महिलाएं मानसिक रूप से मजबूत बनने के लिए अपनाएं ये आदत

अधिकतर हम देखतें हैं की महिलाओं में सहनशीलता पुरुषों के मुकाबले बहुत अधिक होती है जो कुछ हद तक बहुत अच्छी बात है लेकिन जब यह जरूरत से ज्यादा आपके जीवन का हिस्सा बन जाए तो यह उतना ही घातक बन जाती है. क्योंकि तब उसे हर कोई अपने दबाव में रखना पसंद करता है जिससे वह अपना आत्मविश्वास खोने लगती है और कई बार यही परेशानी उसे मानसिक रूप से कमजोर बनाने का काम करती है इसलिए जरूरी है कि आपको पता हो कब,कौन आपका फायदा उठाने की कोशिश में है. जिसके लिए आपको वक़्त रहते मानसिक और भावनात्मक तौर पर कमजोर होने से बचना आना चाहिए चलिए जानते हैं कुछ ऐसी बातें जो हर महिला को अपने जीवन में अपनाना आना चाहिए जिस से वो जीवन का हर आंनद लें सके.

आत्मविश्वास में कमी ना आने दें

अक्सर महिलाएं दुसरो पर बहुत जल्दी भरोसा कर लेती हैं. जिसका कई बार लोग बहुत जल्दी फायदा उठाने से नहीं चूकते.आत्मविश्वास मेंटली स्ट्रांग होने की नीव है.इसलिए जरूरी है कि हर महिला को अपने ऊपर पूर्ण आत्मविश्वास हों. साथ ही किसी भी बात का निर्णय लेने से पहले जाँचने परखने का गुण आता हों.खुद को आत्मनिर्भर बनाएं.

डर के आगे जीत है

यदि हमारी कमजोरी किसी और को पता होगी तो वह बहुत जल्दी उसका फायदा उठाने की सोचगा. इसलिए जरूरी है कि अपनी कमजोरीयों पर काम करें और उसे अपनी खूबियों में तब्दील करने कि पूरी कोशिश करें.

खुद से प्यार करें

जीवन में हर रिश्ता महत्वपूर्ण है लेकिन ऐसे में हम खुद को भूल जाती हैं इसलिए खुद से प्यार करना ना भूले यदि आप अपनी नजरो में बेस्ट हैं तो हर किसी कि नजरों में आप बेस्ट ही रहंगी. अपने मन में सेल्फ डाउट को पनपने ना दें.

सकरात्मक रवैया रखें

साईकोलॉजिकली देखे तो हमारी आदत होती है कि हमारा ध्यान नकरात्मक बातों पर या चीज़ो पर बहुत जल्दी जाता है जिस कारण हम परेशानियों से घिर जाते है ऐसे में जरूरी है कि अपनी सोच को सकरात्मक बनाए. व ज्यादा सोच विचार यानि ओवर थिंकिंग से बचे . बार बार एक ही बात के बारे में सोचना हमारी मानसिक स्थिति को बिगड़ता है.

मन को खाली करें

अधिकतर महिलाएं अपनी परेशानियों को दूसरे से साझा करने में कतराती हैं जिस कारण वे अंदर ही अंदर घुटती रहती हैं जिसका असर उनपर ना सिर्फ मानसिक बल्कि शरारिक रूप से भी पड़ता है ऐसे में किसी अपने से अपने मन की बात करने से कतराएं नहीं ऐसा करने से आपका मन हल्का और तनाव कम होगा.

ऐसे बनाएं खुद को मजबूत

अधिकतर हम देखतें हैं कि महिलाओं में सहनशीलता परुषों के मुकाबले बहुत अधिक होती है जो कुछ हद तक बहुत अच्छी बात है लेकिन जब यह जरूरत से ज्यादा आप के जीवन का हिस्सा बन जाएं तो यह उतना ही घातक बन जाती है. क्योंकि तब उसे हरकोई अपने दबाव में रखना पसंद करता है जिस से वह अपना आत्मविश्वास खोने लगती है और कई बार यही परेशानी उसे मानसिक रूप से कमजोर बनाने का काम करती है.

इसलिए जरूरी है कि आप को पता हो कब और कौन आप का फायदा उठाने की कोशिश में है. जिस के लिए आप को वक्त रहते मानसिक और भावनात्मक तौर पर कमजोर होने से बचना आना चाहिए.

