जानें काम के बीच क्यों जरूरी है झपकी, पावर नैप के ये हैं फायदे

अकसर औफिस में लंच के बाद आलस्य या नींद हावी हो जाती है. ऐसे में कुछ काम करते ही नहीं सूझता. बारबार आंखें बंद हो जाती हैं. मन करता है कि कोई एकांत कोना मिल जाए जहां कुछ देर की झपकी ले जी जाए. वैज्ञानिक इसी झपकी को पौवर नैप कहते हैं, जिसे ले लेना बहुत जरूरी है. इस से आप का काम बिलकुल भी प्रभावित नहीं होता है, बल्कि पौवर नैप लेने के बाद आप दोगुनी ऊर्जा के साथ तेजी से अपना काम निबटा सकते हैं.

 

1. पावर नैप कितनी देर

आप को फिर से तरोताजा करने वाली पौवर नैप जरूरत के अनुसार 10 मिनट, 20 मिनट या फिर एक घंटा तक की हो सकती है. आदर्श पौवर नैप 20 मिनट की मानी जाती है. लगातार 8 घंटे काम करने के दौरान कुछ देर के लिए ली गई एक पौवर नैप आप को दोबारा रीचार्ज कर देती है और आप बेहतर तरीके से काम कर पाते हैं.

इंसान पूरे दिन में 2 बार ऐसा महसूस करता है कि उसे नींद आ रही है. यह मानव शरीर का स्वभाव है. आप चाहें भी तो इसे रोक नहीं सकते. दिन में ली गई एक झपकी वास्तव में पूरी रात की नींद के बराबर आप को एनर्जी देती है.

अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अनुसार, 26 मिनट तक कौकपिट में सोने वाला पायलट बाकी पायलटों की तुलना में 54 प्रतिशत सतर्क और नौकरी के प्रदर्शन में 34 प्रतिशत ज्यादा बेहतर देखा गया है. नासा में नींद के विशेषज्ञों ने नैप के प्रभावों पर शोध करने पर पाया कि नैप लेने से व्यक्ति के मूड, सतर्कता और प्रदर्शन में काफी सुधार होता है.

10 मिनट की झपकी आप को पूरी रात की नींद जैसा फ्रैश महसूस करवा सकती है. आप 10 से 20 मिनट के बीच ली गई पौवर नैप से बिना सोए रातभर की नींद जैसा फायदा उठा सकते हैं. खास बात यह है कि 10 मिनट की झपकी लेने से मांसपेशियों के बनने से ले कर याददाश्त के मजबूत होने तक में सहायता मिलती है.

दोपहर के वक्त लंच के बाद 20 से 30 मिनट की पौवर नैप सब से अच्छी है, मगर ज्यादा नींद आती हो, तो भी एक घंटे से ज्यादा नहीं सोना चाहिए, वरना आप के शरीर की जैविक घड़ी प्रभावित हो जाएगी और रात की नींद में खलल पड़ेगा.

2. नैप के लिए शांत कोना ढूंढें

पौवर नैप से अधिकतम लाभ पाने के लिए आप को एक शांतिपूर्ण, ठंडी और आरामदायक जगह ढूंढ़नी चाहिए, जहां दूसरे लोग आप को परेशान न करें. औफिस में कौन्फ्रैंस रूम का कोना हो या कार पार्किंग स्थल, 10 से 15 मिनट यहां खामोशी से आंख बंद कर के बिताए जा सकते हैं. लगभग 30 प्रतिशत कौर्पोरेट औफिस में लंच के बाद एम्प्लाइज को आधा घंटे का वक्त पौवर नैप के लिए दिया जाता है. इस से उन के काम की गति और क्षमता में बढ़ोतरी होती है.

अगर आप किसी स्कूलकालेज में पढ़ाते हैं, तो वहां की लाइब्रेरी इस काम के लिए सब से बेहतर जगह है. वहां शांति और खाली जगह होती है. आप सड़क पर जा रहे हों और आप को झपकी लगी हो तो किसी पार्किंग स्थल पर कार खड़ी कर के 10-15 मिनट की झपकी ले लेनी चाहिए.

अकसर देखा गया है कि कार ड्राइव करने वाले लोग नींद आने पर तंबाकूगुटका का सेवन नींद भगाने के लिए करते हैं, जो सेहत के लिए बहुत खतरनाक है. बेहतर है कि नींद आने पर किसी सेफ जगह पर गाड़ी खड़ी कर के झपकी मार ली जाए. इस से नींद तो भागती ही है, शरीर और दिमाग पहले से अधिक ऊर्जा महसूस करने लगते हैं.

3. कम रोशनी का स्थान चुनें

पौवर नैप लेते वक्त लाइट औफ कर दें. बेहतर हो कि आप कोई अंधेरा कमरा चुनें ताकि आंख बंद करते ही आप को नींद आ जाए. अंधेरा होने से आप की आंखों की मांसपेशियों को आराम मिलेगा और दिमागी तनाव भी दूर होगा. यदि अंधेरा स्थान उपलब्ध न हो तो आप स्लीपमास्क या धूप का चश्मा आंखों पर चढ़ा लें और आराम से सो जाएं. इस के अलावा जिस जगह आप पौवर नैप लें, वह स्थान बहुत गरम या बहुत ठंडा नहीं होना चाहिए. आप की नैपिंग आरामदायक हो, इसलिए एक शीतल लेकिन आरामदायक जगह तलाश करिए.

4. शांतिदायक संगीत सुनें

रिलैक्सिंग म्यूजिक आप के दिमाग को सही स्थिति में ला सकता है. यदि आप अपनी कार में पौवर नैप ले रहे हैं, तो कोई हलका संगीत लगा लें, इस से नींद अच्छी आती है. अगर आप काम की वजह से ज्यादा तनाव में हैं और आंख बंद करने पर भी आप को नींद नहीं आती है तो कुछ व्यायाम करें. आंख बंद कर के एक से सौ तक गिनती गिनें या कोई मनपसंद गीत गुनगुनाएं. इस के बाद आप को जल्द ही नींद आ जाएगी और जागने पर दिमाग तनावमुक्त महसूस होगा.

5. नैप की अवधि

आप खुद तय करें कि आप कितनी देर तक नैप लेना चाहते हैं. एक पौवर नैप 10 से 30 मिनट के बीच की होनी चाहिए. वैसे तो, छोटे और लंबी नैप्स भी विभिन्न लाभ प्रदान कर सकती हैं. आप का शरीर खुद आप को बता देगा कि आप को कितनी देर तक नैप लेनी है. बस उस समयसीमा का पालन आप हर दिन समान रूप से करें. यदि आप के पास अधिक समय नहीं है, लेकिन आप इतनी नींद में हैं कि आप जो कुछ भी कर रहे हैं, उसे जारी नहीं रख पा रहे हैं, तो 2 से 5 मिनट की नैप, जिसे ‘नैनो नैप’ कहा जाता है, लें. यह आप को नींद से निबटने में मदद कर सकती है.

5 से 20 मिनट के लिए नैप आप की सतर्कता, स्टैमिना, और मोटरपरफौर्मेंस बढ़ाने के लिए बहुत अच्छी होती है. इन नैप्स को ‘मिनी-नैप्स’ के रूप में जाना जाता है. 20 मिनट की नींद बहुत आदर्श नैप मानी जाती है. एक पौवरनैप मस्तिष्क को अपने शौर्टटर्म मैमोरी में एकत्रित अनावश्यक जानकारी से छुटकारा पाने में भी मदद करती है और मसलमैमोरी में सुधार भी लाती है. 20 मिनट की पौवर नैप से आप के नर्वस सिस्टम में मौजूद इलैक्ट्रिकल सिग्नल्स आप को अधिक आराम किया हुआ और सतर्क महसूस कराने के अलावा आप के मसलमैमोरी में शामिल न्यूरौन्स के बीच के संबंध को मजबूत भी करती है, जिस से आप का मस्तिष्क तेजी से और अधिक सटीक तरीके से काम करने लगता है. यदि आप बहुत से महत्त्वपूर्ण तथ्यों को याद करने की कोशिश कर रहे हैं, उदाहरणस्वरूप किसी परीक्षा के लिए, तो पावर नैप लेनी विशेषरूप से उपयोगी हो सकती है.

6. पावर नैप से पहले कौफी पिएं

यह बात अजीब लग सकती है कि पौवर नैप से पहले कौफी पिएं क्योंकि कौफी का इस्तेमाल नींद को दूर भगाने के लिए किया जाता है. परंतु 20 मिनट की पौवर नैप लेने से पहले अगर आप कौफी का एक प्याला पी लेते हैं तो यह कौफी आप के शरीर में तुरंत अवशोषित नहीं होती है.

कौफी पहले आहार नाल से गुजरती है और फिर शरीर में अवशोषित होने में उसे 45 मिनट का वक्त लगता है. इस दौरान आप 20-25 मिनट की पौवर नैप ले लें तो जागने के बाद शरीर में मौजूद कौफी आप को और ज्यादा ताजगी से भर देगी और आप दोगुनी ऊर्जा के साथ अपने काम का संचालन कर सकते हैं. इस प्रयोग से आप 7 से 8 घंटे तक बिना रुके काम कर सकते हैं.

Health Tips : क्या आपको भी दिन में आती है बहुत ज्यादा नींद, तो इसे भूलकर भी हल्के में न लें

क्‍या आपको रात की नींद पूरी करने के बाद सुबह थकान और नींद का अनुभव होता है? आपके शरीर में ऐसी कौन सी प्रौब्लम हो रही हैं, जिसके कारण ऐसा हो रहा है. और इसका सोल्युशन क्या है?

अगर आपने इस समस्‍या पर अभी ध्‍यान नहीं दिया तो आगे चल कर यह नींद और थकान कई अन्‍य समस्‍याएं पैदा कर सकता है जैसे, सिरदर्द, शारीरिक दर्द, किसी चीज़ में मन न लगना, काम या पढ़ाई पर ध्‍यान केन्‍द्रित ना कर पाना, पेट की खराबी, बोरियत और तनाव या डिप्रेशन आदि.

इसके कई कारण हो सकते हैं कि आपको पूरे दिन थकान या नींद लगती है. हो सकता है कि आपके अंदर शारीरिक बदलाव हो रहे हों या फिर दिमागी तनाव हो. अब आइये जानते हैं ऐसे कौन से कारण हैं जिसकी वजह से आप दिनभर थके थके रहते हैं और इसका समाधान क्‍या है.

1. सोने का अनुचित समय

रात की नींद ठीक तरह से पूरी करनी चाहिए. आपको 6 से 7 घंटे तक बिना डिस्‍टर्ब हुए सोना चाहिए. सोने के तीन या चार घंटे पहले चाय या कौफी नहीं पीनी चाहिए.

2. तनाव से दूर रहें

तनाव, अवसाद, क्रोध आदि जैसी चीजें नींद के पैटर्न पर बहुत प्रभाव डालती हैं. ये आपको थका देती हैं, जिससे रात को आप ठीक प्रकार से नहीं सो पाते.

3. हेवी डिनर न करें

कई लोग सोचते हैं कि यदि वे रात में पेट भर कर सोएंगे तो उन्‍हें अच्‍छी नींद आएगी मगर ऐसा होता नहीं है. रात को पेट थोड़ा खाली रख कर ही सोना चाहिए नहीं तो खाना ठीक से डाइजेस्ट नहीं हो पाएगा .

4. शारीरिक नकारात्मक फोर्स (तमस)

कई लोग शुरु से ही आलसी होते हैं और उनके जीवन का नजरिया हमेशा ही नकारात्‍मक होता है. ऐसे लोगों को अपने रूटीन में योगा, ध्‍यान मेडिटेशन को शामिल करना चाहिए जिससे उनके जीवन में सकारात्‍मकता आ सके

5. कोई छुपी हुई बीमारी

कुछ बीमारियां जैसे, मधुमेह आदि शरीर को अंदर से कमजोर बना देती हैं और जिससे दिनभर नींद आती है. अच्‍छा है कि आप अपना ठीक से ट्रीटमेंट करवाएं और स्‍वस्‍थ रहें.

दिनभर फ्रेश फील करने के लिये और रात को अच्छी नींद के टिप्‍स

अगर दिन में बहुत नींद आ रही है तो आधे घंटे की झपकी ले सकते हैं. अपच की वजह से आपको नींद और थकान महसूस हो सकती है. ऐसे में अपने आहार में अदरक और काली मिर्च को जगह दें. आप चाहें तो बिना दूध वाली अदरक की चाय पी सकते हैं. नियमित व्‍यायाम करें, जिससे शरीर में औक्‍सीजन की मात्रा बढे़ और आप फ्रेश फील करें.

  • अपने कमरे की खिड़कियां और दरवाजे हमेशा खुले रखें, जिससे फ्रेश हवा और रौशनी आए. इससे आप हमेशा ऊर्जा से भरे रहेंगे.
  • कुर्सी पर हमेशा सीधे और अलर्ट बैठें.
  • एक्सरसाइज करें, इससे आप एनर्जी से भर उठेंगे.
  • पोषण युक्‍त खाद्य पदार्थों का सेवन करें.
  • अपने डाइट में फलों को शामिल करें.

इन 6 तरीकों में नींद हो सकती है आपकी सुपर पावर

आज के इतने व्यस्त और थका देने वाले शेड्यूल में हम एक चीज को सबसे हल्के में लेते हैं और वह है हमारी नींद. हाल ही में हुई एक स्टडी के मुताबिक भारतीय लोग दुनिया के स्लीप डेप्रिव्ड लोगों की श्रेणी में दूसरे नंबर पर आते हैं. इसमें पहले नंबर पर जापान है. मॉडर्न दुनिया में अब नींद को एक जरूरत ही नहीं माना जा रहा है. नींद पूरी करना काफी ज्यादा जरूरी होता है और इससे हमारा शरीर और दिमाग रिचार्ज होता है. नींद पूरी करने से आप पूरे दिन के लिए रिफ्रेश महसूस करते हैं.

चूंकि नींद शरीर का एक काफी जरूरी फंक्शन है, अगर इसे पूरा नहीं किया गया तो हमारे दिन की एनर्जी पर प्रभाव पड़ सकता है. इससे इमोशनल बैलेंस, प्रोडक्टिविटी और यहां तक कि हमारा वजन भी प्रभावित हो सकता है. एक व्यक्ति को रोजाना 7 से 9 घंटों की नींद जरूर पूरी करनी चाहिए.

