Mother’s Day Special: जब बन रही हों दूसरी मां

दूसरी शादी का मतलब सौतेली मां बनना भी है. सौतेली मां शब्द के साथ जुड़ी है, एक नकारात्मक छवि. स्त्री जितने भी प्रयास कर ले, खुद को इस छवि से मुक्त कराना उस के लिए आसान नहीं होता. नई मां को बच्चे दुश्मन के रूप में देखते हैं. ऐसा करने में उन की सगी मां (यदि जिंदा है) और मृत है तो रिश्तेदार चिनगारी छोड़ने का काम करते हैं. उसे ताने दिए जाते हैं. रहरह कर याद दिलाया जाता है कि बच्चे उस के अपने नहीं हैं. घरपरिवार के लिए लाख त्याग करने के बावजूद उसे सराहना नहीं मिलती. बच्चों के कारण पति के साथ उसे पूरी प्राइवेसी भी नहीं मिल पाती. लोगों की सहानुभूति भी सदैव बच्चों के साथ ही होती है. ऐसी महिला की मन:स्थिति कोई नहीं समझता.

बदलता ट्रैंड

चुनौतियां कितनी भी हों, आज बहुत सी लड़कियां अपनी मरजी से विवाहित पुरुषों से शादी कर रही हैं. वैसे भी आजकल कैरिअर की वजह से बड़ी उम्र में शादी करने का रिवाज चल पड़ा है. इस के अलावा दहेज या तलाक भी दूसरी शादी की वजह बन सकता है. कई बार प्रेम में पड़ कर लड़कियां शादीशुदा पुरुषों को जीवनसाथी चुनती हैं. बात जो भी हो, सौतेली मां की भूमिका अपनेआप में काफी चुनौतीपूर्ण है. इसे सफलतापूर्वक स्वीकार करने के लिए जरूरी है कुछ बातों का ध्यान रखना:

जरूर कर लें छानबीन

समस्याओं से बचने और अच्छा रिश्ता बनाने के लिए पहले से उस परिवार के बारे में छानबीन करें.

यह पता करें कि पहली पत्नी से अलगाव की वजह क्या थी. तलाक, मौत या कोई और वजह? तलाक हुआ तो क्यों और यदि मौत हुई तो कैसे?

पति से पूछें कि पुरानी पत्नी का स्वभाव कैसा था? बच्चों को किस तरह रहने की आदत है? उन्हें कौन सी बातें अच्छी लगती हैं? किन बातों से भय लगता है वगैरह.

नए घर के तौरतरीकों और रीतिरिवाजों की जानकारी पहले से लें.

बच्चों से मिलें

बच्चों के साथ समय बिताएं, उन की कमियों, समस्याओं, गुणअवगुणों को जानने का प्रयास करें. उन की मानसिक स्थिति और उन्हें सुकून देने वाली बातों को समझें. उन से दोस्ताना व्यवहार रखें ताकि शादी के बाद वे आसानी से आप को अपना लें.

मैरिज काउंसलर, कमल खुराना कहते हैं, ‘‘सौतेली मां के रूप में घर में ऐडजस्ट करना कितना कठिन होगा, यह काफी हद तक इस बात पर भी निर्भर करता है कि बच्चा कितना बड़ा है. छोटे बच्चे सिर्फ प्यारदुलार की भाषा समझते हैं और आसानी से नई मां को अपना लेते हैं, पर कुछ बड़े हो चुके बच्चे या टीनएजर्स के लिए जीवन में आए इनबदलावों को स्वीकार करना उतना आसान नहीं होता. उन का संवेदनशील मन रिश्तों के नए समीकरण समझने में वक्त लेता है. उन के दिल पर पुरानी मां की यादें पूरी तरह हावी रहती हैं. ऐसी परिस्थिति में जरूरी है कि आप बच्चे को मानसिक रूप से तैयार होने के लिए वक्त दें और उस की सहमति मिलने के बाद ही शादी करें.’’ सौतेली मां बनने के बाद आप को सम्मान मिले, इस के लिए जरूरी है कि पहले दिन से ही आप घर में अनुशासन और एकदूसरे के प्र्रति सम्मान की भावना डेवलप करें. आप बड़ों को सम्मान दें, बच्चों के साथ अच्छा व्यवहार करें, तभी बदले में आप वैसे ही व्यवहार की आशा कर सकती हैं.

आपसी समझ मजबूत करें :

शादी के बाद सब से महत्त्वपूर्ण है बच्चे के साथ आपसी समझ मजबूत करना. हंसीमजाक का माहौल बनाए रखें. यदि उन्होंने आप से अपनी कोई बात शेयर की है और पापा को न बताने का आग्रह किया है, तो वादा कर के निभाएं जरूर.

धैर्य जरूरी :

जिंदगी संघर्ष का नाम है. फिर आप जिस रिश्ते को निभा रही हैं, उस की तो बुनियाद ही समझौते से जुड़ी है, इसलिए अपना मनोबल कभी नीचा न होने दें. बच्चों द्वारा दिखाई जा रही उपेक्षा को व्यक्तिगततौर पर न लें.

मानसिकता समझें :

मैरिज काउंसलर कमल खुराना कहते हैं, ‘‘किसी टेढ़ी या अजीब परिस्थिति में बच्चे की प्रतिक्रिया देख कर बच्चे की सोच समझी जा सकती है. यदि वह उद्दंड या रूखा व्यवहार करता है तो जरूरी है कि आप उस के हृदय की गहराइयों में झांकें और वजह जानने का प्रयास करें, न कि बच्चे को अपशब्द कहें, आवेश में कभी भी बच्चे को डांटने या सौतेला कह कर दुत्कारने से आप दोनों के रिश्ते में गहरी दरार आ सकती है. इसलिए बच्चे के साथ व्यवहार करते वक्त उस की मानसिक स्थिति को ध्यान में रखें. तभी आप उस के दिल में जगह बना सकेंगी.’’

क्या न करें

बच्चों की सगी मां बनने का प्रयास न करें और न ही उस की जगह लेने की बात सोचें. अपनी अलग जगह बनाएं.

बच्चों के सामने उन की मां के लिए बुराभला न कहें और न ईर्ष्या रखें.

अपने बच्चे हैं तो उन से सौतेले बच्चों की तुलना करने या अपने बच्चों को ज्यादा महत्त्व देने से बचें.

कभी भी अपना निर्णय बच्चों पर थोपने का प्रयत्न न करें.

यदि पति और बच्चे पुरानी मां से मिलते हैं तो आप गुस्सा न करें.

बच्चों के चक्कर में पति की उपेक्षा न करें.

यह न सोचें कि मेरा सौतेला बच्चा कभी भी मुझे प्यार नहीं करेगा. शुरुआत में संभव है वह आप से नफरत करे पर वक्त के साथ सब बदल जाता है.

भ्रांतियां और उन की असलियतें

भ्रांति : सौतेली मां बच्चे के प्रति कठोर होती है.

असलियत : जहां तक अनुशासन की बात है, सौतेली मां तुलनात्मक रूप से कम कठोर होती है. वह बच्चे के साथ उदार रवैया रखती है ताकि बच्चा उस से घुलमिल सके.

भ्रांति :  सौतेली मां हो या बाप, निभाना एक सा कठिन होता है.

असलियत : यह सच नहीं है. दरअसल सौतेली मां को सौतेले बाप से ज्यादा परेशानियां झेलनी पड़ती हैं. बच्चों के दिमाग में और समाज में भी सौतेली मां की छवि दुष्ट महिला के रूप में अंकित है. ऐसे में उसे बच्चों की तरफ से ज्यादा रूखा और विरोधपूर्ण व्यवहार सहना पड़ता है. वैसे भी औरतें रिश्तों से ज्यादा जुड़ती हैं. रिश्तेनाते व भावनाएं उन के जीवन में अहम स्थान रखती हैं. इसलिए जब यह सपना टूटता है तो उन्हें ज्यादा दुख होता है.

भ्रांति : यदि आप का सौतेला बच्चा आप को नापसंद कर रहा है तो इस का मतलब है आप कुछ गलत कर रही हैं.

असलियत : ऐसा नहीं है. दरअसल बात उलटी होती है. आप जितना नर्म बनेंगी और बच्चे का खयाल रखने का प्रयास करेंगी, बच्चा उतना ही बुरा व्यवहार कर अपना विरोध जताने लगेगा ताकि आप उस की मां का स्थान न लें. खासकर शुरुआत में ऐसा ज्यादा होता है. इसलिए खुद को दोषी नहीं समझना चाहिए.

भ्रांति : बच्चे से रिलेशन के लिए सिर्फ मां जिम्मेदार है.

असलियत : सौतेली मां व बच्चे का रिलेशन कैसा है, इस के लिए पति, रिश्तेदार और ऐक्सपार्टनर भी जिम्मेदार हैं. पति को चाहिए कि बच्चों के आगे अपनी स्थिति साफ करें. उन्हें बताएं कि अब हम सब एक परिवार के हैं और अपनी नई पत्नी को सपोर्ट करें. रिश्तेदारों को भी नई मां और बच्चे के बीच मधुर रिश्ता कायम करवाने का प्रयास करना चाहिए.

भ्रांति : सौतेली मां को अपने बजाय बच्चों की खुशी का खयाल रखना चाहिए.

असलियत : हर वक्त बच्चों की चिंता करने और उन पर ऐनर्जी खर्च करने से बेहतर है, थोड़ा अपनी खुशियों का भी खयाल रखा जाए. कुछ वक्त घर और बच्चों से दूर अपने लिए बिताएं. इस से तनाव से मुक्ति मिलेगी और जीवन में नया उजाला फैलेगा.

भ्रांति : सौतेली मां और बच्चे के रिश्ते की असलियत तुरंत पता लग जाती है.

असलियत : ऐसा नहीं है. बुरी इमेज की धारणा होने की वजह से नई मां को समायोजन करने में वक्त लग जाता है.

भ्रांति : सौतेली मां बच्चे के लिए बुरी है.

असलियत : ऐसा नहीं है, हकीकत तो यह है कि घर का सूनापन बच्चे के लिए ज्यादा बुरा है.

भ्रांति : सगी मां का स्थान लिया जा सकता है.

असलियत : नई मां बच्चे के कितने भी करीब आ जाए पर एक दीवार उन के बीच रह ही जाती है, क्योंकि बच्चा यह स्थान किसी को नहीं दे सकता और ऐसा प्रयास करना भी नहीं चाहिए.              

1 हेमामालिनी-धर्मेंद्र

बौलीवुड की ड्रीमगर्ल ने 1980 में हीमैन धर्मेंद्र से शादी की. इस से पहले धर्मेंद्र की शादी प्रकाश कौर के साथ 1954 में हो चुकी थी. उन से धर्मेंद्र के 4 बच्चे थे. पर ‘शोले’ के सैट पर भड़की प्रेम की आग में, सामाजिक बंधनों की परवाह न कर धर्मेंद्र ने पहली पत्नी के रहते हेमा से दूसरी शादी की.

2 शबाना आजमी-जावेद अख्तर

शबाना ने शायर, संगीतकार और स्क्रिप्ट राइटर जावेद अख्तर को अपना जीवनसाथी चुना, जो पहले से शादीशुदा और 2 बच्चों के पिता थे. पहली पत्नी, हनी ईरानी से तलाक लेने के बाद जावेद अख्तर ने 1984 में शबाना से शादी की.

3 जयाप्रदा-श्रीकांत

जयाप्रदा ने 1986 में प्रोड्यूसर श्रीकांत नहाटा से प्रेमविवाह किया. श्रीकांत पूर्वविवाहित, 3 बच्चों के पिता थे. उन्होंने अपनी पहली पत्नी चंद्रा को तलाक नहीं दिया. जयाप्रदा ने श्रीकांत को उन की पहली पत्नी और बच्चों के साथ स्वीकार किया.

4 स्मिता पाटिल-राज बब्बर

स्मिता पाटिल ने पूर्वविवाहित राज बब्बर से शादी की थी. राज बब्बर की पहली पत्नी नादिरा जहीर थीं. उन दोनों के 2 बच्चे भी थे. पर राज बब्बर ने स्मिता से शादी करने के लिए पहली पत्नी को छोड़ दिया.

5 महिमा चौधरी-बौबी मुखर्जी

महिमा ने 2 बच्चों के पिता आर्किटैक्ट बौबी मुखर्जी से शादी की.

6 करीना कपूर-सैफ अली खान

अपनी बड़ी बहन करिश्मा के नक्शेकदम पर चलती हुई करीना कपूर भी शादीशुदा सैफ अली खान के साथ शादी की है. सैफ अपने से बड़ी उम्र की अदाकारा अमृता सिंह के साथ 13 साल की शादीशुदा जिंदगी बिता चुके हैं और उन दोनों के बच्चे भी हैं. वहीं अब करीना से उनका बेटा तैमूर और दूसरा बेटा भी हुआ है.

दूसरी शादी को अपनाएं ऐसे

जैसे जैसे स्नेहा के विवाह के दिन नजदीक आते जा रहे थे, वैसेवैसे उस की परेशानियां बढ़ती जा रही थीं. अतीत के भोगे सुनहरे पल उसे बारबार कचोट रहे थे. विवाह के दिन तक वह उन पलों से छुटकारा पा लेना चाहती थी, लेकिन सौरभ की यादें थीं कि विस्मृत होने के बजाय दिनबदिन और गहराती जा रही थीं. बीते सुनहरे पल अब नुकीले कांटों की तरह उस के दिलदिमाग में चुभ रहे थे. मातापिता भी स्नेहा के मन के दर्द को समझ रहे थे, लेकिन उन के सामने स्नेहा के दूसरे विवाह के अलावा कोई और रास्ता भी तो नहीं था. स्नेहा की उम्र भी अभी महज 23 साल थी. उसे अभी जिंदगी का लंबा सफर तय करना था. ऐसे में उस के मातापिता अपने जीतेजी उसे तनहाई से उबार देना चाहते थे. यही सोच कर उन्होंने स्नेहा की ही तरह अपने पूर्व जीवनसाथी के बिछुड़ जाने की वेदना झेल रहे एक विधुर व्यक्ति से उस का विवाह तय कर दिया.

शादी जो असफल रही

कई मामलों में औरत दूसरा विवाह करने के बावजूद अपने पहले पति से पूरी तरह से नाता नहीं तोड़ पाती है. दूसरी बार तलाक की शिकार 32 साल की देवयानी बताती हैं, ‘‘दूसरा विवाह मेरे लिए यौनशोषण के अलावा कुछ नहीं रहा. मेरा पहला विवाह महज इसलिए असफल रहा था, क्योंकि मेरे पूर्व पति नपुंसक थे और संतान पैदा करने में नाकाबिल. विवाह के बाद मेरे दूसरे पति ने पता नहीं कैसे यह समझ लिया था कि सैक्स मेरी कमजोरी है. इसीलिए अपना पुरुषोचित अहं दिखाने के लिए वे मेरा यौनशोषण करने लगे. इस से उन के अहं की तो संतुष्टि होती थी, लेकिन वे मेरे लिए मानसिक रूप से बहुत ही पीड़ादायक सिद्ध होते थे.

‘‘मुझे लगा कि उन से तो मेरा पहला पति ही बेहतर था, जो संवेदनशील तो था. मेरे मन के दर्द और प्यार को समझता तो था. पहले पति से तलाक और दूसरे से विवाह का मुझे काफी पछतावा होता था, लेकिन अब मैं कुछ कर नहीं सकती थी. इसी बीच एक दिन शौपिंग के दौरान मेरी मुलाकात अपने पहले पति से हुई. तलाक की वजह से वे काफी टूटे से लग रहे थे. चूंकि उन की इस हालत के लिए मैं खुद को कुसूरवार समझती थी, इसलिए उन से मिलने लगी. मेरे दूसरे पति चूंकि शुरू से शक्की थे, इसलिए मेरा पीछा करते या निगरानी कराते. मेरे दूसरे पति का व्यवहार इस हद तक निर्मम हो गया कि मुझे एक बार फिर अदालत में तलाक के लिए हाजिर होना पड़ा. अब मैं ने दृढ़संकल्प कर लिया है कि तीसरा विवाह कभी नहीं करूंगी. सारी जिंदगी अकेले ही काट दूंगी.’’

नमिता बताती है, ‘‘जब मुझे शादी का जोड़ा पहनाया गया तथा विवाह मंडप में 7 फेरों के लिए खड़ा किया गया, तो मेरे मन में दूसरे विवाह का उत्साह कतई नहीं था. फूलों से सजे पलंग पर बैठी मैं जैसे एकदम बेजान थी. इन्होंने जब पहली बार मेरा स्पर्श किया तो शुभम की यादों से चाह कर भी मुक्त नहीं हो पाई. इसलिए दूसरे पति को अंगीकार करने में मुझे काफी समय लगा.’’

यह समस्या बहुत सी महिलाओं की यह समस्या सिर्फ स्नेहा, देवयानी व नमिता की ही नहीं है, बल्कि उन सैकड़ोंहजारों महिलाओं की है, जो वैधव्य या तलाक अथवा पति द्वारा छोड़ दिए जाने के बाद दोबारा विवाह करती हैं. पहला विवाह उन की जिंदगी में एक रोमांच पैदा करता है. किशोरावस्था से ही मन में पलने वाले विवाह की कल्पना के साकार होने की वे सालों प्रतीक्षा करती हैं. पति, ससुराल और नए घर के बारे में वे न जाने कितने सपने देखती हैं. लेकिन वैधव्य या तलाक से उन के कोमल मन को गहरा आघात पहुंचता है. दूसरा विवाह उन के लिए तो लंबी तनहा जिंदगी को एक नए हमसफर के साथ काटने की विवशता में किया गया समझौता होता है. इसलिए दूसरे पति, उस के घर और परिवार के साथ तालमेल बैठाने में विधवा या तलाकशुदा औरत को बड़ी कठिनाई होती है.

