क्या है Sleep Divorce, जानें कपल्स के लिए इसके फायदे

Sleep Divorce : आजकल स्लीप डिवोर्स का चलन तेजी से बढ़ रहा है. इस का मतलब है कि पार्टनर्स नींद में खलल से बचने के लिए अलगअलग बिस्तरों या कमरों में सोना पसंद कर रहे हैं. इस फैसले के पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे पार्टनर का खर्राटे लेना, बारबार करवटें बदलना, वौशरूम जाना या सोने की अलगअलग आदतें. हालांकि सवाल यह है कि क्या यह ट्रैंड कपल्स में दूरी बढ़ा रही है या इस से वे ज्यादा एकदूसरे को समझ पा रहे हैं?

क्यों बढ़ रहा है स्लीप डिवोर्स का चलन

नींद का महत्त्व : नींद हमारे स्वास्थ्य और मानसिक शांति के लिए बहुत जरूरी है. जब पार्टनर की आदतें नींद में खलल डालती हैं, तो यह थकावट, चिड़चिड़ापन और तनाव का कारण बन सकती हैं जिस से अगले दिन आप का पार्टनर ऐनर्जी से भरपूर न रह कर सुस्त पड़ा रहता है और अपने डेली टास्क कंप्लीट नहीं कर पाता.

स्वास्थ्य समस्याएं : खर्राटे जैसी समस्याएं कई बार स्लीप एपनिया जैसी गंभीर बीमारियों का संकेत होती हैं या आप की सांस की नली में रुकावट भी खर्राटों का कारण हो सकती है. खर्राटों को नियंत्रित करने के लिए आप अलगअलग पोजिशन में सोने की कोशिश करें। अगर करवट बदलने पर भी आप के खर्राटे लगातार आ रहे हैं तो आप को डाक्टर से संपर्क करना चाहिए.

कामकाजी जीवन : आजकल कपल्स के बीच काम के घंटे और शैड्यूल अलगअलग होते हैं, जिस से एक ही समय पर सोना मुश्किल हो जाता है.

स्पेस की जरूरत : कुछ लोग खुद को ज्यादा स्पेस देना पसंद करते हैं ताकि वे अपनी नींद पूरी कर सकें क्योंकि कई बार पार्टनर को बारबार करवटें बदलने, ज्यादा ठंड या गरम कमरे में सोने की आदत होती है जिस से आप के पार्टनर की नींद डिस्टर्ब होती है, इसलिए वह अलग कमरे में ही सोना ज्यादा पसंद करते हैं.

क्या स्लीप डिवोर्स रिश्तों पर असर डालता है

भावनात्मक दूरी : एकसाथ सोने से सिर्फ शारीरिक ही नहीं, बल्कि भावनात्मक जुड़ाव भी बढ़ता है. अलग सोने से यह जुड़ाव कमजोर हो सकता है. जब आप रात को एकदूसरे से स्पर्श कर सोते हैं तो आप के शरीर में गुड हारमोंस का भी स्राव होता है जो आप को खुशी और सुकून का एहसास कराता है.

संचार में कमी : रात को साथ सोते समय पार्टनर दिनभर की बातें शेयर करते हैं. अलग सोने से यह समय खत्म हो सकता है और क्योंकि कपल्स दिनभर अपनेअपने काम में व्यस्त रहते हैं और ऐसे में रात में भी वे एकदूसरे वो वक्त न दें तो उन में अपनेआप ही दूरी आने लगती है और एकदूसरे से लगाव कम होता है.

प्यार की आदतें : साथ सोना प्यार का एक महत्त्वपूर्ण पहलू है. जब साथ सोते हैं तो पतिपत्नी के बहुत से झगड़े बिना सुलझाए खुद ही सुलझ जाते हैं. अलग सोने से यह सहजता और निकटता कम हो सकती है और पार्टनर को मनाने और प्यार करने के अवसर कम होते हैं.

