स्वाद बढ़ाने के साथ सेहत भी बनाते हैं मसाले, जानें इसके ढेरों फायदे

योंतो मसालों को खाने में तरहतरह के स्वाद जगाने के लिए जाना जाता है, मगर भारत में इन का इस्तेमाल दवा के रूप में किया जाता है. कालीमिर्च, जायफर, हलदी, अजवाइन और जीरा का दवा के रूप में इस्तेमाल तो घरों में आम बात है. जहां मसालों के पाउडर से नए स्वादिष्ठ व्यंजन बनते हैं वहीं खड़े मसालों से बने खाने का स्वाद ही जुदा होता है.
आइए, जानें मसालों की सेहत वाली खूबियों के बारे में:

1. दालचीनी

सदियों से दालचीनी न सिर्फ इस की खुशबू के कारण खाने में इस्तेमाल की जाती है, बल्कि इस के ऐंटीऔक्सीडैंट गुण भी इसे बेहद गुणकारी बनाते हैं. ये फ्रीरैडिकल्स से लड़ने में सक्षम होने के कारण कैंसर, आर्थ्राइटिस से बचाने के साथसाथ जवां रखने का भी काम करती है, साथ ही फिट भी बनाए रखती है.

रखे फिट: आप को यह जान कर हैरानी होगी कि दालचीनी हाई फैट डाइट के असर को कम करने का काम करती है, जिस से आप वजन को नियंत्रित कर पाते हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार, दालचीनी के रोजाना सेवन से शरीर में फैट मोलीक्यूल्स की संख्या कम होती है.

स्किन को बनाए दाग फ्री: चेहरे पर मुंहासे किसे पसंद होते हैं. ये न सिर्फ सुंदरता में कमी लाते हैं, बल्कि कौंफिडैंस को भी कम करते हैं. ऐसे में दालचीनी में ऐंटीबैक्टीरियल गुण होने के कारण ये मुंहासों के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया को कम करने का काम करते हैं.

हेयर ग्रोथ में सहायक: पौष्टिक डाइट न लेने की वजह से हेयरफौल की समस्या का सामना करना पड़ता है. ऐसे में दालचीनी स्कैल्प के सर्कुलेशन को इंप्रूव कर हेयर ग्रोथ को बढ़ाने का काम करती है.

2. लौंग

यूएसडीए नैशनल न्यूट्रीऐंट डाटाबेस के अनुसार, लौंग में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, ऐनर्जी, विटामिंस व डाइटरी फाइबर होते हैं जो सेहत के लिए काफी फायदेमंद रहते हैं. लौंग में ऐंटीबैक्टीरियल प्रौपर्टी होती है जो पाचनतंत्र को सुधारने व चेहरे की चमक बनाए रखने का काम करती है.

दांत दर्द में राहत: लौंग न सिर्फ दांत दर्द में राहत पहुंचाने का काम करती है, बल्कि मुंह की बदबू को भी दूर करती है, जिस से आप फ्रैश फील करती हैं.

दे दागधब्बों रहित त्वचा: रोजाना लौंग खाने से यह ब्लड साफ करने के साथसाथ शरीर की गंदगी को बाहर निकाल कर आप को स्मूद व दागधब्बों रहित त्वचा भी देती है.

रोके ऐजिंग: ऐजिंग होने पर आप के स्किन सैल्स अपना कार्य करने में सक्षम नहीं हो पाते, जिस से चेहरे पर झुर्रियां नजर आने लगती हैं. लौंग में ऐंटीऔक्सीडैंट गुण होने के कारण यह झुर्रियों को होने से रोक आप को लंबे समय तक यंग दिखाने का काम करती है.

बचाए स्किन इन्फैक्शन से: लौंग में ऐंटीऐलर्जिक, ऐंटीसैप्टिक गुण होते हैं जो इन्फैक्शन से बचाते हैं. लौंग घावों को भरने और फंगल इन्फैक्शन से स्किन को बचाने का भी काम करती है, साथ ही बालों के वौल्यूम को भी इंप्रूव करती है.