जयपुर के एक सरकारी विभाग में नौकरी करने वाली स्मृति को यह नौकरी उन के पति की मौत के बाद उन की जगह मिली थी. स्मृति ने बताया, ‘‘यह विवाह मेरी मजबूरी थी. चूंकि पति के दफ्तर वाले मुझे बहुत परेशान करते थे. वे कटाक्ष कर इसे सरकार द्वारा दान में दी गई बख्शीश कह कर मेरी और मेरे दिवंगत पति की खिल्ली उड़ाते थे. मेरे वैधव्य और अकेलेपन के कारण वे मुझे अवेलेबल मान कर लिफ्ट लेने की कोशिश करते, लेकिन जब मैं ने उन्हें किसी तरह की लिफ्ट नहीं दी, तो वे अपने या किसी और के साथ मेरे झूठे संबंधों की कहानियां गढ़ते. वे दफ्तर में अपने काम किसी न किसी बहाने मेरे सिर मढ़ देते और बौस से मेरी शिकायत करते कि मैं दफ्तर में अपना काम ठीक से नहीं करती हूं. बौस भी उन्हीं की बात पर ध्यान देते. ऐसे में मुझे लगा दूसरा विवाह कर के ही इन परेशानियों से बचा जा सकता है.

‘‘संयोगवश मुझे एक भला आदमी मिला, जो मेरा अतीत जानते हुए भी मुझे सहर्ष स्वीकारने को राजी हो गया. हम दोनों अदालत में गए, जरूरी खानापूर्ति की और जब विवाह का प्रमाणपत्र ले कर बाहर निकले, तो एहसास हुआ कि मैं अब विधवा नहीं, सुहागिन हूं. पर सुहागरात का कोई रोमांच नहीं हुआ. वह दिन आम रहा और रात भी वैसी ही रही जैसी आमतौर पर विवाहित दंपतियों की रहती है. बस, खुशी इस बात की थी कि अब मैं अकेली नहीं हूं. घर में ऐसा मर्द है जो पति है. इस के बाद दफ्तर वालों ने परेशान करने की कोशिश करना खुद छोड़ दिया.’’

क्या कहते हैं मनोचिकित्सक

मनोचिकित्सक डा. शिव गौतम कहते हैं, ‘‘दरअसल, दूसरे विवाह की मानसिक तौर पर न तो पुरुष तैयारी करते हैं और न ही महिलाएं. दोनों ही उसे सिर्फ नए सिरे से अपना टूटा परिवार बसाने की एक औपचारिकता भर मानते हैं, जिस का खमियाजा दोनों को ही ताजिंदगी भुगतना पड़ता है.

‘‘दूसरे पति को हमेशा यह बात कचोटती है कि उस की पत्नी के शरीर को एक व्यक्ति यानी उस का पहला पति भोग चुका है, उस के तन और मन पर राज कर चुका है. उस की पत्नी का शरीर बासी खाने की तरह उस के सामने परोस दिया गया है. इसलिए ऐसे बहुत से पति दूसरा विवाह करने वाली पत्नी के साथ तालमेल नहीं बैठा पाते हैं.’’

महिलाओं की मानसिक समस्याओं का निदान करने वाली मनोचिकित्सक डा. मधुलता शर्मा ने बताया, ‘‘मेरे पास इस तरह के काफी मामले आते हैं. पति दूसरा विवाह करने वाली पत्नी को मन से स्वीकार नहीं कर पाता. उसे हमेशा अपनी पत्नी के बारे में शक बना रहता है खासकर तब जब उस की पत्नी तलाकशुदा हो. उसे लगता है कि उस के साथ विवाह के बावजूद उस की पत्नी का गुप्त संबंध अपने पूर्व पति से बना हुआ है. उस की गैरमौजूदगी में पत्नी अपने पूर्व पति से मिलतीजुलती है. उस का शक इस हद तक पहुंच जाता है कि उस की निगरानी करना शुरू कर देता है.’’

खुद को विवाह के लिए तैयार करें

डा. मधुलता के यहां एक काफी मौडर्न महिला सुनैना से मुलाकात हुई. उस ने अब तक 4 शादियां कीं और अब 5वीं शादी की तैयारी में थी. सुनैना ने हंसते हुए बताया, ‘‘जब मैं यूनिवर्सिटी में पढ़ रही थी, तब मातापिता ने शादी कर दी. लेकिन डेढ़ साल बाद हमारा तलाक हो गया. दूसरे पति की सड़क हादसे में मौत हो गई. तीसरे व चौथे पति से भी तलाक हो गया. लेकिन चारों पतियों के साथ मैं ने यादगार समय बिताया. जिन तीनों पतियों ने मुझे तलाक दिए, आज भी मेरी उन से अच्छी दोस्ती है. अकसर हम लोग मिलते रहते हैं. अब मैं ने 5वां पति तलाश लिया है. मेरे मन में इस विवाह के प्रति वही उत्साह, रोमांच और उत्सुकता है, जो पहले विवाह के समय थी. इस बार हनीमून मनाने स्विट्जरलैंड जाएंगे.’’ सुनैना ने पुनर्विवाह के बारे में अपना मत कुछ इस तरह व्यक्त किया, ‘‘शादी दूसरी हो या तीसरी या फिर चौथी या 5वीं, खास बात यह है कि आप खुद को विवाह के लिए इस तरह तैयार कीजिए जैसे आप पहली बार विवाह करने जा रही हैं. आप के नए पति को भी इस से मतलब नहीं होना चाहिए कि आप विवाह के अनुभवों से गुजर चुकी हैं. दरअसल, वह तो बस इतना चाहता है कि आप उस के साथ बिलकुल नईनवेली दुलहन की तरह पेश आएं.’’

गौरतलब है कि कम उम्र से ही लड़कियां अपने पति, ससुराल और सुहागरात की जो कल्पनाएं और सपने संजोए रहती हैं, वे बड़े ही रोमांचक होते हैं. लेकिन विवाह के बाद तलाक व वैधव्य के हादसे से गुजर कर उसे जब दोबारा विवाह करना पड़ता है, तो उस में पहले विवाह का सा न तो खास उत्साह रहता है, न रोमांच.

ऐसा क्यों होता है

एक ट्रैवेल ऐजैंसी में कार्यरत महिला प्रमिला ने बताया, ‘‘15-16 साल की उम्र से ही लड़कियां अपने पति और घर के बारे में सपने देखना शुरू कर देती हैं. वे सुहागरात के दौरान अपना अक्षत कौमार्य अपने पति को बतौर उपहार प्रदान करने की इच्छा रखती हैं. इसलिए अधिकतर लड़कियां अपने बौयफ्रैंड या प्रेमी को चुंबन की हद तक तो अपने शरीर के अंगों का स्पर्श करने की इजाजत देती हैं, लेकिन कौमार्य भंग करने की इजाजत नहीं देतीं. साफ शब्दों में कह देती हैं कि यह सब तुम्हारा ही है, लेकिन इसे तुम्हें विवाह के बाद सुहागरात को ही सौंपूंगी.

‘‘लेकिन दूसरी बार विवाह करने वाली औरत के पास अपने दूसरे पति को देने के लिए ऐसा उपहार नहीं होता. अगर दूसरा पति समझदार हुआ, तो उस के मन में यह आत्मविश्वास पैदा कर सकता है कि तुम्हारा पिछला जीवन जैसा भी रहा हो, लेकिन मेरे लिए तुम्हारा प्रेम ही कुंआरी लड़की है. मेरे दूसरे पति मनोज ने यही किया था. उस ने विवाह को जानबूझ कर 6 महीने के लिए टाला और इस दौरान मेरे प्रति अपना प्रेम प्रगाढ़ करता रहा. हम लोग अकसर डेटिंग पर जाते. वह मेरे साथ प्रेमी का सा व्यवहार तो करता, लेकिन शारीरिक संबंध की बात न करता. इसीलिए कभीकभी तो मुझे उस के पुरुषत्व पर शक होने लगता.

‘‘संभवतया उस ने मेरे शक को भांप लिया था, इसलिए एक दिन वह मुझे गोवा ले गया. समुद्र के किनारे हम प्रेमियों की तरह एकदूसरे के साथ प्रेम करते रहे. वह बोला कि प्रमिला, मैं इस समय चाहूं तो तुम्हारे साथ कुछ भी कर सकता हूं और तुम मना भी नहीं कर सकतीं, लेकिन मैं चाहता हूं कि विवाह के पहले तुम से उसी स्थिति में आ जाऊं, जिस में तुम अपने पहले विवाह के समय थीं.

‘‘मनोज की इस बात ने मेरे आत्मविश्वास को काफी बल दिया. उस का मानना था कि औरत हमेशा तनमन से अपने पति के प्रति समर्पित रहती है, क्योंकि विवाह के बाद उस का संबंध सिर्फ अपने पति से रहता है. और सचमुच मनोज ने 6 माह के दौरान मेरे मन को तलाकशुदा के बजाय कुंआरी लड़की बना दिया था. सुहागरात के समय मैं अपना कौमार्य किसी और को उपहारस्वरूप दे चुकी थी, लेकिन मनोज के साथ सब कुछ नयानया तथा रोमांचकारी लग रहा था.’’

फर्ज मातापिता का

मनोवैज्ञानिक डा. मधुलता बताती हैं, ‘‘औरत 2 बार विवाह करे या 3 बार, असली बात उस माहौल की है, जिस में उसे दूसरी या तीसरी बार विवाह के बाद जिंदगी गुजारनी होती है. यह बात सही है कि पहले पति की मीठीकड़वी यादों से वह दूसरे विवाह के समय खुद को आजाद नहीं कर पाती. ऐसे में उस के मातापिता का फर्ज बनता है कि दूसरे विवाह के पहले ही वे उसे मानसिक रूप से तैयार करें, विवाह के प्रति उस के मन में उत्साह पैदा करें. लेकिन ऐसे मामलों में अकसर मातापिता तथा परिवार के अन्य लोग पहले से ही ऐसा माहौल तैयार कर देते हैं गोया लड़की का विवाह वे महज इसलिए कर रहे हैं ताकि उस का घर बस जाए और उसे जिंदगी अकेले न काटनी पड़े. यह व्यवहार उस के मन में निराशा पैदा करता है.’’

दूसरेतीसरे विवाह की स्थिति वैधव्य की वजह से उपजी हो या तलाक के कारण, परिवार वालों को चाहिए कि बेटी के पुनर्विवाह से पूर्व, विवाह के बाद में भी उस के साथ ऐसा ही स्नेहपूर्ण व्यवहार करें, गोया वे अपना या बेटी का बोझ हलका नहीं कर रहे, बल्कि समाज की इकाई को एक परिवार को प्रतिष्ठित सदस्य दे रहे हैं.

ऐसे मामलों में सगेसंबंधियों और परिचितों का भी कर्तव्य बनता है कि वे पुनर्विवाह के जरीए जुड़ने वाले पतिपत्नी के प्रति उपेक्षा का भाव न रख कर जहां तक हो सके अपनी रचनात्मक भूमिका निभाएं. विधवा या तलाकशुदा महिला का पुनर्विवाह मौजूदा वक्त की जरूरत है. इस से औरत को सामाजिक व माली हिफाजत तो मिलती ही है, साथ ही वह चाहे तो अतीत को भुला कर खुद में वसंत के भाव पैदा कर के दूसरे विवाह को भी प्रथम विवाह जैसा ही उमंगों से भर सकती है.

ये भी पढ़ें- Health Policy खरीदने से पहले रखें इन बातों का ध्यान

तो आसान होगी तलाक के बाद दूसरी शादी

2017 में पति अरबाज खान से तलाक ले चुकी फिल्म अभिनेत्री मलाइका अरोड़ा ने हाल ही में अपने 17 वर्षीय बेटे अरहान का जन्मदिन मनाया. 46 वर्षीय मलाइका फिलहाल अपने बौयफ्रैंड अर्जुन कपूर के साथ रिलेशनशिप में हैं और दोनों जल्द ही शादी प्लान करने की सोच रहे हैं.

एक वैबसाइट को दिए इंटरव्यू में मलाइका ने बताया कि तलाक के बाद दोबारा प्यार पाना उन के लिए बहुत खास है. उन के मुताबिक यह एक कमाल की फीलिंग है क्योंकि जब शादी टूट रही थी, वे नहीं जानती थीं कि दूसरी बार उन्हें इस रिश्ते में जाना है या नहीं. बहरहाल उन्हें खुशी है कि उन्होंने अपनेआप को दोबारा यह मौका दिया और सही फैसला लिया. उन के अनुसार तलाक के बाद दूसरी शादी एक औरत का नितांत निजी निर्णय है जिस पर किसी को भी आपत्ति नहीं होनी चाहिए.

यह सही है कि तलाक के बाद किसी भी व्यक्ति की जिंदगी में बदलाव आ जाता है खासकर औरतों की जिंदगी तो लगभग पूरी तरह से बदल जाती है क्योंकि संबंधविच्छेद द्वारा पति की ओर से मिलने वाली तकलीफों से तो वे आजाद हो जाती हैं परंतु दूसरी परेशानियां इस कदर बढ़ जाती हैं मानो ंिंजदगी में कोई भूचाल आ गया हो. ऐसे में तलाकशुदा स्त्री अगर दूसरी शादी के बारे में सोचती है तो यकीनन उस की दिक्कतें और बढ़ जाती हैं.

आज के दौर में तेजी से होते तलाक इतना गंभीर विषय नहीं जितना कि इस के बाद तलाकशुदा स्त्री की जिंदगी में होने वाली परेशानियां हैं. निम्न केस इस मसले पर महत्त्वूपर्ण प्रकाश डाल सकते हैं:

नीरा के तलाक को 2 साल हो चुके हैं. पति की बेवफाई ने उसे जिंदगी के मझधार पर ला कर खड़ा कर दिया है. 15 वर्षीय बेटी शैली की मां नीरा को अब बेटी के साथ ही अपने भविष्य की भी चिंता सता रही है. तलाक की कानूनी प्रक्रिया में उलझ कर उस ने एक तरफ जहां समय की बरबादी झेली है वहीं दूसरी ओर अपना मानसिक सुकून भी खोया है. फिलहाल वह एक प्राइवेट स्कूल में टीचर की नौकरी कर रही है. लेकिन भविष्य की असुरक्षा कई बार उस के मन को बेचैन कर देती है. वह दूसरी शादी की इच्छुक है, मगर जानती है कि दूसरी शादी का यह सफर उतना आसान भी नहीं.

पिंक सिटी जयपुर की निवासी कोमल गुप्ता के तलाक की मुख्य वजह उस के पति का हिंसक रवैया था. यहां तक कि अंतरंग पलों में भी उसे अपने पति के वहशीपन को झेलना पड़ता था. तलाक की बोझिल प्रक्रियाओं से गुजरती कोमल भीतर ही भीतर टूट चुकी है. उसे अब किसी सहारे की दरकार है. मगर 8 साल के बच्चे आशू के साथ उसे कोई अपना सकेगा, इस पर उसे संशय है.

नीरा और कोमल की तरह कई महिलाएं हैं, जो किसी न किसी मजबूरी के चलते पति से तलाक ले कर अलग तो हो गई हैं, किंतु आगे की जिंदगी का सफर उन के लिए बेहद दुष्कर प्रतीत होता है. वे बच्चों के भविष्य के साथसाथ अपने भविष्य के प्रति भी शंकित हैं.

ये भी पढ़ें- इस Festive Season डर नहीं लाएं खुशियां

तलाक के बाद होने वाली परेशानियां

हेयदृष्टि वाली सामाजिक मानसिकता:

भले ही हमारा सामाज आज तकनीकी ज्ञान व रहनसहन, पहनावे आदि से काफी आधुनिक हो चुका है पर सच तो यह है कि उस की सोच आज भी सदियों पुरानी है. यही कारण है कि तलाकशुदा महिलाओं को आज भी हेयदृष्टि से देखा जाता है फिर चाहे वह किसी भी वर्ग से क्यों न हो. उसे तेजतर्रार, बेशर्म व चालाक औरत की पदवी दी जाती है मानो उस ने बड़ी खुशी से अपने पति से तलाक का चुनाव किया हो.

व्यक्तिगत जीवन में ताकझांक:

समाज में स्त्रीपुरुष के दोहरे मानदंड के चलते अकसर स्त्रियों को ही तलाक के लिए पूर्णरूपेण दोषी करार दिया जाता है. उन की तकलीफ समझना तो दूर लोग उन पर तंज कसने से भी बाज नहीं आते. तलाक को ले कर गाहेबगाहे उन्हें पासपड़ोस, नातेरिश्तेदारों के कटाक्षों का सामना करना पड़ता है. वैसे भी हमारा तथाकथित सभ्य समाज एक पुरुष के मुकाबले स्त्री के व्यक्तिगत जीवन में ज्यादा दिलचस्पी रखता है. ऐसे में जाहिर सी बात है उस की पर्सनल लाइफ में लोगों की ताकझांक अधिक कुतूहल और चर्चा का विषय बन जाती है.

आर्थिक निर्भरता:

चूंकि आज भी ज्यादातर महिलाएं आर्थिक रूप से पति पर ही निर्भर हैं लिहाजा तलाक के बाद भी अपने भरणपोषण के लिए उन्हें अपने पति की ओर देखना पड़ता है. कोर्ट द्वारा पति से दिलवाया गया गुजाराभत्ता कई बार उन के खर्चों के लिए नाकाफी होता है.

