स्मिता पाटिल की बायोपिक में काम करना चाहती हूं– श्रेया बुगडे  

मराठी टीवी धारावाहिक ‘चला हवा येउन द्या’ से फेमस होने वाली मराठी एक्ट्रेस श्रेया बुगडे मुंबई की है. बचपन से ही उसे क्रिएटिव चीजे करने में मजा आता था. केवल 8 साल की उम्र में उसने थिएटर में अभिनय करना शुरू कर दिया था. उसने मराठी के अलावा हिंदी, गुजराती और अंग्रेजी नाटकों में भी काम किया है. एक्टिंग के करियर में आगे बढ़ने में मदद की उसकी मां नूतन बुगडे ने, जिन्होंने हमेशा उसे सहयोग दिया. वह कौमिक रोल के लिए अधिक जानी जाती है. काम के दौरान श्रेया प्रोड्यूसर निखिल सेठ से मिली प्यार हुआ और शादी की. दोनों एक दूसरे के पूरक है. श्रेया अपनी इस जर्नी से बहुत खुश है. हैंडलूम कपड़े के उज्वल तारा ब्रांड की ब्रांड एम्बेसेडर श्रेया से हुई बातचीत रोचक थी.पेश है कुछ अंश.

सवाल- अभिनय के क्षेत्र में आने की प्रेरणा कहां से मिली ?

बचपन से ही मुझे अभिनय की इच्छा थी, क्योंकि मेरी मां महाराष्ट्र के छोटे से शहर अलीबाग में रहते हुए भी एक्टिंग की शौक रखती थी, उनके परिवार ने साथ दिया, पर वह पूरा नहीं हो पाया और उनकी शादी होने के बाद मुंबई आ गयी. फिर हम दो बहनों का जन्म हुआ. बड़ी बहन के लिए पहले मां ने कोशिश की, पर वह पढ़ने में अधिक रूचि रखती थी. उनका सपना फिर मेरे लिए आया. मैं स्कूल से ही बहुत एक्टिव थी. मैंने वहां किसी भी एक्टिविटी में भाग लेना नहीं छोड़ा था. मेरी क्रिएटिविटी को देखते हुए मां हीरा नाईक से मिली, जो बच्चों की थिएटर करती है. मेरी उम्र उस समय केवल 8 साल की थी. उन्होंने मेरा औडिशन लिया और मैं चुन ली गयी. यही से मेरी अभिनय की जर्नी शुरू हुई.

ये भी पढ़ें- हमारे यहां सारे कानून बदलने की सख्त है जरूरत -ईशा गुप्ता

सवाल- पहला बड़ा ब्रेक कब और कैसे मिला?

कौलेज के दौरान भी मैं नाटकों में अभिनय करती थी, कई गुजराती और मराठी निर्देशकों ने मुझे एप्रोच किया. चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में मेरी मराठी नाटक ‘वाटेवर्ती काचा ग’ काफी प्रसिद्द हुई थी जिससे लोग मुझे जानते थे और काम मिलने में अधिक कठिनाई नहीं हुई, क्योंकि चाइल्ड एब्यूज पर आधारित इस नाटक के बहुत सारी शोज पूरे देश में हुए थे. टर्निंग पॉइंट मेरे जीवन की मराठी धारावाहिक है,जिसे मैं पिछले 5 साल से कर रही हूँ.

सवाल- क्या यहां तक पहुंचने में कुछ संघर्ष करने पड़े?

संघर्ष तो हमेशा रहता है. इस फील्ड में टिके रहना ही सबसे बड़ा संघर्ष था. मुझे किसी प्रकार की कोम्प्रोमाईज नहीं करना था, इसलिए अच्छी किरदार का मिलना बहुत मुश्किल था.

सवाल- कोम्प्रोमाईज शब्द से क्या कहना चाहती है?

कोम्प्रोमाईज से मेरा मतलब काम से है. मुझे अपने अनुसार भूमिका चाहिए और उसके मिलने पर ही मैं काम करती हूं. इसके अलावा यहां हजारों की संख्या में लोग अभिनय के लिए आते है. औप्शन बहुत सारे है. आज किसी को स्टार की जरुरत नहीं होती. ठीकठाक दिखने वाले और अभिनय कर पाने वाले को काम अवश्य मिल जाता है. गलत एप्रोच मुझे आजतक किसी ने नहीं किया. टैलेंट के आधार पर सही काम मिलने में मुझे समय लगा. मैंने निर्देशक, लेखक और साथी कलाकार की वजह से बहुत कुछ सीखा है.

सवाल- आपने नाटकों,धारावाहिकों आदि में काम किया है,किससे आपको अधिक संतुष्टि मिलती है?

माध्यम सभी पसंद है. अभिनय करने का तरीका सबमें एक है. सभी को मैं एन्जौय करती हूं, लेकिन आज भी नाटक या अभिनय करते हुए रोंगटें खड़े होते है. नर्वसनेस और एक्साइटमेंट को एक कलाकार ही समझ सकता है. ये सारे माध्यम मुझे संतुष्टि देती है. मेरी पोपुलर धारावाहिक से आज मेरी जिंदगी बदल चुकी है. मैं इसमें 6 एक्टर्स में अकेली लड़की हूं. आज रास्ते में भी लोग मेरी भूमिका को सराहते है, जो मुझे अच्छा लगता है.

सवाल- आगे की योजनायें क्या है?

मुझे कौमिक रोल अधिक मिल रहे है, जिसे मैं करना नहीं चाहती. मैं अलग और अच्छी भूमिका की तलाश में हूं. फिर चाहे वह फिल्म हो या वेब सीरीज मैं अवश्य करुंगी. मैंने इन 25 सालों में कोई प्लान नहीं किया था. ये हमारे हाथ में नहीं होता, फ्लो में जो मिलता गया मैंने किया और वह सही रहा. आगे भी ठीक होगा.

ये भी पढ़ें- मलाइका ने अर्जुन के लिए लिखा ये इमोशनल पोस्ट

सवाल- आपकी ड्रीम प्रोजेक्ट क्या है?

मुझे स्मिता पाटिल की बायोपिक में काम करने की इच्छा है. मेरे पति प्रोड्यूसर है अगर 40 की उम्र तक किसी ने मुझे इस भूमिका के लिए प्रपोज नहीं किया, तो मैं उनसे इस बायोपिक को बनाने की इच्छा जाहिर करुंगी.

सवाल- आपके काम में परिवार वाले कितना सहयोग देते है?

मेरी मां ने शुरू से मुझे सहयोग दिया है. इसमें मेरे पिता का भी बहुत सहयोग रहा है. मेरी कामयाबी के पीछे मेरे पिता अरुण बुगडे का बहुत बड़ा हाथ है, क्योंकि उन्होंने कभी किसी बात में टोका नहीं है. वे दिल से आर्टिस्ट है. मेरे पति इंडस्ट्री से है, इसलिए वे मेरे काम को जानते है. इसके अलावा मेरे सास-ससुर भी मेरे काम से गर्वित है.

सवाल- आप कितनी फैशनेबल है? क्या कोई खास डिजाइनर है?

मैं डिजाइनर के कपड़े बिल्कुल भी नहीं पहनती. मेरी मां का सालों से क्रिएट किया हुआ मेरा एक क्लासिक वौरड्राप है, जिसमें पूरे भारत से लायी गयी साड़ियां, दुपट्टे, ड्रेसेस, हैंडलूम के कपड़े, ज्वेलरी आदि सब है. जब मैं तैयार होकर निकलती हूँ तो सभी मेरे ड्रेस को देखकर चौक जाते है. मेरी मां मेरी स्टाइलिस्ट है.

सवाल- कितनी फूडी है?

मुझे पकाना कुछ भी नहीं आता, लेकिन मुझे हर तरह के व्यंजन पसंद है. मां के हाथ का बनाया सारे नॉन वेज मुझे पसंद है.

ये भी पढ़ें- थाईलैंड में हनीमून मना रहे हैं सुष्मिता सेन के भाई, स्वीमिंग पूल में किया रोमांस

सवाल- मानसून को आप कैसे एन्जौय करती है? बेस्ट हायजिन के लिए क्या संदेश देना चाहती है?

मानसून बहुत ही रोमांटिक मौसम है. उस समय मुंबई में बहुत सारी एक्टिविटीज भी होती है, जिससे ये मौसम और भी खुशनुमा बन जाता है. बारिश बहुत अधिक होती है, इसलिए मैं अपनी गैलरी में बैठकर गरम-गरम पकौड़े खाना पसंद करती हूं. इसके अलावा मैं सबसे कहना चाहती हूं कि इस मौसम में पतले और हलके फैब्रिक के कपड़े पहनने के साथ-साथ शोर्ट लेंथ के कपड़े पहने, ताकि कपड़े गीले न हो और हाईजिन भी बनी रहे. बाहर के फूड न खाएं. पानी की बनी हुई चीजे अवौयड करें, जिसमें गन्ने का रस,नीबू पानी, पानी पूरी आदि सभी लेने से बचें. घर आने पर हाथ पैर को मेडिकेटिड साबुन से अच्छी तरह धोना न भूलें.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें