‘‘कजरी की ही तरह मेरे लिए भी प्रेम से ऊपर सुरक्षा है’’ -शिखा मल्होत्रा

‘‘रनिंग शादी’’और ‘फैन’’ फिल्मों में छोटे किरदार निभाने के बाद शिख मल्होत्रा ने अब देदिप्य जोशी की फिल्म ‘‘कांचली’’ में मुख्य भूमिका निभायी है.

सवाल- फिल्म अभिनेत्री बनने के निर्णय को आपके परिवार का कितना सहयोग मिला?

-अपनी युवावस्था में मेरी मम्मी ने ‘women’s era’ और ‘गृहशोभा’’ पत्रिकाओं के लिए मौडल के तौर पर काफी प्रिंट शूट किए थे. फिर उनका एक्सीडेंट हो गया,तो यह सिलसिला बंद हो गया था.उनके वक्त में फिल्म इंडस्ट्री में काम करना वैसे भी अच्छा नहीं माना जाता था.पर मेरी मॉं ने मुझे फिल्मों में काम करने से मना नहीं किया. पर वह चाहती थीं कि मैं पहले पढ़ाई पूरी करुं. इसलिए मैंने नर्सिंग का कोर्स पूरा किया. मेरी मम्मी ने ही मुझे डांसिग और सिंगिग, कविताएं लिखना सब कुछ सिखाया. पापा भी यही चाहते थे कि बेटा पहले पढ़ाई कर लो.

सवाल- दो बड़ी फिल्मों के असफल होने के बाद छोटे निर्माता निर्देशक की फिल्म ‘‘कांचली’’ करना रिस्क नहीं है?

-जी नहीं…मेरे मन में कोई शंका नहीं थी.जब मुझे फिल्म‘‘कांचली’’का आफर मिला,तो मैने बैनर कितना बड़ा है,यह सोचने की बजाय कहानी व किरदार पर गौर किया.फिल्म ‘‘कॉंचली’’को करते समय मेरे अंदर कोई डर नहीं था.मुझे अपनी प्रतिभा पर यकीन था.मैंने हीरोइन नहीं,बल्कि एक्टर के रूप में आने की बात सोचते हुए इस फिल्म में कजरी का किरदार निभाया.देखिए,राज कुमार राव हीरो नहीं बल्कि एक एक्टर हैं,एक परफार्मर हैं, जो कि‘न्यूटन’ जैसी फिल्म को अपने कंधे पर अकेले ही ढोते हैं.लोगों को हीरो व एक्टर तथा हीरोइन व एक्टर के बीच के अंतर को समझना होगा.इसी तरह विक्की कौशल हैं.

सवाल- यह माना जाए कि ‘‘कांचली’’करने की मूल वजह लीड करेक्टर करने का अवसर मिल रहा था?

-देखिए,लीड किरदार मेरी कभी प्राथमिकता नही रही. लेकिन ‘कांचली’ करने की एकमात्र वजह इसकी स्क्रिप्ट रही.कजरी का किरदार किसी भी युग या किसी वर्ग का हो सकता है. फिर चाहे वह अंगे्रज औरत हो,शहरी भारतीय हो या ग्रामीण गंवार औरत ही क्यों न हो.हम सभी इससे अपने आपको जोड़ लेंगे. इसी के चलते मैने इस फिल्म को किया.

मैं अपने आप को सौभाग्य शाली मान रही थी कि इतनी बढ़िया स्क्रिप्ट मुझे निभाने को मिली.वह भी उस युग में जहां महिलाओं को शिक्षा दी जा रही है कि ‘आप लडे,भिड़े, आगे बढ़े.गिरिए मत.खुद को उठाइए. अगर गिरे हैं,तो उठ कर चलिए. आपको कोई नहीं रोक सकता. आप अगर नारी शक्ति है, तो आप में खुद ही बहुत शक्ति है.

सवाल- कजरी के किरदार को कैसे परिभाषित करेंगी?

