जिस तरह गीली मिट्टी को किसी भी आकार में ढाल कर खूबसूरत बरतन में बदला जा सकता है, ठीक उसी तरह बच्चों में अगर शुरुआत से ही अच्छी आदतें पैदा की जाएं तो वे बड़े हो कर अच्छे नागरिक बनते हैं और ये आदतें उन में जीवन भर बनी रहती हैं. आज की प्रतिस्पर्धी दुनिया में आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता बेहद जरूरी है जो व्यक्ति को जीवन के हर संघर्ष का सामना करने के लिए तैयार करती है. अगर बच्चों में ये गुण कम उग्र से ही विकसित हो जाएं तो ये जीवन भर उन के साथ बने रहते हैं.

बच्चों में आत्मनिर्भरता की भावना विकसित करने के लिए उन के आसपास का माहौल ऐसा होना चाहिए. जिस से उन में आत्मविश्वास पैदा हो. बच्चों के व्यवहार और व्यक्तित्व पर उन के मातापिता, अध्यापकों और साथियों का गहरा असर पड़ता है. जिस बच्चे को सहयोग, सराहना, प्रोत्साहन और सही मार्गदर्शन मिलता है वह आगे चल कर एक अच्छे व्यक्ति के रूप में विकसित होता है, उस में आत्मसम्मान की भावना होती है.

आत्मनिर्भर बनने के लिए जरूरी है कि अपने फैसलों पर भरोसा रखें और इन फैसलों के परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें. एक व्यक्ति जीवन की सभी मुश्किलों का सामना आसानी से कर सकता है बशर्ते उस में आत्मविश्वास हो. बच्चों में इस तरह का आत्मविश्वास पैदा करना मुश्किल है, लेकिन यह बहुत जरूरी है क्योंकि इसी से तय होता है कि बच्चे आगे कैसे व्यक्ति के रूप में उभरेंगे.

1. उदाहरण दे कर समझएं

मातापिता ही बच्चों की सब से बड़ी ताकत होते हैं. बच्चे अकसर हर स्थिति में अपने मातापिता जैसा व्यवहार करने की कोशिश करते हैं. इसीलिए अगर मातापिता में आत्मविश्वास है तो बच्चों में आत्मविश्वास की भावना स्वाभाविक रूप से आ जाती है. वे मातापिता जो अपने बच्चों के साथ डांटडपट करते हैं या छोटी सी बात के लिए भी उन की पिटाई तक कर देते हैं, वे न केवल बच्चों के लिए बुरा उदाहरण प्रस्तुत करते हैं बल्कि अपने खुद के आत्मसम्मान को भी नुकसान पहुंचाते हैं.

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