कोरोना के साथ साथ अन्य चुनौतियों के साथ लोग अब अपने रूटीन को नॉर्मल बनाने की ओर जा रहे हैं. स्ट्रेस मुक्त रहने के लिए और चैन की नींद सोने के लिए आप काफी कुछ कर सकते हैं. स्लीपX न्यू एज मैट्रेस ब्रांड, शीला फोम के अनुसार इसके लिए आपको सोने का एक प्रॉपर वातावरण चाहिए होता है जो आपकी सारी आराम की जरूरतों को पूरा कर पाए. निम्न टिप्स की मदद से आप चैन की नींद सो सकते हैं.

1. नियमित रूप से एक्सरसाइज करें :

अगर रोजाना ब्रिस्क वॉक करते हैं तो मसल्स टोन होने में मदद मिलती है और रात में थोड़ा शांत भी महसूस होता है. जो लोग रोजाना एक्सरसाइज करते हैं वह रात में शांति से सो पाते हैं और अगले दिन भी उन्हे एनर्जेटिक महसूस होता है. मेटाबॉलिक बेनिफिट्स के साथ साथ एक्सरसाइज इमसोमनिया के लक्षणों से राहत दिलाने में लाभदायक है और इससे आपके सोने का समय भी बढ़ सकता है. सोने से पहले 3 से 4 घंटे पहले ही एक्सरसाइज करें. इसके बाद एक्सरसाइज करने से रात में सोने में दिक्कत हो सकती है. एक्सरसाइज करने से स्लीप अपनिया जैसे डिसऑर्डर के लक्षणों से भी राहत पाई जा सकती है.

2. सही गद्दे को चुनें :

अगर गद्दा कंफर्टेबल होगा तो आपको सोने के समय जिस आराम की जरूरत होती है वह शरीर को मिल जाता है. यह शरीर को सोते समय सही पोस्चर में और सही स्पाइनल अलाइनमेंट रखने में मदद करता है. एक बढ़िया गद्दा वही होता है जो आपकी स्किन को सोते समय सही रख सके. इससे आपको अगले दिन भी पूरी एनर्जी महसूस होगी. गद्दा ज्यादा गर्म भी नहीं होना चाहिए और आपके बजट में भी फिट बैठना चाहिए. अगर गद्दा अच्छा नहीं होगा तो अगले दिन आपके पूरे शरीर में दर्द हो सकता है जिससे आप इरिटेट महसूस कर सकते हैं.

3. लाइट कम कर दें :

आपका शरीर एक प्राकृतिक क्लॉक का काम करता है. यह क्लॉक आपके दिमाग, शरीर और हार्मोन्स को प्रभावित कर सकते हैं. यह क्लॉक ही आपको दिन के दौरान जागते रहने और रात के समय सोने में मदद करती है. रात को सोने से एक से दो घंटे पहले आपको ब्लू स्क्रीन से दूरी बना लेनी चाहिए. फोन या टीवी से निकलने वाली रोशनी आपकी नींद को प्रभावित कर सकती है.

4. अपने सोने के वातावरण पर भी ध्यान दें :

सोने के वातावरण में आवाज, रूम का तापमान और आपके कमरे का ओवर ऑल वातावरण शामिल होता है. अगर यह माहौल अच्छा होगा तो आपका शरीर दिमाग तक यह संकेत भेजेगा कि अब सोने का समय हो गया है और अब चिंता मुक्त हो कर सो जाना चाहिए. इसलिए सोते समय यह जरूरी होता है कि सारी आवाज को बंद किया जाए और कमरे के तापमान को नॉर्मल रखा जाए. सोते समय कमरे की अधिकतर लाइट भी बंद कर देनी चाहिए.

5. पूरे दिन की डाइट का भी ध्यान रखें :

आपके खाने और पीने का ढंग भी आपकी नींद को प्रभावित करता है. अपने खाने पीने का ढंग पर ध्यान रखने के कारण आप खुद को हेल्दी रख सकते हैं और इससे आपको रात में सोने में भी मदद मिल सकती है. अपनी डाइट को फल और सब्जियों से भरपूर रखें. ड्रिंकिंग में शराब, निकोटिन और कैफ़ीन का सेवन ज्यादा मात्रा में न करें. अगर सोने से पहले कैफ़ीन का सेवन कर लिया जाए तो इसके बाद सोने में दिक्कत आती है और 12 घंटे तक सोया नहीं जाता है. अगर सोने के समय शराब पीते हैं तो इससे नींद आने में तो मदद मिल सकती है लेकिन बाद में नींद खराब हो सकती है.

6. शरीर के जागने और सोने के ढंग का ख्याल रखें :

अच्छी नींद आने का सबसे बढ़िया तरीका है अपने सोने और जागने के समय का ध्यान रखना. अगर आप अपने सोने और जागने के समय का एक शेड्यूल बना लेते हैं तो आपको काफी रिफ्रेश महसूस होता है और एनर्जी भी महसूस होती है. ऐसा तब होता है जब आप रोजाना एक ही समय पर सोते हैं और एक ही समय पर जागते हैं. इसलिए अपने जागने और सोने का खासकर वीकेंड के समय जरूर ध्यान रखें. अगर दिन में सोते हैं तो 15 से 20 मिनट के लिए ही झपकी ले. अगर इससे ज्यादा सोते हैं तो रात में नींद कम आ सकती है और सोते समय बीच में आंख भी खुल सकती हैं.

Diwali Special: मस्ती में झूमें पर नींद लेना न भूलें

दीवाली के त्योहारों के दिन खुशी और उल्लास से भरपूर होते हैं, इसलिए चाहे युवा हों या वयस्क सभी इन दिनों खुशी से झूम उठते हैं. डांडिया रास, गरबा नृत्य, दीवाली पार्टियां, दीवाली मेले बहुत कुछ होता है इन दिनों और खुशी का यह माहौल साल में एक बार ही आता है, इसलिए हर कोई अपने आप को इस से सराबोर कर लेना चाहता है.

लेकिन हर खुशी के साथ कोई न कोई परेशानी भी अवश्य आती है. इस दौरान रात्रिजागरण खूब होता है. देर रात तक डांस करना, देर से सोना, देर से जागना, फिर पढ़ना, कालेज या औफिस जाना या घर में काम निबटाना यानी कई काम आप को दिन में करने पड़ते हैं, जिन्हें करना मुश्किल होता है. इस के साथ ही कई दिन नींद न पूरी होने की वजह से बीमार पड़ जाने की आशंका भी रहती है.

फोर्टिस अस्पताल के न्यूरोलौजिस्ट डा. गिरीश नायर का कहना है कि किसी उत्सव या पार्टी को मनाते वक्त व्यक्ति यह भूल जाता है कि उस ने सही नींद नहीं ली है. इस से कई बार तो उस की वह बीमारी जो पहले से है वह बढ़ जाती है या फिर नई बीमारी की शुरुआत हो जाती है.

इस के आगे डाक्टर बताते हैं कि नींद 2 तरह की होती है. गहरी नींद, जिस में व्यक्ति अगर 5 घंटे भी सो ले तो बौडी रिलैक्स हो जाती है. दूसरी कच्ची नींद, जो भले ही 8 घंटे की हो बौडी रिलैक्स नहीं होती. देर रात सोने से बौडी और मस्तिष्क पर जो प्रभाव पड़ता है वह निम्न है:

– देर रात सोने से आप की 6 से 8 घंटे की नींद पूरी नहीं होती, जिस से आप सुबह देर से उठने के बाद भी सुस्त रहते हैं. फ्रैश महसूस नहीं करते.

– नींद पूरी न होने पर ब्लडप्रैशर बढ़ सकता है.

– माईग्रेन यानी सिरदर्द हो सकता है. अगर माइगे्रन पहले से है तो उस के बढ़ने की आशंका रहती है, क्योंकि आप नियमित दिनचर्या से अलग हट कर काम करते हैं.

– नींद पूरी न होने से आप की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है, जिस से कफ, कोल्ड, बदहजमी जैसी बीमारियां होने लगती हैं.

इन के अलावा देर रात सोने से कई और समस्याएं होती हैं, जिन में खास हैं:

डाइजेस्टिव सिस्टम पर असर पड़ता है, जिस से ऐसिडिटी बढ़ती है. आप हाइपरटैंशन के शिकार हो सकते हैं.

इरिटेबल बाउल सिंड्रोम हो सकता है, जिस में सुबह उठने पर बारबार दस्त होना, पेटदर्द, नौशिया आदि होती है.

अस्थमा के मरीज का अस्थमा बढ़ सकता है, उसे अटैक आ सकते हैं.

हारमोनल बैलेंस बिगड़ता है जिस से मधुमेह की बीमारी का बढ़ना या नई शुरुआत हो सकती है.

फर्टिलिटी पर भी असर पड़ता है. पुरुषों का ‘स्पर्म काउंट’ कम हो सकता है. जबकि महिलाओं के ‘मेंसुरेशन साइकिल’ पर असर पड़ता है.

सुझाव

डा. नायर आगे कहते हैं कि देर रात सोने की आदत हमेशा खराब होती है. पर ग्लोबलाइजेशन या पढ़ाई की वजह से या फिर किसी खास अवसर की वजह से आप रात को देर से सोते हैं, तो निम्न बातों का ध्यान अवश्य रखें:

किसी कारणवश अगर आप देर से सोए हों, और आप की नींद पूरी नहीं हुई हो तो हो सके तो दोपहर में थोड़ी देर नींद ले लें.

खाने पर ध्यान दें. औयली, फ्राइड और प्रोसैस्ड फूड न खा कर घर का भोजन, जिस में फ्रैश फ्रूट्स, सब्जियां और सलाद हो, खाने की कोशिश करें.

कम से कम 3 से 4 लिटर पानी पिएं.

अगर आप अगले दिन फ्रैश न हों तो गाड़ी न चलाएं. देर तक जागने की वजह से आप की एकाग्रता कम होगी, जिस से आप का गाड़ी पर कंट्रोल कम हो सकता है, जो कई बार खतरनाक होता है.

मौजमस्ती, कितनी भी करें, पर अपनी जरूरत की नींद अवश्य पूरी करें, क्योंकि नींद टायर्ड मसल्स को रिलैक्स करती है, जिस से आप दूसरे दिन की भागदौड़ के लिए तैयार होते हैं. नींद आप को सही और तुरंत निर्णय लेने में भी मदद करती है, तब आप एक खुशनुमा जीवन बिता सकते हैं. 

बिना कपड़े पहने सोना पसंद है?

बेशक पढ़ने या सुनने में आप को यह अजीब लगे लेकिन सच में न्यूड सोना यानी कि बिना कोई वस्त्र पहने सोना फायदेमंद है. बड़ेबड़े वैज्ञानिक चिकित्सकों ने यह दावा किया है कि वस्त्र पहन कर सोने की तुलना में बिना कोई कपड़े पहने सोने से अधिक लाभ होता है.

जी हां ,जब आप बिना कोई कपड़े पहन कर सोते हैं तो इस से आप को अनगिनत फायदे होते हैं, लेकिन लोगों को ऐसी आदत नहीं होती बल्कि पूरे कपड़े उतार कर सोना उन्हें अजीब लगेगा.

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो कपड़ों की वजह से शरीर की गरमी बाहर नहीं निकल पाती. इस वजह से सोने में परेशानी का अनुभव होता है. लेकिन, जब आप बिना कपड़ों के सोते हैं तो शरीर का तापमान कम हो जाता है, इस से एक नहीं बल्कि कई फायदे होते हैं जैसे तनाव कम होना, वजन घटना, त्वचा स्वस्थ होना, फंगल संक्रमण से बचाव आदि. आइए, इन फायदों के बारे में विस्तार से जानें:

हार्मोन वृद्धि को संतुलित करे:

बिना कपड़ों के सोने का फायदा हमारी बौडी में मौजूद हार्मोन्स और मेलाटोनिन को मिलता है. बौडी का न्यूनतम तापमान उस में मौजूद हार्मोन्स के विकास के लिए लाभप्रद साबित होता है. यह शरीर में मौजूद अतिरिक्त वसा को जलाने और फ्री रेडिकल्स से शरीर की रक्षा करने में मदद करते हैं. यह फ्री रेडिकल्स उम्र बढ़ने संबंधी लक्षणों से संबंधित होते हैं. यानी कि यदि आप कपड़ों के साथ सोते हैं तो समय से पहले बुढ़ापे के शिकार हो सकते हैं. इसलिए लंबे समय तक जवान बने रहने के लिए बिना कपड़ों के सोने के लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं.

पतिपत्नी के लिए अधिक फायदेमंद:

बिना कपड़ों के अपने साथी के साथ बिस्तर में जाना आप के यौन जीवन में सकारात्मक प्रभाव डालता है. न्यूड रात भर बिस्तर पर सोते समय उन दोनों के शरीर एक दूसरे के कांटेक्ट में आते हैं जिस से दोनों की त्वचा को एकदूसरे का स्पर्श मिलता है. चिकित्सकों के अनुसार, ऐसा करने से बौडी औक्सीटौसिन नामक हार्मौन को रिलीज करती है जिस से अच्छा महसूस होता है और आप की नाइट लाइफ रोमांस और रोमांच भरी हो जाती है.
स्वीडिश रिसर्च का कहना है कि जब आप अपने पार्टनर के साथ निर्वस्त्र सोते हैं तो आप
के शरीर से निकलने वाले हार्मोन ऑक्सीटॉसिन आप के ब्रेन में पहुंचता है .इससे दिमागी स्ट्रेस दूर होता है. आप अच्छा महसूस करते हैं.

बेहतर नींद आती है:

यदि आप को रात में अच्छी नींद लेने में दिक्कत होती है तो बिना कपड़ों के सोने की कोशिश करें. निश्चित ही यह आप की अच्छी नींद में मदद कर सकता है. मेन हेल्थ स्लीप एडवाइजर डब्लू क्रिस्टोफर विंटर कहती हैं कि निर्वस्त्र होकर सोने से बेहतर नींद आती है सुबह उठकर तरोताजा महसूस करते हैं.
क्योंकि सोते समय शरीर के तापमान का ठंडा होना एक सुखद नींद की निशानी माना गया है, इसीलिए बिना कपड़े पहने कमरे की ठंडक को अपनी त्वचा तक पहुंचा कर एक अच्छी नींद पा सकते हैं.

प्राइवेट पार्ट्स के लिए:

आमतौर पर हम दिन भर अंडरगारमेंट्स पहने ही रहते हैं, इस से प्राइवेट पार्ट्स का टेंपरेचर शरीर के बाकी हिस्सों की तुलना में ज्यादा होता है. साथ ही, यहां नमी की भी आशंका बनी रहती है, जिस से कई बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है. बिना कपड़ों के शरीर को खुली हवा मिलती है जो बैक्टीरिया को और पसीने को आने से रोकती है. अटलांटिका सिटी के यूरोलॉजिस्ट ब्रायन स्टिक्स नर कहते हैं कि अगर यूरोलॉजी संबंधी इंफेक्शन से बचना है तो बिना अंडरवियर के सोना बेहद फायदेमंद है इससे जनन अंग में इंफेक्शन होने के चांस कम हो जाते हैंमहिलाएं खुजली और अन्य फंगल संक्रमण से बच सकती हैं. न्यूड सोना पुरुषों के शुक्राणुओं को स्वस्थ रखने में मदद करता है क्योंकि न्यूड होने से उन के शरीर में पर्याप्त ठंडक बनी रहती है. ब्रायन स्टिकसनर का कहना है की निर्वस्त्र सोने से स्पर्म भी बढ़ता है.

हेल्दी स्किन:

बिना कपड़े पहने सोना हमारी स्किन के लिए फायदेमंद होता है. यह स्किन को राहत देता है जिस से वह सांस ले पाती है और इस से ब्लड सर्कुलेशन भी बेहतर होता है. इस के अलावा, कम तापमान में सोना हमारी कोशिकाओं की रक्षा करता है और यह एंटी एजिंग का भी काम करता है जिस से हमारी स्किन बेदाग, निखरी और चमकदार नजर आती है.

बालों को सुंदर रखने में मदद:

पसीना बालों को नुकसान पहुंचा सकता है. पसीने से निकला नमक स्कैल्प को नुकसान पहुंचा सकता है और बालों को कमजोर बना देता है. अगर आप कपड़े उतार कर एकदम फ्री हो कर ठंडे तापमान में सोते हैं तो आप को कम पसीना आएगा, जिस से बाल सुंदर और मजबूत होंगे.

वजन कम कर सकते हैं:

आप को यह सुन कर आश्चर्य हो सकता है कि बिना कपड़ों के सोने से वजन कम किया जा सकता है, लेकिन यह सच है. यदि बिना कपड़ों के सोते हैं तो शरीर आसपास के तापमान के अनुसार आवश्यक गरमी उत्पन्न करता है. यहां तक कि सर्दियों के मौसम में भी. बिना कपड़ों के सोने का मतलब ठंडक प्राप्त करना नहीं है बल्कि आप का शरीर प्राकृतिक गरमी उत्पन्न करता है. इस से हमारी चयापचय कैलोरी का उपभोग होता है. इस तरह से अतिरिक्त जमा कैलोरी का उपयोग किए जाने पर हमारे शरीर का वजन कम हो सकता है. इस के अलावा, कम तापमान पर सोने से शरीर की वसा को कम करने में मदद मिलती है क्योंकि शरीर का प्राकृतिक रूप से ताप बढ़ने पर यह वसा जलती है. इस तरह से आप अपने वजन को कम करने के लिए बिना कपड़ों के बिस्तर में जा सकते हैं.

बीमारियों से बचाए:

यकीन नहीं होता? लेकिन यह सच है कि बिना कपड़ों के सोने से बहुत सी बीमारियों से बचा जा सकता है. अध्ययनों से यह साबित हो चुका है कि न्यूड सोने से कोर्टिसोल के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है जिस से उच्च रक्तचाप और कौलेस्ट्रोल लामिया की समस्याओं को रोकने में मदद मिल सकती है. रात के समय शरीर के तापमान में कमी से रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है जो कि एक अध्ययन से साबित भी हो चुका है कि बिना कपड़ों के सोना मधुमेह को रोकने में सहायक होता है. साल 2014 में जनरल डायबिटीज में छपे शोध के अनुसार निर्वस्त्र सोने से मेटाबॉलिज्म का स्तर ठीक रहता है .बिना कपड़ों के सोने से ब्लड फ्लो भी बेहतर होता है और इस से दिल की सेहत अच्छी रहती है.
अब आप समझ गए होंगे की कपड़े उतार कर सोना आपके शरीर के लिए कितना फायदेमंद हो सकता है लेकिन हमारे देश में कई लोग कपड़े उतार कर सोने में खुद को कंफर्ट फील नहीं करते यदि आप भी ऐसे लोगों में से हैं तो हल्के कपड़े पहने.

सोने से पहले भूलकर भी न खाएं ये 5 चीजें

काम का दबाव, परिवार का तनाव, आर्थिक उलझन और ऐसी ही कुछ दूसरी परेशानियों के चलते अक्सर लोगों को नींद नहीं आने या चैन की नींद नहीं आने की शिकायत हो जाती है. जिसके चलते कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं भी हो जाती हैं.

पर इन कारणों के अलावा एक कारण और भी है जिससे नींद प्रभावित होती है. शायद आपको पता नहीं हो लेकिन हमारी नींद, काफी हद तक हमारे डिनर पर भी निर्भर करती है.

खाने-पीने की कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिनसे नींद अच्छी आती है तो वहीं कुछ ऐसी भी हैं जिनके सेवन से आपकी नींद खराब हो सकती है. सामान्य तौर पर एक शख्स को करीब 7 से 8 घंटे की नींद लेने की सलाह दी जाती है.

ऐसे में ये सुनिश्च‍ित करना बहुत जरूरी हो जाता है कि हम रात में कुछ भी ऐसा न खाएं जिससे नींद खराब हो या कोई दूसरी समस्या हो जाए.

सोने से पहले नहीं करें इन चीजों का सेवन:

1. कैफीन

कैफीन का सीधा असर हमारे मस्त‍िष्क पर पड़ता है. कैफीन की मात्रा वाली किसी भी चीज के सेवन से नींद पर असर पड़ता है. कैफीन का असर उसे लेने के पांच घंटे बाद तक बना रहता है.

2. बहुत अधिक मसालेदार खाना

रात के समय बहुत स्पाइसी खाना खाना सही नहीं है. बहुत अधिक मसालेदार खाना खाने से जलन और गैस की समस्या हो जाती है. जिससे अच्छी नींद नहीं आती.

3. मीट

मीट में उच्च मात्रा में फैट और प्रोटीन होते हैं. जिन्हें पचने में काफी समय लगता है. ऐसे में रात के समय मीट खाने से आप रातभर बेचैन हो सकते हैं.

4. जंक फूड

जंक फूड में उच्च मात्रा में सैचुरेटेड फैट होता है. जिसे पचने में काफी लंबा समय लगता है. रात के समय जंक फूड खाकर, चैन की नींद सो पाना थोड़ा मुश्क‍िल है.

5. फल

अगर आप सोने के ठीक पहले फल खाने जा रहे हैं तो रुक जाइए. फलों में नेचुरल शुगर होती है जिसे पचने में वक्त लगता है.

हिस्टेरेक्टोमी के बाद मैं सो नहीं पाती, क्या करुं?

सवाल-

मैं ने कुछ महीने पहले हिस्टेरेक्टोमी (गर्भाशय को काट कर निकाल देना) करवाई थी. इस के बाद मेरे सोने का चक्र बदल गया. मैं सो नहीं पाती. मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब-

जिन महिलाओं के गर्भाशय को सर्जरी से निकाल दिया जाता है उन्हें  वर्चुअल रूप से रातोंरात मेनोपौज (रजोनिवृत्ति यानी माहवारी बंद होना) हो जाता है. इन मामलों में नींद में बाधा आना आम बात है. संभावित रूप से हौट फ्लशेज या रात में पसीना आने के अलावा यह मेनोपौज का सब से आम लक्षण है. मेनोपौज के बाद ज्यादा से ज्यादा आराम करें, सोने के दौरान साफसफाई का पूरा ध्यान रखें. कौफी कम से कम पीएं, सही खानपान लें, नियमित रूप से व्यायाम करें और सोने का एक निश्चित समय तय करें. सर्जरी के कारण होने वाले मेनोपौज में महिलाओं को नींद आने में काफी मुश्किल आती है और वे रात में ज्यादा बार जागती हैं. मेनोपौज के साइड इफैक्ट्स को कम करने के लिए हारमोन रिप्लेसमैंट थेरैपी पर विचार करने की भी सलाह दी जाती है.

ये भी पढ़ें- यदि मुझे पीसीओएस है तो मुझे Pregnant होने में कितना समय लगेगा?

ये भी पढ़ें- 

गर्भाशय फाइब्रोइड्ससुसाध्य (गैरकैंसर) ट्यूमर है, जो गर्भाश्य की मांसपेशीय परत पर अथवा उसके भीतर विकसति होता है.इसमें तंतुमय टिश्यू और चिकने मांसपेशी सेल्स होते है, जिनका पोषण रक्तवाहिनी के सघन नेटवर्क से होता है. फाइब्रोइड्स महिलाओं में होने वाला बहुत ही सामान्य सुसाध्य ट्यूमर है. अनुमान है कि 30 से 50 वर्ष के बीच की महिलाओं में करीब 25 से 35 प्रतिशत में फाइब्रोइड्स का इलाज सापेक्ष हो गया है. सामान्यतया जिस महिला में गर्भाशय फाइब्रोइड्स की समस्या है, उनमें एक से अधिक फाइब्रोइड्स है और वे बडे़ आकार के हो सकते है. कुछ मटर से बडे़ नहीं होते है, जबकि अन्य बढ़कर खरबूजे के आकार का हो सकते है.

लक्षण

एक महिला मासिक धर्म में अधिक रक्तस्राव, दर्दभरा मासिकधर्म, मासिकधर्म के दौरान रक्तस्राव और पीठशूल या पीठदर्द जैसे लक्षणों से इसका अनुभव करती है. अधिकतर मरीजों में रक्तस्राव इतना अधिक होगा किउनमें यह खून की कमी का कारण बन जाता है. खून की कमी से थकान,सिरदर्द हो सकता है.जब फाइब्रोइड्स आकार में बड़ा होता है, तब यह अन्य पेल्विक अंगो पर दबाव बनाने लगता है. इसके फलस्वरूप पेट के नीचले हिस्से में भारीपन, बार-बार पेशाब लगना, पेशाब होने में कठिनाई और कब्ज महसूस हो सकता है. ये लक्षण किसी को हल्का, कम आकर्षक लग सकते है और चिड़चिड़ापन आगे चलकर कामेच्छा घटा सकती है और इसका असर लोगों की जिंदगी पर पड़ सकता है. ओबेस्ट्रिक्स एंड ग्यानकोलाजी जर्नल तथा वुमेन हेल्थ जर्नल में प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार गर्भाशय फाइब्रोइड से काफी भय एवं रूग्णता हो सकती है और वर्कप्लेस प्रदशर्न से समझौता करना पड़ सकता है.

रात में सुकून भरी नींद चाहिए, तो तुरंत अपनाएं ये 4 टिप्स

लेखिका- दीप्ति गुप्ता

दिनभर की थकान के बाद हर कोई सोचता है कि रात में अच्छी नींद आ जाए. लेकिन कुछ लोगों को चैन और सुकून की नींद नसीब नहीं होती. तमाम कोशिशों के बाद भी रात में घंटों बिस्तर पर करवटे बदलते रहते हैं. एक दो दिन ऐसा होना सामान्य है. लेकिन लगातार आपके साथ ये हालात बन रहे हैं, तो यह चिंता की विषय है. क्योंकि नींद की कमी आपको थका हुआ और सुस्त बना देती है. इतना ही नहीं अगले दिन आप ऊर्जा में कमी का अनुभव भी कर सकते हैं. कई रिसर्च बताती  हैं कि खराब नींद का असर आपके हार्मोन और मास्तिष्क के काम करने पर पड़ता है. तो अगर आप भी उन लोगों में से हैं, जिनकी स्लीपिंग साइकिल डिस्टर्ब हो रही है या नींद की कमी के कारण लो एनर्जी जैसा फील कर रहे हैं, तो यहां कुछ तरीके हैं, जिन्हें अपनाकर आप  रात में स्वभाविक रूप से बेहतर नींद ले पाएंगे.

1. सही रूटीन बनाएं-

यदि आपको स्वभाविक रूप से नींद नहीं आती, तो इसका मतलब है कि आपका स्लीपिंग रूटीन गड़बड़ है. बता दें कि आपकी बायोलॉजिकल क्लॉक शरीर की सभी चीजों को निर्धारित करती है. इसलिए आपको सोने का एक समय फिक्स करना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि जब एक बार आप अपने शरीर को ये बता देते हैं कि आप इसे किस समय आराम करने देंगे , तो यह आपके मास्तिष्क को रिलेक्स करने और आपको सोने में मदद करने के लिए उन संकेतों को किक करना शुरू कर देता है. इसलिए अगर आपको घंटों तक बिस्तर पर लेटे रहने के बाद भी नींद न आए, तो सबसे पहले साने और जागने का समय फिक्स करें.

2. दिनभर एक्टिव रहें-

जब आप पूरे दिन एक्टिव रहते हैं, तो शरीर थक जाता है और अंत में इसे आराम की जरूरत होती है. कई लोग एक्टिव रहने के लिए व्यायाम भी करते हैं. व्यायाम करने से शरीर एंडोर्फिन हार्मोन रिलीज करता है, जिससे आपको बहुत जल्दी नींद नहीं आती और आप जागे हुए रहते हैं. इसलिए वर्कआउट करते समय एक बात का ध्यान रखें कि इसे सोने के दो घण्टे के भीतर बिल्कुल न करें. यदि आप रोजाना व्यायाम नहीं करते हैं तो आप तेज चलने या एरोबिक  करने की कोशिश करें. इससे आपका सोने का समय बढ़ जाएगा और आपको गहरी नींद भी आ जाएगी.

ये भी पढ़ें- जब बच्चों के पेट में हो कीड़े की शिकायत

3. गर्म पानी से नहाएं-

शायद आप न जानते हों, लेकिन शाम ढलने के बाद सोने से कुछ घण्टे पहले आपके शरीर का प्राकृतिक तापमान कम हो जाता है और सुबह 5 बजे के करीब फिर से ज्यादा हो जाता है. इसलिए सोने से दो घ्ंाटे पहले गर्म पानी से नहाएं. ऐसा करने से आपके शरीर का तापमान बढ़ जाएगा. इसके तुंरत बाद तेजी से ठंडा होने की अवधि आपके शरीर को तुरंत आराम देती है. जब आप ऐसा करते हैं, तो शरीर के तापमान में गर्म से लेकर ठंडी तक की तेज गिरावट से नींद आने लगती है. इसलिए अगर आपको सोने में परेशानी हो रही है तो साने से 90 मिनट पहले गर्म पानी से नहाने की कोशिश करें.

4. चाय पीएं-

वैसे तो कहा जाता है कि चाय पीने से नींद उड़ जाती है, लेकिन जिन लोगों को नींद की समस्या है, डॉक्टर्स उन्हें सोने से पहले कैफीन फ्री चाय पीने की सलाह देते हैं. ऐसे में कैमोमाइल टी बढ़िया विकल्प है. यह मास्तिष्क में रिसेप्टर्स के साथ बातचीत करने के लिए जानी जाती है. इसके नियमित सेवन से आपको स्वस्थ और लगातार नींद की दिनचर्या बनाने में बहुत मदद मिलती है.

नींद आपके स्वास्थ्य में अहम भूमिका निभाती  है. अपर्याप्त नींद बच्चों और वयस्कों में मोटापे के जोखिम को बढ़ाती है. साथ ही इससे हृदय रोग और मधुमेह का खतरा भी बढ़ता है. ऐसे में यहां बताए गए टिप्स आपके लिए मददगार साबित हो सकते हैं.

ये भी पढ़ें- अब स्पाइनल ट्यूमर का इलाज है आसान

टुकड़ों में नींद लेना पड़ सकता है भारी

खूब थके हों और झपकी आ जाए तो आप तरोताजा हो जाते हैं. लेकिन ऐसी दशा में पूरी नींद न लेना या लगातार टुकड़ों में सोना सेहत लिए अच्छा नहीं है. एक स्टडी की मानें तो बार-बार नींद टूटने से शरीर पर बुरा असर पड़ता है

वैसे लंबी और चैन की नींद सौभाग्यशाली लोगों को ही मिलती है, सभी के लिए एक बार में 7-9 घंटे सोना संभव नहीं है. नींद की कमी से कई सारी बीमारियां भी होने लगती हैं. जो लोग एक बार में भरपूर नींद नहीं ले पाते हैं या फिर देर रात तक जगने के बाद सोते हैं उनके मन में अक्सर ख्याल आता है कि क्यों न टुकड़ों में नींद पूरी की जाए.

ऐसे में अमेरिका की जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने अपनी स्टडी में दो तरह की नींद का अध्ययन किया. बिना व्यवधान की लंबी नींद और दूसरी कम समय के लिए टुकड़ों में ली जाने वाली नींद. इस स्टडी में 62 सेहतमंद पुरुषों को शामिल किया गया और एक लैबरेटरी में रखा गया. इनमें कुछ लोगों को बार-बार जगाया गया.

वैज्ञानिकों ने इस शोध में पाया कि पहली रात के बाद दोनों ही समूह के प्रतिभागियों को थकान थी. बाद की रातों में टुकड़ों में सोने वाले समूह की अपेक्षा देर रात के बाद शांति से सोने वाले समूह के लोगों का मूड 30 प्रतिशत बेहतर था. यह भी पता चला कि टुकड़ों में सोने वाले लोग अगले दिन ज्यादा थके और सुस्त नजर आए

ये भी पढ़ें- इन 7 आदतों के कारण नही घटता आपका वजन, पढ़ें खबर

दिन में सोना खतरनाक

स्लीप जर्नल में पब्लिश हुए एक दूसरे शोध की मानें तो जो लोग दिन में 6 घंटे की नींद लेते हैं, उन्हें रात में सात घंटे रोज नींद लेने वालों की अपेक्षा बीमारी का खतरा चार गुना ज्यादा रहता है.

याद्दाश्त कमजोर होना

कम नींद लेने का प्रभाव दिमाग पर पड़ता है और दिमाग सही तरीके से काम नहीं करता. इसकी वजह से पढ़ने, सीखने व निर्णय लेने की क्षमता कमजोर हो जाती है.

भूख ज्यादा लगना

टुकड़ों में नींद लेने से मेटाबॉलिज्म कमजोर हो जाता है. कम नींद लेने के कारण हॉर्मोन में असंतुलन भी होता है जिससे कारण ज्यादा भूख लगती है. इसके कारण ही अच्छी नींद न लेने वाले लोगों को पेट भरने का आभास देर से होता है. इसलिए टुकड़ों में नींद लेने के बजाय एक साथ लंबी नींद लीजिए.

ये भी पढ़ें- जानें कैसा हो उमस में आपका डाइट

नींद को हाईजैक करती डिजिटल लाइफस्टाइल

डिजिटल रिवोल्यूशन ने बहुत सी चीजें आसानी की हैं.  इसने सूचना के संदर्भ में समय और स्थान को बेमतलब कर दिया है .  आप पलक झपकने की देरी में कोई भी सूचना दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने तक भेज सकते हैं और पा भी सकते हैं .  यह डिजिटल रिवोल्यूशन का ही कमाल है कि कोरोना महामारी के चलते दुनिया के पूरी तरह से ठहर जाने के बाद भी अंतर्राष्ट्रीय कारोबार पूरी तरह से नहीं ठहरा.  यह वर्क फ्राम होम की सुविधा भी डिजिटल रिवोल्यूशन से ही संभव हुई है, जिसके चलते कोरोनाकाल में [जनवरी-2020 से नवंबर 2020 तक ] पांच खरब डॉलर का कामकाज हुआ.  डिजिटल रिवोल्यूशन ने हमें गैरजरूरी यात्राओं, दुविधाओं और कई सारी असुविधाओं से भी मुक्त कर दिया है.  हमें अब हर छोटे-छोटे काम के लिए भागना दौड़ना नहीं पड़ता.

भला आज के 25 साल पहले रेलवे टिकट बुक कराना, क्या बिना स्टेशन गये संभव था? बिल्कुल नहीं, लेकिन आज यह संभव है.  आज रात के 2 बजे, 3 बजे या किसी भी समय हम यह जान सकते हैं कि जिस ट्रेन या हवाई जहाज से हम यात्रा करना चाह रहे हैं उसमें हमारे लिए सीट उपलब्ध है या नहीं.  आज हम घर बैठे देश के किसी भी कोने से अपने लिए खाना मांगा सकते हैं, वो भी गर्मागर्म.  ये सब आधुनिक डिजिटल लाइफस्टाइल में महत्वपूर्ण आधार बनी सूचनाक्रांति से संभव हुआ है.  डिजिटल रिवोल्यूशन ने आम लोगों की जिंदगी में और भी कई शानदार चीजें जोड़ी हैं.  लेकिन इस सबकी उसने हमसे एक बड़ी कीमत भी वसूली है, इसने किसी हद तक हमसे हमारी नींद छीन ली है.  जी हां! आपने बिल्कुल सही सुना है.  डिजिटल लाइफस्टाइल के कारण दुनियाभर में लोगों की नींद एक से चार घंटे तक कम हो गई है.

ये भी पढ़ें- बेड टी की आदत हो सकती है खतरनाक, जानिए नुकसान

इसका खामियाजा बीमार होकर तो भुगतना ही पड़ता है, साथ ही इसके कारण असामयिक मृत्यु की आशंका भी 5 से 10 फीसदी तक बढ़ जाती है.  कुल मिलाकर कहने की बात यह है कि आज की डिजिटल लाइफस्टाइल ने हमें तड़क-भड़क का थोड़ा सा रोमांच देकर हमारी जिदंगी की बहुत ही महत्वपूर्ण चीज नींद हमसे चुरा ली है .  वास्तव में डिजिटल रिवोल्यूशन के कारण बदली मौजूदा अर्थव्यवस्था की दुनिया ने, हमारे रोजमर्रा के शिड्यूल को बदलकर रख दिया है.  नाइट ड्यूटी करना अब लगभग आवश्यक सा हो गया है.  जाहिर है इसके कारण भी ऐसे लोगों की तादाद निरंतर बढ़ती जा रही है जिनको पर्याप्त नींद नहीं मिल पा रही है.  साल 2016 में मशहूर पत्रिका इंडिया टुडे में छपे एक शोध के मुताबिक लगभग एक तिहाई भारतीय पर्याप्त नींद से वंचित हैं.  लेकिन इसका एक दूसरा पहलू यह भी है कि जो लोग नींद समस्या के समाधान सम्बंधी व्यापार से जुड़े हुए हैं उनकी चांदी हो रही है.

नींद न आना कोई नई बात नहीं है.  लेकिन आज के युग में अनेक चिंताजनक नए तत्वों ने इसे एक ऐसी महामारी बना दिया है कि जो किशोरों व युवाओं के साथ साथ बच्चों तक को प्रभावित कर रही है.  दरअसल, अपर्याप्त नींद से जो स्वास्थ्य खतरे उत्पन्न हो रहे हैं उनके बारे में जानकारी को आम करना इतना आवश्यक हो गया है कि वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ़ स्लीप मेडिसन ने कुछ साल पहले 15 मार्च को विश्व नींद दिवस मनाने का फैसला किया था.  एक व्यापक अध्ययन से यह बात भी सामने आयी थी कि साल 2008 से प्रति वर्ष नींद सम्बंधी खर्च में 8.8 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है.  साल 2012 तक नींद न आने की कीमत 32 अरब डॉलर तक हो चुकी थी, जो साल 2018 तक आते आते 40 अरब डॉलर का बाजार बन गई.  भारत में तमाम मंदी के बाद भी नींद उत्पादों का बाजार अक्टूबर 2019 तक  20 हजार करोड़ रुपये से ऊपर पहुंच गया था .  इस संबंध में यह शोध सर्वे नील्सन कम्पनी ने 2018 में फिलिप्स रेस्पीरोनिक्स के लिए किया था, जिसका विषय था ‘स्लीप-एड व डायग्नोस्टिक उपकारणों का कारोबार’.

दरअसल नींद के कारोबार में हुई इस भारी बढ़ोत्तरी का कारण यह है कि 93 प्रतिशत भारतीय रात में आठ घंटे से भी कम की नींद ले रहे हैं.  सवाल है इसका कारण क्या है? कारण कई हैं लेकिन कम नींद के चलते 58 प्रतिशत हिंदुस्तानियों का मानना है कि इसका असर उनके परर्फोमेंस पर साफ दिखायी पड़ने लगा है.  38 प्रतिशत की तो पीड़ा यह है कि उन्हें उनके सहकर्मियों ने कार्यस्थल पर सोते हुए पाया है और पर्याप्त मात्रा में इसके लिए उपदेश भी दिया है .  हम सब जानते हैं कि पर्याप्त नींद न मिल पाने से अनेक स्वास्थ्य सम्बंधी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं.  स्लीप डिसआर्डर्स के आज दुनिया में 80 से ज्यादा प्रकार हैं.  साथ ही इसके कारण हार्ट अटैक, डिप्रेशन, हाई ब्लडपे्रशर, याददाश्त आदि की समस्याएं भी पैदा हो रही हैं.  विशेषज्ञों की मानें तो मोटापे को रोग समझने में हमें 25 वर्ष का समय लगा था, लेकिन लगता है नींद को रोग मानने में हम और ज्यादा लापरवाही कर रहे हैं.  जबकि एक नहीं तमाम शोधों से यह साबित हो गया है कि अपर्याप्त नींद एक ‘खामोश कातिल’ है.

वैसे एक बड़ी समस्या पर्याप्त नींद का पैमाना भी है.  क्योंकि एक व्यक्ति को दिन में कितनी नींद चाहिए यह एक भ्रमित करने वाला प्रश्न है.  वास्तव में यह बहुत सी चीजों पर निर्भर होता है कि हमें हर दिन कितनी नींद चाहिए.  मसलन एक गर्भवती महिला को जितनी नींद की जरूरत होती है, उतनी एक सामान्य औरत को नींद की जरूरत नहीं होती.  यही बात एक्सरसाइज करने वालों और न करने वालों पर भी लागू होती है.  इसके साथ ही इस पूरे संदर्भ में इस बात को भी जानना जरूरी है कि महज आंखें बंद कर लेना ही नींद नहीं है.  अच्छी नींद में शामिल है शरीर को आराम मिलना व ऊर्जा स्तरों को पुनः स्थापित करना, खासकर तब जबकि हमारा मस्तिष्क स्लीप मोड में हो.  दरअसल मानव नींद का स्वभाव चक्रात्मक होता है और आमतौर से मस्तिष्क दो प्रकार की नींदों से गुजरता है जो कि प्रत्येक 90 मिनट में पांच चरणों से गुजरती हैं.  यह दो नींदें हैं रेपिड आई मूवमेंट स्लीप (आरईएम) और नाॅन रेपिड आई मूवमेंट स्लीप (एनआरईएम).  यहां इन चक्रों की गहराई में जाने की जरूरत नहीं है, बस यह समझने की जरूरत है कि अच्छी व आरामदायक नींद के लिए क्या करना चाहिए?

ये भी पढ़ें- हैप्पी प्रैग्नैंसी के लिए अपनाएं ये 9 टिप्स

– रोजाना निश्चित समय पर सोएं व जागें.

– नियमित एक्सरसाइज करें, खासकर सुबह को.  नियमित एक्सरसाइज करने से आरामदायक नींद मिलने के साक्ष्य मौजूद हैं.

– सूरज की रोशनी अवश्य लें, विशेषकर देर दोपहर में.

-अपने बेडरूम में तापमान आरामदायक रखें.

-बेडरूम में शांति व अंधेरा रखें.

– अपने बिस्तर का प्रयोग केवल नींद व सेक्स के लिए करें.

-अगर आप नींद की गोलियां लेते हैं तो उन्हें सोने से एक घंटा पहले लें या जागने से 10 घंटे पहले लें ताकि दिन में आलसपन से बचे रहें.

– सोने से पहले कोई रिलैक्स करने वाली एक्सरसाइज करें, लेकिन अधिक मेहनत वाली कोई एक्सरसाइज न करें.

-सोने से पहले कोई दिमाग को झकझोरने वाली गतिविधि में लिप्त न हों जैसे कोई प्रतिस्पर्धात्मक खेल आदि.

-शाम को कैफीन का सेवन न करें.

–  बिस्तर में बैठकर किताब न पढ़ें, टेलीविजन न देखें.

-नींद लाने के लिए शराब का सेवन न करें.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें