REVIEW: जानें कैसी है साइंस फिक्शन पर बनी वेब सीरीज ‘जे एल 50’

 रेटिंग: साढ़े तीन स्टार

निर्माताः रितिका आनंद

लेखक व निर्देशकः शैलेंद्र व्यास

कलाकार: अभय देओल, पंकज कपूर,  राजेश शर्मा, पीयूष मिश्रा,  ऋतिका आनंद, अमृता चट्टोपाध्याय, रोहित बासफोड़े व अन्य.

अवधिः दो घंटे 23 मिनट , 32 से 43 मिनट के चार एपीसोड

ओटीटी प्लेटफार्म: सोनी लिव

इन दिनों ओटीटी प्लेटफार्म प ‘‘टाइम ट्रेवल’’ की पृष्ठभूमि पर कुछ वेब सीरीज बन रही हैं. पंद्रह दिन पहले एक ओटीटी प्लेटफार्म पर ‘टाइम ट्रेवल‘की पृष्ठभूमि पर एक अति घटिया वेब सीरीज ‘‘भंवर’’ का प्रसारण हुआ था, अब निर्माता रितिका आनंद और लेखक व निर्देशक शैंलेंद्र व्यास भी ‘‘टाइम ट्रेवल’’पर एक रहस्य प्रधान साइंस फिक्शन वेब सीरीज ‘‘जे एल 50’’लेकर आए हैं, जो कि ‘‘भंवर’’ के मुकाबले कई गुना बेहतरीन व तार्किक वेब सीरीज है. वेब सीरीज ‘‘जे एल 50’’ को 4 सितंबर से ओटीटी प्लेटफार्म ‘‘सोनी लिव’’ पर देखा जा सकता है.

कहानीः

वेब सीरीज ‘‘जे एल 50’’ की कहानी शुरू होती है उत्तरी बंगाल के लावा क्षेत्र से, जहां एक बड़े मैदान के अंदर कुछ बच्चे फुटबाल खेल रहे हैं. तभी उपर से एक हवाई जहाज गुजरता है. कुछ देर बाद कलकत्ता से खबर आती है कि वायुयान ‘‘ए ओ 26’’फ्लाइट गायब हो गयी है, जिसमें 40 यात्री और आठ अति महत्वपूर्ण डेलीगेट्स मौजूद हैं. मामला बहुत संजीदा होता है. इसलिए सरकार इस वायुयान की तलाश की जिम्मेदारी सीबीआई को सौंप देती है. सीबीआई अफसर शांतनु (अभय देओल) अपने सहयोगी अफसर गोरंगो (राजेश शर्मा ) के संग जांच में जुट जाते हैं. तभी खबर मिलती है कि लावा से कुछ दूर चीन सीमा के करीब एक जहाज क्रैष/ दुर्घटनाग्रस्त हुआ है. शांतनु और गौरंग वहां पहुंचते हैं. सैनिक छावनी में एक सैनिक बताता है कि यह जहाज ‘जे एल 50’है, जो कि एक सप्ताह पहले ही क्रैष हुआ था. इसमें कोई जीवित नही बचा, केवल एक महिला पायलट बीहू घोष(रितिका आनंद)  और एक अन्य इंसान ( पियूष मिश्रा)  ही जिंदा है, जो कि अस्पताल में है. अब रहस्य गहरा जाता है, क्योंकि वायुयान ‘‘जे एल 50’’ तो 35 वर्ष पहले गायब हुआ था.

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ऐसे में सवाल उठा कि 35 वर्ष तक यह वायुयान/ जहाज किसके कब्जे में और कहां पर था? शांतनु व गौरंगो अपनी जांच जारी रखते हैं. शांतनु जांच करते करते कलकत्ता साइंस रिसर्च सेंटर के प्रोफेसर दास(पंकज कपूर) से मिलते हैं, जो कि फिजिक्स/भौतिक शास्त्र के प्रोफेसर हैं और उनकी राय में यह कहना गलत है कि ‘समय अपनी गति से भागता है, उसे कोई पकड़ नहीं सकता. ’पूछताछ में प्रोफेसर दास बताते हैं कि उन्हे फोेबिया है, इसलिए 35 वर्ष पहले उन्होने ‘‘जे एल 50’’ से हवाई यात्रा करने की टिकट खरीदी जरुर थी, पर उन्होने यात्रा नही की थी. इधर वायुयान ‘‘ए ओ 26’’ को सकुषल वापस देने के बदले ‘‘आजाद बांगला एसोएिशन’’द्वारा मजुमदार की रिहाई की मांग की जाती है, जो कि 35 वर्षों से जेल में हैं. शांतनु की जांच जितनी आगे बढ़ती है, उतना ही रहस्य गहराता जाता है. कई रोचक व रोमांचक घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं. अंततः शांतनु सच पता लगाने में सफल होते हैं, पर इस सच से वह भी भौचक्के रह जाते हैं.

लेखन व निर्देशनः

लेखक व निर्देशक शैलेंद्र व्यास ने काफी शोध करके ‘टाइम ट्रेवल’पर रहस्य प्रधान वेब सीरीज ‘‘जे एल 50’’की पटकथा लिखी है. इसमें उन्होने फिजिक्स/भौतिक शास्त्र के फार्मूले, टाइम ट्रेवल को लेकर चल रहे ‘‘प्रोजेक्ट ए’’ के साथ ही सदियों पुरानी नौ किताबों का जिक्र करते हुए 35 वर्ष पहले गायब हुए वाययुान ‘जे एल 50’के क्रैश होने के रहस्य को सुलझाने के साथ ही ‘‘ए ओ 26’’को क्रैष होने से भी बचाते हैं. पहले दृश्य से ही रहस्य गहराता जाता है, चैथे एपीसोड की शुरूआत में दर्शक अंदाजा लगाता है कि शायद यह इंसान हो सकता है. पर अंत में कहानी में जो मोड़ आता है, उससे दर्शक भी भौचक्का रह जाता है. यह लेखक व निर्देशक की कुशलता ही है. वेब सीरीज में 1984 के कालखंड को बहुत ही सही ढंग से रचा गया है. मगर पर्दे पर गलती से 1982 लिखा गया है. कुछ किरदारों को गहराई सेे नहीं पेश किया गया है शायद इसकी वजह यह हो सकती है की पूरी सीरीज की लंबाई कम है.

वैसे शैंलेद्र व्यास का यह पहला काम नहीं है. 2014 में विचारोत्तेजक फिल्म ‘‘थ्री कलर्स एंड ए कैनवास’’का भी लेखन व निर्देशन कर उन्होने हंगामा बरपाया था. इसके बाद 2016 में वह फिल्म ‘‘पालकी’’लेकर आए थे.

अभिनयः

कलकत्ता साइंस रिसर्च सेंटर में भौतिक शास्त्र के प्रोफेसर दास के किरदार में पंकज कपूर ने बहुत ही सहज अभिनय किया है. उनके किरदार में कई लेअर हैं और  दर्शक उनके अभिनय से इतना अभिभूत हो जाता है कि वह उसे ही सच मान बैठता है. उनका सहमा सहमा सा अभिनय दर्शकों को सोचने पर मजबूर करता रहता है. सीबीआई अफसर शांतनु के किरदार में अभय देओल ने काफी सधा हुआ शानदार अभिनय किया है. वह एकदम ठंडे दिमाग से सच तक पहुंचते हैं. राजेश शर्मा ने भी उत्कृष्ट अभिनय किया है. बिहू घोष के किरदार में रितिका आनंद जरुर याद रह जाती हैं. वह इससे पहले शैंलेंद्र व्यास के निर्देशन में फिल्म ‘‘थ्री कलर्स एंड ए कैनवास’’के अलावा ‘‘पालकी’’में अभिनय कर चुकी हैं. फिल्म ‘‘पालकी’’में तो रितिका आनंद ने शीर्ष भूमिका निभायी थी. फिल्म दर फिल्म उनके अभिनय में निखार ही आता जा रहा है. पियूष मिश्रा ने भी ठीक ठाक अभिनय किया है.

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