बहरहाल, कभीकभी स्लीप डिवोर्स के फायदे भी होते हैं :

बेहतर नींद : अलग सोने से पार्टनर्स की नींद में सुधार हो सकता है, जिस से उन का मूड और कामकाज बेहतर होता है. महीने में कुछ दिन जब आप काम में व्यस्तता के चलते या ट्रैवलिंग के चलते थकें हों तो आप अलग कमरों में सो सकते हैं. क्योंकि कई बार साथ में जब बच्चे सो रहे हैं तो आप की नींद पूरी नहीं हो पाती, ऐसे में कुछ दिन जरूर इस ट्रैंड को फौलो किया जा सकता है, लेकिन यह कोई स्थाई समाधान नहीं है.

फ्रीडम : कुछ कपल्स के लिए यह अपने पर्सनल स्पेस का आनंद लेने का तरीका हो सकता है. कई बार कप्लस शादी तो कर लेते हैं लेकिन अपनी बैचलर जिंदगी को नहीं छोड़ना चाहते. या कई बार काम की अलग शिफ्ट के चलते भी अलग सोना जरूरी हो जाता है.

साथ सोने के फायदे : रिश्तों को मजबूत करता है

शारीरिक स्पर्श का महत्त्व : साथ सोने पर शारीरिक संपर्क, जैसे गले लगाना या हाथ पकड़ना, औक्सिटोसिन (प्यार का हारमोन) बढ़ाता है.

भावनात्मक जुड़ाव : एकसाथ सोने से आपसी विश्वास और जुड़ाव बढ़ता है.

संचार का समय : सोने से पहले का समय कपल्स के लिए आपस में बात करने और एकदूसरे की भावनाओं को समझने का बेहतरीन मौका होता है. दिनभर जब आप औफिस या बच्चों में उलझे हों तो उस के बाद कप्लस को यही वक्त मिलता है जब वे अपनी भावनाएं अपने पार्टनर के साथ शेयर करें.

आपसी एडजस्टमैंट : साथ सोने से कपल्स को एकदूसरे की आदतों के साथ ऐडजस्ट करना सीखने का मौका मिलता है.

नींद में खलल होने पर क्या करें

अगर पार्टनर की आदतें आप की नींद में खलल डाल रही हैं, तो स्लीप डिवोर्स का विकल्प चुनने से पहले इन उपायों को अपनाएं :

खर्राटों का इलाज : डाक्टर से परामर्श लें. स्लीप एपनिया जैसी समस्याओं का इलाज जरूरी है.

सोने का रूटीन बनाएं : अगर संभव है तो एक ही समय पर सोने और उठने की आदत डालें. महीने में कुछ दिन जरूरी हो तो ठीक है वरना कोशिश करें कि साथ ही सोएं.

ईयर प्लग्स या व्हाइट नौइज मशीन : अगर शोर से परेशानी हो रही है तो ये मददगार हो सकते हैं. इस से आप को खर्राटों की ज्यादा आवाज नहीं आएगी और आप बेहतर सो पाएंगे.

बेहतर बिस्तर : सही गद्दे और तकिए का चुनाव करें. अगर आप को स्पेस की कमी लग रही है तो आप कम जगह में ज्यादा स्लीपिंग स्पेस बनाने के लिए बंकर बैड का औप्शन चुन सकते हैं. इस से आप को सोने के लिए ज्यादा जगह मिल जाएगी और आप को आप के पार्टनर से अलग भी नहीं सोना पड़ेगा.

संचार करें : पार्टनर से अपनी परेशानियों के बारे में खुल कर बात करें. उन को बताएं कि उन की किस आदत से आप परेशान हैं.

छोटीछोटी आदतें सुधारें

• रात को मोबाइल का कम इस्तेमाल करें.
• हलकेफुलके, नर्म और कंफर्टेबल कपड़े पहनें ताकि नींद में आराम मिले.
• सोने से पहले रिलैक्सिंग ऐक्टिविटी करें, जैसे किताब पढ़ना या बातचीत करना.

स्पेस और ऐडजस्टमैंट के बीच संतुलन

रिश्तों में थोड़ा पर्सनल स्पेस देना जरूरी है. यह हर व्यक्ति को खुद के लिए समय और शांति प्रदान करता है. लेकिन इस का मतलब यह नहीं कि रिश्ते में दूरियां बढ़ा ली जाएं.

ऐडजस्टमैंट क्यों है जरूरी

रिश्ते में ऐडजस्टमैंट और समझदारी का होना बेहद जरूरी है. साथ सोने से आप एकदूसरे की आदतों को बेहतर तरीके से समझते हैं और एक मजबूत रिश्ता बना सकते हैं.

स्लीप डिवोर्स एक अस्थायी समाधान हो सकता है, लेकिन इसे स्थायी आदत बनाने से बचना चाहिए. बेहतर होगा कि कपल्स आपस में संवाद करें और नींद से जुड़ी समस्याओं का समाधान निकालें. एकसाथ सोना सिर्फ सोने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह रिश्ते को गहराई और मजबूती देने का जरीया भी है. इसलिए, प्यार और नींद के बीच संतुलन बनाएं, ताकि आप का रिश्ता और भी खूबसूरत बन सके.

क्या है स्लीप डायवोर्स

आलोक के खर्राटे पूरे कमरे में गूंज रहे थे. सीमा कभी करवटें बदलती, कभी तकिया कानों पर रखती, तो कभी सिर आलोक के पैरों की तरफ करती. यही सब करतेकरते रोज रात को 3 बज जाते थे. सुबह उठती तो उस का सिर भारी रहता. बातबात पर चिढ़ती रहती, दिन भर औफिस में काम करना मुश्किल हो जाता. तबीयत हर समय बिगड़ी रहने लगी तो दोनों डाक्टर के पास गए. डाक्टर ने पूरी बात सुनने के बाद स्लीप डायवोर्स के बारे में बात करते हुए दोनों को अलगअलग सोने की सलाह दी, तो दोनों हैरानपरेशान घर लौट आए. 1 हफ्ते में ही भरपूर नींद के बाद सीमा प्रसन्नचित्त और चुस्तदुरुस्त दिखने लगी, तो दोनों इस से खुश हुए और फिर डाक्टर को जा कर धन्यवाद दिया.

आहत न हों भावनाएं

मनोचिकित्सकों के अनुसार, कई पतिपत्नी ऐसे होते हैं, जो अलगअलग सोना चाहते हैं. कारण कई हैं, साथी के बारबार करवट बदलने से, बिस्तर में खर्राटे भरने से नींद डिस्टर्ब होने के कारण वे अलग सोना तो चाहते हैं पर साथी की भावनाएं आहत न हों, इसलिए कह नहीं पाते. कई पतिपत्नी ऐसे भी होते हैं, जो एकदूसरे को प्यार तो बहुत करते हैं पर सोना अलगअलग चाहते हैं और चली आ रही परंपराओं के अनुसार पतिपत्नी को एक बैडरूम में ही सोना चाहिए पर अपने रिश्ते को मजबूत बनाए रखने के लिए जब भी अकेले सोने का मन करे, तो स्लीप डायवोर्स की स्थिति को समझ लेना चाहिए.

स्लीप डायवोर्स है क्या

इसे नाइट डायवोर्स भी कहते हैं. इस का मतलब है पतिपत्नी का अलगअलग सोना. ठीक से न सोने से रिश्ते के साथसाथ हैल्थ भी प्रभावित होती है. कई पतिपत्नियों को जिन्हें नींद न आने की समस्या होती है. उन्हें अलगअलग सोने की सलाह दी जाती है ताकि उन की नींद का स्तर सुधर सके. कम सोने से रिश्ते पर, घर की अन्य समस्याओं पर इस का नकारात्मक असर पड़ सकता है. डाक्टरों के अनुसार, अलगअलग सोने में कुछ भी गलत नहीं है. वास्तव में इस से पतिपत्नी का रिश्ता और मजबूत होता देखा गया है. साथ ही सोना है, यह पुरानी सोच है. कई घरों में पति सुबह जल्दी उठता है, मौर्निंग वौक पर जाता है, जबकि पत्नी थोड़ी देर और सोना चाहती है. यदि वे साथ सोते हैं, तो पत्नी जरूर डिस्टर्ब होगी. तब पति अपनी पत्नी को डिस्टर्ब न करने के खयाल से अपनी सैर छोड़ देता है, जिस से भविष्य में किसी भी तरह की समस्या हो सकती है.

