अपनी मरजी से किसी को भी जब चाहे छू ले, उठा ले, बिस्तर पर ले जाए पर बदनाम औरत होगी, पुरुष नहीं. औरतों के लिए तनुश्री दत्ता और कंगना राणावत की तरह शिकायत करना भी कठिन रहा है.

यह सामाजिक ढांचा कानून की देन नहीं है, धर्म की देन है. कठिनाई यह है कि जो ‘मीटू’ आंदोलन दुनियाभर में चल रहा है इस में भी धर्म को छूने की हिम्मत नहीं हो रही. मीडिया ट्रायल ही औरतों का अकेला अधिकार बना हुआ है और उसी के बल पर अदालतों का कुछ साथ मिल रहा है.

वास्तव में इन नियमों को लागू करने में धर्म का ही हाथ है और उसे औरतें छूने तक की हिम्मत नहीं कर पा रहीं. यह ‘मीटू’ आंदोलन फुस्स पटाखा साबित होगा पक्का है.

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