3. इलायची

छोटी इलायची सब्जियों व स्वीट्स बगैरा में डाली जाती हैं. यह सिर्फ टेस्ट ही नहीं बढ़ाती, बल्कि शरीर को डिटौक्सीफाई करने के साथसाथ वजन कम करने, डिप्रैशन से लड़ने और इम्युनिटी बढ़ाने में भी कारगर है. इस में आयरन, फाइबर, कैल्सियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम, विटामिन ए, सी व जिंक भी भरपूर मात्रा में होते हैं. साथ ही इस में पाए जाने वाले पाइनीन, सबनीन, लिनलूल जैसे औयल हैल्थ के लिए काफी फायदेमंद होते हैं, क्योंकि इन में ऐंटीऔक्सीडैंट गुण होने के कारण ये पाचनतंत्र को सुधारने के साथसाथ मैटाबोलिज्म को प्रेरित करने का भी काम करते हैं.

डिटौक्सिफिकैशन का काम करे: अगर शरीर से विषैले पदार्थ बाहर नहीं निकलते तो ऐजिंग, किडनी स्टोन, यूरिक ऐसिड के इकट्ठा होने की समस्या हो जाती है. ऐसे में इलायची के लगातार सेवन से शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं और हम फिट रहते हैं.

बैड ब्रीद से दिलाए छुटकारा: अगर आप 10-15 दिन लगातार छोटी इलायची का सेवन करें तो आप को बैड ब्रीथ की समस्या से छुटकारा मिल जाएगा और आप का पाचनतंत्र भी
सही रहेगा.

4. कालीमिर्च

कालीमिर्च में पीपेरीन होता है, जो शरीर में वसा के संचय को रोकता है. 2013 में ‘फूड कैमिस्ट्री’ में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, पीपेरीन एचईआर 2 जीन की गतिविधि को कम करने का काम करता है, जो ब्रैस्ट कैंसर सैल्स को बढ़ाता है. साथ ही इस में फाइबर की मौजूदगी पेट को लंबे समय तक फुल रखने का काम करती है. रोजाना कालीमिर्च खाने से शरीर में विटामिन की पूर्ति हो जाती है, साथ ही इस में मैग्नीशियम और कौपर जैसे मिनरल्स की मौजूदगी हैल्दी मैटाबोलिज्म में सहायक होती है.

वजन कम करने में सहायक: एक स्टडी के अनुसार, कालीमिर्च में पीपेरीन नामक तत्त्व फैट सैल्स से लड़ने का काम करता है, जिस से आप बहुत आसानी से वजन कंट्रोल कर पाते हैं.

ऐंटीऔक्सीडैंट प्रौपर्टी: इस में ऐंटीऔक्सीडैंट प्रौपर्टी होती है, जो शरीर की इम्युनिटी को बढ़ा कर हमें बीमारियों से बचाती है, जिस से हम जल्दीजल्दी बीमार नहीं होते.
नैशनल इंस्टिट्यूट औफ न्यूट्रीशन के अनुसार कालीमिर्च में बाकी चीजों की तुलना में ज्यादा ऐंटीऔक्सीडैंट होते हैं. साथ ही इस में सब से ज्यादा फिनोलिक कंटैंट होता है, जो कैंसर से बचाने का काम करता है.

फर्टिलिटी को सुधारे: यह पुरुष फर्टिलिटी को सुधारने का काम करती है. साथ ही महिलाओं में भी सैक्स क्षमता को बढ़ाती है. यह स्पर्म काउंट को बढ़ाने में सहायक है.

ऐक्सफौलिएट योर स्किन: अगर स्किन पर डैड सैल्स जमा हो जाते हैं तो वह डल दिखने लगती है. ऐसे में आप घर में मौजूद कालीमिर्च को क्रश कर के उस में दही मिला कर स्क्रब की तरह यूज करें तो मिनटों में साफ त्वचा पा सकती हैं. साथ ही यह ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने के साथसाथ स्किन को जरूरी न्यूट्रीऐंट्स पहुंचाने का भी काम करती है.

5. जीरा
हाल ही में हुए अध्ययनों में साबित हुआ है कि जीरा पाचनतंत्र को सुधारने, पेट इन्फैक्शन को ठीक करने और वजन कम करने में कारगर है. तभी तो खाने में जीरा डालना कोई नहीं भूलता, क्योंकि इस में सेहत का राज जो छिपा है.

