बेस्टफ्रेंड की शादी में दिखा मीरा राजपूत का स्टाइलिश लुक, पहनी एक से बढ़कर एक ड्रेस

बॉलीवुड एक्टर शाहिद कपूर की वाइफ मीरा राजपूत अक्सर अपनी फोटोज को लेकर सुर्खियों में रहती हैं. पिछले दिनों जहां मीरा अपनी बिकिनी फोटोज को लेकर फैंस के बीच छाई थीं तो वहीं अब अपनी दोस्त की शादी में उनका लुक काफी चर्चा में हैं. शादी के हर फंक्शन में मीरा राजपूत का नया लुक फैंस को काफी पसंद आ रहा है, जिसे हर कोई ट्राय करना चाह रहा है. इसीलिए आज हम आपको मीरा राजपूत के पार्टी लुक्स की फोटोज दिखाएंगे, जिसे आप ट्राय कर सकते हैं.

येलो कलर की साड़ी में कुछ यूं था लुक

अपनी बेस्टफ्रेंड सेजल कुकरेजा की शादी को एंजॉय कर रहीं मीरा राजपूत ने हाल ही में अपने सोशलमीडिया अकाउंट पर कुछ फोटोज शेयर की हैं, जिनमें वह बेहद खूबसूरत लग रही हैं. फैशन डिजाइनर अनीता डोंगरे के कलेक्शन में शामिल येलो कलर की शिफॉन प्रिंटेड साड़ी पहने मीरा राजपूत फैंस के बीच छाई हुई हैं, जिसके साथ नॉर्मल मेकअप और मैट लिपस्टिक के साथ ट्रैंडी हेयरस्टाइल काफी खूबसूरत लग रहा था. वहीं इस लुक के साथ अनीता डोंगरे के कलेक्शन से पोटली बैग उनके लुक को और भी खूबसूरत बना रहा था.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Anita Dongre (@anitadongre)

ये भी पढ़ें- रेड साड़ी में कहर ढातीं नजर आईं दिशा परमार, राहुल वैद्य भी हो चुके हैं फिदा

लहंगे में था कुछ खास

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Mira Rajput Kapoor (@mira.kapoor)

मीरा राजपूत के दूसरे वेडिंग सेलिब्रेशन लुक की बात करें पर्पल कलर का लहंगा और उसके साथ डीप नेक ब्लाउज काफी खूबसूरत लग रहा है. वहीं महरून कलर के दुपट्टा के साथ मैचिंग पोटली उनके लुक को काफी स्टाइलिश बना रही है. इसके साथ ही मीरा का डायमंड नेकलेस और सिंपल ब्रेसलेट उनके लुक पर चार चांद लगा रहा है.

पिंक साड़ी में कुछ यूं था लुक

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Mira Rajput Kapoor (@mira.kapoor)

बेस्ट फ्रेंड की शादी सेलिब्रेशन में मीरा पिंक कलर की साड़ी में नजर आईं, जिसके साथ मीरा ने फ्लावर प्रिंटेड कढ़ाई वाला ब्लाउज कैरी किया था. मीरा राजपूत का ये लुक काफी ट्रैंडी लग रहा था.

ये भी पढ़ें- रियल लाइफ में कुछ ऐसा है ‘अनुपमा’ का फैशन, आप भी कर सकती हैं ट्राय

गर्ल गैंग के साथ कुछ यूं था लुक

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Mira Rajput Kapoor (@mira.kapoor)

गर्ल गैंग के साथ मीरा राजपूत ने एक फोटो शेयर की है, जिसमें वह औफ शोल्डर सिल्वर कलर के लौंग गाउन में नजर आ रही हैं. मीरा का ये लुक जितना सिंपल है उतना ही स्टाइलिश भी है, जो फैंस को काफी पसंद आ रहा है.

आखिर क्यों कबीर सिंह के रिव्यूज को हिप्पोक्रिटिकल मानते हैं शाहिद

16 साल के कैरियर में शाहिद कपूर ने काफी उतारचढ़ाव  झेले हैं. पर उन्होंने हार नहीं मानी. मगर अब फिल्म ‘कबीर सिंह’ को मिली अपार सफलता ने सारे समीकरण बदल कर रख दिए हैं. ‘कबीर सिंह’ अब तक लगभग 300 करोड़ रुपए कमा चुकी है. शाहिद के लिए यह एक नया अनुभव है, लेकिन वह कबीर सिंह के रिव्यूज को हिप्पोक्रिटिकल मानते हैं, जानें क्या है वजह…

फैंस को पसंद आई फिल्म

दर्शक फिल्म को पसंद कर रहे हैं, जबकि फिल्म आलोचकों ने काफी आलोचना की थी. इतना ही नहीं, कई समाजसेवियों ने भी फिल्म के खिलाफ आवाज उठाई थी.

 

View this post on Instagram

 

These weekend numbers got us all like ? #kabirsingh

A post shared by Shahid Kapoor (@shahidkapoor) on

ये भी पढ़ें- कौमेडी करना कपिल शर्मा पर पड़ा भारी, फैंस ने ऐसे किया ट्रोल

शाहिद का ये है मानना

फिल्म को मिले रिव्यूज पर शाहिद कहते हैं, ‘‘फिल्म के रिव्यू बहुत क्रिटिकल आए. जब हौलीवुड फिल्मों में रौ सीन दिखाते हैं, तो लोग कहते हैं कि यह बहुत महान सिनेमा है. यह पाखंड ही है कि 2013 में प्रदर्शित फिल्म ‘द वोल्फ औफ वाल स्ट्रीट’ में लियोनार्डो डि कैप्रियो ने जो किरदार निभाया था उस में तो कबीर सिंह से ज्यादा समस्याएं थीं. लेकिन सभी आलोचकों ने उस की जम कर तारीफ की थी. पर वही लोग कबीर सिंह की आलोचना कर रहे हैं. जबकि दर्शकों ने ‘द वोल्फ औफ वाल स्ट्रीट’ की ही तरह ‘कबीर सिंह’ को पसंद किया है. सच कह रहा हूं कि एक तरफ मु झे बहुत ही हिप्पोक्रिटिकल फीलिंग आई. रिव्यूज बहुत हिप्पोक्रिटिकल थे.’’

 

View this post on Instagram

 

Thank you for the overwhelming love. #kabirsingh

A post shared by Shahid Kapoor (@shahidkapoor) on

बता दें, शाहिद कपूर जल्द ही नई फिल्म जर्सी में नजर आने वाले हैं. वहीं इल फिल्म में उनकी हिरोइन सुपर 30 और बाटला हाउस जैसी फिल्मों में काम कर चुकी एक्ट्रेस मृणाल ठाकुर नजर आएंगी. अब देखना ये है कि क्या शाहिद अपनी नई फिल्म से भी कबीर सिंह जैसा जादू चला पाते हैं या नहीं.

ये भी पढ़ें- एरिका से ब्रेकअप की खबरों पर बोले पार्थ समथान, अनबन को लेकर कही ये बात

जानें, फेस्टिवल कैसे मानते हैं बौलीवुड स्टार्स   

सोनाक्षी सिन्हा को बचपन की यादें सताती हैं

मशहूर अभिनेता व राजनेता शत्रुघ्न सिन्हा की बेटी तथा बौलीवुड में कई कलाकारों के साथ काम कर चुकीं अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा यह बात मानती हैं कि समय व उम्र के साथ दीवाली पर्व को मनाने में उन की अपनी भूमिका बदलती रही है. पर उन्हें इस बात का एहसास नहीं हुआ.

ये भी पढ़ें- बाला फिल्म रिव्यू: जानें क्या है आयुष्मान की इस फिल्म में खास

सोनाक्षी कहती हैं, ‘‘बचपन में मेरे लिए दीवाली का मतलब अपनी मनपसंद चीजें खरीदना ज्यादा होता था. उस वक्त घर में बनने वाले पकवान, मिठाई आदि पर हमारा ध्यान ज्यादा रहता था. दीवाली के दिन घर पर हम सभी एकसाथ बैठ कर ट्रैडिशनल भोजन करते थे. मु झे याद है कि उन दिनों हमारे यहां बच्चों के लिए पटना से मिट्टी तथा शक्कर के बने हुए खास खिलौने आ जाया करते थे. उस तरह के खिलौने तब मुंबई में मिलते नहीं थे. बचपन की दीवाली के अपने अलग माने थे जोकि समय के साथ बदलते गए.’’

राजकुमार राव की दीवाली

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेता राजकुमार राव अब तक ‘लव सैक्स और धोखा’, ‘शाहिद’,  ‘अलीगढ़,’ ‘बरेली की बर्फी’ और ‘स्त्री’ सहित कई सफलतम फिल्मों में विविधतापूर्ण किरदार निभा चुके हैं.

राजकुमार राव तो दीवाली का त्योहार परंपरागत तरीके से ही मनाने में यकीन करते हैं. वे कहते हैं, ‘‘मैं हमेशा परंपरागत तरीके से दीवाली मनाता हूं. मेरे लिए यह त्योहार मिठाई खाने की स्वतंत्रता वाला है. कलाकार के तौर पर मिठाई खाने को ले कर हमें कई तरह की बंदिशों का पालन करना होता है. दीवाली के मौके पर हम एकदम स्वतंत्र होते हैं. दोस्तों के साथ आतिशबाजी करते हैं, कम प्रदूषण फैलाने वाले एकदो पटाखे फोड़ते हैं. दोस्तों के संग फन के लिए ताश का खेल भी खेलते हैं, पर इस खेल में पैसों का कोई लेनदेन नहीं होता.’’

मृणाल दत्त रखते हैं प्रदूषण का खयाल

कई टीवी सीरियलों के अलावा वैब सीरीज ‘कोल्ड लस्सी चिकन मसाला’, ‘हेलो मिनी’ में अभिनय कर चुके मृणाल दत्त मूलतया दिल्ली से हैं. वे दीवाली को ले कर कहते हैं, ‘‘मेरे लिए दीवाली का मतलब सैलिब्रेशन है, उत्सव है. इस का जश्न मनाया जाना चाहिए. हम बचपन से दीवाली मनाते आए हैं. बचपन में हमें मिठाई और पटाखे के लिए ही दीवाली के आगमन का इंतजार रहता था. पर अब समय बदला है. हम भी सम झदार हो गए हैं, अब हमारी सोच बदली है.

‘‘मगर हमारी सोच यह कहती है कि दीवाली का जश्न मनाते हुए हम इतना खुशी में न  झूम जाएं कि बेतहाशा पटाखे फोड़ें और प्रदूषण को निमंत्रण दे कर संकट मोल ले लें. देखिए, दीवाली के समय सर्दी का मौसम शुरू हो जाता है और दिल्ली जैसे शहर में सर्दी के मौसम में प्रदूषण के कारण लोगों की जिंदगी पर बन आती है. ऐसे में हमें इस बात का खास खयाल रखना चाहिए कि हम जश्न मनाएं पर उस से हमें या दूसरों को तकलीफ न हो.’’

मौनी रौय की मिठाइयां

‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी,’  ‘नागिन’ जैसे कई सफलतम सीरियलों के साथ 9 वर्ष तक टैलीविजन पर अभिनय करती रही अभिनेत्री मौनी रौय ने फिल्म ‘गोल्ड’ से अक्षय कुमार के साथ बौलीवुड में कदम रखा था. फिर वे जौन अब्राहम के साथ फिल्म ‘रौ’ में नजर आईं. अब वे अपनी अगली फिल्म ‘मेड इन चाइना’ में नजर आएंगी. दीवाली को ले कर वे कहती हैं, ‘‘हमारे घर पर हर वर्ष दीवाली के अवसर पर कई तरह की ढेर सारी मिठाइयां बनती हैं. इस बार भी यही योजना है. इस बार दीवाली के अवसर पर मेरी फिल्म ‘मेड इन चाइना’ प्रदर्शित होने वाली है. यदि इस फिल्म ने बौक्स औफिस पर सफलता के  झंडे गाड़ दिए, तो मेरे लिए यह दोहरा जश्न मनाने का मौका हो जाएगा. मु झे तो पूरी उम्मीद है कि ऐसा ही होगा.’’