-कजरी दूध दही बेचने वाली गुर्जर लड़की है. वह खूबसूरत व अलग तरह की बेबाक लड़की है,जिसे इस बात का कोई बोध नहीं है कि उसके आसपास क्या चल रहा है.वह अपने मायके में पली बढ़ी है.उसे खुश रहना है,ऐसी उसकी कोई मजबूरी नहीं है.कोई लालच नहीं है कि कोई उसे झुका सके.वह अपने आप में सक्षम है.कजरी किसी प्रकार के लालच,डर से परे है.बेखौफ है. बेबाक है.वह केवल एक खूबसूरत सी जिंदगी जीना चाहती है.उसे प्रेम चाहिए.कजरी अपने पति का प्यार मांगती है कि मैं सब कुछ छोड़ छाड़ कर आपके पास आई हूं,तो आपसे प्यार व सुरक्षा मिलनी ही चाहिए.तो कजरी नारी सुरक्षा की मांग करती है.वह प्यार चाहती है.कजरी शादीशुदा जीवन में अपने पति द्वारा अच्छे कपड़े पहना देने,अच्छा खिला देने,अच्छा घुमा देने जैसे जीवन की मोहताज नहीं है.

सवाल- आपकी परवरिश दिल्ली जैसे महानगर में हुई है.जबकि फिल्म ‘‘कॉंचली’’का आपका कजरी का किरदार गांव का है.तो खुद को कजरी में ढालने के लिए आपकी अपनी क्या तैयारी रही?

-आपने एकदम सही फरमाया.मैं हमेशा दिल्ली में ही रही हूं.गांव से मेरा कभी संबंंध नहीं रहा. मेरी पैदाइश दिल्ली में हुई है और पापा भी दिल्ली में ही है.शुरू से तो हमने कभी गांव देखा नहीं.मुझे जब पता चला कि ग्रामीण निवासी कजरी का किरदार इतना बेबाक है, तो उसका जो पहनावा है,उसमें अगर आप झिझक करेंगे,तो साफ नजर आएगा.क्योंकि गांव की औरतें तो वैसी ही होती हैं. उनके लिए कांचली पहनना,घागरा पहनना रोज का काम है.उनके लिए यह पोशाकें शरीर दिखने का प्रतीक नही है.क्योंकि राजस्थान के ग्रामीण इलाके में यह उनकी पोशाक है. बुड्ढी बुड्ढी औरतें भी ऐसी पोशाकें पहनती है. बुड्ढी बुड्ढी औरत बेबाक खेतों में काम करती हैं. उन्हें कभी नहीं लगता कि शरीर दिख रहा है.गॉंव में मां बहन पत्नी सब ऐसे ही रहती है.तो  मुझे लगा कि अपने आपको तैयार करना पड़ेगा.मैं तो शूटिंग शुरू होने से 15 दिन पहले ही राजस्थान के उदयपुर पहुंच गए थे. मैने वहां की औरतों से बातचीत की.उनके रहन सहन पर गौर किया.उनकी बाडी लेंगवेज, उठना बैठना आदि पर गौर किया.आप शहर में पले बड़े होते हैं.गांव की धूल मिट्टी नहीं लगी होती है,तो आप तो गोरे चिट्टे होते हैं, रंग साफ होता है.पर गॉंव के लोग तो धूल मिट्टी में ही रहते हैं.

सवाल- फिल्म का ट्रेलर देखकर आपकी मां ने क्या कहा?

-मेरी मम्मी ने कल रात ही फिल्म का ट्रेलर देखा,देखने के बाद वह रो रही थी.फोन पर कहा कि तुमने यह मुकाम हासिल कर लिया. वह बहुत इमोशनल हो रही थी. उन्होने कहाकि उन्हे मुझ पर गर्व है.

सवाल- अब आप किस तरह के किरदार निभाना चाहेंगी?

