गुरु की भूमिका हर व्यक्ति को निखारने में किसी न किसी रूप में सहायक होता है. यही वजह है कि गुरु शिष्य की परंपरा सालों से चली आ रही है. पहले ये शिक्षा आश्रमों और कुटियों में दिया जाता था, पर अब समय के साथ-साथ इसका रूप स्कूल और कॉलेज ले चुके है. ऐसा माना जाता है कि गुरु की शिक्षा के बिना किसी व्यक्ति का समुचित विकास संभव नहीं. गुरु केवल अध्यापक ही नहीं कोई भी हो सकता है, जो आपको सही मार्गदर्शन करवाएं और जीवन में आये किसी भी सही या गलत बातों से परिचित करवाएं. ये सही है कि बदलते समय में गुरु की परिभाषा बदल चुकी है.
गुरु शिष्य परंपरा में भी बदलाव आ चुका है, पर इसकी महत्ता को कभी भूलाया नहीं जा सकता. यही वजह है कि हर साल 5 सितम्बर को ‘टीचर्स डे’ मनाया जाता है. इसी आधार पर ये जानने की कोशिश की गयी हैकि आखिर आज की पीढ़ी के जीवन में गुरु की परिभाषा क्या है? क्या सोचते है वे इस बारें में? कौन है उनके जीवन का आदर्श जिसे वे अपना गुरु या मेंटर मानते है? आइये जाने क्या कहते है छोटे पर्दे के सितारें.
रिषिना कंधारी कहती है कि मुझे जीवन में जिन लोगों ने सही और गलत का ज्ञान दिया है, वही मेरे गुरु है. जीवन में बहुत सारें लोग ऐसे मिलते है जो कुछ न कुछ आपको सीख देते रहते है, मैं अपने आपको ‘एकलव्य’ और शिक्षा देने वाले को ‘द्रोणाचार्य’ कहती हूं. अभी मैं जो शो कर रही हूं उसमें मुझे मारवाड़ी संवाद बोलने पड़ते है, जिसके लिए मुझे मेरे निर्देशक धर्मेन्द्र शर्मा और मेरी को एक्ट्रेस नीलू बाघेला है, जो मुझे संवाद के बारें में पूरी जानकारी देती है, अभी मैं उन्हें ही अपना गुरु मान रही हूं.
शशांक व्यास के हिसाब से मेरे अध्यापक मेरे जीवन के बहुत बड़े आदर्श है, उन्होंने मुझे जीवन के सही रास्ते दिखाए है, जिसपर चलकर आज मैं सफल हो पाया हूं, पर मेरी माँ की भूमिका भी इसमें कम नहीं है, हर पल, हर रास्ते पर वह मेरे साथ चली है. यहाँ मुझे एक बात का दुःख है कि गुरु को हमेशा अपने शिष्यों को समान दृष्टि से देखने की जरुँरत है, वे कम पढ़ाकू बच्चे और अधिक पढने वाले बच्चों के बीच में भेद-भाव कभी न करें. इससे बच्चे का मनोबल टूटता है. एक बार एक अध्यापक ने मेरे पिता से कहा था कि मेरा कोई एम्बिशन या गोल नहीं है, क्योंकि मेरे मार्क्स कम आये थे. मेरे हिसाब से अगर किसी छात्र को नंबर कम आते है तो अध्यापक को उस छात्र पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है, इससे उन्हें आगे बढ़ने और आत्मविश्वास को बनाये रखने में सफलता मिलती है. बच्चों को सफलता से अधिक असफलता से निपटने की जानकारी गुरु को देने की आवश्यकता है. मार्कस जीवन में अधिक महत्व नहीं रखते, क्योंकि जीवन में हर कठिन परिस्थिति से निकलने में जो व्यक्ति सफल होता है, वही आज कामयाब है.
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अमल सेहरावत कहते है कि जो व्यक्ति आपको जीवन के उद्देश्य और आशावादिता को बनाये रखने में सहयोग दे वही गुरु है. मेरे पेरेंट्स और कास्टिंग डायरेक्टर अतुल मोंगिया ये दोनों मेरे जीवन के सही मेंटर रहे है. मुझे अभी भी याद है जब मुझे एक्टिंग में कोई काम नहीं मिल रहा था और मेरा आत्मविश्वास डगमगा रहा था, तब इन लोगों ने मुझे सहारा दिया और मेरे कॉन्फिडेंस को बनाए रखने में सहायता की थी और बर्तमान में रहने और उसे एन्जॉय करने की सलाह दी थी, इससे मैं अपनी सशक्तता को बनाये रखा और आज सफल हूं.
धारावाहिक ‘उडान’ और नागिन फेम विजेंद्र कुमेरिया का कहना है कि गुरु मेरे लिए वह है जो मुझे सही दिशा में चलने के लिए गाइड करें और जीवन में कुछ अच्छा करने के लिए प्रेरित करें. मेरे जीवन में मेरे पिता एक दोस्त, मेंटर और गाइड है. बचपन की कुछ यादे मुझे आज भी अच्छी लगती है. मुझे याद आता है जब मैं जूनियर क्लास में था और 5 साल का था, मेरा भाई सेकंड क्लास में था. उसकी क्लास टीचर एक पारसी लेडी थी, जो बहुत खूबसूरत थी. मैं कभी-कभी मेरे भाई से मिलने उसकी कक्षा में जाया करता था, क्योंकि मुझे वह लेडी मुझे चोकलेट दिया करती थी. एक दिन मैंने उसे कहा था कि मैं बड़ा होकर उनसे शादी करूँगा. अब मुझे ये सोचकर हंसी आती है.
ध्रुवी हल्दंकर कहती है कि टीचिंग एक नोबल प्रोफेशन है और ये किसी भी बच्चे को एक आकार देने के साथ-साथ उसके जीवन को एक दिशा प्रदान करती है. मेरी गुरु पंडित बिरजू महाराज की बेटी ममता महाराज है, जिन्होंने मुझे जीवन का उद्देश्य बताया और समझाया है. वह मेरी कथक की गुरु है. इसके अलावा मेरी इंग्लिश टीचर अनीता अरोड़ा,वीना मलिक, मैथ टीचर ब्रांडा ब्रिगेंजा, जो मेरे माँ के हाथ का बनाया हुआ अचार पसंद करती थी और मुझे कई बार एक बोतल अचार लाने को कहा करती थी.
अंकित सिवाच कहते है कि गुरु केवल स्कूल और कॉलेज में ही नहीं पाए जाते. जो भी व्यक्ति आपके जीवन में आपको सही रास्ता दिखाए, आप पर विश्वास रखे, वही गुरु कहलाया जा सकता है. मैं परिवार से लेकर उन सभी के लिए आभार प्रकट करता हूं, जिन्होंने मुझे यहाँ तक पहुँचने में सहायता की है और अभी तक खुद को रुटेड रख पाया हूं. मुझे याद आता है, जब मैं 9 वीं कक्षा में था और मेरी फीलिंग नुपुर मैडम के लिए हो गया था. मैं बहुत चिंतित था और कई रातों तक ये सोचकर सो नहीं पाया था कि कही ये बात किसी को पता न चल जाय. आज इसे सोचकर हंसी आती है.
डिब्रूगढ़ आसाम और धारावाहिक संस्कार की चर्चित शमीन मन्नान के जीवनमें अलग-अलग समय पर अलग लोगों ने दिशा निर्देश दिया है, जिसमें नीरज काबी ने एक्टिंग के क्राफ्ट को समझाया है. वह कहती है कि मुझे याद आता है जब मैं 10 वीं कक्षा में थी और मुझे मेरे साइंस टीचर ने क्लासरूम से बाहर घंटो खड़ा किया था, क्योंकि मैंने क्लास में अपनी बेस्ट फ्रेंड को देखकर हंसी थी, जो मुझे बहुत ख़राब लगा था, क्योंकि सभी मेरे जूनियर्स मुझे देखकर हँसते हुए जा रहे थे, इससे मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस हुयी थी और मैं बाद में पूरे दिन रोई थी. अब मुझे उस बात को सोचकर हंसी आती है.
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धारावाहिक अनुपमा में चर्चित होने वाले अभिनेता आशीष मेहरोत्रा के अनुसार एक अच्छे गुरु की जरुरत हर बच्चे को होती है, ताकि वह उसके सपनो और उद्देश्यों को साकार होने में सही दिशा दिखा सकें. ये पेरेंट्स के साथ-साथ गुरु का होता है. जिसमें वह जीवन के मूल्यों, आज़ादी के सही अर्थ, आशा-निराशा, सही -गलत, सफलता-असफलता आदि सभी को सीखता है. मेरे जीवन में केवल एक मेंटर ही नहीं कई रहे है, जिसमें माता-पिता से लेकर पडोसी, सहकर्मी आदि सभी का किसी न किसी रूप में सहयोग मेरे कामयाबी में रहा है. मेरे स्कूल टीचर माधुरी मैडम, मुक्ता मैडम, अजय सर आदि के लिए मेरा सम्मान हमेशा से है. जबकि मुंबई आने पर कास्टिंग डायरेक्टर काविश सिन्हा, सौरव सर और प्रशांत सर आदि सबका सहयोग मेरे साथ रहा है. उन सभी के लिए मेरा आभार सदैव रहेगा.