महिलाओं में दिख रहे ऐसे लक्षण तो डॉक्टर से करें संपर्क, हो सकती है एंडोमेट्रियोसिस नामक गंभीर बीमारी

महिलाएं अपनों का ध्यान रखने में इतनी डूब जाती हैं कि वो खुद का ख्याल रखना भूल जाती हैं. परिवार के सभी सदस्यों को तो हेल्थ चेकअप के लिए समय समय पर याद दिलाती रहती हैं, लेकिन जब बात खुद की होती है तो कई बार नजरअंदाज करती हुई भी नजर आती हैं. ऐसी अनदेखी कई दफा भरी पड़ जाती है. कई महिलाओं को हार्मोनल डिसीज से भी जूझना पड़ता है. हार्मोनल डिसीज बॉडी में अपनी जड़े मजबूत करती रहती हैं, लेकिन महिलाओं को इसके बारे में भनक भी नहीं लगती. इस आर्टिकल में एक ऐसे बीमारी के बारे में बताने वाले हैं, जिसको जानना बेहद जरूरी है। क्योंकि ये बीमारी उनसे ही जुड़ी हुई है. इसके लक्षण के बारे में भी बताएंगे.

डॉ. जगतजीत सिंह, बेबी जॉय आईवीएफ के सह-संस्थापक का कहना है कि एंडोमेट्रियोसिस है. यह एक ऐसा डिसऑर्डर है जो महिला के गर्भाशय की लाइनिंग बनाने वाले टिशु से मिलने के साथ ही टिशु यूटेराइन कैविटी से बाहर डेवलप होने लगता है. यह कोई छोटी-मोटी बीमारी नहीं है. इसको आम बोल चाल की भाषा में समझें तो इस बीमारी से महिलाएं बांझपन का शिकार हो सकती हैं. लेकिन इसका अच्छे से इलाज हो जाए तो महिला को गर्भधारण करने में समस्या कम हो सकती है.

एंडोमेट्रियोसिस बीमारी के लक्षण

  1. क्रोनिक पेल्विक पेन

जब किसी महिला को एंडोमेट्रियोसिस की बीमारी होती है तो उसके पेल्विक हिस्‍से में दर्द होने लगता है. इस बीमारी में महिला को मासिक धर्म के दौरान दर्द हो सकता है. इतना ही नहीं मासिक धर्म से पहले और दौरान पेट के निचले हिस्‍से में दर्द का सामना करना पड़ता है. माहवारी के एक या दो हफ्ते के आसपास ऐंठन हो सकती है. महिला को माहवारी के बीच में ब्‍लीडिंग या पीरियड्स में ज्‍यादा ब्‍लीडिंग होने की संभावना बढ़ जाती है. इनफर्टिलिटी, सेक्‍स के दौरान असहनीय दर्द होता है. पेशाब करने के दौरान भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

  1. असहनीय पीड़ा

मासिक धर्म में महिलाओं को दर्द का सामना करना पड़ता है. लेकिन जब कोई महिला एंडोमेट्रियोसिस की बीमारी से जूझ रही होती है तो उसको असहनीय पीड़ा होती है. पेट में दर्द होता है. ऐसी स्थिति में उस महिला को डॉक्टर से बातचीत करनी चाहिए.

  1. मेनोरेजिया या मेट्रोरहागिया

जब किसी महिला को एंडोमेट्रियोसिस की बीमारी होती है तो भारी या अनियमित मासिक धर्म का भी सामना करना पड़ता है। मासिक धर्म के दौरान ब्लड के प्रवाह में उतार-चढ़ाव हो सकता है। खून के थक्कों में इंटरमेंस्ट्रुअल स्पॉटिंग देखने को मिल सकते हैं, ऐसी स्थिति में डॉक्टर से मिलना चाहिए।

  1. डिस्पेर्यूनिया

सेक्स के दौरान असहनीय पीड़ा होना:

अगर कोई महिला एंडोमेट्रियोसिस की बीमारी से पीड़ित है तो डिस्पेर्यूनिया को तेज कर सकता है. सेक्स के दौरान या बाद में महिला को असहनीय पीड़ा का सामना करना पड़ सकता है. इस तरह के लक्षण में महिला को डॉक्टर से जल्द से जल्द मिलना चाहिए.

