‘दिल तो पागल है’ की रीमेक फिल्म में एक्टिंग करना चाहती हैं शिव ज्योति राजपूत 

नारी स्वतंत्रता की बहुत बातें होती हैं, पर यह भी सच है कि आज भी हमारे देश में राजपूत परिवारों में लड़कियों को सिनेमा से दूर ही रखा जाता है. यह हमारे देश व समाज की सचाई है. मगर कुछ लड़कियां इस दीवार को लांघ कर बौलीवुड से जुड़ रही हैं. ऐसी ही लड़कियों में से एक हैं शिव ज्योति राजपूत, जो रणवीर सिंह के साथ 5 और अक्षय कुमार के साथ 2 एड फिल्में करने के बाद इन दिनों ‘आल्ट बालाजी’ और ‘जी 5’ की वैब सिरीज ‘बेबाकी’ में कायनात के किरदार में नजर आ रही हैं.

प्रस्तुत हैं, शिव ज्योति राजपूत से हुई ऐक्सक्लूसिव बातचीत के अंश:

कहा जाता है कि राजपूत परिवार के लोग अपनी बेटियों को सिनेमा से दूर रखते हैं, पर आप तो सिनेमा से जुड़ी हुई हैं?

राजपूत परिवार की लड़कियों को शौक की खातिर संगीत या नृत्य सीखने की छूट होती है, मगर इस में कैरियर बनाने की इजाजत नहीं होती है. कला या सांस्कृतिक कार्यक्रमों से हमेें दूर ही रहना होता है. हम परदे पर जा कर कुछ करें, ऐसा संभव नहीं है. मगर मैं आज जो कुछ कर रही हूं, उस में मुझे भाई का बड़ा योगदान है. उस ने मेरा बहुत सपोर्ट किया. उसी ने मातापिता को समझाया कि मुझे अपनी प्रतिभा साबित करने का अवसर दिया जाना चाहिए. तब मुझे 3 माह का वक्त दिया गया था. तो मैं ने बैंक की नौकरी के साथ ही संघर्ष करना शुरू किया और तीन माह के अंदर ही मेरा एक विज्ञापन टीवी पर आ गया. सब कुछ सही ढंग से हो गया और फिर मातापिता से काम करने की इजाजत मिल गई. मैं अभी भी दिल्ली में बैंक की नौकरी कर रही हूं. और अभिनय जगत में संघर्ष जारी है. शूटिंग के लिए बैंक से छुट्टी ले लेती हूं अन्यथा राजपूत परिवार की लड़की के लिए शिक्षा जगत में कुछ भी करने की छूट होती है, पर सिनेमा जगत में कदम रखना असंभव है.

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क्या आप ने अभिनय की कोई ट्रेनिंग ली है?

जी नहीं… मैं माधुरी दीक्षित की फिल्में देखते हुए बड़ी हुई हूं. थिएटर में फिल्म देखने के बाद या टीवी पर उन की फिल्म देखने के बाद मैं खुद घर पर उसी तरह से आईने के सामने खड़ी हो कर अभिनय करने की प्रैक्टिस करती थी. मुझे लगता है कि मैं ने माधुरी दीक्षित से ही अभिनय सीखा है. इस के अलावा मैं ने दिग्गज कलाकारों के साथ विज्ञापन फिल्में करते हुए उन से बहुत कुछ सीखा.

आप के भाई की भी रुचि अभिनय में रही है?

जी, नहीं. उन की रुचि अभिनय या बौलीवुड में नहीं है. वे मेरे काम या मेरे अभिनय से खुद को हमेशा दूर ही रखते हैं. वे इंजीनियर हैं और एक बड़ी कंपनी में काम करते हैं. भाई का मानना है कि एक इंसान अपने दिल की पुकार सुन कर जो कुछ करना चाहता है, उसे उस काम को करने की आजादी मिलनी चाहिए. खुद को रोकना या किसी बंदिश में जकड़ने के बजाय अपनी काबिलीयत को साबित करने का प्रयास करना चाहिए ताकि आप अपने जीवन में कुछ रचनात्मक काम कर के कुछ हासिल कर सकें न कि जीवनभर खुद को दोष देते रहें कि यह काम नहीं कर पाए.

आप ने कहां तक शिक्षा हासिल की है और क्या पढ़ाई आप ने अपने मातापिता की इच्छा का सम्मान करते हुए की?

मैं ने मार्केटिंग में एमबीए किया है और इस वक्त डिजिटल मार्केटिंग में एमबीए की पढ़ाई भी कर रही हूं. पढ़ाई के साथ नौकरी भी कर रही और अभिनय भी. मैं काफी मल्टीटास्किंग हूं.

देखिए, हर मातापिता की इच्छा होती है कि उन का बेटा या बेटी उच्च शिक्षा हासिल कर अपने लिए एक जगह बनाए, उसे अच्छी नौकरी मिले. हर मातापिता का सपना होता है कि उन के बच्चे काबिल बने. उन के बच्चे जीवन, कैरियर व शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति करें. कोई भी मातापिता यह नहीं सोचता कि उन का बच्चा अभिनेता, गायक, संगीतकार या निर्देशक बने. वे तो यह सोचते हैं कि उन के बच्चे के अंदर जो भी टेलैंट है, उस के अनुरूप वे उन्नति करें.

अभिनय से जुड़ने की परिवार से इजाजत मिलने के बाद पहली एड फिल्म कैसे मिली थी?

यह बड़ा रोचक किस्सा है. पहला एड उस वक्त मिला, जब घर से इजाजत नहीं मिली थी और मैं बैंक में कार्यरत थी. मेरी मित्र को औडिशन के लिए बुलाया गया था, जिस के काफी खूबसूरत बाल थे. वह मुझे अपने साथ जबरन ले गई. वहां पहुंचने पर वहां मौजूद कास्टिंग डाइरैक्टर ने मुझ से भी औडिशन देने के लिए कहा, जबकि मुझे पता था कि मुझे अभिनय व एड फिल्में करनी हैं, पर उस वक्त घर से इजाजत न मिलने का मसला था और मेरे अंदर आत्मविश्वास की भी कमी थी, पर उन्होंने मुझ से कहा कि मैं कैमरे के सामने अपना परिचय ही दे दूं. तो मैं ने दे दिया. पता चला कि एड फिल्म के लिए मेरा चयन हो गया और मुझे शूटिंग के लिए मुंबई आना था.

तब मैं ने मातापिता से झूठ बोला कि मुझे बैंक की ट्रेनिंग के मकसद से 4 दिनों के लिए मुंबई जाना है. इस तरह मुंबई आ कर मैं ने एड फिल्म ‘डौक’ की शूटिंग की और जब यह एड टीवी पर आता था, तो मेरी कोशिश रहती थी कि उस की तरफ मेरे मातापिता का ध्यान न जाए. अमूमन यह वह वक्त होता था, जब हम सभी रात्रिभोज की टेबल पर होते थे, तो उस वक्त मैं अपने मातापिता को बातों में इतना व्यस्त रखती कि उस एड की तरफ उन का ध्यान ही न जाए. मगर बाद में भाई ने मेरे मातापिता को समझाया, तब मैं अभिनय में भी सक्रिय हो गई.

आप ने वैबसिरीज ‘बेबाकी’ से ही अभिनय की शुरुआत करने का निर्णय किस आधार पर लिया?

यह भी काफी दिलचस्प किस्सा है, क्योंकि जब मैं एड फिल्म की शूटिंग पूरी कर मुंबई से दिल्ली वापस जाने वाली थी, तभी ‘आल्ट बालाजी’ से रितिका मैडम को मेरा नंबर मिला और उन्होंने मुझे फोन कर के औडिशन देने के लिए कहा, तो मैं ने उन से कहा कि मैं यह कह नहीं सकती कि मैं यह वैब सिरीज कर पाऊंगी, क्योंकि उसी वक्त मेरे पास एक फीचर फिल्म का भी औफर था. पर मैं ने आडिशन दिया. इधर मुझे फिल्म के लिए चुने जाने का संदेश  मिला, तो कुछ देर बाद मुझे वैब सिरीज ‘बेबाकी’ के लिए भी चुने जाने का संदेश मिला. तब मेरे सामने दोनों में से किसी एक को चुनने का सवाल था. मैं ने सोचा कि यदि मुझे पहली बार खुद को परदे पर पेश करना है, तो किस तरह से करना है. मैं खुद को सिर्फ एक हीरोइन की तरह पेश करना चाहती हूं या खुद को एक सशक्त, स्ट्रौंग नारी के तौर पर पेश करना चाहती हूं. मेरी जिंदगी में जो मेरे अपने प्रिंसिपल, जीवन मूल्य, संस्कार रहे हैं, उन से मैं ‘बेबाकी’ के अपने किरदार कायानात के संग रिलेट कर पा रही थी. हर इंसान के जीवनमूल्य उस के ऐटीट्यूड में नजर आते हैं. तो मुझे कायनात का किरदार एक सशक्त लड़की का लगा, मुझे लगा कि इस तरह के किरदार निभाने का अवसर जिंदगी में एक बार ही मिलता है, तो यह मौका क्यों गंवाया जाए. हम आगे चल कर अलगअलग तरह के किरदार चुन सकेंगे. मैं दूसरी हीरोइनों की तरह खुद को नहीं बनाना चाहती. मैं अपनेआप को एक सशक्त व्यक्तित्व के रूप में ही पेश करना चाहती हूं. इसीलिए मैं ने ‘बेबाकी’ से जुड़ने का फैसला लिया.

कायनात के किरदार को ले कर क्या कहेंगी?

कायनात के किरदार में कई लेयर हैं. यह एक सशक्त दिमाग वाली तेजतर्रार लड़की है, जो पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाना चाहती है. उस का अपनी मां के साथ अलग रिश्ता है. पिता के साथ अलग रिश्ता है. अपनी बहनों के संग अलग रिश्ता है. अपने प्रेमी के साथ अलग रिश्ता है. उस के बौस ही नहीं उस की सहेलियों के संग भी अलग रिश्ता है. वह अपने उसूलों की बड़ी इज्जत करती है. उस के उसूल ही उस की सब से बड़ी ताकत हैं.

अब आप किस तरह के किरदार निभाना चाहेंगी? किस तरह की फिल्में करना चाहेंगी?

मैं ‘दिल तो पागल है’ की रीमेक फिल्म में अभिनय करना चाहूंगी. इस फिल्म के पूजा के किरदार को निभाना मेरा सपनों का किरदार है. मैं किसी न किसी फिल्म में माधुरी दीक्षित का किरदार जरूर निभाना चाहती हूं.

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आप ने अक्षय कुमार व रणवीर सिंह जैसे अनुभवी कलाकारों के साथ विज्ञापन फिल्में करते हुए क्या सीखा?

मैं ने रणवीर के साथ ‘नैरोलैक,’ ‘हैड ऐंड सोल्डर’ भी किया है. वह ‘हेड ऐंड सोल्डर’ के ब्रैंड ऐंबैसेडर हैं और मैं उस का चेहरा हूं. हम दोनों ने एकसाथ कम से कम 5 एड फिल्में की हैं. हम ने खूब मस्ती के साथ काम किया. मैं ने रणवीर सिंह और अक्षय कुमार को काम करते हुए देख कर बहुत कुछ सीखा.

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