दूसरी शादी का मतलब सौतेली मां बनना भी है. सौतेली मां शब्द के साथ जुड़ी है, एक नकारात्मक छवि. स्त्री जितने भी प्रयास कर ले, खुद को इस छवि से मुक्त कराना उस के लिए आसान नहीं होता. नई मां को बच्चे दुश्मन के रूप में देखते हैं. ऐसा करने में उन की सगी मां (यदि जिंदा है) और मृत है तो रिश्तेदार चिनगारी छोड़ने का काम करते हैं. उसे ताने दिए जाते हैं. रहरह कर याद दिलाया जाता है कि बच्चे उस के अपने नहीं हैं. घरपरिवार के लिए लाख त्याग करने के बावजूद उसे सराहना नहीं मिलती. बच्चों के कारण पति के साथ उसे पूरी प्राइवेसी भी नहीं मिल पाती. लोगों की सहानुभूति भी सदैव बच्चों के साथ ही होती है. ऐसी महिला की मन:स्थिति कोई नहीं समझता.

बदलता ट्रैंड

चुनौतियां कितनी भी हों, आज बहुत सी लड़कियां अपनी मरजी से विवाहित पुरुषों से शादी कर रही हैं. वैसे भी आजकल कैरिअर की वजह से बड़ी उम्र में शादी करने का रिवाज चल पड़ा है. इस के अलावा दहेज या तलाक भी दूसरी शादी की वजह बन सकता है. कई बार प्रेम में पड़ कर लड़कियां शादीशुदा पुरुषों को जीवनसाथी चुनती हैं. बात जो भी हो, सौतेली मां की भूमिका अपनेआप में काफी चुनौतीपूर्ण है. इसे सफलतापूर्वक स्वीकार करने के लिए जरूरी है कुछ बातों का ध्यान रखना:

जरूर कर लें छानबीन

समस्याओं से बचने और अच्छा रिश्ता बनाने के लिए पहले से उस परिवार के बारे में छानबीन करें.

यह पता करें कि पहली पत्नी से अलगाव की वजह क्या थी. तलाक, मौत या कोई और वजह? तलाक हुआ तो क्यों और यदि मौत हुई तो कैसे?

पति से पूछें कि पुरानी पत्नी का स्वभाव कैसा था? बच्चों को किस तरह रहने की आदत है? उन्हें कौन सी बातें अच्छी लगती हैं? किन बातों से भय लगता है वगैरह.

नए घर के तौरतरीकों और रीतिरिवाजों की जानकारी पहले से लें.

बच्चों से मिलें

बच्चों के साथ समय बिताएं, उन की कमियों, समस्याओं, गुणअवगुणों को जानने का प्रयास करें. उन की मानसिक स्थिति और उन्हें सुकून देने वाली बातों को समझें. उन से दोस्ताना व्यवहार रखें ताकि शादी के बाद वे आसानी से आप को अपना लें.

मैरिज काउंसलर, कमल खुराना कहते हैं, ‘‘सौतेली मां के रूप में घर में ऐडजस्ट करना कितना कठिन होगा, यह काफी हद तक इस बात पर भी निर्भर करता है कि बच्चा कितना बड़ा है. छोटे बच्चे सिर्फ प्यारदुलार की भाषा समझते हैं और आसानी से नई मां को अपना लेते हैं, पर कुछ बड़े हो चुके बच्चे या टीनएजर्स के लिए जीवन में आए इनबदलावों को स्वीकार करना उतना आसान नहीं होता. उन का संवेदनशील मन रिश्तों के नए समीकरण समझने में वक्त लेता है. उन के दिल पर पुरानी मां की यादें पूरी तरह हावी रहती हैं. ऐसी परिस्थिति में जरूरी है कि आप बच्चे को मानसिक रूप से तैयार होने के लिए वक्त दें और उस की सहमति मिलने के बाद ही शादी करें.’’ सौतेली मां बनने के बाद आप को सम्मान मिले, इस के लिए जरूरी है कि पहले दिन से ही आप घर में अनुशासन और एकदूसरे के प्र्रति सम्मान की भावना डेवलप करें. आप बड़ों को सम्मान दें, बच्चों के साथ अच्छा व्यवहार करें, तभी बदले में आप वैसे ही व्यवहार की आशा कर सकती हैं.

आपसी समझ मजबूत करें :

शादी के बाद सब से महत्त्वपूर्ण है बच्चे के साथ आपसी समझ मजबूत करना. हंसीमजाक का माहौल बनाए रखें. यदि उन्होंने आप से अपनी कोई बात शेयर की है और पापा को न बताने का आग्रह किया है, तो वादा कर के निभाएं जरूर.

धैर्य जरूरी :

जिंदगी संघर्ष का नाम है. फिर आप जिस रिश्ते को निभा रही हैं, उस की तो बुनियाद ही समझौते से जुड़ी है, इसलिए अपना मनोबल कभी नीचा न होने दें. बच्चों द्वारा दिखाई जा रही उपेक्षा को व्यक्तिगततौर पर न लें.

मानसिकता समझें :

मैरिज काउंसलर कमल खुराना कहते हैं, ‘‘किसी टेढ़ी या अजीब परिस्थिति में बच्चे की प्रतिक्रिया देख कर बच्चे की सोच समझी जा सकती है. यदि वह उद्दंड या रूखा व्यवहार करता है तो जरूरी है कि आप उस के हृदय की गहराइयों में झांकें और वजह जानने का प्रयास करें, न कि बच्चे को अपशब्द कहें, आवेश में कभी भी बच्चे को डांटने या सौतेला कह कर दुत्कारने से आप दोनों के रिश्ते में गहरी दरार आ सकती है. इसलिए बच्चे के साथ व्यवहार करते वक्त उस की मानसिक स्थिति को ध्यान में रखें. तभी आप उस के दिल में जगह बना सकेंगी.’’

क्या न करें

बच्चों की सगी मां बनने का प्रयास न करें और न ही उस की जगह लेने की बात सोचें. अपनी अलग जगह बनाएं.

बच्चों के सामने उन की मां के लिए बुराभला न कहें और न ईर्ष्या रखें.

अपने बच्चे हैं तो उन से सौतेले बच्चों की तुलना करने या अपने बच्चों को ज्यादा महत्त्व देने से बचें.

कभी भी अपना निर्णय बच्चों पर थोपने का प्रयत्न न करें.

यदि पति और बच्चे पुरानी मां से मिलते हैं तो आप गुस्सा न करें.

बच्चों के चक्कर में पति की उपेक्षा न करें.

यह न सोचें कि मेरा सौतेला बच्चा कभी भी मुझे प्यार नहीं करेगा. शुरुआत में संभव है वह आप से नफरत करे पर वक्त के साथ सब बदल जाता है.

भ्रांतियां और उन की असलियतें

भ्रांति : सौतेली मां बच्चे के प्रति कठोर होती है.

असलियत : जहां तक अनुशासन की बात है, सौतेली मां तुलनात्मक रूप से कम कठोर होती है. वह बच्चे के साथ उदार रवैया रखती है ताकि बच्चा उस से घुलमिल सके.

भ्रांति :  सौतेली मां हो या बाप, निभाना एक सा कठिन होता है.

असलियत : यह सच नहीं है. दरअसल सौतेली मां को सौतेले बाप से ज्यादा परेशानियां झेलनी पड़ती हैं. बच्चों के दिमाग में और समाज में भी सौतेली मां की छवि दुष्ट महिला के रूप में अंकित है. ऐसे में उसे बच्चों की तरफ से ज्यादा रूखा और विरोधपूर्ण व्यवहार सहना पड़ता है. वैसे भी औरतें रिश्तों से ज्यादा जुड़ती हैं. रिश्तेनाते व भावनाएं उन के जीवन में अहम स्थान रखती हैं. इसलिए जब यह सपना टूटता है तो उन्हें ज्यादा दुख होता है.

भ्रांति : यदि आप का सौतेला बच्चा आप को नापसंद कर रहा है तो इस का मतलब है आप कुछ गलत कर रही हैं.

असलियत : ऐसा नहीं है. दरअसल बात उलटी होती है. आप जितना नर्म बनेंगी और बच्चे का खयाल रखने का प्रयास करेंगी, बच्चा उतना ही बुरा व्यवहार कर अपना विरोध जताने लगेगा ताकि आप उस की मां का स्थान न लें. खासकर शुरुआत में ऐसा ज्यादा होता है. इसलिए खुद को दोषी नहीं समझना चाहिए.

भ्रांति : बच्चे से रिलेशन के लिए सिर्फ मां जिम्मेदार है.

असलियत : सौतेली मां व बच्चे का रिलेशन कैसा है, इस के लिए पति, रिश्तेदार और ऐक्सपार्टनर भी जिम्मेदार हैं. पति को चाहिए कि बच्चों के आगे अपनी स्थिति साफ करें. उन्हें बताएं कि अब हम सब एक परिवार के हैं और अपनी नई पत्नी को सपोर्ट करें. रिश्तेदारों को भी नई मां और बच्चे के बीच मधुर रिश्ता कायम करवाने का प्रयास करना चाहिए.

भ्रांति : सौतेली मां को अपने बजाय बच्चों की खुशी का खयाल रखना चाहिए.

असलियत : हर वक्त बच्चों की चिंता करने और उन पर ऐनर्जी खर्च करने से बेहतर है, थोड़ा अपनी खुशियों का भी खयाल रखा जाए. कुछ वक्त घर और बच्चों से दूर अपने लिए बिताएं. इस से तनाव से मुक्ति मिलेगी और जीवन में नया उजाला फैलेगा.

भ्रांति : सौतेली मां और बच्चे के रिश्ते की असलियत तुरंत पता लग जाती है.

असलियत : ऐसा नहीं है. बुरी इमेज की धारणा होने की वजह से नई मां को समायोजन करने में वक्त लग जाता है.

भ्रांति : सौतेली मां बच्चे के लिए बुरी है.

असलियत : ऐसा नहीं है, हकीकत तो यह है कि घर का सूनापन बच्चे के लिए ज्यादा बुरा है.

भ्रांति : सगी मां का स्थान लिया जा सकता है.

असलियत : नई मां बच्चे के कितने भी करीब आ जाए पर एक दीवार उन के बीच रह ही जाती है, क्योंकि बच्चा यह स्थान किसी को नहीं दे सकता और ऐसा प्रयास करना भी नहीं चाहिए.              

1 हेमामालिनी-धर्मेंद्र

बौलीवुड की ड्रीमगर्ल ने 1980 में हीमैन धर्मेंद्र से शादी की. इस से पहले धर्मेंद्र की शादी प्रकाश कौर के साथ 1954 में हो चुकी थी. उन से धर्मेंद्र के 4 बच्चे थे. पर ‘शोले’ के सैट पर भड़की प्रेम की आग में, सामाजिक बंधनों की परवाह न कर धर्मेंद्र ने पहली पत्नी के रहते हेमा से दूसरी शादी की.

2 शबाना आजमी-जावेद अख्तर

शबाना ने शायर, संगीतकार और स्क्रिप्ट राइटर जावेद अख्तर को अपना जीवनसाथी चुना, जो पहले से शादीशुदा और 2 बच्चों के पिता थे. पहली पत्नी, हनी ईरानी से तलाक लेने के बाद जावेद अख्तर ने 1984 में शबाना से शादी की.

3 जयाप्रदा-श्रीकांत

जयाप्रदा ने 1986 में प्रोड्यूसर श्रीकांत नहाटा से प्रेमविवाह किया. श्रीकांत पूर्वविवाहित, 3 बच्चों के पिता थे. उन्होंने अपनी पहली पत्नी चंद्रा को तलाक नहीं दिया. जयाप्रदा ने श्रीकांत को उन की पहली पत्नी और बच्चों के साथ स्वीकार किया.

4 स्मिता पाटिल-राज बब्बर

स्मिता पाटिल ने पूर्वविवाहित राज बब्बर से शादी की थी. राज बब्बर की पहली पत्नी नादिरा जहीर थीं. उन दोनों के 2 बच्चे भी थे. पर राज बब्बर ने स्मिता से शादी करने के लिए पहली पत्नी को छोड़ दिया.

5 महिमा चौधरी-बौबी मुखर्जी

महिमा ने 2 बच्चों के पिता आर्किटैक्ट बौबी मुखर्जी से शादी की.

6 करीना कपूर-सैफ अली खान

अपनी बड़ी बहन करिश्मा के नक्शेकदम पर चलती हुई करीना कपूर भी शादीशुदा सैफ अली खान के साथ शादी की है. सैफ अपने से बड़ी उम्र की अदाकारा अमृता सिंह के साथ 13 साल की शादीशुदा जिंदगी बिता चुके हैं और उन दोनों के बच्चे भी हैं. वहीं अब करीना से उनका बेटा तैमूर और दूसरा बेटा भी हुआ है.

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