बच्चों को आत्मनिर्भर बनाएंगी ये 5 बातें

जिस तरह गीली मिट्टी को किसी भी आकार में ढाल कर खूबसूरत बरतन में बदला जा सकता है, ठीक उसी तरह बच्चों में अगर शुरुआत से ही अच्छी आदतें पैदा की जाएं तो वे बड़े हो कर अच्छे नागरिक बनते हैं और ये आदतें उन में जीवन भर बनी रहती हैं. आज की प्रतिस्पर्धी दुनिया में आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता बेहद जरूरी है जो व्यक्ति को जीवन के हर संघर्ष का सामना करने के लिए तैयार करती है. अगर बच्चों में ये गुण कम उग्र से ही विकसित हो जाएं तो ये जीवन भर उन के साथ बने रहते हैं.

बच्चों में आत्मनिर्भरता की भावना विकसित करने के लिए उन के आसपास का माहौल ऐसा होना चाहिए. जिस से उन में आत्मविश्वास पैदा हो. बच्चों के व्यवहार और व्यक्तित्व पर उन के मातापिता, अध्यापकों और साथियों का गहरा असर पड़ता है. जिस बच्चे को सहयोग, सराहना, प्रोत्साहन और सही मार्गदर्शन मिलता है वह आगे चल कर एक अच्छे व्यक्ति के रूप में विकसित होता है, उस में आत्मसम्मान की भावना होती है.

आत्मनिर्भर बनने के लिए जरूरी है कि अपने फैसलों पर भरोसा रखें और इन फैसलों के परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें. एक व्यक्ति जीवन की सभी मुश्किलों का सामना आसानी से कर सकता है बशर्ते उस में आत्मविश्वास हो. बच्चों में इस तरह का आत्मविश्वास पैदा करना मुश्किल है, लेकिन यह बहुत जरूरी है क्योंकि इसी से तय होता है कि बच्चे आगे कैसे व्यक्ति के रूप में उभरेंगे.

1. उदाहरण दे कर समझएं

मातापिता ही बच्चों की सब से बड़ी ताकत होते हैं. बच्चे अकसर हर स्थिति में अपने मातापिता जैसा व्यवहार करने की कोशिश करते हैं. इसीलिए अगर मातापिता में आत्मविश्वास है तो बच्चों में आत्मविश्वास की भावना स्वाभाविक रूप से आ जाती है. वे मातापिता जो अपने बच्चों के साथ डांटडपट करते हैं या छोटी सी बात के लिए भी उन की पिटाई तक कर देते हैं, वे न केवल बच्चों के लिए बुरा उदाहरण प्रस्तुत करते हैं बल्कि अपने खुद के आत्मसम्मान को भी नुकसान पहुंचाते हैं.

शारीरिक, मानसिक या भावनात्मक रूप से पीडि़त बच्चे आत्मसम्मान की भावना खो देते हैं. इसलिए मातापिता को ऐसा व्यवहार करना चाहिए कि बच्चा गलत व्यवहार या मारपिटाई के बिना ही अपनी गलती को समझ जाए.

ऐसा व्यवहार करें जिस से बच्चे में अच्छी आदतें पैदा हों. आप अपने अच्छे व्यवहार से बच्चों के लिए रोल मौडल बनें. इस से उन में खुदबखुद आत्मविश्वास पैदा होगा. धीरेधीरे वे आत्मनिर्भर बनने लगेंगे. सुनिश्चित करें कि बच्चों में ओवर कौन्फिडैंस यानी जरूरत से ज्यादा आत्मविश्वास न हो.

2. ध्यान रखें कि आत्मविश्वास अहंकार न बने

आत्मविश्वास जरूरी है, लेकिन बच्चे की इतनी ज्यादा सराहना भी न करें कि आत्मविश्वास अहंकार बन जाए. अच्छे व्यवहार की सराहना करना जरूरी है, मगर बिना कारण सराहना करने से बच्चे में अनावश्यक अहंकार पैदा होता है. अगर बच्चे ने वास्तव में अच्छा प्रयास किया है तो उस की सराहना करनी चाहिए और अगर वह किसी काम में असफल होता है तो अनावश्यक प्रशंसा न करें.