शारीरिक व मानसिक शोषण:

तलाकशुदा औरतों का उन के वर्कप्लेस पर शारीरिक व मानसिक शोषण होने की बहुत गुंजाइश होती है. पुरुषप्रधान समाज होने से बिना मर्र्द वाले घर की औरतें सभी के लिए आसान शिकार मानी जाती हैं, जिन्हें थोड़ी सी हमदर्दी दिखा कर कोई भी बड़ी सहजता से हासिल कर सकता है. लिहाजा घर में नातेरिश्तेदार तथा बाहर बौस की ललचाई नजरें तलाकशुदा स्त्री पर विचरती ही रहती हैं. इस तरह महिलाओं को हर कदम फूंकफूंक कर रखना पड़ता है.

बढ़ती जिम्मेदारियां:

जिस तरह 2 पहियों की गाड़ी अपने बोझ को आसानी से उठा पाने में सक्षम होती है उसी तरह पतिपत्नी भी मिल कर सहजता से अपनी गृहस्थी की गाड़ी को चला लेते हैं जबकि अकेली स्त्री के लिए गृहस्थी की पूरी जिम्मेदारियां संभालना इतना आसान नहीं है. घरबाहर के काम, बच्चों की परवरिश, आमदनी का जुगाड़ करतेकरते उस की हालत खराब होने लगती है. ऐसे में बढ़ती जिम्मेदारियों का दबाव उस के तलाकशुदा जीवन को मुश्किलों में डाल देता है.

ये भी पढ़ें- जिद्दी बच्चे को बनाएं समझदार

दूसरी शादी में आने वाली अड़चनें:

पुरुषवादी सोच का गुलाम हमारा समाज आज भी तलाकशुदा स्त्री को संदेह की नजर से देखता है. इसलिए उस के साथ वैवाहिक संबंध जोड़ने से पहले अपने स्तर पर तलाक के कारणों की जांचपड़ताल की जाती है कि तलाक का जो कारण था वह वाजिब था या नहीं. ऐसे में तलाकशुदा महिला के चरित्र पर भी कई सवाल उठ खड़े होते हैं जिन से उस की परेशानियां बढ़ जाना लाजिम है.

मगर कहते हैं जब ओखली में सिर दिया तो मूसलों की क्या गिनती यानी जब तलाक लेने का तय कर ही लिया तो उस के बाद आने वाली मुश्किलों से घबराना कैसा.

शादी के 7 सालों बाद अपने पति से तलाक ले चुकी रीना तलाक के बाद की जिंदगी पर खुल कर अपने विचारों को साझा करती है. उस के मुताबिक तलाक के बाद का जीवन कठिन है पर नामुमकिन नहीं. वैसे भी तलाक से पहले उस का जीवन एक दर्दभरी दास्तां के अलावा कुछ नहीं था. पति और ससुराल वालों ने उस का व बच्ची का जीना मुहाल कर रखा था. वह कभी अपने पति के पास लौटने को तैयार नहीं है. अपनी 6 साल की बच्ची के साथ अपने जीवन को खुशीखुशी जीना चाहती है. रीना दूसरी शादी की भी इच्छा रखती है बशर्ते उस की बच्ची को पिता का प्यार मिले. पर शादी के नाम पर अपनी स्वतंत्रता को गिरवी रख देना अब उसे गवारा नहीं है.

तलाकशुदा होना कोई गुनाह नहीं. किसी वाजिब कारण से यदि आप ने तलाक ले ही लिया है तो जिंदगी को बदनुमा दाग की तरह नहीं बल्कि प्रकृति की अनमोल देन मान कर जीएं. अपने सकारात्मक रवैए से आने वाली चुनौतियों का हंस कर मुकाबला करें और अबला नहीं बल्कि सबला बन कर समाज में अपने वजूद, अपनी गरिमा को बनाएं. निम्न उपाय इस काम में आप की सहायता कर सकते हैं:

भविष्य की प्राथमिकताएं तय करना:

बिना किसी दबाव के अपने भविष्य की प्राथमिकताओं को तय करें. याद रखें जिंदगी आप की है तो उसे जीने का सलीका और तरीका भी आप का ही होगा. सोचसमझ कर जिंदगी को दूसरा मौका दें और बिना घबराए अपने लक्ष्य की ओर चलने का प्रयास करें.

सकारात्मक सोच हो भविष्य की:

कभीकभी ऐसा होता है कि 2 व्यक्ति एकसाथ नहीं रह पाते, मगर इस का मतलब यह तो नहीं कि जिंदगी खत्म हो चुकी है. जिंदगी हमेशा दूसरा मौका देती है और वह भी पहले से बेहतर. अत: लोग क्या कहेंगे इस बात को दिल से निकाल दें और उन के द्वारा की जा रहीं टीकाटिप्पणियों पर ध्यान न दें क्योंकि कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना. अत: सकारात्मक हो कर जीवन को नए सिरे से जीने की कोशिश करें.

आत्मनिर्भर बनें:

आर्थिक रूप से अपने आप को मजबूत बनाने की कोशिश करें. अपनी पढ़ाई व प्रतिभा अनुसार रोजगार के अवसर तलाशें और अपने पैरों पर खड़ा होने का प्रयास करें.

बच्चे के साथ मजबूत ब्रैंड:

कितनी भी परेशानियां हों बच्चे को नजरअंदाज न करें. उस के साथ खुशियों भरे पल जरूर बिताएं. इस से बच्चे के साथ आप का रिश्ता भी मजबूत होगा और आप स्वयं सकारात्मक ऊर्जा से भर उठेंगी. कोईर् भी महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले बच्चों को विश्वास में लेना जरूरी है अन्यथा उन का रोष या उदासीनता आप के किसी भी निर्णय पर भारी पड़ सकती है. अत: बच्चों के साथ मजबूत बौंड बनाएं.

आत्मविश्वास बढ़ाएं:

आप ने कुछ गलत नहीं किया बल्कि आप के साथ जो गलत हो रहा था आप ने उस का विरोध कर अपना मानसिक बल दिखाया है. भले ही समाज कुछ देर से आप के नजरिए को सही माने मगर आप स्वयं हमेशा अपने साथ खड़ी रहें अर्थात अपने को बेवजह के आरोपों और दोषों से मुक्त कर खुली हवा में सांस लें और अपने हर फैसले पर विश्वास रखें.

ये भी पढ़ें- पुरुषों को क्यों भाती हैं बड़ी उम्र की महिलाएं

करिए वही जो आप को लगता है सही:

तलाक के बाद अकेले रहना है या खुद को दूसरा मौका दे कर शादी करनी है आप का अपना फैसला होना चाहिए. कठिनाइयों के डर से पीछे न हटें बल्कि पूरी मुस्तैदी से उठ खड़ी हों अपनी समस्याओं का स्वयं समाधान करने हेतु क्योंकि लोग भी उन्हीं का साथ देते हैं जो अपने लिए खड़े होने का जज्बा रखते हैं. इसलिए यदि आप हैं तैयार तो आसान होगा तलाक के बाद दूसरी शादी का सफर भी.

ताकि दोबारा न हो तलाक

बौलीवुड अदाकारा करिश्मा कपूर ने अपने पति संजय कपूर से तलाक लेने का फैसला किया. दोनों ने सुप्रीम कोर्ट में आपसी रजामंदी से तलाक लेने और विवादों का निबटारा करने के कागजात पर दस्तखत किए थे.

करिश्मा कपूर ने 29 सितंबर, 2003 को दिल्ली के बिजनैसमैन संजय कपूर से शादी की थी. लेकिन 2012 में दोनों अलग हो गए. दोनों के 2 बच्चे समायरा और कियान हैं. करिश्मा संजय कपूर की दूसरी पत्नी थीं. उन की पहली शादी डिजाइनर नंदिता मथानी से हुई थी. संजय और नंदिता पढ़ाई के दौरान मिले थे. दोनों ने लव मैरिज की, मगर यह अधिक दिनों तक नहीं टिक सकी.

नंदिता से तलाक लेने के महज 10 दिनों बाद ही संजय ने करिश्मा से शादी कर ली. मगर यह शादी भी आखिर टूट गई और वजह रही संजय का प्रिया सचदेव से रिश्ता.

इसी तरह 33 साल की हौलीवुड अदाकारा बिली पाइपर ने भी अपने दूसरे पति लौरेंस फौक्स से कुछ समय पहले तलाक लेने की घोषणा की.

दरअसल, बिली पाइपर की पहली शादी तब हुई थी जब वे महज 19 साल की थीं. उन का पहला पति क्रिस इवेंस 35 वर्ष का था. दोनों ने लास वेगास में चुपके से शादी की थी, पर 3 साल बाद ही दोनों अलग हो गए. उस वक्त उन के तलाक को ले कर किसी को आश्चर्य नहीं हुआ था, क्योंकि बिली तब परिपक्व नहीं थीं. उन की कोई संतान भी नहीं थी, इसलिए तलाक के बाद वे जल्दी मजबूत बन कर फिर उभर आईं.