आयरन का अच्छा स्रोत: जीरा आयरन का अच्छा स्रोत है. 1 छोटे चम्मच जीरे में 1.4 एमजी आयरन होता है, जो शरीर में आयरन की कमी को पूरा करने का काम करता है. इसलिए हर सब्जी व दाल में जीरे का इस्तेमाल करना न भूलें.

वजन घटाए: क्लीनिकली प्रैक्टिस की कौंप्लिमैंटरी थेरैपीज में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार अधिक वजन से ग्रस्त महिलाओं के शरीर की संरचना पर जीरा बहुत ही सकारात्मक प्रभाव डालता है. यह शरीर में चरबी व कोलैस्ट्रौल कम कर के बारबार मन में खाने की इच्छा को जाग्रत करने से रोकता है, जिस से वजन घटाने में मदद मिलती है.

स्मरणशक्ति बढ़ाए: इस में ऐंटीऔक्सीडैंट और ऐंटी इनफ्लैमैटरी गुण स्मरणशक्ति बढ़ाने का काम करते हैं.

6. जायफल

चुटकीभर जायफल न केवल डिशेज के स्वाद को बढ़ा देता है, बल्कि स्वास्थ्य के लिहाज से भी काफी लाभकारी होता है.

अच्छी नींद में मददगार: आज की भागदौड़ भरी व स्ट्रैसफुल लाइफ के कारण हम चैन की नींद नहीं सो पाते हैं, जिस से तनाव में रहने के कारण धीरेधीरे डिप्रैशन की गिरफ्त में आ जाते हैं. ऐसे में जायफल अच्छी नींद लाने में मददगार है. रात को सोने से आधा घंटा पहले हलके गरम दूध में चुटकीभर जायफल डाल कर पीएं. इस से आप को काफी रिलैक्स फील होगा.

स्किन प्रौब्लम्स से दिलाए छुटकारा: आज बढ़ते प्रदूषण, गलत कौस्मैटिक प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल व हारमोनल बदलाव की वजह से ऐक्ने, झुर्रियां जैसी समस्याएं खड़ी हो जाती हैं. ऐसी स्थिति में जायफल में ऐंटीसैप्टिक और ऐंटी इनफ्लैमेटरी गुण स्किन क्लींजिंग का काम करते हैं.

रखे बीमारियों से दूर: जायफल इम्यून सिस्टम को भी स्ट्रौंग बनाने का काम करता है. इस में विटामिंस, मिनरल्स की मौजूदगी आप की ओवरऔल हैल्थ को सुधारने का काम करती है.

कोलैस्ट्रौल कम करे: जब शरीर में कोलैस्ट्रोल का लैवल बढ़ने लगता है तो उस से हार्ट अटैक, किडनी प्रौब्लम्स खड़ी हो जाती हैं, जो जानलेवा भी साबत हो सकती हैं. ऐसे में जायफल में मौजूद ऐथेनोलिक ऐक्सट्रैक्ट कोलैस्ट्रोल को कम करने में मददगार होता है.

ब्रेन फंक्शन को सुधारे: जायफल में मौजूद माइरिस्टिसिन नामक तत्त्व होता है. यह उस ऐंजाइम की क्रिया को रोकता है, जो अल्जाइमर रोग के लिए जिम्मेदार होता है. यह आप के मस्तिष्क को भी उत्तेजित करने का काम करता है, जिस से आप की याद्दाश्त में सुधार होने के साथसाथ तनाव भी कम होता है.

7. कच्ची हलदी

हलदी हर किचन में मिल जाएगी. यह न सिर्फ डिशेज में पीला कलर लाने का काम करती है, बल्कि इस के ऐंटीऔक्सीडैंट, ऐंटीवायरल, ऐंटीबैक्टीरियल व ऐंटीफंगल गुण हलदी के महत्त्व को कई गुणा बढ़ा देते हैं.

स्किन हैल्थ के लिए अच्छी: सदियों से कच्ची हलदी शादियों में उबटन में प्रयोग हो रही है, क्योंकि यह मिनटों में चेहरे की गंदगी को हटा कर उसे ग्लोइंग बनाने का काम करती है, साथ ही अगर स्किन पर किसी भी तरह का विकार होता है तो उस से भी राहत मिलती है.

ऐंटीसैप्टिक का काम करे: बुखार होने पर, शरीर पर कट लगने की स्थिति में थोड़ी सी कच्ची हलदी को दूध में मिला कर पीने से झट से राहत मिलती है. इस में करक्यूमिन की मौजूदगी बेहतरीन ऐंटीसैप्टिक का काम करती है.

ब्लड प्यूरीफायर: कई अध्ययनों में यह साबित हो चुका है कि कच्ची हलदी ब्लड को प्यूरीफाई कर विषैले तत्त्वों को शरीर से बाहर निकालने का काम करती है.
मेथी
मेथी को मिरैकल स्पाइस औफ हैल्थ के नाम से भी जाना जाता है. कढ़ी और कद्दू जैसी रैसिपीज का स्वाद बढ़ाने वाली मेथी सेहत और सुंदरता के लिए भी काफी गुणकारी है.

पाचन सुधारे: मेथी के नियमित सेवन से बौवेल सिस्टम सुचारू रूप से काम करता है. इस में ऐंटीऔक्सिडैंट और फाइबर की भरपूर मात्रा होती है जिस से शरीर से टौक्सिन बाहर निकालने में मदद मिलती है.

पीरिएड्स में ऐंठन से आराम: माहवारी के दौरान पानी में भिगो कर रखे हुए मेथी दाने चबाने से ऐंठन में राहत मिलती है. मूड स्विंग की समस्या में भी मेथी राहत पहुंचाती है.

सुधारे किडनी फंक्शन: मेथी दानों में पौलीफिनोलिक फ्लैवोनौइड्स पाए जाते हैं जो किडनी फंक्शन को सही रखने में मददगार हैं.

8. तेजपत्ता

रोमन युग में कुकिंग और ट्रीटमैंट में तेजपत्ते का इस्तेमाल काफी प्रचलन में था.
भारत में तेजपत्ता कुकिंग का एक अहम हिस्सा है. सही मायने में तेजपत्ता सेहत वाले गुणों की
खान है.

सांस संबंधी समस्याओं में राहत: एक मैडिकल रिसर्च रिपोर्ट के अुनसार तेजपत्ता ऐंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर है. इस का प्रयोग सांस संबंधी समस्याओं में राहत पहुंचाता है.

तनाव करे कम: लिनालूल वैसे तो बैसिल और थाइम में पाया जाता है, मगर यह तेजपत्ते में भी पाया जाता है. यह स्ट्रैस हारमोन को संतुलित कर तनाव बढ़ने से रोकता है.
सेहत के लिए गुणकारी इन मसालों को अपने खाने में शामिल करें और टैस्ट के साथसाथ फिटनैस का भी आनंद उठाएं.

केसर से लेकर तेजपत्ता तक, इन 12 मसालों से बनाएं अपनी सेहत

भारतीय भोजन में मसालों का इस्तेमाल हजारों सालों से हो रहा है. इन के इस्तेमाल का मकसद सिर्फ भोजन के स्वाद को बढ़ाना ही नहीं होता, ये भोजन के विकारों को कम कर के उन के गुणों को भी बढ़ाते हैं. साथ ही सेहत से जुड़ी छोटे स्तर पर होने वाली समस्याओं का निदान भी इन मसालों में होता हैं.

हालांकि आज के युग में मिर्चमसाले, घीतेल का प्रयोग दिनबदिन कम होता जा रहा है. कैलोरी की मात्रा तथा आहार की पौष्टिकता ही भोजन की परख है. पर निरंतर हो रहे कई शोधों से पता चलता है कि यदि किसी मसाले का उपयुक्त मात्रा में भोजन में समावेश किया जाए तो वह सेहत के लिए अच्छा रहता है.

आइए जानें कुछ प्रचलित मसालों के बारे में और यह कि उन का कैसे इस्तेमाल कर स्वाद के साथ सेहत का भी ध्यान रखा जा सकता है.

1. दालचीनी

दालचीनी एक ऐसा मसाला है जो गरम तासीर वाला तथा गरम मसाले का अंश है. अगर पुलाव बना रही हों तो उस के साथ खाए जाने वाले रायते में इस का चुटकी भर पाउडर डालें, स्वाद बढ़ जाएगा. ब्रैड पर मक्खन के ऊपर इस का थोड़ा सा पाउडर बुरकें, कौफी के ऊपर चुटकी भर डालें और चौप बनाते समय भी इस को थोड़ा सा डालें स्वाद बढ़ जाएगा. सेब की खीर या मिल्कशेक बनाते समय भी इस के पाउडर को प्रयोग में लाएं.

2. कालीमिर्च

कालीमिर्च गरममसाले का अंश तो है ही, साथ ही इस का प्रयोग सब्जी में साबूत मसाले डालते समय और पाश्चात्य व्यंजनों व सलाद आदि में पिसी कालीमिर्च पाउडर के रूप में होता है. कालीमिर्च 2 प्रकार की होती है. एक तो वह जिस में इस के अधपके दानों को सुखा कर रखा जाता है तो वे काले हो जाते हैं और दूसरी वह जब इस के दाने पूरी तरह पक जाते हैं, तो उस की ऊपरी सतह यानी काला छिलका आसानी से उतर जाता है. पक जाने पर कालीमिर्च की अपेक्षा सफेदमिर्च में ज्यादा गुण पाए जाते हैं.

पकौड़े बनाते समय सफेदमिर्च व कालीमिर्च पाउडर डालें. दाल में तड़का लगाते समय मोटी कुटी कालीमिर्च के 4-5 दाने डालें. स्वाद बढ़ जाएगा. सूप में फ्रैश पिसी कालीमिर्च और मठरी बनाते समय भी कालीमिर्च पाउडर डाल सकते हैं. इस से स्वाद अच्छा आएगा. लड्डू बनाते समय सफेद व कालीमिर्च का पाउडर डालें.

3. अर्जुन की छाल

यह एक प्रकार का पेड़ है, जो हिमालय की तलहटी, उत्तर प्रदेश, बंगाल, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार आदि में बहुतायत में पाया जाता है. इस पेड़ की छाल खूब प्रयोग में लाई जाती है. इस पर हुए शोधों से पता चला है कि यह विटामिन ई के बराबर ऐंटीऔक्सिडैंट का काम करती है, इसलिए इस का पाउडर बना कर प्रयोग में लाया जाता है.

1 लिटर पानी में 1 से 2 चम्मच छाल पाउडर डाल कर पानी आधा रहने तक उबालें और दिन में 2 बार पिएं. इस के अलावा इसे टोमैटो जूस व दूध में डाल कर भी पिया जा सकता है और चाय में भी इस का प्रयोग किया जा सकता है.

4. कलौंजी

कलौंजी के दाने सरसों के बीज की तरह होते हैं. उन में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट अच्छी मात्रा में पाया जाता है. इस के अलावा कैल्सियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम आदि भी उन में होते हैं. कलौंजी का स्वाद प्याज, कालीमिर्च और ओरिगैनो का मिलाजुला होता है. वैसे कई अचारों में इस का प्रयोग होता है, लेकिन इस के बिना आम का अचार अधूरा लगता है. इस के अलावा नान, पूरी बनाते समय इस के थोडे़ दाने डालने से उन का स्वाद अच्छा रहता है. इस के थोड़े से दाने डाल कर चाय बना कर पीने से मानसिक तनाव में कमी आती है. कलौंजी का तेल भी कई तरह से प्रयोग में लाया जाता है. अगर कुछ नया करना चाहें तो पंचमेल दाल में इस का तड़का लगाएं. अच्छा स्वाद आएगा.

5. जायफल व जावित्री

जायफल व जावित्री गरम मसाले का एक हिस्सा होते हैं. इन का प्रयोग विशेष डिशेज में ही होता है, लेकिन औषधि के रूप में इन का प्रयोग खूब किया जाता है. जायफल सुगंधित होता है और भारी जायफल ही अच्छा माना जाता है. जायफल के फल की छाल ही जावित्री कहलाती है.

बच्चे को जुकाम हो तो थोड़ा सा जायफल पत्थर पर घिस कर 1 बड़े चम्मच दूध में मिला कर पिलाने से उसे राहत मिलती है. नींद न आने की स्थिति में दूध में जायफल पाउडर, केसर और छोटी इलायची पाउडर डाल कर उबालें और सोते समय पी लें. साबूत मसालों का सब्जी में तड़का लगाते समय जावित्री का छोटा सा टुकड़ा डालें, तो अच्छा स्वाद आएगा.