एक दूसरे का खयाल

पढ़नेलिखने की शौकीन कविता बंसल का कहना है, ‘‘मुझे सोने से पहले कुछ पढ़ना अच्छा लगता है. आजकल मैं कुछ कविताएं भी लिख रही हूं. दिन भर घर की व्यस्तता में समय नहीं मिल पाता है. रात में सब कामों से फ्री होने पर मुझे एकांत में अपना यह शौक पूरा करने का समय मिलता है. यदि मैं बैडरूम में रहूंगी तो दिन भर के थके पति को आराम नहीं मिल पाएगा, उन की नींद जरा सी आवाज से ही खुल जाती है, इसलिए मैं दूसरे रूम में ही सो जाती हूं. एकदूसरे के आराम का खयाल रखने से हमारे रिश्ते में प्यार बढ़ा ही है.’’

पतिपत्नी के रिश्ते में सब से महत्त्वपूर्ण चीज है प्यार और विश्वास. अगर साथ सोने से एकदूसरे के आराम और स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच रहा हो तो स्लीप डायवोर्स में कोई बुराई नहीं है. अगर एकदूसरे के आराम, नींद का खयाल रखते हुए अलग सो लिया जाए, तो इस से इस रिश्ते को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा, बल्कि यह और मजबूत ही होगा, एकदूसरे के लिए प्यार और सम्मान बढ़ेगा. एकदूसरे का खयाल रख कर प्यार से रहें, खुश रहें, चैन से सोएं और सोने दें.

 

कपल्स के बीच ट्रेंड कर रहा ‘स्लीप डिवोर्स’, अच्छी नींद के लिए क्यों जरूरी?

शादी के रिश्ते में सबसे जरूरी बात क्या हैं ये पूछने पर कई तरह के जवाब मिलते है? जैसे एक दूसरे को समझना चाहिए, एक-दूसरे का ख्याल रखना चाहिए और बाकी अलग-अलग तरह की और भी कई चीजें. लेकिन जिंदगी की सबसे महत्वपूर्ण चीज है नींद इसके बारे में कोई बात नहीं करता.

हाल ही नए जेनरेशन के शादी-शुदा कपल के बीच एक नया ट्रेंड शुरू हुआ है. जो ट्विटर पर  के नाम से ‘स्लीप डिवोर्स’ काफी ट्रेंड हो रहा है. अब आप ये जानना चाहेंगे की आखिर ये ‘स्लीप डिवोर्स’ क्या है? तो चलिए आज हम आपको इसके हर एक पहलू से रूबरू करवाते हैं.

क्या है ‘स्लीप डिवोर्स’?

स्‍लीप डिवोर्स तब होता है, जब अच्छी और बेहतर नींद के लिए कपल अलग-अलग कमरे, अलग बिस्तर या फिर  या अलग-अलग समय पर सोते हैं तो इसे हम स्लीप डिवोर्स कहते हैं. इसके ट्रेंड में आने का कारण है कपल्स का नींद ना पूरा हो पाना. स्‍लीप डिवोर्स ठीक से नींद न ले पाने वाले लोगों के लिए बड़ा समाधान है. स्‍लीप डिवोर्स वो है जिसमें पार्टनर्स रात को साथ में न सोकर अपनी सुविधानुसार अलग-अलग सोते हैं. इसके चलते कपल्स की नींद भी पूरी हो जाती है और वो अगली सुबह पूरी एनर्जी के साथ उठते हैं.

स्लीप डिवोर्स का ट्रेंड

स्लीप डिवोर्स  सुनने में नया लग रहा है. लेकिन इसका चलन बेहद पुराना है. साल 1850 में ये ट्रेंड ट्विन-शेयरिंग बेड के नाम से फेमस हुआ. तब के समय में पति-पत्नी एक कमरे तो होते थे, लेकिन होटलों की तर्ज पर ट्विन-शेयरिंग बेड की तरह एक रूम में ही 2 अलग-अलग बिस्तर पर सोया करते थे. ये इसलिए शुरू हुआ ताकि पति-पत्नी एक रूम में साथ होकर भी बिना एक-दूसरे को डिस्टर्ब किए आराम से नींद पूरी कर सकें. लैंकेस्टर यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर हिलेरी हिंड्स ने इस पर कल्चरल हिस्ट्री ऑफ ट्विन बेड्स के नाम से एक किताब भी लिखी है. बुक के अनुसार उस समय में डॉक्टर नींद ना पूरी होने पर मानसिक नुकसान मानते थे.

नींद ना पूरा होने के कारण

नींद पूरा ना हो पाने के कई कारण हो सकते है. जैसे दिनभर की भागदौड़ के बाद सोने के समय में देरी होना. पार्टनर के सोने की खराब आदतें या खर्राटे, पार्टनर का देर तक काम में लगे रहना. इस तरह की कई चीजें हो सकती है जिसके कारण दूसरे पार्टनर की नींद पूरी नहीं हो पाती.

नींद के कारण रिश्तों में दरार

नींद की कमी का सीधा-सीधा असर रिश्ते पर होता है. नींद की कमी से जूझते जोड़े छोटी-मोटी बातों पर भी उलझ पड़ते हैं. नींद पूरी ना होने का कारण चिड़चिड़ापन होता है और ये कारण  भी झगड़े का मुख्य कारण बन जाता है.

स्लीप डिवोर्स के फायदे

आज के समय पूरे दिन की भागदौड़ के बाद रात में अच्छी नींद ना मिलने के कारण आपका अगला पूरा दिन खराब जा सकता है. इसलिए समय-समय पर स्लीप डिवोर्स से आपकी नींद पूरी होती है और नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है. इसके अलावा एक साथ होने के बाद हर किसी का अपना एक पर्सनल स्पेस होता है. जो हर व्यक्ति के लिए बेहद जरूरी है. और इसके कारण आपको एक पर्सनल स्पेश मिलता है. कई लोग सोने से पहले किताबें पढ़ना चाहते है, कई लोगों को मेडिटेशन के बाद सोने की आदत होती है. तो इस समय में आप अपनी चीजों के लिए समय निकाल सकते है.

क्या स्लीप डिवॉर्स रिश्तों में दूरियों के लिए वजह बन सकता है?

कई लोगों का मानना है की स्लीप डिवोर्स के कारण रिश्तों में दूरियां आ सकती है.  अलग सोना आपकी अपनी मर्जी है. आपसी सहमति के साथ कपल्स एक दूसरे की जरूरतों का सम्मान करते हुए एक-दूसरे को समय देते है. गौरतलब है की स्लीप डिवोर्स रिश्तों को बिगाड़ने के लिए नहीं बल्कि रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए किया जाता है. ताकि आपकी नींद पूरी होने के कारण आप चिड़-चिड़ा फील नहीं करोगे तो एक-दूसरे को ज्यादा समय दे पाओगे.

55 प्रतिशत लोग 8 घंटे से कम नींद लेते है

ग्रेट इंडियन स्लीफ ( GISS) 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 55 प्रतिशत लोग रात में 11 बजे के बाद सोते है. जिसके कारण 8 घंटे से कम नींद ले पाते है. साथ ही हेल्थ टेक्नोलॉजी कंपनी फिलिप्स इंडिया के 2019 के रिपोर्ट के अनुसार लगभग 93 प्रतिशत भारतीय पूरी नींद नहीं ले पाते. और इनमें से करीब 58 प्रतिशत लोग 7 घंटे से कम नींद ले पाते है.

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