मगर अब जबकि फौक्स और उन के 2 बच्चे हैं तथा शादी के कईं साल बीत चुके हैं और ऊपरी तौर पर दोनों का रिश्ता भी परफैक्ट नजर आ रहा था. ऐसे में उन के रिश्ते के टूटने को सहजता से नहीं लिया जा सकता.

तलाक लेना कोई आसान फैसला नहीं होता. वर्षों के सहेजे रिश्ते का महल जब टूटता है, तो उस की किरचें व्यक्ति के मनमस्तिष्क को बुरी तरह बेध डालती हैं. खुद की टूटन के साथ ही जमाने द्वारा दिए जाने वाले तानों व सवालों के बाण अलग से सितम ढाते हैं खासकर जब तलाक दूसरी दफा हुआ हो. सिर्फ भारत ही नहीं, कमोबेश विदेशों में भी यही स्थिति है.

दूसरे तलाक का मलाल

पहले तलाक की बात अलग होती है. उस वक्त व्यक्ति कम उम्र का होता है, अपरिपक्व होता है. वह जिंदगी और रिश्तों के प्रति उतना संजीदा नहीं होता. तलाक के बाद लोग उसे सहानुभूति की नजरों से देखते हैं और सोचते हैं कि जरूर वह गलत व्यक्ति के साथ बंध गया होगा या किन्हीं कारणों से तालमेल नहीं बैठा पाया होगा. उसे लोगों का सहयोग मिलता है.

मगर दूसरे तलाक में बात अलग हो जाती है. व्यक्ति परिपक्व और अनुभवी हो चुका होता है. माना जाता है कि वह दूसरे जीवनसाथी का सावधानी से चुनाव करेगा. उस की आंखें खुलीं होंगी और वह पुरानी गलतियां दोहराना नहीं चाहेगा. मगर यदि दूसरी दफा भी बात न बने तो लोग उसे नीची नजरों से देखने लगते हैं. उन्हें लगता है कि जरूर इस में ही कोई कमी है. तभी इस की किसी से नहीं निभ पाती.

ये भी पढ़ें- 21वीं सदी में भी हिंदुस्तान में है जहरीले सांपों का आतंक

पहले तलाक को दुर्घटना माना जा सकता है, पर दूसरे तलाक को कहीं न कहीं लापरवाही और स्वभावगत दोष माना जाता है. व्यक्ति काफी समय तक हताशा और शर्मिंदगी के दौर से गुजरता है खासकर महिलाओं के साथ स्थिति ज्यादा गंभीर होती है. एक तरफ उन्हें आर्थिक चिंता सताती है तो दूसरी तरफ बच्चों के भविष्य की. ऊपर से जमाना भी औरत पर आरोप लगाने से नहीं हिचकता.

तलाक से जुड़ी भावनात्मक अवस्थाएं

विवाह के बाद जब व्यक्ति तलाक की त्रासदी से गुजरता है तो भावनात्मक रूप से वह कई अवस्थाओं को पार करता है:

दुख और हताशा: व्यक्ति को ऐसा लगता है जैसे किसी महत्त्वपूर्ण रिश्ते का अंत हो गया हो. वह इतना दुख महसूस करता है जैसे किसी फैमिली मैंबर की मौत हो गई हो. सामान्यतया यह अवधि 18 माह से 3-4 सालों तक हो सकती है.

पछतावा: असफलता का एहसास व्यक्ति के अंदर पछतावे की भावना पैदा करता है. व्यक्ति को महसूस होता है जैसे वह स्वयं की, परिवार वालों की व समाज की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर सका है. उसे अपराधबोध होता है कि वह उम्र भर के रिश्ते को नहीं निभा सका. यह तब और भी खतरनाक हो जाता है जब दर्द व शर्मिंदगी, गुस्से व हताशा में बदल जाती है.

डर और चिंता: तलाक से पहले और तलाक के बाद भी महिलाओं के दिल में तनाव और खौफ यह सोच कर होता है कि उन के बच्चों का भविष्य क्या होगा या फिर न जाने किनकिन आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा. यदि जल्दी कोई उपयुक्त जीवनसाथी नहीं मिल पाए, तो जिंदगी की यह अवस्था भी लंबी खिंच जाती है.

तलाक को शर्मिंदगी से न जोड़ें

इस संदर्भ में दिल्ली के मैरिज काउंसलर डा. विख्यात सिंह कहते हैं, ‘‘तलाकशुदा स्त्रियों को ले कर समाज की गलत सोच का ही नतीजा है कि ऐसी महिलाएं स्वयं को दयनीय मानने लगती हैं. यह प्रवृत्ति उचित नहीं. मुझे लगता है निराश होने या तलाक से घबराने के बजाय असहनीय परिस्थितियों में तलाक ले लेना ही बेहतर विकल्प है.

‘‘दरअसल, शादी एक ऐसी संस्था है, जिस में पति और पत्नी दोनों के लिए एकदूसरे को समझना और एकदूसरे का सम्मान करना बेहद जरूरी है. यदि इस रिश्ते में आप को पर्याप्त सम्मान नहीं मिल रहा है तो फिर साथ रहने का कोई औचित्य नहीं.

‘‘याद रखें, हर किसी को शांति और सम्मान के साथ जीने का हक है. आप स्वयं को हीन महसूस न करें और न ही दुखी और परेशान हों, क्योंकि अशांति, तनाव और हीनभावना कहीं न कहीं आप को आत्महत्या करने के लिए प्रेरित करेगी. जीवन खत्म करने से अच्छा है स्वयं को एक और मौका दें.’’

प्रत्यूषा बनर्जी का ही उदाहरण लें. पहले वह मकरंद के साथ रिलेशनशिप में थी. फिर ब्रेकअप के बाद वह राहुल के संपर्क में आई. जाहिर है, इस रिश्ते को वह हर हाल में कायम रखना चाहती थी. प्रत्यूषा का राहुल से इतना ज्यादा इमोशनल अटैचमैंट था कि वह उस के बिना जीने की सोच भी नहीं सकती थी. नतीजा, जब जिंदगी ने उस से सवाल किए और इस रिलेशनशिप का भविष्य खतरे में नजर आया तो उस ने आत्महत्या कर ली.

मगर यह कोई समाधान नहीं और न ही किसी भी तौर पर इसे उचित ठहराया जा सकता है. यदि आप की दूसरी शादी खतरे में है, तो भी घबराएं नहीं और न ही स्वयं को दोषी मानें वरन मानसिक रूप से मजबूत बनें. मानसिक मजबूती के साथ आर्थिक मजबूती भी सुनिश्चित करें.

हड़बड़ी में न लें तलाक

कई दफा मामला सिर्फ आत्मसम्मान का नहीं होता. रिश्तों के टूटने की वजह स्थितियां या स्वभाव सही न होना भी हो सकता है. इसलिए कभी तलाक का फैसला जल्दबाजी में न लें. हो सकता है कई जगह गलतियां आप की भी हों. इसलिए अपनी गलतियों पर फोकस करते हुए उन्हें सुधारें और जीवनसाथी की सोच को महत्त्व दें.

आवेश में फैसला करने के बजाय थोड़ा वक्त स्वयं को और अपने रिश्ते को दें. चाहें तो एक छत के नीचे ही कुछ दिन अलगअलग रहें. इस दौरान आप को अपनी गलतियां भी समझ में आने लगेंगी. आप यह भी कर सकती हैं कि कुछ समय के लिए अपने मायके या फिर किसी और रिश्तेदार के यहां जा कर रहें. इस से दिलोदिमाग में उठ रहे तूफान और क्रोध का आवेग थोड़ा संयत हो जाएगा और आप दोनों को ठंडे दिमाग से सोचने का समय मिलेगा.

दूसरी शादी से पहले

दूसरा तलाक व्यक्ति के जख्म पर दोबारा चोट लगने के समान है. जो दिल पहले ही टूटा हुआ था उस के फिर से टूटने की तकलीफ सहना आसान नहीं होता. ऐसा लगता है जैसे वह सैकंड टाइम लूजर बन गया हो.

ये भी पढ़ें- सिगरेट के हर कश में है मौत

जब आप दूसरी दफा बंधन में बंध रहे हों, तो अपनी जिंदगी को खुली किताब बना कर रखिए. इस में कोई बुराई नहीं. अपने मूल्यों व अपेक्षाओं को ले कर ईमानदारी से बातचीत करें. साफसाफ बताएं कि मनी, पेरैंटिंग व इंटीमेसी के संदर्भ में आप के विचार क्या हैं. भले ही इसे क्रिटिकल कवर सैशन कहा जाए, मगर दूसरी दफा रिश्ते में कमिटमैंट करने से पहले इन बातों पर चर्चा बहुत जरूरी है. इस से आप भविष्य में अपने रिश्ते को सुलझा हुआ पाएंगे और छोटीछोटी बातों पर बहस से बच सकेंगे.

सलाह तो यह भी दी जाती है कि दूसरी शादी करने से पहले आप एक विवाहपूर्व समझौता कर के रखें ताकि यदि दोबारा तलाक की नौबत आए तो आप बेहतर ढंग से अपने इशूज सामने रखते हुए उन पर नियंत्रण कर सकें. इस से मनी मैटर्स मैनेज करने में भी आसानी होती है और आप को ज्यादा तनाव से भी नहीं गुजरना पड़ता है.

इस ऐग्रीमैंट में आप का भावी जीवनसाथी जिस तरह से आप को स्थान देता है वही यह दर्शाता है कि वह आप को शादी के बाद किस तरह ट्रीट करने वाला है.

यदि आप को लगता है कि ज्यादातर मामलों में आप के और पार्टनर के विचार नहीं मिल रहे और मतभेद हो रहे हैं, तो समझ जाएं कि आगे जा कर आप दोनों की वैवाहिक जिंदगी खुशहाल नहीं गुजरने वाली, उलटे हनीमून पीरियड के बाद ही तकरार शुरू होने वाली है. यह न सोचें कि शादी के बाद आप का पार्टनर बदल जाएगा. चाहें तो अपने मैरिज काउंसलर से भी इस विषय पर चर्चा कर सकते हैं.

दूसरी शादी के दौरान मन में काल्पनिक सोच न रखें. इस वक्त तो आप को अपनी आंखें ज्यादा खुली रखनी चाहिए. हर पहलू पर विचार करने के बाद ही दूसरी दफा बंधन में बंधना चाहिए ताकि यह दोबारा न टूटे.

शादी कभी इस वजह से न करें कि आप अकेलापन महसूस कर रहे हैं और आप को किसी के साथ की जरूरत है. इस तरह की सोच और शादी में जल्दबाजी से नुकसान

अपना ही होता है. यह तो खुद के पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है. जब आप हड़बड़ी में दोबारा गलत जीवनसाथी का चुनाव कर लेते हैं तब जिंदगी में फिर वही घटता है, जो पहले के बंधन में घटा था

मुश्किल हो जाती है जिंदगी

‘‘तलाक शब्द स्वयं में ही काफी पीड़ादायक है और जब बात दूसरे तलाक की हो तो स्थिति और भी दुष्कर हो जाती है. महिला को लगता है जैसे उस की दुनिया ही खत्म हो गई है. वह सोचने लगती है कि जरूर गलती उसी की थी. लोग भी महिला पर ही दोषारोपण करते हैं. सैलिब्रिटीज की बात छोड़ दी जाए तो मध्यवर्गीय परिवार की महिला के लिए तलाक के बाद आर्थिक दृष्टि से मजबूत रहना और बच्चों को पालना बहुत कठिन होता है. मांबाप भी तलाकशुदा बेटी को अपने पास रखने से कतराने लगते हैं. लोग ताने मारते हैं वह अलग. ऐसे में महिला तलाक लेने से बेहतर आत्महत्या करना बेहतर समझती है.’’

डा. अनुजा कपूर, मनोचिकित्सक

बढ़ती जाती हैं दूरियां

‘‘दूसरी शादी में अकसर व्यक्ति अपने नए जीवनसाथी से बहुत ज्यादा अटैच हो जाता है और समाज से कट सा जाता है. वह अपना पूरा ध्यान उसी व्यक्ति पर केंद्रित रखता है और खुद ज्यादा से ज्यादा अकेला होता जाता है. डौमिनेट किए जाने के बावजूद ऐसा व्यक्ति खासकर महिलाएं, उसी रिश्ते में बंधी रहने का प्रयास करती हैं, जो उचित नहीं. ऐसे में  अवसाद व्यक्तित्व पर हावी होने लगता है. ऐसी स्थिति का शिकार बनने, कंप्रोमाइज करने, शोषण सहने या आत्महत्या करने के बजाय अलग हो जाना यानी तलाक लेना ही बेहतर विकल्प है क्योंकि हर किसी को खुशहाल जिंदगी जीने का अधिकार है.’’

ये भी पढ़ें- डॉ. गूगल आम आदमी के लिए सुरक्षित हैं या खतरनाक

विख्यात सिंह, मैरिज काउंसलर

तलाक बनता शर्मिंदगी की वजह

हाल ही में यूके में 1000 तलाकशुदा लोगों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि तलाक शर्मिंदगी की वजह बन जाता है. अलग हुए दंपतियों में से 50% ने स्वीकारा कि वे तलाक के बाद शर्मिंदगी और असफलता की भावना महसूस कर रहे हैं. उन्हें लगता है जैसे उन की जिंदगी और व्यक्तित्व पर न मिटने वाला धब्बा लग गया है, उन का सब कुछ बिखर गया है. पुरुषों के मुकाबले महिलाओं ने दोगुनी मात्रा में शर्म और टूटन महसूस की.

करीब एकतिहाई लोगों ने तलाक से बचने का हरसंभव प्रयास किया, क्योंकि तब तक यह परंपरावादी सोच उन के दिल में बरकरार थी कि विवाह हमेशा के लिए किया जाता है. 46% तलाकशुदाओं ने स्वीकारा कि उन्हें रोज लोगों के जजमैंट से गुजरना पड़ता है. लोगों के मन में उन के प्रति पूर्वाग्रह ने जन्म ले लिया है.

वहीं 10 में से 1 व्यक्ति का कहना था कि वह अपने विवाह को सफल बनाने का प्रयास इसलिए करता रहा कि उसे लगता है कि तलाक एक कलंक है, धब्बा है.

10 में से 6 लोगों का कहना था कि उन्होंने तलाक के बाद अपने सारे दोस्त खो दिए. महिलाओं के लिए नए दोस्त बनाना पुरुषों के मुकाबले दोगुना ज्यादा कठिन रहा.

एक आम सवाल जो प्राय: सभी तलाकशुदाओं को सुनना पड़ा वह यह कि आप का तलाक क्यों हुआ?

यह सवाल सदैव गलत मकसद से पूछा गया हो, ऐसा नहीं है. कभीकभी यह सवाल उस शख्स के साथ नया रिश्ता जोड़ने में रुचि रखने वालों द्वारा भी पूछा गया ताकि वे यह अनुमान लगा सकें कि उन के रिश्ते का भविष्य क्या होगा. इस सवाल का जवाब व्यक्ति के चरित्र और दूसरे पहलुओं पर प्रकाश डालता है.

जब हो जाए दूसरे पति को संदेह

सुभाष डायमंड कैफे के कोने की सीट पर अपने क्लाइंट के साथ बैठा बिज़नेस प्लांस डिस्कस कर रहा था. तभी उस ने कैफे में विभा को किसी के साथ घुसते देखा. गौर से देखने पर सुभाष ने पाया कि विभा के साथ बैठा पुरुष कोई और नहीं बल्कि उस का पुराना पति केशव है.

अब उस का दिमाग बिजनेस प्लांस में कम और विभा की एक्टिविटीज पर अधिक लग गया था. थोड़ी देर में उस ने क्लाइंट को विदा कर दिया ताकि अच्छी तरह विभा को ऑब्ज़र्व कर सके. इधर विभा केशव के साथ बातें करने में मशगूल थी.

कुछ देर में विभा ने अपना मोबाइल निकाला और केशव को मोबाइल पर कुछ दिखाने लगी. मोबाइल दिखाते समय वह केशव के काफी करीब खिसक आई थी. सुभाष के तनबदन में आग लग रही थी. उस से वहां बैठा नहीं गया और पैर पटकता हुआ वह कैफे से बाहर निकल आया.

अब तो ऑफिस में भी किसी भी काम में उस का दिल नहीं लगा. अंदर ही अंदर शक का कीड़ा कुलबुला रहा था. वह ऑफिस से समय से पहले ही निकल आया.

केशव और विभा की शादी हुए अभी मुश्किल से एक साल बीता था. विभा तलाकशुदा थी और केशव विधुर था. मेट्रीमोनियल साइट्स के जरिए उन का रिश्ता जुड़ा था.

ये भी पढ़ें- जानें क्यों आप अपने रिश्ते में हर तर्क खो देते हैं

विभा का पुराना पति इसी शहर में रहता था मगर सुभाष उस से कभी नहीं मिला था. विभा भी यही कहती थी कि पुराने पति और उस के परिवार के साथ अब वह बिल्कुल भी कांटेक्ट में नहीं है. पर आज विभा को इतनी सहजता से केशव के साथ वक्त बिताते देख सुभाष के दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था.

शाम के समय जब वह घर पहुंचा तो विभा किसी से फोन पर बातें कर रही थी. सुभाष को देख कर उस ने फोन काट दिया और चाय बनाने चली गई. सुभाष ने विभा के मोबाइल पर कॉल हिस्ट्री चेक की तो उस ने पाया कि वह पिछले 1 घंटे से अपने पूर्व पति यानी केशव से ही बातें कर रही थी. यही नहीं एक दिन पहले भी उस ने केशव से 35 मिनट बात की थी. तब तक विभा चाय ले कर आ गई.

सुभाष ने तुरंत उस का मोबाइल छुपा दिया और उस पर गहरी नजर डालता हुआ बोला,” यह सब क्या चल रहा है?”

“क्या चल रहा है मतलब? क्या कह रहे हो सुभाष?”

“वही कह रहा हूं जो तुम मुझ से छुपा कर कर रही हो .”

सुभाष की आंखों में अपने लिए गुस्से और नाराजगी के भाव देख कर और इस तरह के सवाल सुन कर विभा असहज होती हुई बोली,” साफसाफ कहो न सुभाष क्या कहना चाहते हो?”

“आज दोपहर 12 बजे मैं डायमंड कैफे में था और तुम वहां केशव के साथ कॉफी का आनंद ले रही थी. उस के एकदम करीब बैठ कर पुरानी यादें ताजा कर रही थी. अब बताओ और भी कुछ कहना बाकी है?”

“ओह तो यह बात है…, ” विभा ने कुछ कहना चाहा तब तक सुभाष चिल्लाया,” कब से चीट कर रही हो मुझे? ऐसा क्यों किया तुम ने ? अगर उस से इतना ही प्यार था तो मेरी जिंदगी खराब करने की जरूरत क्या थी?”

“तुम गलत समझ रहे हो सुभाष. मैं कैफे में उस के साथ थी पर इस का मतलब यह तो नहीं कि….”

“ज्यादा भोली मत बनो. सब कुछ समझ गया हूं मैं. ”

“तुम कुछ नहीं समझे सुभाष. प्लीज एक बार मेरी बात तो सुन लो. मैं आज केशव से मिलने गई थी मगर पुरानी यादें ताजा करने नहीं बल्कि भविष्य के लिए उसे सचेत करने. दरअसल मैं अपनी ननद नताशा के बहकते कदमों के बारे में केशव को चेताने गई थी. नताशा कम उम्र की है. रात में 9-10 बजे मैं ने उसे शराब पी कर एक आवारा लड़के के साथ घूमते देखा. ऐसा 2 बार हो चुका है. मैं ने उस की फोटो ले ली थी. वीडियो भी बनाई थी. वही सब डिस्कस कर रही थी. नताशा मेरी छोटी बहन जैसी है. मुझे बहुत मानती थी. इसलिए बड़ी बहन होने का दायित्व निभा रही थी और कुछ नहीं. ”

विभा की बातें सुन कर सुभाष ने नजरें नीची कर ली. शर्मिंदा होता हुआ माफी मांगने लगा.

इस तरह की घटनाएं आम बात है. तलाकशुदा महिलाओं को दूसरी शादी के बाद अक्सर ऐसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है जब पूर्व पति से मुलाकात वर्तमान पति की नजरों में बेवफाई बन जाती है. नए पति के मन में शक के बीज अंकुरित होने लगते हैं.

दरअसल स्त्री को नाजुक हृदय का माना जाता है. वह रिश्तेनातों और किसी के प्रति लगाव को बहुत सहजता से खत्म नहीं कर पाती. इसलिए पुरुषों को अक्सर यह संदेह रहता है कि वर्तमान जिंदगी में जरा सी भी ऊंचनीच होने या असंतुष्टि रहने पर पहले पति की तरफ आकर्षित हो सकती है. पर ऐसी सोच अक्सर गलत साबित होती है.

ये भी पढ़ें- पति को निर्भर बनाएं अपने ऊपर

एक स्त्री अपने पुराने पति की तरफ तभी आकर्षित होगी जब—-

1. उस का तलाक आपसी सहमति से हुआ हो

यदि स्त्री ने पुराने वैवाहिक रिश्ते में लंबा अरसा बिताया हो और पूरी तरह खुश और संतुष्ट जीवन जीवन जीया हो मगर किसी हादसे या विपरीत परिस्थितियों के आने पर लाचारगी मैं उसे तलाक लेना पड़ा हो.

स्त्री ने अपने पुराने वैवाहिक रिश्ते में अपना 100% दिया हो और पति से बहुत प्यार करती हो. मगर पति ने किसी और स्त्री से अपने अफेयर की वजह से पत्नी को आजाद कर दिया हो.

बच्चा न होने या पारिवारिक मनमुटाव की वजह से उसे रिश्तों को तोड़ना पड़ा हो जबकि वह पति से प्यार करती रही हो. इस तरह के मामलों में स्त्री अपने पति से प्यार करती है इसलिए तलाक के बाद भी उस के मन में पति के लिए प्यार जिंदा रह सकता है. पर अमूमन ऐसी परिस्थिति में स्त्री दूसरी शादी नहीं करती. यदि वह दूसरी शादी कर भी ले तो भी पहले पति की यादें उस के मन में कायम रहती हैं. ऐसे में यदि वर्तमान शादी में वह खुश नहीं तो संभव है कि वह पूर्व पति की तरफ लौट जाए.

अक्सर पहले पति से तलाक के बाद और दूसरी शादी करने के बीच जो अकेलापन होता है उस में औरत न चाहते हुए भी पहले पति के बारे में सोचती रहती है. पहले पति से हमेशा के लिए दूर होने के बाद महिला के मन में अक्सर उस के साथ बिताए गए अच्छे पल और उस की अच्छाइयां घूमने लगती हैं. वह यह भी सोचती है कि कहीं उस से गलती तो नहीं हो गई. पर तलाक के बाद अक्सर वापस लौटने का रास्ता बंद हो जाता है. भावी जीवन की सुरक्षा के लिए घर वालों के कहने पर यदि वह दूसरी शादी कर भी लेती है तो मन के किसी कोने में वह नए पति की तुलना पुराने वाले पति से करती रहती है. यही बात पुराने पति के साथ भी हो सकती है और दोनों के मन में एकदूसरे के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर बन सकता है.

2.जब कड़वाहट के बाद टूटा हो रिश्ता

यदि स्त्री की पहली शादी काफी संतापपूर्ण और मानसिक यातनाओ से पूर्ण रही हो, पति मारतापीटता हो, कष्ट देता हो, मैरिटल रेप करता हो या फिर उस के और उस के घरवालों के प्रति नीच रवैया रखता हो तो स्त्री तलाक के बाद एक पल के लिए भी पुरानी यादों को दिमाग में वापस लाना नहीं चाहेगी. तलाक के बाद वह कभी पूर्व पति की शक्ल भी नहीं देखना चाहेगी.

इसी तरह यदि दोनों का तलाक लंबी कानूनी कार्यवाही के बाद हुआ हो और कोर्ट में एकदूसरे की इज्जत की धज्जियां उड़ाई गई हों तो ऐसे में भी स्त्री कभी भूल कर भी पुराने पति की तरफ आंख उठा कर देखना पसंद नहीं करेगी.

वस्तुतः तलाक एक लंबी, जटिल और यातनापूर्ण प्रक्रिया है. तलाक के बाद केवल स्त्रीपुरुष ही अलग नहीं होते बल्कि उन की सोच, उन मंजिल, उन के रास्ते और उन का परिवार सब कुछ अलग हो जाता है.

नई शादी कर के वह नए जीवन की शुरुआत करती है. नए पति को याद रखना चाहिए कि तलाकशुदा पत्नी को पूरी तरह छूट है कि वह किस से संपर्क रखे और किस से नहीं. उसे जिंदगी से जुड़े फैसले लेने और रिश्ते निभाने का हक है क्योंकि वह परिपक्व है. वह पहले ठोकर खा चुकी है और अब उस में इतनी समझ आ चुकी है कि उस का कौन सा कदम क्या परिणाम ला सकता है.

इसी तरह गौर करने वाली बात है कि शादी के बाद किसी भी पुरुष या महिला के बहुत से संबंध साथी की वजह से बनते हैं और वे सिर्फ तलाक के कारण समाप्त नहीं हो सकते. महिला किसी की भाभी बनती है, किसी की बहू, किसी की चाची और किसी की मामी बनती है. ये प्यारेप्यारे रिश्ते दिल से जुड़े होते हैं. दूसरी शादी के बाद भी पिछली शादी की वजह से बने यह रिश्ते जिंदा रहते हैं. इस सच को झुठलाया नहीं जा सकता. ऐसे में यदि महिला इन रिश्तों की वजह से पहले पति या उस के घरवालों से मिलती है तो इस का मतलब यह नहीं कि वह पुराने पति की तरफ फिर से आकर्षित हो जाएगी.

ये भी पढ़ें- शादी रे शादी, तेरे कितने रूप

दूसरी शादी में यदि पतिपत्नी के बीच प्रेम और भरोसा पूरी तरह कायम न हो पाया हो तब इस तरह के संदेह उठते हैं और रिश्तो में कड़वाहट लाते हैं.

इसलिए जरूरी है कि जब आप दूसरी शादी करें तो नए रिश्ते में अपना 100% दे. प्यार और विश्वास की नींव पर नई जिंदगी शुरू करें और एकदूसरे के बीच कोई भी सीक्रेट न रखें. नए पति से हर बात शेयर कर उसे विश्वास में ले कर ही आगे बढ़े.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें