Women’s Day 2020: कामयाबी मिलते ही आप के पीछे पूरा कारवां होगा- नीतू श्रीवास्तव

नीतू श्रीवास्तव, समाजसेविका

नीतू ने समाज के निर्धनों, बेसहारों, वृद्धों, दिव्यांगों और बच्चों को भिक्षावृत्ति व महिलाओं को वेश्यावृत्ति के चंगुल से मुक्त कराया. समाजसेवा के क्षेत्र में और बेहतर कार्य करने के लिए 2 मार्च, 2019 को ‘श्रुति फाउंडेशन’ की नींव रख कर वे उपेक्षित वर्ग के उत्थान के मार्ग पर निकल पड़ीं.

बेसहारों को सहारा देने के लिए जानी जाने वाली नीतू श्रीवास्तव का जन्म छत्तीसगढ़ के भिलाई शहर में एक सामान्य परिवार में हुआ था. उन में सामाजिक हितों के लिए कार्य करने की भावना स्कूल टाइम से ही थी.

समाजशास्त्र और राजनीति शास्त्र में पोस्ट ग्रैजुएट होने के साथ ही नीतू ने आईटीआई से इलैक्ट्रौनिक्स व पीजी कंप्यूटर कोर्स भी किया है. ब्यूटीशियन के तौर पर अपने कैरियर की शुरुआत करने वाली नीतू श्रीवास्तव में समाजसेवा का जनून इस कदर सवार था कि उन्होंने इस की खातिर अपने पार्लर को बंद कर समाजसेवा की ओर उन्मुख होना ज्यादा बेहतर समझा. आइए, जानते हैं उन से उन के इस सफर के बारे में:

समाजसेवा के क्षेत्र में आने की पे्ररणा कहां से मिली?

समाजसेवा में आने की प्रेरणा मुझे स्कूल टाइम से मिली जब मैं स्काउट गाइड में थी. हमें मिशनरी के साथ कुष्ठ उन्मूलन शिविर में ले जाया जाता था और रोगियों की सेवा कैसे की जाती है यह सिखाया और बताया जाता था. इस तरह मेरा झुकाव दीनदुखियों की तरफ होने लगा. समय के साथ सेवा की भावना बढ़ती गई. दूसरों के दुख अपने लगने लगे तो निर्णय लिया कि चाहे कितनी भी व्यस्त दिनचर्या क्यों न हो अपना समय समाजसेवा में जरूर दूंगी और फिर इस फील्ड में आ गई.

सामाजिक संगठनों से कैसे जुड़ीं?

इस दिशा में अकेले कुछ भी करना मुमकिन नहीं था. अत: मैं समाजहित में जो भी कार्य करती, उसे फेसबुक पर शेयर कर देती, जिस से समाज के लोगों व कई सामाजिक संगठनों की नजर मुझ पर पड़ी. वहीं से मुझे कई सामाजिक संगठनों से जुड़ने के औफर मिलने लगे. इन के साथ जुड़ कर मैं ने कुछ समय ही काम किया. फिर अपने विचारों के साथ आगे बढ़ी.

भिक्षावृत्ति और वेश्यावृत्ति आज देश की 2 बड़ी समस्याएं हैं. इन के लिए अपनी जंग के बारे में बताएं?

भिक्षावृत्ति और वेश्यावृत्ति का कारण पैसों की कमी, मजबूरी व शिक्षा की कमी है, साथ ही लोगों में जागरूकता का अभाव भी एक कारण है. हम अपनी जंग के अंतर्गत इन कार्यों से जुड़े लोगों को इन के बुरे अंजाम से अवगत करा कर उन्हें इन से दूर करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्हें इन कार्यों से दूर कर उन के पुनरुत्थान की कोशिश कर रहे हैं.

‘बड़े सामाजिक संगठन नाम बड़े दर्शन छोटे’ इस बारे में आप का क्या कहना है और कैसे आप खुद को इस फील्ड में अलग साबित कर पा रही हैं?