मिखिल मुसाले को ट्रिपल सैलिब्रेशन का मौका

गुजराती फिल्म के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल कर चुके मिखिल मुसाले अब बतौर निर्देशक हिंदी फिल्म ‘मेड इन चाइना’ ले कर आए हैं. मूलतया महाराष्ट्रियन मगर पिछले 25 वर्षों से गुजरात में रह रहे मिखिल खुद को अब गुजराती ही सम झते हैं. मगर जब त्योहार का मामला होता है तो वह महाराष्ट्रियन पद्धति से ही त्योहार मनाते हैं.

दीवाली की चर्चा चलने पर मिखिल कहते हैं, ‘‘दीवाली के समय हमारी फिल्म रिलीज हो रही है और उसी सप्ताह में मेरा जन्मदिन भी है. यह ट्रिपल सैलिब्रेशन है. उत्साह है, नर्वस भी हूं.’’

वे आगे कहते हैं, ‘‘हम सब से ज्यादा दीवाली मनाते हैं. हम लोग रंगोली व मिठाई बनाने से ले कर आकाश कैंडिल तक बनाते हैं. मैं और मेरी बहन हम दोनों की क्राफ्ट में कुछ ज्यादा ही रुचि है. हम बचपन से रंगोली व आकाश कैंडिल बनाते आए हैं.’’

ये भी पढ़ें- क्या खत्म हो जाएगी ‘कार्तिक-नायरा’ की लव स्टोरी? ‘ये रिश्ता’ में आएगा बड़ा ट्विस्ट

गुलशन देवैय्या का पशु प्रेम

‘हंटर’, ‘हेट स्टोरीज’ सहित कई सफल फिल्मों व ‘स्मोक’ जैसी वैब सीरीज के अभिनेता गुलशन देवैया दीवाली नहीं मनाते हैं. वे कहते हैं, ‘‘पशु प्रेमी होने के चलते मैं दीवाली नहीं मनाता. मेरे घर में 3-3 बिल्लियां हैं. उन के लिए दीवाली का समय बहुत खौफ का समय होता है. पटाखों की आवाज से बेचारी बहुत डरती हैं. मु झे उन के लिए बहुत बुरा लगता है. बचपन में मैं बहुत पटाखे फोड़ा करता था. अब अंदर से भी पटाखे फोड़ने की इच्छा नहीं होती. दोस्तों के साथ पार्टी कर लेता हूं, मिठाइयां खा लेता हूं. मेरे कुछ दोस्त ताश खेलते हैं, पर मु झे उस का भी शौक नहीं है. मु झे ताश खेलना आता ही नहीं है.’’

सोनम कपूर को भाती है रोशनी और दीये

अदाकारा सोनम कपूर दीवाली को ले कर बेहद उत्साहित रहती हैं. वे कहती हैं, ‘‘मु झे रोशनी और दीयों से कुछ ज्यादा ही प्यार है, इसी कारण मु झे दीवाली का त्योहार ज्यादा पसंद है. वैसे भी दीवाली इस कदर खुशियों भरा त्योहार होता है कि हर कोई इसे मनाना चाहता है. स्वाभाविक तौर पर हम दीवाली के दिन दीये जलाते हैं. पूरे घर को रंगबिरंगे दीयों से रोशन करते हैं. लोगों को मिठाइयां बांटते हैं. इसी के साथ हम सभी एकसाथ मिल कर अच्छा समय गुजारते हैं.’’

पटाखों से रहती हैं दूर

नारी उत्थान की बात करने वाली अदाकारा तापसी पन्नू इस बार दीवाली के ही अवसर पर प्रदर्शित हो रही अपनी फिल्म ‘सांड़ की आंख’ को ले कर अतिउत्साहित हैं, जिस में उन्होंने 60 वर्ष की शार्प शूटर प्रकाशी तोमर का किरदार निभाया है.

दीवाली की चर्चा चलने पर तापसी कहती हैं, ‘‘बचपन में तो दीवाली के पहले से ही पटाखे फोड़ने लगती थी. फिर एक दिन मेरी सोच बदल गई क्योंकि सम झ में आया कि इस से प्रदूषण फैलता है. हुआ यह था कि हमारे घर के अंदर बहुत प्रदूषण हो गया था. मु झे अपने किचन से बैडरूम का दरवाजा साफसाफ नहीं दिख रहा था. उस दिन से मेरी सोच बदल गई और पटाखे जलाने बंद कर दिए. रंगोली बचपन से बनाती थी, अभी भी बनाती हूं. ताश के पत्ते या जुआ खेलने में कभी यकीन नहीं रहा. मु झे रंगोली बनाना बहुत पसंद है. अच्छी या बुरी जैसी भी हो, पर मु झे बनानी है. मैं अभी भी दीये पर पेंट करती हूं.’’

कबीर सिंह फिल्म रिव्यू: लीक से हटकर लव स्टोरी

रेटिंगः ढाई स्टार

निर्माताः मुराद खेतानी, अश्विन वर्दे, भूषण कुमार, किशन कुमार

लेखक व निर्देशकः संदीप रेड्डी वांगा

कलाकारः शाहिद कपूर, किआरा अडवाणी,अर्जन बाजवा और सुरेश ओबेराय

अवधिः दो घंटे 55 मिनट

बौलीवुड में प्यार को लेकर हजारों फिल्में बन चुकी हैं. बेइंतहा प्यार में डूबे प्रेमी अपनी जिंदगी बर्बाद कर लेते हैं. प्यार में कुर्बान हो जाने वाले प्रेमियों की भी कमी नही है. मगर फिल्म ‘‘कबीर सिंह’’ में एक अलग तरह की प्रेम कहानी है. यह कहानी एक बेहतरीन सर्जन डौक्टर की है, जो कि अति गुस्सैल है. उसके गुस्से आगे कोई नहीं ठहर सकता. वह अपने मेडिकल कौलेज की नई छात्रा प्रीति से बिना पूछे ही प्यार कर बैठता है और उसे अपने प्यार में दिवाना भी बना देता है. मगर कबीर सिंह भी दिशा भ्रम का शिकार है. अपने अंदर के गुस्से पर काबू न कर पाने और हालात का सही आकलन न कर पाने वाले युवक की कहानी है कबीर सिंह. माना कि वर्तमान युवा पीढ़़ी में चंद युवक कबीर सिंह की तरह गुस्सैल, दिशा भ्रमित, परिवार व समाज की परवाह न करने वाले, दिन रात ड्रग्स, शराब, सिगरेट आदि में डूबे रहने वाले,परि7स्थितियों का सही आकलन करने की बजाय सब कुछ गंवा देने वाला एक प्रतिशत युवक मौजूद होगा, मगर फिल्म में उसका महिमा मंडनकर पूरी युवा पीढ़ी को एक ही पायदान पर खड़ा कर देने की फिल्मकार की  कोशिश को जायज तो नहीं ठहराया जा सकता.फिल्म में कामुकता को प्यार से जिस तरह फिल्मकार ने जोड़ा है,वह भी कई सवाल खडा करता है. सिनेमा को महज मनोरंजन का साधन मानकर मनोरंजन के नाम पर इस तरह के चरित्रों का महिमा मंडन करना उचित है?मगर फिल्मकार की नजर में यह सारे सवाल बेमानी है क्योंकि हिंदी फिल्म ‘कबीर सिंह’ 2017 की सफल तेलगू फिल्म ‘अर्जुन रेड्डी’ का रीमेक है.

ये भी पढ़ें- करण-बिपाशा की गोद में दिखीं बच्ची, तो फैंस ने पूछा ये सवाल

कहानीः

यह कहानी नशे में धुत होनहार सर्जन डौक्टर कबीर सिंह की है,जो कि अपने पिता राजधीर सिंह (सुरेश ओबेराय) द्वारा घर से निकाला गया है. वह एक किराए के मकान में एक कुत्ते के साथ रहता है, जिसे वह प्रीति के नाम से बुलाता है. फिर कहानी अतीत में दिल्ली के एक मेडिकल कौलेज से शुरू होती है. जहां पर डौ.कबीर सिंह (शाहिद कपूर) मास्टर आफ सर्जरी की पढ़ाई कर रहा है. उसका जिगरी दोस्त है शिवा (सोहम मजूमदार). अपने गुस्से पर काबू न रख पाने वाला कबीर सिंह बेहतरीन फुटबाल खिलाड़ी भी है. गुस्से में किसी का भी सिर,हाथ या पैर तोड़ देना उसके लिए बहुत मामूली बात है. दो कौलेज की टीमें जब फुटबाल मैच के लिए मैदान पर उतरती हैं, तो दूसरी टीम के कैप्टन अमित (अमित शर्मा) व दूसरे खिलाड़ियों की कबीर सिंह जबरदस्त पिटाई करता है. जिसके चलते उसे कौलेज के डीन (आदिल हुसेन) कालेज से निकालने का आदेश दे देते हैं. मगर कौलेज में हुए नए प्रवेश में से एक लड़की प्रीति सिंह सिक्का (किआरा अडवाणी) को देखते ही कबीर सिंह उसे अपना दिल दे बैठते हैं. फिर वह डीन से लिखित माफी मांगकर कौलेज में ही बने रह जते हैं और कौलेज की हर कक्षा में जाकर शिक्षक की मौजूदगी में पंजाबी भाषा में हर लड़के व लड़की को धमकी दे आता है कि प्रीति के साथ कोई रैगिंग नहीं होगी, कोई उसे परेशान नहीं करेगा. प्रीति पर सिर्फ उसका हक है. होली के दिन जब अमित, प्रीति पर रंग डाल देता है और प्रीत रोती है, तो प्रीति को साथ ले जाकर जिस तरह से कबीर सिंह, अमित की पिटाई करता है, उससे प्रीति का वह दिल जीत लेता है. उसके बाद कबीर सिंह, प्रीति की परछाई बनकर अपनी सर्जन की पढ़ाई पूरी करता है. प्रीति भी डाक्टर बन जाती है. मगर इस दौरान दोनों के बीच न सिर्फ प्यार परवान चढ़ता है, बल्कि कबीर सिंह व प्रीति के बीच शारीरिक संबंध भी कई बार बनते हैं. मगर फिर प्रीति के रूढ़िवादी परिवार और कबीर सिंह के गुस्से के चलते प्रीति की शादी कहीं और हो जाती है. कबीर सिंह शराब व ड्रग्स के नशे में जो गुस्से में जो हरकत करता है, उसके चलते कबीर के पिता उसे घर से बाहर कर देेते हैं. अब कबीर सिंह खुद को तबाह करने लगता है. इसी बीच एक अभिनेत्री जिया शर्मा (निकिता दत्ता) से भी कबीर सिंह के शारीरिक संबंध बनते हैं. वह आज भी बेहतरीन सर्जन है. उसका एक भी आपरेशन असफल नहीं होता, जबकि वह सारे आपरेशन शराब व ड्रग्स के नशे में धुत होकर ही करता है. पर एक आपरेशन के बाद उसका काम उससे छिन जाता है. अब तो उसकी जिंदगी तबाही के कगार पर पहुंच चुकी है. तभी कबीर सिंह की दादी (कामिनी कौशल) की मौत हो जाती है और इससे कबीर सिंह विचलित होकर खुद को नशे से दूर करने का वादा कर सुधर जाता है फिर एक दिन नौ माह की गर्भवती प्रीति से कबीर सिंह की मुलाकात एक बगीचे में होती है, पता चलता है कि प्रीति के पेट में कबीर का ही बच्चा पल रहा है. दोनों की शादी हो जाती है.

