खुश रहेंगी, तभी दूसरों को खुश रख पाएंगी

गृहिणी हूं और एक लेखिका भी. मैं सुबह 5.30 बजे उठती हूं. पति के लिए चाय बनाती हूं, और फिर हर सुबह एक भाग का काम मैं ब्रेकफास्ट से पहले कर लेती हूँ. 10.30 बजे नाश्ता करने के बाद फिर से काम पर लग जाती हूं.  आप सोच रही होंगी मैं आपको अपनी डेली रूटीन किसलिये बता रही हूं? क्योंकि मैंने दोस्तों को कहते सुना है, कि वे काम और घर में बराबर ध्यान नहीं दे पा रहीं हैं और शायद ये आपकी भी समस्या हो सकती है, इसलिए निराश ना हों.

1. खुद को दोषी मानना बंद करें

अगर काम और घर के बीच सामंजस्य सम्भव नहीं है, तो खुद को अपराधी मानने की जरूरत नहीं. आप काम कर रहे हैं यह कोई गलत बात नहीं है, इसके लिए सबसे पहले आप घर में हो रही समस्याओं के लिए खुद को दोषी मानना बंद करें.

2. बनाएं टाइमटेबल

खुद के लिए एक टाइम टेबल बनाएं. दिन में 24 घंटे होते हैं, और अगर आप सही तरीके से टाइम-टेबल के हिसाब से चलेंगे, तो सारे काम आराम से हो जाएंगे. पर एक समय सीमा के हिसाब से चलना जरूरी है, अगर किसी एक काम पर आप जरुरत से ज्यादा वक्त जाया करेंगे, या सुस्ती दिखाएंगे, तो संतुलंत कभी नहीं बना पाएंगे.

3. आपसी समझ है जरूरी

जो काम ज्यादा जरूरी हैं, उसे पहले करें. अगर सुबह आपको औफिस में प्रोजेक्ट सबमिट करना है, तो पहले उसका काम खत्म करें, क्योंकि आप वर्किंग वुमन हैं, अगर बच्चों को ऐसी स्थिति में आप कम समय दे पा रहीं हैं तो, घर के सदस्यों के मदद लें, और प्यार और सहयोग के साथ अपना कार्य पूर्ण करने के बाद बच्चों और परिवार के साथ समय व्यतीत करें. हां एक बात का ध्यान रखें, कार्य बढ़ने की स्थिति में अपने परिवार के जिम्मेदार लोगों को सूचित करें, और आपसी समझ से घर परिवार की जिम्मेदारी निभाएं.

4. अपने मनपसंद काम को दे ज्यादा समय

आपको क्या चाहिए ये तय करें. ज्यादा पैसों के लिए ज्यादा काम करना पड़ता है, ऐसी स्थिति में आप जो काम पसंद से कर रही हैं वही करें. अगर घर में ज्यादा वक़्त देने से आप को ख़ुशी मिल रही है, तो उसे अधिक महत्व दें.

5. मन से करें काम

काम से प्रेम होना बहुत ज़रूरी है. कम काम करें लेकिन अच्छा काम करें, तो आप खुश रहेंगी, मानसिक रूप से स्वस्थ रहेंगी.

6. खुद के लिए निकालें समय

खुद के लिए समय रखें. अपने लिए समय होना भी ज़रूरी है, इस वक़्त में आप सिर्फ वह करें, जो आपको अच्छा लगता हो. ये आराम का वक़्त भी हो सकता है. इस समय अन्य कोई कार्य न करें.

7. आसान तरीका ढूंढे

यह ध्यान रखें, की आप वर्किंग होते हुए सभी जिम्मेदारियों को नहीं निभा सकती, ऐसी स्थिति में आप वही जरूरी कार्य करें जो आप के अलावा और दूसरा नहीं कर सकता, आधुनिकता के दौर में औनलाइन शौपिंग का महत्त्व समझें, घर के समान आर्डर करना, कपडे खरीदना, बिल जमा करना आदि कार्य आप औनलाइन भी कर सकती हैं. इससे आप थकेंगी कम, और वही समय आप परिवार को दे सकती हैं.

अगर सोचें, तो ऐसा कोई क्षेत्र  नहीं, जहां महिलाओं ने अपनी छाप न छोड़ी हो.अपनी लगन, मेहनत, और दृढ़ता से महिला खुद में साफ़ सोच लाती हैं, जिससे वह फैसला ले पाती है. तभी आज हमारे बीच इंद्रा नूई (सी इ ओ पेप्सिको),  हेलेन केलर, और बुला चौधरी जैसी महान महिलाएं हैं.

ऐसी महिलाएं हमें भविष्य में भी प्रेरित करती रहेंगी. खुद खुश रहेंगी, तभी दूसरों को खुश रख पाएंगी. अपनी सोच समझ पर टिके रहे. इस तरह से आप अपनी सभी जिम्मेदारियों को सही से निभा पाएंगी.

प्यार खुद से और लाइफ पार्ट्नर से

‘योर बैस्ट ईयर एट’ की लेखिका जिन्नी डिटजलर कहती हैं कि अगर आप चाहते हैं कि आप का प्रत्येक वर्ष विशेष व अच्छा हो, तो अपने आप से प्रेम करने एवं आनंद प्राप्ति हेतु सब से पहले अपने प्रति दयावान बनो. जब तक आप चिंतामुक्त रहने का तरीका नहीं सीखोगे तब तक अपने आप को खुश नहीं रख सकते और दूसरों के साथ उदार व्यवहार नहीं कर सकते. इसलिए स्वयं से प्रेम करो और स्वयं को असंतोष और पछतावे से मुक्त रखो.

अपने आप को स्वीकार करो

जब आप स्वयं से बिना शर्त प्रेम करते हो, तो यह गुण आप की औरों से प्रेम करने की योग्यता में वृद्धि करता है. योग गुरु गुरमुख और खालसा कहती हैं कि स्वयं से प्रेम करना सांस लेने की भांति है. जबकि आमतौर पर होता यह है कि हम स्वयं से और अपने सपनों से अलग हो जाते हैं, इसलिए दुखी रहते हैं.

जिन्नी कुछ व्यावहारिक तरीके स्वयं से जुड़ने के लिए बताती हैं, जो हैं अच्छा खाना, ध्यान, नए चलन के कपड़े पहनना, दान देने की कला और जीवन के उद्देश्य प्राप्त करना इत्यादि.

100 दिन के नियम

मोनिका जांडस, जिन्होंने ‘स्वयं से प्रेम करें’ नाम से प्रचार अभियान चलाया है, कहती हैं कि स्वयं को प्रेम भरा आलिंगन दो. स्वयं से प्रेम करोगे तो आजीवन प्रेम मिलेगा. जब मैं ने प्रचार शुरू किया तो मैं लोगों से चाहती थी कि वे स्वयं को 100 दिन 100 तरीकों से प्रेम करें. मैं चाहती थी लोग स्वयं की देखभाल करें. जीवन के प्रति लगाव रखें और अपनी भावनाओं को व्यक्त करें. आप विभिन्न चीजों को विभिन्न तरीकों से प्रतिदिन व्यवहार में लाने से स्वयं से प्रेम करना शुरू कर सकते हो. साथ ही अपना जीवन उद्देश्य तय कर के अपना लक्ष्य प्राप्त कर सकते हो.

पूर्वाग्रह को न कहो

पूर्वाग्रह का कभी पुलिंदा न बांधो. जहां भी संभव हो क्षमादाता बनो. माइकल डिओली, जो ‘आप के लिए उत्तम संभावनाएं’ के लेखक भी हैं, कहते हैं कि जीवन में सुगम यात्रा के लिए व्यक्ति को पूर्वाग्रहों के अतिरिक्त भार से समयानुसार मुक्त हो जाना चाहिए. केवल जरूरत पड़ने पर ही व्यक्ति को एक स्थान पर रुकना चाहिए. आप का द्वेष, आप का नकारात्मक आचरण, आप की सनक, द्वंद्व, क्रोध और आप की उदारता की कमी, आप को अच्छे संबंध बनाने से रोकती है.

अनीता मोरजानी, जो नैतिक उत्थान परामर्शदाता एवं लेखिका भी हैं, कहती हैं कि वास्तव में स्वयं के शत्रु हम स्वयं हैं और स्वयं के कठोर आलोचक भी. यदि औरों के प्रति भी हम इसी तरह का रवैया रखते हैं, तो हम हर व्यक्ति का आकलन एक ही दृष्टिकोण से करते हैं. हमें अपने जीवन के प्रत्येक पहलू को स्वीकार करना चाहिए, चाहे वह अच्छा हो या बुरा.

दूसरों के अधीन न बनो

सामान्य जीवन जीते हुए भी अगर मौका मिले तो पूर्ण आनंद लेने से खुद को मत रोको. मनोवैज्ञानिक रोहित जुनेजा, जो ‘दिल से जियो’ के लेखक भी हैं, कहते हैं कि हम स्वयं के सुख और विवाद के मुख्य स्रोत हैं. हम सभी मानव हैं और गलती करना मानवीय प्रवत्ति है. श्रेष्ठता के लिए दूसरों के अधीन न बनो और स्वयं के बारे में गलत राय भी न बनाओ. जरूरतमंद व्यक्तित्व प्रभावशाली नहीं होता. जीवन के उतारचढ़ाव के कारण स्वयं को जीवन के आनंदमयी क्षणों का आनंद लेने से वंचित न रखो.

स्वयं से प्रेम कैसे मुमकिन

स्वयं से प्रेम करने के लिए दिन में कम से कम 5 मिनट ध्यान करो जो रक्तचाप को कम कर जठराग्नि प्रणाली मजबूत करता है और साथ ही जीवन को प्रभावशाली तरीके से जीने योग्य बनाता है. ध्यान आप की स्मरण शक्ति में भी वृद्धि करता है, दुखों से लड़ना सिखाता है और आप के आवेश को रोकता है. तब आप स्वयं को प्रेम करने लगते हैं क्योंकि ध्यान आप की मानसिकता और स्वास्थ्य में वृद्धि करता है. यह खुशी प्रदान करने वाले हारमोंस का भी संचार करता है.

पारिवारिक समस्याएं

आप के निरंतर याद दिलाने और टोकने पर भी अगर आप का जीवनसाथी, घर के बिल, चाबी और घर के अन्य जरूरी सामान सही जगह पर नहीं रखता है, तो समस्या है कि खत्म ही नहीं होती और आप की परेशानी का कारण भी बन जाती है.

ऐसा कछ होने पर परेशानी में उलझे रहने के बजाय यह सोचो कि आप ने जिस व्यक्ति से विवाह अपना सुखदुख साझा करनेके लिए किया है, उस के साथ आप को असमानता का साझा भी करना है. आप अपनी चिंता को सहज रूप से जीवनसाथी के समक्ष रखो और घर की व्यवस्था एवं निजी जरूरतों के बारे में भी बात करो.

इसी प्रकार कई बार थकावट के कारण कुछ पुरुष संभोग के इच्छुक नहीं होते, जिस के कारण संबंध बनाते समय उन में गर्मजोशी की कमी रहती है. ऐसे में उन की इच्छा के विरुद्ध अगर उन की जीवनसंगिनी उन से यौन संबंध बनाती है तो वे असहज महसूस करते हैं. जिस से जीवनसंगिनी असंतुष्ट रह जाती है.

इस संबंध में यौन विशेषज्ञों का कहना है कि हर 3 में से 1 युगल तब यौन संतुष्टि न होने की समस्या का सामना करता है जब एक साथी इच्छुक होता है और दूसरा इच्छुक नहीं होता. कई बार ऐसी दुशवारियों के कारण आप के दांपत्य जीवन की डोर टूटने की कगार पर आ जाती है. संभोग आप के लिए मात्र औपचारिकता नहीं है, बल्कि एक महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है. यदि आप का साथी संभोग हेतु इच्छुक नहीं है तो यौन इच्छा जाग्रत करने के कई कई उपाय हैं. आप उसे गुदगुदाएं तथा प्रेम भरी व कामुक वार्त्ता करें. इस से आप के साथी की यौन इच्छा जाग्रत होगी और वह यौन क्रिया हेतु तत्पर हो कर आप से सहयोग करने लगेगा. इस से आप दोनों ही यौन संतुष्टि पा सकोगे.

कामकाजी समस्याएं

औफिस से घर लौटने पर आजकल कई पुरुष लैपटौप या डिनर टेबल पर काम से संबंधित फोनकाल में व्यस्त रहते हैं, जो उन की जीवनसंगिनी की नाराजगी का कारण बनता है क्योंकि पूरे दिन के बाद यह समय आपसी बातचीत का होता है.

जब आप का जीवनसाथी लैपटौप या फोनकाल में व्यस्त हो, तो उसी समय समस्या पर तर्कवितर्क करने के बजाय मुद्दे को सही समय पर उठाएं और उसे प्रेमपूर्वक बताएं कि हम दोनों को साथ समय बिताने की सख्त आवश्यकता है. इस में किसी भी प्रकार का व्यवधान नहीं होना चाहिए. यदि आप को रोज समय नहीं मिलता तो हफ्ते का एक दिन भी सिर्फ मेरे लिए रखो.

जीवन को रसीला बनाए रखने हेतु चुंबन की सार्थकता से इनकार नहीं किया जा सकता. इस संबंध में किए गए सर्वे का निष्कर्ष यह है कि नौकरी, बच्चे, आदत और पारिवारिक उत्तरदायित्व के कारण विवाहित युगल दिन में केवल 4 मिनट साथ होते हैं. वह वक्त वे चुंबन या प्रेमवार्त्ता को देते हैं तो दांपत्य जीवन में खुशहाली बनी रहती है.

एक आम युगल साल में 58 बार संभोग करता है यानी औसतन सप्ताह में एक बार. इसलिए सिर्फ सैक्स नहीं मित्रता, हासपरिहास, उदारता, क्षमापूर्ण स्वभाव व संभोग से बढ़ कर दंपती के बीच आपसी विश्वास सुखद  वैवाहिक जीवन के लिए महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है. इस के साथ ही जो व्यक्ति अपनी जीवनसंगिनी का सुबह के समय चुंबन लेते हैं, वे चुंबन न लेने वालों की तुलना में 5 वर्ष दीर्घ आयु वाले होते हैं. इसलिए चुंबन व प्रेमवार्त्ता हेतु समय अवश्य निकालें.

य़े भी पढ़ें- झट प्यार पट ब्रेकअप

पति और परिवार से पहले खुद से करें प्यार

‘योर बैस्ट ईयर एट’ की लेखिका जिन्नी डिटजलर कहती हैं कि अगर आप चाहते हैं कि आप का प्रत्येक वर्ष विशेष व अच्छा हो, तो अपने आप से प्रेम करने एवं आनंद प्राप्ति हेतु सब से पहले अपने प्रति दयावान बनो. जब तक आप चिंतामुक्त रहने का तरीका नहीं सीखोगे तब तक अपने आप को खुश नहीं रख सकते और दूसरों के साथ उदार व्यवहार नहीं कर सकते. इसलिए स्वयं से प्रेम करो और स्वयं को असंतोष और पछतावे से मुक्त रखो.

अपने आप को स्वीकार करो

जब आप स्वयं से बिना शर्त प्रेम करते हो, तो यह गुण आप की औरों से प्रेम करने की योग्यता में वृद्धि करता है. योग गुरु गुरमुख और खालसा कहती हैं कि स्वयं से प्रेम करना सांस लेने की भांति है. जबकि आमतौर पर होता यह है कि हम स्वयं से और अपने सपनों से अलग हो जाते हैं, इसलिए दुखी रहते हैं. जिन्नी कुछ व्यावहारिक तरीके स्वयं से जुड़ने के लिए बताती हैं, जो हैं अच्छा खाना, ध्यान, नए चलन के कपड़े पहनना, दान देने की कला और जीवन के उद्देश्य प्राप्त करना इत्यादि.

100 दिन के नियम

मोनिका जांडस, जिन्होंने ‘स्वयं से प्रेम करें’ नाम से प्रचार अभियान चलाया है, कहती हैं कि स्वयं को प्रेम भरा आलिंगन दो. स्वयं से प्रेम करोगे तो आजीवन प्रेम मिलेगा. जब मैं ने प्रचार शुरू किया तो मैं लोगों से चाहती थी कि वे स्वयं को 100 दिन 100 तरीकों से प्रेम करें. मैं चाहती थी लोग स्वयं की देखभाल करें. जीवन के प्रति लगाव रखें और अपनी भावनाओं को व्यक्त करें. आप विभिन्न चीजों को विभिन्न तरीकों से प्रतिदिन व्यवहार में लाने से स्वयं से प्रेम करना शुरू कर सकते हो. साथ ही अपना जीवन उद्देश्य तय कर के अपना लक्ष्य प्राप्त कर सकते हो.

ये भी पढ़ें- ससुर के साथ ऐसा हो आपका व्यवहार

पूर्वाग्रह को न कहो

पूर्वाग्रह का कभी पुलिंदा न बांधो. जहां भी संभव हो क्षमादाता बनो. माइकल डिओली, जो ‘आप के लिए उत्तम संभावनाएं’ के लेखक भी हैं, कहते हैं कि जीवन में सुगम यात्रा के लिए व्यक्ति को पूर्वाग्रहों के अतिरिक्त भार से समयानुसार मुक्त हो जाना चाहिए. केवल जरूरत पड़ने पर ही व्यक्ति को एक स्थान पर रुकना चाहिए. आप का द्वेष, आप का नकारात्मक आचरण, आप की सनक, द्वंद्व, क्रोध और आप की उदारता की कमी, आप को अच्छे संबंध बनाने से रोकती है.

अनीता मोरजानी, जो नैतिक उत्थान परामर्शदाता एवं लेखिका भी हैं, कहती हैं कि वास्तव में स्वयं के शत्रु हम स्वयं हैं और स्वयं के कठोर आलोचक भी. यदि औरों के प्रति भी हम इसी तरह का रवैया रखते हैं, तो हम हर व्यक्ति का आकलन एक ही दृष्टिकोण से करते हैं. हमें अपने जीवन के प्रत्येक पहलू को स्वीकार करना चाहिए, चाहे वह अच्छा हो या बुरा.

दूसरों के अधीन न बनो

सामान्य जीवन जीते हुए भी अगर मौका मिले तो पूर्ण आनंद लेने से खुद को मत रोको. मनोवैज्ञानिक रोहित जुनेजा, जो ‘दिल से जियो’ के लेखक भी हैं, कहते हैं कि हम स्वयं के सुख और विवाद के मुख्य स्रोत हैं. हम सभी मानव हैं और गलती करना मानवीय प्रवत्ति है. श्रेष्ठता के लिए दूसरों के अधीन न बनो और स्वयं के बारे में गलत राय भी न बनाओ. जरूरतमंद व्यक्तित्व प्रभावशाली नहीं होता. जीवन के उतारचढ़ाव के कारण स्वयं को जीवन के आनंदमयी क्षणों का आनंद लेने से वंचित न रखो.

स्वयं से प्रेम कैसे मुमकिन

स्वयं से प्रेम करने के लिए दिन में कम से कम 5 मिनट ध्यान करो जो रक्तचाप को कम कर जठराग्नि प्रणाली मजबूत करता है और साथ ही जीवन को प्रभावशाली तरीके से जीने योग्य बनाता है. ध्यान आप की स्मरण शक्ति में भी वृद्धि करता है, दुखों से लड़ना सिखाता है और आप के आवेश को रोकता है. तब आप स्वयं को प्रेम करने लगते हैं क्योंकि ध्यान आप की मानसिकता और स्वास्थ्य में वृद्धि करता है. यह खुशी प्रदान करने वाले हारमोंस का भी संचार करता है.

पारिवारिक समस्याएं

आप के निरंतर याद दिलाने और टोकने पर भी अगर आप का जीवनसाथी, घर के बिल, चाबी और घर के अन्य जरूरी सामान सही जगह पर नहीं रखता है, तो समस्या है कि खत्म ही नहीं होती और आप की परेशानी का कारण भी बन जाती है.

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ऐसा कछ होने पर परेशानी में उलझे रहने के बजाय यह सोचो कि आप ने जिस व्यक्ति से विवाह अपना सुखदुख साझा करनेके लिए किया है, उस के साथ आप को असमानता का साझा भी करना है. आप अपनी चिंता को सहज रूप से जीवनसाथी के समक्ष रखो और घर की व्यवस्था एवं निजी जरूरतों के बारे में भी बात करो.

इसी प्रकार कई बार थकावट के कारण कुछ पुरुष संभोग के इच्छुक नहीं होते, जिस के कारण संबंध बनाते समय उन में गर्मजोशी की कमी रहती है. ऐसे में उन की इच्छा के विरुद्ध अगर उन की जीवनसंगिनी उन से यौन संबंध बनाती है तो वे असहज महसूस करते हैं. जिस से जीवनसंगिनी असंतुष्ट रह जाती है.

इस संबंध में यौन विशेषज्ञों का कहना है कि हर 3 में से 1 युगल तब यौन संतुष्टि न होने की समस्या का सामना करता है जब एक साथी इच्छुक होता है और दूसरा इच्छुक नहीं होता. कई बार ऐसी दुशवारियों के कारण आप के दांपत्य जीवन की डोर टूटने की कगार पर आ जाती है. संभोग आप के लिए मात्र औपचारिकता नहीं है, बल्कि एक महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है. यदि आप का साथी संभोग हेतु इच्छुक नहीं है तो यौन इच्छा जाग्रत करने के कई कई उपाय हैं. आप उसे गुदगुदाएं तथा प्रेम भरी व कामुक वार्त्ता करें. इस से आप के साथी की यौन इच्छा जाग्रत होगी और वह यौन क्रिया हेतु तत्पर हो कर आप से सहयोग करने लगेगा. इस से आप दोनों ही यौन संतुष्टि पा सकोगे.

कामकाजी समस्याएं

औफिस से घर लौटने पर आजकल कई पुरुष लैपटौप या डिनर टेबल पर काम से संबंधित फोनकाल में व्यस्त रहते हैं, जो उन की जीवनसंगिनी की नाराजगी का कारण बनता है क्योंकि पूरे दिन के बाद यह समय आपसी बातचीत का होता है.

जब आप का जीवनसाथी लैपटौप या फोनकाल में व्यस्त हो, तो उसी समय समस्या पर तर्कवितर्क करने के बजाय मुद्दे को सही समय पर उठाएं और उसे प्रेमपूर्वक बताएं कि हम दोनों को साथ समय बिताने की सख्त आवश्यकता है. इस में किसी भी प्रकार का व्यवधान नहीं होना चाहिए. यदि आप को रोज समय नहीं मिलता तो हफ्ते का एक दिन भी सिर्फ मेरे लिए रखो.

जीवन को रसीला बनाए रखने हेतु चुंबन की सार्थकता से इनकार नहीं किया जा सकता. इस संबंध में किए गए सर्वे का निष्कर्ष यह है कि नौकरी, बच्चे, आदत और पारिवारिक उत्तरदायित्व के कारण विवाहित युगल दिन में केवल 4 मिनट साथ होते हैं. वह वक्त वे चुंबन या प्रेमवार्त्ता को देते हैं तो दांपत्य जीवन में खुशहाली बनी रहती है.

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एक आम युगल साल में 58 बार संभोग करता है यानी औसतन सप्ताह में एक बार. इसलिए सिर्फ सैक्स नहीं मित्रता, हासपरिहास, उदारता, क्षमापूर्ण स्वभाव व संभोग से बढ़ कर दंपती के बीच आपसी विश्वास सुखद  वैवाहिक जीवन के लिए महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है. इस के साथ ही जो व्यक्ति अपनी जीवनसंगिनी का सुबह के समय चुंबन लेते हैं, वे चुंबन न लेने वालों की तुलना में 5 वर्ष दीर्घ आयु वाले होते हैं. इसलिए चुंबन व प्रेमवार्त्ता हेतु समय अवश्य निकालें.

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