बड़ेबड़े संगठन सिर्फ बाहर से बड़े लगते हैं, पर अंदर से खोखले होते हैं. अपने समाज के लोग ही जब अपने समाज की मदद करने के लिए आगे नहीं आते हैं तो बड़ा दुख होता है. मेरा संघर्ष यहीं से शुरू हुआ. अब मैं जमीनी स्तर पर कार्य कर के खुद को इस फील्ड में अलग साबित कर पा रही हूं. यह जरूरी नहीं कि बड़ेबड़े डोनेशन हों तभी कोई कार्य मुमकिन हो सकता है. हम शासनप्रशासन के सहयोग से भी कई कार्यों को अंजाम दे सकते हैं. मददगार और शासन के बीच की कड़ी बन कर अर्थात् बहुत से कार्य माध्यम बन कर भी किए जा सकते हैं, जो हम कर रहे हैं.

किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?

कई तरह की चुनौतियां सामने आती हैं खासकर मैडिकल फील्ड में. लोगों को पैसा और मदद तो चाहिए पर करना वही चाहते हैं जो उन का मन करता है. ऐसे में हमें उन्हें बहुत समझाना पड़ता है कि हम आप के लिए जो कर रहे हैं वह सही है. कई बार जब किसी वादविवाद के कार्य में आगे आओ तो लोग बयान देने में पीछे हटने लगते हैं, जिस की वजह से कोई भी केस हलका होने लगता है.

महिलाओं को क्या संदेश देना चाहेंगी?

अगर आप के अंदर जनून है और कुछ करने की चाह, तो अपने आत्मविश्वास को बनाए रखें. परेशानियों और संघर्ष के दौर से घबराएं नहीं. संघर्ष के दौर में भले ही आप के साथ कोई न हो पर कामयाबी मिलते ही आप के पीछे पूरा कारवां होगा. जब तक आप खुद अपनी काबिलीयत को नहीं पहचानेंगी कोई आप को न जानेगा और न समझेगा.

Women’s Day 2020: जानें क्या कहते हैं बौलीवुड सितारे

महिला दिवस हर साल किसी न किसी रूप में विश्व में मनाया जाता है. महिलाएं आज आजाद है, पर आज भी कई महिलाएं बंद कमरे में अपना दम तोड़ देती है और बाहर आकर वे अपनी व्यथा कहने में असमर्थ होती है. अगर कह भी लिया तो उसे सुनने वाले कम ही होते है. इस पर कई फिल्में और कहानियां कही जाती रही है पर इसका असर बहुत कम ही देखने को मिलता है. आखिर क्या करना पड़ेगा इन महिलाओं को, ताकि पुरुष प्रधान समाज में सभी सुनने पर मजबूर हो? कुछ ऐसी ही सोच रखते है हमारे सिने कलाकार आइये जाने उन सभी से,

तापसी पन्नू

महिलाओं को पुरुषों के साथ सामान अधिकार मिले. ये केवल कहने से नहीं असल में होने की जरुरत है. इसके लिए समय लगेगा, पर होनी चाहिए. महिलाओं को भी अपनी प्रतिभा को निखारने और लोगों तक पहुंचाने की जरुरत है. आज महिला प्रधान फिल्में बनती है, क्योंकि महिलाओं ने अपनी काबिलियत दिखाई है. आज दो से तीन फिल्में हर महीने महिला प्रधान रिलीज होती है और लेखक ऐसी कहानियां लिख रहे है और निर्माता निर्देशक इसे बना भी रहे है.

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आलिया भट्ट

मैं हमेशा ये कहती रही हूं कि आपके सपने को आप कैसे भी पूरा करें. आप खुद अपने आप को औरत समझकर कभी पीछे न हटें. पुरुष प्रधान समाज में हमेशा लोग कहते रहते है कि आप औरत है और आपसे ये काम नहीं होगा. मेरे हिसाब से ऐसा कुछ भी नहीं है, जो औरतें कर नहीं सकती. आपमें बस हिम्मत की जरुरत है और यही मुझे दिख भी रहा है.

अंकिता लोखंडे

 

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My Dear #saree u were, u are, and u will be my first love forever ?#saree #indianbeauty ???????

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महिला दिवस महिलाओं के लिए एक अच्छा दिन है, लेकिन हर महिला को हमारे देश में सम्मान मिलने की जरुरत है. किसी औरत पर कुछ समस्या आने पर मैं सबसे पहले उसके लिए खड़ी होती हूं. मैं थोड़ी फेमिनिस्ट हूं. इसके अलावा आज की सभी लड़कियां भी बहुत होशियार है और इसे मैं अच्छा मानती हूं, वे जानती है कि उन्हें क्या करना है. मेरी छोटी बहन भी अपने हर काम में हमेशा फोकसड रहती है और वैसे आज के यूथ भी है. ये ग्रोथ है और इसे आगे बढ़ाने में सबका सहयोग होना चाहिए. महिला सशक्तिकरण ऐसे ही होगा,लेकिन कहना बहुत मुश्किल है कि महिलाओं का विकास कितना हुआ है, क्योंकि जहाँ भी पुरुषों को मौका मिलता है, वे उसे दबाने की कोशिश करते है, ऐसे में महिलाओं को बहुत मजबूत होने की जरुरत है. यही वह पॉवर है जब आप ऐसे किसी बात के लिए ना कह सकें. ‘ना’ कहने के लिए शिक्षा जरुरी है.

काजोल

 

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Sometimes a smile just isn’t enough…… #blue #leaveitlikethat #kapilsharmashow

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महिला दिवस मनाने से महिलाओं को ख़ुशी नहीं मिल सकती. उन्हें अलग नहीं बल्कि पुरुषों के समान अधिकार मिलने की जरुरत है. इसके लिए सभी महिलाओं को साथ मिलकर काम करनी चाहिए, क्योंकि अधिकतर एक महिला दूसरे को नीचा दिखाती है, जो ठीक नहीं. इसके अलावा एक माँ को अपने बेटे को मजबूती से परवरिश करने की जरुरत है , ताकि बड़े होकर वह किसी भी महिला को सम्मान दे सके.

नीना कुलकर्णी

महिलाओं पर अत्याचार सालों से होता आया है, पहले वे बंद कमरे में रहकर इसे सहती थी, क्योंकि कोई जानने या सुनने पर शर्म उस महिला के लिए ही होती थी, पर आज महिलाओं ने अपनी आवाज बुलंद की है और आगे आकर अपराधी को दंड देने से नहीं कतराती. इसमें भागीदारी सभी महिलाओं की जरुरी है, ताकि ऐसे दौर से गुजरने वाली किसी भी महिला को न्याय मिले, भूलकर भी कभी उनकी आलोचना न करें.

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प्रणाली भालेराव

महिला प्यार और केयर की प्रतिमूर्ति है. जितना एक महिला इसे कर सकती है, उतना कोई नहीं कर सकता. इसलिए इसके माँ, बहन, बेटी आदि कई रूप में देखने को मिलती है. महिला दिवस केवल एक दिन ही नहीं. बल्कि हमें हर दिन उतना ही प्यार, केयर और सम्मान उन्हें देनी चाहिए, जो हर रूप में हर दिन हमारे आसपास रहती है. तभी कोई आगे बढ़ सकता है. महिलाओं को भी अपनी देखभाल बिना डरे अपने लिए करनी चाहिए. मैंने वैसा ही किया और आज मुझे सबका सहयोग मिला है. गृहशोभा की सभी महिलाओं को महिला दिवस की शुभ कामनाएं देती हूं, ताकि वे हमेशा अपने जीवन में खुश रहे.

राजीव खंडेलवाल

 

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महिला दिवस मेरे लिए बहुत ख़ास है और मैं इस दिन को अपने पूरे परिवार के साथ मनाना पसंद करता हूं, क्योंकि मेरे आसपास महिलाएं ही किसी न किसी रूप में मेरे साथ है और उनकी वजह से मैं यहाँ तक पहुंच पाया हूं. ये केवल एक दिन नहीं हर दिन उनको ही समर्पित है. मैं उन्हें हमेशा सम्मान देता हूं, क्योंकि उनके बिना किसी की जिंदगी संभव नहीं.

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