  1. बांझपन या बाधित गर्भाधान

एंडोमेट्रियोसिस की बीमारी से पीड़ित महिला बांझपन का शिकार हो सकती है. अगर एक साल से ज्यादा समय होने के बाद भी प्रेग्नेंसी में प्रॉब्लम हो तो तत्काल डॉक्टर से मिलना चाहिए. अगर शुरुआत में एंडोमेट्रियोसिस की बीमारी पता चलता है तो इसका इलाज संभव है.

6. आईवीएफ और फर्टिलिटी मैनेजमेंट

एंडोमेट्रियोसिस-संबंधित बांझपन पर नियंत्रण ऐसे मामलों में जहां एंडोमेट्रियोसिस को बांझपन के लिए एक महत्वपूर्ण  कारक के रूप में जाना जाता है, प्रजनन विशेषज्ञ सफल  गर्भधारण के लिए  महिलाओं को इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) जैसी सहायक प्रजनन तकनीकों की सिफारिश  करते हैं. आईवीएफ प्रजनन तकनीक  में अंडाशय से अंडे प्राप्त करना, उन्हें प्रयोगशाला में शुक्राणु के साथ निषेचित करना और फिर निर्मित भ्रूण को गर्भाशय में स्थानांतरित करना शामिल है. यह प्रक्रिया एंडोमेट्रियोसिस द्वारा उत्पन्न संभावित अवरोधों, जिसके कारण गर्भाधान की संभावना बढ़ जाती है,  से महिलाओं को निजात दिला देती है.

एंडोमेट्रियोसिस से संबंधित बांझपन से जूझ रहे महिलाओं के लिए, आईवीएफ एक आशा की किरण है. प्रजनन विशेषज्ञों के सलाहों पर अमल कर, महिलाएं व्यक्तिगत  रूप से उपचार के सन्दर्भ में विचार कर सकती हैं जो उनकी गर्भधारण की इच्छा को पूरा करती है. इस  प्रक्रिया में ओव्यूलेशन को विनियमित करने के लिए हार्मोनल दवाएं, एंडोमेट्रियल ऊतक को हटाने के लिए सर्जिकल उपचार, या प्रजनन क्षमता को अनुकूलित करने जैसी कई अन्य  प्रक्रियाएँ शामिल हो सकती हैं.

आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान,  प्रजनन विशेषज्ञ  डॉक्टर से परामर्श और उसका अनुपालन महत्वपूर्ण हैं. वे भ्रूण  के विकास को ट्रैक करेंगे, नियमित अल्ट्रासाउंड करेंगे, और स्वस्थ अंडा उत्पादन के लिए अंडाशय को उत्तेजित करने के लिए दवाएं देंगे. एक बार अंडे को  प्राप्त करने के बाद, उन्हें प्रयोगशाला में निषेचित किया जाता है, और परिणामस्वरूप भ्रूण को गर्भाशय में स्थानांतरित करने से पहले गुणवत्ता के लिए सावधानीपूर्वक मूल्यांकन किया जाता है.

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि आईवीएफ की सफलता दर विभिन्न कारकों के आधार पर भिन्न हो सकती है, जिसमें एंडोमेट्रियोसिस की गंभीरता, व्यक्ति की आयु और उसकी समग्र प्रजनन स्वास्थ्य शामिल है. हालांकि, प्रौद्योगिकी और प्रजनन उपचार में प्रगति के साथ एंडोमेट्रियोसिस से संबंधित बांझपन का सामना करने वाले महिलाओं  के लिए, आईवीएफ एक विश्वसनीय विकल्प है.

एंडोमेट्रियोसिस बीमारी के संकेतों को समझना महत्वपूर्ण है. क्योंकि कम उम्र में भी ऐसे लक्षण मिलते हैं। इसके संकेतों को कोई अगर समझना चाहे तो क्रोनिक पेल्विक पेन, डिसमेनोरिया, मेनोरेजिया या मेट्रोरेजिया, डिस्पेर्यूनिया, और प्रेग्नेंट होने में समस्या का सामना करना पड़ता है. अगर किसी महिला में ऐसे लक्षण हैं तो उसको कतई नजरअंदाज न करें. बॉडी में आने वाले ऐसे संकेतों को गंभीरता से लेना चाहिए. डॉक्टर से मिलकर ऐसे संकेतों के बारे में बात करें. जिससे कि ऐसे लक्षणों वाली महिला को प्रेग्नेंट होने में समस्या न हो.

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