लेखन व निर्देशनः

एक नकारात्मक चरित्र को हीरो बनाकर पेश करने के लिए फिल्मकार संदीप रेड्डी वांगा ने सिनेमा के सारे क्राफ्ट का बेहतरीन उपयोग किया है. ड्रग्स व शराब के आदी, अति गुस्सैल, अपनी प्रेमिका के प्रति अति संरक्षणात्मक रवैया, सेक्स में डूबा रहने वाला, हिंसक मगर कुशल सर्जन को अपनाना दर्शक के लिए कठिन होता है, मगर फिल्मकार संदीप रेड्डी वंगा के कथा कथन शैली में गुम दर्शक सब कुछ पचा जाता है. कबीर सिंह का प्यार पर फना हो जाने का जज्बा, प्यार व अपने पेशे के प्रति ईमानदारी, काम से हटाए जाने की नौबत आने पर भी झूठ की सच बोलने की कबीर की अदा भी कबीर को दर्शकों का अपना बना देती है. मगर दर्शक सोचता रहता है कि तमाम बुराईयों व नकारात्मक पक्ष के बावजूद कबीर सिंह में कुछ अच्छा निकलकर आएगा, लेकिन अंत तक ऐसा कुछ नहीं होता. कबीर सिंह एक बेहरतीन प्रेमी भी नहीं बन पाता, क्योकि प्रीति से शादी न होने के बाद वह दूसरी शादी नहीं करता, मगर अपनी शारीरिक इच्छा यानी कि महज सेक्स यौन तृप्ति के लिए एक फिल्म अभिनेत्री से संबंध जोड़ता है. फिल्मकार ने जिस तरह से जंगल व कार के अंदर कबीर व अभिनेत्री जिया के बीच सेक्स संबंध दिखाए हैं, वह कबीर को अति छोटा ही बनाते है. जब कबीर सिंह खुद को बर्बादी की तरफ ले जा रहे होते हैं, तो उनके अंदर का जो दर्द है, वह दर्शक महसूस नहीं कर पाता, यह निर्देशक और अभिनेता शाहिद कपूर की कमजोरी ही है.

ये भी पढ़ें- बेबी शौवर में दिखा समीरा रेड्डी का ट्रेडिशनल लुक

डायरेक्शन…

इंटरवल के बाद फिल्म पर से फिल्मकार की पकड़ थोड़ी ढीली हो गयी है. इंटरवल के बाद कहानी में काफी दोहराव है. एडीटिंग टेबल पर इसे कसने की जरुरत थी. लगभग तीन घंटे की अवधि से फिल्म काफी लंबी हो गयी है. इसे काफी कम किया जा सकता था.

फिल्म के गाने प्रभावित नहीं करते. फिल्म में जिस तरह से एक दो लाइनें बीच बीच में पिरोई गयी हैं, वह कहानी की गति को बाधित करती हैं.

इतना ही नही जिसने मूल तेलगू फिल्म ‘अर्जुन रेड्डी’ देखी है, उन्हें ‘कबीर सिंह’ काफी सतही फिल्म नजर आएगी. ‘अर्जुन रेड्डी’के साथ ‘कबीर सिंह’ की तुलना करने वालों को कबीर सिंह से निराशा ही होगी.

अभिनयः

अति जटिल, डार्क, विद्रोही, गुस्से पर काबू न रखने वाले, ड्रग्स व नशे के आदी कबीर सिंह के किरदार को जीवंत कर शाहिद कपूर ने अपनी उत्कृष्ट अभिनय क्षमता को दर्शाया है, मगर कुछ दृश्यों में ‘उड़ता पंजाब’ वाला देाहराव भी है. कबीर सिंह के दोस्त शिवा के किरदार में सोहम मजूमदार ने खुद को एक बेहतरीन कलाकार के रूप में उभारा है. मेडिकल कौलेज के डीन के छोटे किरदार में आदिल हुसैन की प्रतिभा को जाया किया गया है. किआरा अडवाणी खूबसूरत लगी हैं. पर कई दृश्यों में वह अपनी आंखों से काफी कुछ कह जाती हैं. दादी के किरदार में कामिनी कौशल याद रह जाती है. सुरेश ओबेराय, निकिता दत्ता, अर्जन बाजवा, कुणाल ठाकुर ने ठीक ठाक काम किया है.

ये भी पढ़ें- ‘मिस्टर बजाज’ के मीम्स पर बिपाशा ने ऐसे उड़ाया पति करण का मजाक

Edited by Rosy

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें