जानें क्या है सीजनल इफेक्टिव डिसओर्डर  

क्या आप सैड यानि सीजनल इफेक्टिव डिसओर्डर के बारे में जानते हैं. जिसे मूड डिसओर्डर के रूप में भी जाना जाता है. जो हर साल एक विशिष्ट समय पर यानि आमतौर पर सर्दियों में ही होता है. जिसे विंटर ब्लूज भी कहते हैं. ये मौसम में आए बदलाव के कारण ही होता है. इसमें प्रभावित व्यक्ति डिप्रेशन, उदासी, नेगेटिव विचारों से घिरना , चिड़चिड़ापन, अत्यधिक थकान , शुगर क्रेविंग्स, रोजमर्रा के कार्यों में दिलचस्पी न लेना, लोगों से बेवजह खुद ब खुद दूरी बनाने लगता है. जिसके कारण वह अंदर ही अंदर इतना परेशान होने लगता है कि उसे समझ ही नहीं आता कि उसके साथ ऐसा क्यों हो रहा है. ऐसे में इस परेशानी की वजह को जानकर इससे समय रहते बाहर निकलना बहुत जरूरी होता है. ताकि व्यक्ति सामान्य जीवन जी सके. तो आइए जानते हैं कैसे-

कैसे पहचाने 

हर समय उदास रहना 

अकसर लोग मौसम में आए बदलाव के बाद जीवन में खुशी का अनुभव करने लगते हैं. सर्दी , गर्मी व मानसून सीजन आते ही वे खुशी से झूम उठते हैं. क्योंकि नई चीज , नया मौसम शरीर में हैप्पी होर्मोन को बढ़ावा देने का काम जो करता है. लेकिन खासकर सर्दियों में जब शरीर को सूर्य की रोशनी नहीं मिल पाती है तो उसे अपनी जिंदगी में अंधेरा , निराशा लगने लगती है. क्योंकि हमारी  किरकाडीएन rhythm का काफी हद तक कंट्रोल सूर्य की रोशनी से जुड़ा होता है. जो हममें खुशी व उदासी जैसे भावों के लिए जिम्मेदार माना जाता है. और इसकी कमी से व्यक्ति खुद को हमेशा उदास उदास  सा फील करने लगता है.

नेगेटिव सोचना 

शरीर में सारा खेल  हार्मोन्स का ही होता है. और जब इन होर्मोन्स में किसी वजह से गड़बड़ी होनी शुरू हो जाती है तो शरीर प्रोपर ढंग से कार्य करने में असमर्थ हो जाता है. ऐसे ही जब शरीर को सूर्य की रोशनी नहीं मिल पाती है तो शरीर में हैप्पी हार्मोन्स के स्तर  में कमी आने लगती है, जो न तो हमें खुश रहने देती है और फिर इसकी वजह से ही हम हर चीज को नेगेटिव नजरिए से देखना शुरू कर देते हैं , जो हमें परेशान करने का काम करती है.

हर काम से मन हटना 

जिस काम को अभी तक हम पूरे मन व लगन से करते थे, लेकिन धीरेधीरे उन चीजों से भी इंटरेस्ट हटना शुरू हो जाता है. ऐसा अकसर शरीर को पर्याप्त रोशनी नहीं मिलने की वजह से होता है. क्योंकि शरीर में विटामिन डी की कमी हमारी हड्डियों को कमजोर बनाने के साथ हमारे एनर्जी लेवल में भी कमी लाती है, जिसकी वजह से हमारा काम से मन हटने लगता है.

शुगर क्रेविंग जब शरीर को प्रोपर सनलाइट नहीं मिल पाती है , तो उससे मेलाटोनिन का लेवल बढ़ता है, जो हमें स्लीपी फील करवाने का काम करता है , तो वहीं सेरोटोनिन के लेवल में गिरावट आने से हमारे मूड पर प्रभाव पड़ने के साथ ये हमारी भूख को बढ़ाने का काम करता है. और ऐसे समय में हम हाई कार्ब्स फूड को ही खाने की इच्छा रखते हैं. जो हमारे वजन व हमारी हैल्थ को भी बिगाड़ने का काम करता है.

लोगों से दूरी बना लेना 

जब शरीर में हैप्पी हार्मोन्स के स्तर में कमी आती है और जिसकी वजह से हम खुद को उदास व नेगेटिव विचारों से घिरा हुआ पाते हैं तो हमें अपने आसपास लोग अच्छे नहीं लगते हैं. हम खुद ही लोगों से दूरी बनाने लग जाते हैं. हम उनकी हर बात को नेगेटिव नजरिए से देखते हैं , जो हमें खुद को लोगों से दूर रखने का काम करता है.

क्या हैं कारण 

किरकाडीएन rhythm – पर्याप्त मात्रा में सूर्य की रोशनी नहीं मिलने से व्यक्ति उदास जैसा फील करने लगता है. ऐसा अकसर  किरकाडीएन rhythm के कारण होता है, जो शरीर में नेचुरल व आतंरिक प्रक्रिया होती है, जो हमारे सोने व उठने के साइकिल को रेगुलेट करने का काम करती है. ये प्रक्रिया लगभग हर 24 घंटे में रिपीट होती है. और जब शरीर को पर्याप्त मात्रा में  सूर्य की रोशनी नहीं मिल पाती है , तो हमारी नींद प्रभावित होने के साथ हमारे मूड पर भी उसका सीधा असर पड़ता है, जो उदासी का एक बड़ा कारण बनता है.

सेरोटोनिन लेवल सन एक्सपोज़र शरीर में सेरोटोनिन के लेवल को रेगुलेट करने में मदद करता है, जिसे खुशी देने वाले होर्मोन के नाम से भी जानते हैं. साथ ही सन एक्सपोज़र की कमी से शरीर में विटामिन डी की भी कमी होने लगती है, जो सीधे तौर पर हमारे में उदासी व हमारे मूड को प्रभावित करने का काम करती है. इससे व्यक्ति ज्यादा नेगेटिव सोचना शुरू कर देता है, जो उसे डिप्रेशन की ओर धकेलने का काम करता है.

मेलाटोनिन लेवल मौसम में आए बदलाव के कारण  शरीर में मेलाटोनिन का लेवल प्रभावित होने के कारण हमारी नींद, मूड और हमारी ओवरआल परफोर्मन्स प्रभावित होती है. क्योंकि मेलाटोनिन होर्मोन हमारी नींद को सुचारू बनाने के लिए जिम्मेदार माना जाता है. लेकिन जब सर्दियों में सूर्य की पर्याप्त रोशनी नहीं मिलने के कारण यानि अकसर पूरे दिन बादल छाए रहने के कारण शरीर में मेलाटोनिन का उत्पादन काफी ज्यादा होने लगता है, तो पूरे दिन नींद आने के साथ हम कार्यों के प्रति इनएक्टिव होने लगते हैं , जो हमारी प्रोडक्टिविटी पर प्रभाव डालने का काम करती है.

क्या है समाधान 

नेचुरल लाइट  सैड यानि सीजनल इफेक्टिव डिसओर्डर से निबटने के लिए जितना संभव हो सके नेचुरल लाइट के संपर्क में रहें. इसके लिए सर्दियों में आप घर को धूप के समय खोलकर रखें, ताकि जितनी भी नेचुरल लाइट घर में आ सके आ पाएं. साथ ही कोशिश करें कि आप नेचुरल लाइट यानि सन एक्सपोज़र के लिए थोड़ी देर धूप में जरूर जाएं , ताकि आप सीजनल   इफेक्टिव  डिसओर्डर से खुद को दूर करने में कामयाब हो सकें.

अवोइड कार्ब्स अनेक रिसर्च के अनुसार, जो भी लोग  सीजनल  इफेक्टिव  डिसओर्डर की समस्या को फेस कर रहे होते हैं , उन लोगों में शुगर व कार्ब रिच फूड खाने की क्रेविंग ज्यादा बढ़ती हैं. इसलिए जरूरी है हैल्दी डाइट से खुद को अधिक ऊर्जावान बनाने के लिए.  विटामिन डी सप्लीमेंट भी इस तरह के डिप्रेशन से लड़ने में सहायक साबित होता है. इसलिए अच्छा खाकर आप खुद को हैल्दी रखें.

एक्टिव रहें   सीजनल इफेक्टिव डिसओर्डर के लिए हमारे आलस व थकान को भी जिम्मेदार माना जाता है. इसलिए अपने एनर्जी लेवल को बूस्ट करने व मूड को ठीक करने के लिए फिजिकल एक्टिविटी को रेगुलर अपने रूटीन में शामिल करना जरूरी है.  विंटर्स में घर में ही न रहें बल्कि कवर करके बाहर भी निकलें और मौसम का मजा लेते हुए खुद को अच्छा फील करवाएं. इससे आप काफी हद तक खुद को  सीजनल  इफेक्टिव  डिसओर्डर से दूर रख सकते हैं.

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