-मेरी इच्छा पूरी तरह से औरतों पर आधारित कहानियों वाली फिल्में करने की है.मैं नारी प्रधान फिल्में करना चाहती हूं.मेरा मतलब यह है कि कहानी ऐसी हो, समाज को संदेश मिल सके कि आप गिर कर उठ सकते हैं.आप किसी चुनौती का सामना करके फिर खड़े हो सकते हैं. मेरी नजर में कलाकार होना महज काम नही है,बल्कि हम पब्लिक फिगर हैं. कलाकार के तौर पर मैं पर्दे पर  कुछ ऐसा लेकर आना चाहॅंगी,जो हजारों करोड़ों लोगों के लिए मददगार साबित हो. मैं किसी किरदार केा महज निजी फायदे के लिए नही निभाना चाहती. मनोरंजन एक अलग फैक्टर है.दर्शक को मनोरंजन देने के साथ कुछ सबक भी देना चाहिए.तो मैं संदेशप्रद फिल्मों को प्राथमिकता दूंगी.

निजी जीवन में मैं चुलबुली बहुत हूं. लेकिन अंदर से बहुत सहज हूं.तो मुझे ऐसा लगता है कि मैं मीना कुमारी जी का किरदार निभा सकती हूं.उसके साथ न्याय भी कर पाऊंगी.मेरी फिल्म ‘कांचली’ के पोस्टर देखकर भी कुछ लोगों ने कहा कि इसमें मीना कुमारी की झलक है. मेरे लिए यह बहुत ही बड़ा सौभाग्य होगा कि मुझे मीना कुमारी जी की बायोपिक करने का अवसर मिल जाए.

सवाल- आप पहले कविताएं लिखती थी. अभी लिखना जारी है या बंद कर दिया?

-कविताएं लिखना और पेंटिंग करना जारी है.मैंने अब तक कुछ 25 26 कविताएं ऐसी होंगी जिन्हें में हाईलाइट करना चाहूंगी.बाकी तो बहुत सारी कवितांए है.कुछ तो  बचपन से लिखती आ रही हूं.

सवाल- किस तरह की कविताएं लिखती हैं?

– मैं प्रेम रस वाली कविताएं व गीत लिखती हूं. मैं डुएट भी लिखती हूं. पर इन कविताओं का मेरी निजी जिंदगी से कोई लेना देना नहीं है.यह मेरी लेखन की समझ है. मुझे दुनिया से जो मिला, उसे कलम बद्ध कर दिया. बचपन से मेरा इतना अनुभव रहा कि मेरी 11 जज्बे वाली कविताएं हैं, जो आपको उडान भरने के लिए प्रोत्साहित करेंगी.

सवाल- ज्यादातर लोगों का मानना है कि प्रेम या वियोग की कविताएं लोग बिना निजी अनुभव के लिख नहीं सकते?

-मुझे ऐसा लगता है कि प्रेम को लोग ‘ब्वौयफ्रेंड ’या ‘हसबेंड’ की शक्ल दे देते हैं.मेरे लिए तो मेरे माता पिता ने जो मुझे प्रेम दिया,वह बहुत बड़ी अमानत है. तो मेरे लिए जो प्रेम रहा है,वह बहुत ही गहरा अनुभव रहा है.आज उनके प्रेम की वजह से ही जिंदा हूं.जो प्रेम मुझे माता-पिता से मिला,जो सिर्फ माता-पिता से मिला.

सवाल- आपने इन कविताओं को किताब के रूप में बाहर लाने की नही सोची?

-मैंने सोचा है.लेकिन मुझे लगा कि उससे पहले मैं अपना नाम व पहचान बना लूं. लोग मुझे एक अभिनेत्री के तौर पर जाने.तब किताब ज्यादा बिकेगी.एक कवि जीवन भर कविताएं लिखता है, जिसमें उसके  अपने जीवन भर के अनुभव होते हैं,पूंजी होती है.पर यदि वह ज्यादा लोगो तक न पहुंचे तो बेकार. इसलिए लिखती जा रही हूं. जिस दिन मुझे लगेगा कि अब लोग मुझ पर भरोसा कर पा रहे हैं, उस दिन किताब लेकर आउंगी.

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सवाल- आपने शास्त्रीय संगीत भी सीखा है?

-मैंने शास्त्री महाविद्यालय से शास्त्रीय संगीत की विधिवत शिक्षा ली है.मैं एक प्रशिक्षित क्लासिकल सिंगर हूं.मैं संगीत के स्टेज शो भी करती रहती हॅूं.मैंने कई शो की एंकरिंग भी की है.पर अभी तक फिल्मों में पाश्र्व गायन नहीं किया है. पर जब मौका मिलेगा,उस दिन गा लूंगी. पर मैं फिल्म में उस गीत को गाना पसंद करुंगी, जो मुझ पर फिल्माया जाएगा. तो मैंने फिल्म‘‘कांचली’’में प्रतिभा सिंह बघेल के साथ बिदाई गीत गाया है. जिसके बोल हैं-‘‘जन्म के नाते छोड़ चली नए-नए बंधन जोड़ चली….’’

सवाल- आप डांसर भी बहुत अच्छी हैं.तो क्या डांस के प्रोग्राम भी करती हैं?

-जी हां!मैं स्वतंत्र रूप से डांस कंसर्ट करती हूं, जिसमें मुझे 3 से 4 घंटे का समय मिलता है. एक चर्चित कार्यक्रम है-‘‘बॉलीवुड नाइट विथ शिखा मल्होत्रा.’’मनीष मुद्रा जी नाइजीरिया की ‘इंडोरामा’नामक एक बड़ी कंपनी के लिए काम करते हैं.यह कंपनी दुबई सहित कई देशों में है. तो कई देशों में मेरे नृत्य के कार्यक्रम हो चुके हैं. दिल्ली में मेरा अपना‘शिखा मल्होत्रा डांस ग्रुप’’है. मेरे ‘शिखा मल्होत्रा डांस ग्रुप’’में करीबन पंद्रह सोलह डांसर है. जब भी मुझे शो करना होता है, मैं इन्हें प्रैक्टिस करवाती हूं. फिर हम लोग डांस कंसर्ट तैयार करते हैं.

सवाल- आपके डांस के शो कहां कहां हुए?

-भारत के कई शहरों के अलावा विदेशों में भी डांस के कंसर्ट करती आयी हूं. मैंने पेरिस,नाइजेरिया व दुबई में डांस कंसर्ट किया है. दिल्ली में ‘इंडिया हाईवे’बहुत बड़े स्टैटिक डॉक्टर का एक ब्रांड है, जिसमें देश विदेश के सर्जन आते हैं,उनके लिए लगातार दो साल डांस कंसर्ट किए हैं. 2019 के अगस्त माह में किया.इससे पहले अगस्त 2016 में भी किया था.

सवाल- आप बेहतरीन डांसर हैं. यह अभिनय में किस तरह से मदद करता है?

-अभिनय करने में नृत्य हमेशा मदद करता है. वर्तमान समय में युवा पीढ़ी को लुभाने के लिए फिल्म में बेहतरीन नृत्य चाहिए.इसके अलावा कलाकार को भव अभिव्यक्ति में भी नृत्य मदद करता है.नृत्य आपको अलग अलग तरह की मुद्राएं देता है.

सवाल- सोशल मीडिया में आप कितना व्यस्त रहती हैं? क्या लिखना पसंद करती हैं?

-फेशबुक,ट्वीटर व इंस्टाग्राम जैसे  सोशल मीडिया पर मैं अभी अपनी फिल्म के बारे में ही लिख रही हॅूं. वैसे फेसबुक और इंस्टाग्राम पर हमेशा सक्रिय रही हूं.मैं लोगों को हमेशा अपना काम दिखाने की कोशिश करती हूं.किसी दिन अपनी कविता लिखकर अपने मूड़ को व्यक्त करने करती हूं, ताकि लोगों को यह तो पता चले कि मैं क्या हूं और कौन हूं?मैं कैसा सोचती हूं? मैं सिर्फ फोटो डालने में यकीन नहीं करती.मेरी राय में फोटो का मतलब होना चाहिए.

https://www.youtube.com/watch?v=TawISs-6AWM

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