चलिए, जानते हैं कुछ ऐसी बातें जो हर महिला को अपने जीवन में अपनाना आना चाहिए जिस से वह जीवन का हर आंनद ले सकें.

आत्मविश्वास में कमी न आने दें

अकसर महिलाएं दूसरों पर बहुत जल्दी भरोसा कर लेती हैं. जिस का कई बार लोग बहुत जल्दी फायदा उठाने से नहीं चूकते. आत्मविश्वास मैंटली स्ट्रौंग होने की नींव है. इसलिए जरूरी है कि हर महिला को अपने ऊपर पूर्ण आत्मविश्वास हो. साथ ही किसी भी बात का निर्णय लेने से पहले जांचनेपरखने का गुण आता हो. खुद को आत्मनिर्भर बनाएं.

डर के आगे जीत है

यदि हमारी कमजोरी किसी और को पता होगी तो वह बहुत जल्दी उस का फायदा उठाने की सोचगा. इसलिए जरूरी है कि अपनी कमजोरियों पर काम करें और उसे अपनी खूबियों में तबदील करने कि पूरी कोशिश करें.

खुद से प्यार करें

 

जीवन में हर रिश्ता महत्त्वपूर्ण है लेकिन ऐसे में हम खुद को भूल जाते हैं. इसलिए खुद से प्यार करना न भूलें. यदि आप अपनी नजरों में बैस्ट हैं तो हर किसी कि नजरों में आप बैस्ट ही रहेंगी. अपने मन में सैल्फ डाउट को पनपने न दें.

सकरात्मक रवैया रखें

साईकोलौजिकली देखें तो हमारी आदत होती है कि हमारा ध्यान नकारात्मक बातों पर या चीजों पर बहुत जल्दी जाता है जिस कारण हम परेशानियों से घिर जाते हैं. ऐसे में जरूरी है कि अपनी सोच को सकरात्मक बनाएं व ज्यादा सोचविचार यानी ओवर थिंकिंग से बचें. बारबार एक ही बात के बारे में सोचना हमारी मानसिक स्थिति को बिगाड़ता है.

मन को खाली करें

अधिकतर महिलाएं अपनी परेशानियों को दूसरे से साझा करने में कतराती हैं जिस कारण वे अंदर ही अंदर घुटती रहती हैं जिस का असर उन पर न सिर्फ मानसिक बल्कि शरारिक रूप से भी पड़ता है. ऐसे में किसी अपने से अपने मन की बात करने से कतराएं नहीं. ऐसा करने से आप का मन हलका और तनाव कम होगा.

हेयर रिमूविंग दे स्वच्छता, बढ़ाए आत्मविश्वास

हेयर रिमूवर का चलन देश में पिछले 2 दशकों में तेजी से बढ़ा है. यह जागरूकता भी है जिस के चलते देश की आधी आबादी कही जाने वाली महिलाएं अंदरूनी साफसफाई के मामले में भी आत्मनिर्भर हो रही हैं. मगर सच यह भी है कि अभी इस दिशा में और कोशिशों और प्रचारप्रसार की जरूरत है.

हेयर रिमूवर अब एक अनिवार्य कौस्मैटिक आइटम है, जो साबुन और शैंपू की तरह बाथरूम का हिस्सा बन चुकी है जबकि कुछ सालों पहले तक अनचाहे बालों से छुटकारा पाने के लिए महिलाएं बेहद परेशानी और तनाव में रहती थीं. 90 के दशक से पहले तक हेयर रिमूवर का इस्तेमाल ज्यादातर संपन्न महिलाएं ही करती थीं. इस की एक वजह मध्यवर्गीय महिलाओं की हिचकिचाहट और खरीदारी करने की आजादी न होना भी थी. तब अनचाहे बालों से छुटकारा पाने के लिए वे ब्लेड और रेजर की मुहताज हुआ करती थीं और उस का भी प्रयोग वे तभी कर पाती थीं जब पुरुष घर पर नहीं होते थे.

हाईजीन के प्रति बदलती सोच

जब महिलाओं को साफसफाई की आइटमों का इस्तेमाल करने की आजादी मिलने लगी तो उन में गजब का आत्मविश्वास आया. रिटायरमैंट की कगार पर खड़ी भोपाल की एक प्रोफैसर की मानें तो 35 साल पहले शादी के वक्त वे बहुत तनाव में रही थीं. बगलों और गुप्तांगों के बालों से छुटकारा पाने का तब उन्हें कैंची के अलावा और कोई तरीका नहीं दिखता था. ये प्रोफैसर बिना संकोच बताती हैं कि तब शादियां लंबी और रीतिरिवाजों से लवरेज रहती थीं. वे पूरी शादी में बालों को ले कर तनाव में रहीं जो आज भी शादी के फोटोग्राफ्स में उन के चेहरे पर साफ दिखता है.

मगर आज ऐसा नहीं है. आज 16 साल की किशोरी भी बिना संकोच हेयर रिमूवर खरीद सकती है और खरीद भी रही है, क्योंकि वह स्वच्छता को ले कर जागरूक है और नए जमाने की होने के चलते आत्मविश्वास से तो भरी है ही.

हालांकि वर्जनाएं कम नहीं हुई हैं पर अब महिलाओं से साफसफाई से रहने का अधिकार किसी भी बहाने से कोई नहीं छीन सकता उलटे इसे प्रोत्साहित किया जा रहा है.

बात हेयर रिमूवर की करें तो इन की बढ़ती रेंज बताती है कि अनचाहे बाल अब आत्मविश्वास में बाधा नहीं रह गए हैं. ये बाल बातबात में महिलाओं को हीनता से भरते थे. उन्हें लगता था कि कहीं कुछ है जो उन के आत्मविश्वास को बिगाड़ रहा है. नए दौर की महिला इन अनचाहे बालों के अभिशाप से मुक्त है और पूरी बेफिक्री से अपना कैरियर बना रही है. इस की वजह स्वच्छता के प्रति विरासत में मिली जागरूकता है.

बनाएं नए साल का संकल्प

सैनिटरी नैपकिन के इस्तेमाल की तरह हेयर रिमूवर के प्रयोग की सलाह भी उसे मां, भाभी या बहन अथवा यहांवहां से मिल रही है. उसे तो बस विज्ञापनों की भीड़ में से अपनी पसंद का ब्रैंड चुनना भर है कि कौन सा माफिक बैठेगा या कौन सा ज्यादा स्मूथ अथवा कौन सा ब्रैंड ज्यादा लोकप्रिय हो रहा है.

फिर भी कुछ जरूरतें आज भी मुंह बाए खड़ी हैं जो नए साल में एक संकल्प महिलाओं से चाह रही हैं. मसलन-

– हेयर रिमूवर खास मौके पर ही इस्तेमाल न कर नियमित अंतराल से प्रयोग किया जाए ताकि बाल अनियमित तरीके से न बढ़ें.

– पार्टियों और दूसरे समारोहों में जाने से पहले एक बार जरा आईने के सामने बांह उठा कर देख लें कि बाल कहीं बढ़े तो नहीं लग रहे जो अकसर आप की तरफ लोगों का ध्यान खींचते तो हैं, लेकिन यह आप को भी एहसास नहीं होता कि लोग कह और सोच यह रहे होते हैं कि बाकी सब तो ठीकठाक है पर जरा यहां भी ध्यान दे लिया होता तो क्या बिगड़ जाता.

– बहुत पुराना रखा हेयर रिमूवर इस्तेमाल न करें, क्योंकि इस में कई कैमिकल्स मिले होते हैं, जो पुराने होने पर नुकसान पहुंचा सकते हैं.

– हेयर रिमूवर उतनी ही मात्रा में खरीदें कि 2-3 महीने में खत्म हो जाएं.

– इसे बच्चों की पहुंच से दूर रखें.

– हेयर रिमूवर को हमेशा अच्छी तरह बंद कर के रखें, क्योंकि जरा सी भी हवा या नमी इस की गुणवत्ता को प्रभावित करती है तब यह काम का नहीं रह जाता है.

– इस्तेमाल से पहले पैक पर दिए गए निर्देशों को भलीभांति पढ़ उन का पालन करें.

– चेहरे, ब्रैस्ट, ठोड़ी, गरदन या फिर शरीर के किसी दूसरे हिस्से पर दिखने वाले इक्कादुक्का बालों पर हेयर रिमूवर का इस्तेमाल न करें. इस के लिए ब्यूटीशियन से सलाह लें.

– याद रखें कि मनचाहे संसर्ग के लिए जरूरी है कि अनचाहे बाल न हों.

एक महिला ही बेहतर समझती है कि सिवा सिर के बालों के अलावा शरीर के किसी भी हिस्से पर बाल असहज ही बनाते हैं, इसलिए उन्हें रिमूव करने में देर न करें.

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