यह समझना जरूरी है कि हमेशा हर चीज एकदम परफैक्ट नहीं हो सकती. आप के बच्चे को मेहनत, कोशिश का महत्त्व पता होना चाहिए. लेकिन उसे यह बात भी समझनी चाहिए कि कभीकभी आप बहुत कोशिश के बाद भी कामयाब नहीं हो पाते. ऐसी स्थिति में हार मानने के बजाय आगे बढ़ें और कोशिश करना जारी रखें.

ऐसे व्यवहार से बच्चा यह समझ जाएगा कि उस के मातापिता हर स्थिति में उसे चाहते हैं और तभी वह आप की हर सलाह पर भरोसा करेगा, घर के नियमों का पालन करेगा. प्यार से ही आत्मविश्वास की नींव तैयार होती है. आप के बच्चे को यह पता होना चाहिए कि आप उसे हमेशा प्यार करते हैं, फिर चाहे वह पढ़ाई, खेलों या अन्य गतिविधियों में कैसी भी परफौर्मैंस दे. बच्चों को सिखाएं कि उन्हें हमेशा कामयाबी पाने के लिए कोशिश करनी है, लेकिन असफल होने पर कभी निराश नहीं होना है.

3. उन की उत्सुकता को दबाएं नहीं

बच्चों में हर चीज को जानने की इच्छा, जिज्ञासा होती है, उन में अनूठा रोमांच होता है. कई बार यह मातापिता के लिए सिरदर्द का कारण बन जाता है. लेकिन बच्चों के उत्साह को दबाने के बजाय मातापिता को इसे हैंडल करना आना चाहिए.

बच्चों की ऐनर्जी को सही दिशा में लगाएं. मातापिता को बच्चों पर चौबीसों घंटे निगरानी रखनी होती है खासतौर पर तब जब वे बहुत छोटे होते हैं.

लेकिन उन्हें आजादी भी मिलनी चाहिए ताकि वे अपनी पसंदनापसंद, अच्छेबुरे के बारे में सीख सकें. जब आप उन्हें खुद दुनिया को जानने का मौका देते हैं, तो उन में आत्मविश्वास पैदा होता है खासतौर पर तब जब उन्हें पता हो कि आप हर समय उन की मदद के लिए उन के साथ हैं.

4. बच्चों को आजादी देना

बच्चों को आजादी देने से पहले उन के लिए कुछ नियम तय कर दें. लेकिन ध्यान रखें कि ये नियम उचित हों जो उन की आजादी में बेवजह रुकावट पैदा न करें. अगर बच्चों को पता है कि आप उन से क्या उम्मीद करते हैं तो उन में बेहतर आत्मविश्वास होता है.

ऐसी स्थिति में अगर आप के बच्चे को अपने दोस्तों और साथियों के बीच कोई फैसला लेना है, तो वह इस बात को समझेगा कि उसे क्या करना है और क्या नहीं. ऐसे में वह सहज हो कर सही फैसला ले सकेगा.

हर व्यक्ति हमेशा सफल नहीं हो सकता, जीवन में हम गलतियों से ही सीखते हैं. आप सफलता और असफलता का मुकाबला कैसे करते हैं, उसी से आप में आत्मविश्वास पैदा होता है. बच्चे हर चीज को दिल से लगाते हैं. इसलिए अभिभावक होने के नाते आप का कर्तव्य है कि आप उन्हें समझएं कि असफलता से निराश नहीं होना है. लेकिन इसी के साथ उन्हें यह एहसास भी होना चाहिए कि उन्हें फिर से सफलता पाने के लिए कोशिश करनी है.

5. आत्मविश्वास सिखाना भी जरूरी

कोई भी मातापिता अपने बच्चों को पालने में गलतियां कर सकते हैं. हर स्थिति में आप की भूमिका तय नहीं होती, लेकिन बच्चों को सहानुभूति, दयालुता जैसे गुण सिखाने के साथसाथ आत्मविश्वास भी सिखाना जरूरी है. बच्चों को रिश्तों के उतारचढ़ाव के बारे में भी समझना चाहिए. अगर आप जिम्मेदार अभिभावक हैं तो आप बचपन से ही अपने बच्चों को आत्मनिर्भरता सिखाते हैं, जिस से आत्मविश्वास और आत्मसम्मान के गुण जीवन भर उन के साथ बने रहते हैं.

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