6. जीरा

किचन में इस्तेमाल होने वाले मसालों में जीरा एक महत्त्वपूर्ण चीज है. यह तीखा और मीठी सुगंध वाला होता है. भारतीय भोजन के अलावा मैक्सिकन भोजन में भी जीरे का बहुत प्रयोग किया जाता है. जीरे में भरपूर आयरन पाया जाता है और यह पाचन में भी सहायक होता है.

जीरे का प्रयोग कई तरह से किया जाता है. एक तो दाल, सब्जी व चावल में तड़का लगाने के लिए, उस के अलावा कच्चा मसाला भूनते समय जीरा पाउडर के रूप में. छाछ, रायता, दहीभल्ला आदि में भुना हींगजीरा, पाउडर के रूप में इस्तेमाल होता है. जीरा किसी भी रूप में इस्तेमाल करें, यह सेहत के लिए अच्छा होता है. यह डायबिटीज के रोगियों व कब्ज की शिकायत वालों के लिए भी लाभकारी है. सर्दियों में इस का नियमित सेवन अच्छा रहता है.

7. राई

यह दालसब्जी में तड़का लगाने के लिए तथा अचारों में मसाले के साथ प्रयोग किया जाने वाला महत्त्वपूर्ण मसाला है. इस के उपयोग से आमाशय व आंतों पर उत्तेजक प्रभाव पड़ता है. फलस्वरूप भूख खुल जाती है. राई मुख्यतया 2 प्रकार की होती है. एक काली और दूसरी पीली. काली राई आमतौर पर तड़के के काम आती है. दक्षिण भारतीय व्यंजनों में उस का इस्तेमाल खूब किया जाता है. जबकि पीली राई, जिसे सरसों के दाने भी कहते हैं, का इस्तेमाल अचार, कुछ दही के रायतों, चटनी, कांजी आदि में पाउडर बना कर किया जाता है. समुद्री भोजन के साथ जब सरसों के दानों को पकाया जाता है, तो मछली आदि में ओमेगा-3 की मात्रा बढ़ जाती है.

सांभर, दाल, उपमा आदि में काली राई का तड़का अच्छा रहता है. पीली राई का तड़का ढोकला, खांडवी आदि में किया जाता है. इस के अलावा इंस्टैंट मिर्च के अचार, लौकी के रायते में इस का पाउडर डालने से उन का स्वाद और बढ़ जाता है.

8. अजवाइन

यह पाचक, रुचिकर, गरम और तीखी होती है. इस के सेवन से गैस, गले की खराश आदि में काफी लाभ मिलता है. अजवाइन में कालीमिर्च तथा राई की उष्णता, चिरायते जैसी कड़वाहट (चिरायता एक पौधा है) और हींग की खूबियां, ये तीनों गुण होते हैं. अजवाइन का बघार देने से सब्जी का स्वाद व सुगंध बढ़ती है. यह सभी मसालों में श्रेष्ठ है, क्योंकि गरिष्ठ भोजन में इस का प्रयोग करने से उसे पचाने में आसानी होती है.

अरवी, केले की सब्जी, ग्वार की फली, जिमीकंद वगैरह में जब इस का छौंक लगाया जाता है तो उन का स्वाद तो बढ़ जाता ही है उन्हें पचाने में भी आसानी रहती है. तैयार राजमा में अजवाइन और कसूरी मेथी का तड़का स्वाद को बढ़ा देता है. इसी तरह काबुली चनों के मसाले में इस का पाउडर डालें या परांठों में इस को डालें, स्वाद और सेहत दोनों के लिए अच्छा रहेगा.

9. फ्लैक्स सीड्स (अलसी के बीज)

फ्लैक्स सीड्स (अलसी के बीज) का महत्त्व अब प्रकाश में आया है. पहले तो इन्हें जानवरों को खाने के लिए दिया जाता था, हाल के वर्षों में हुए शोधों से पता चला है कि इन में ओमेगा-3 फैटी एसिड प्रचुर मात्रा में पाए जाता है, जो सामान्यतया मछली में मिलता है. शाकाहारी लोगों के लिए अलसी के बीज सेहत के लिए बहुत फायदेमंद हैं.

इन बीजों को हलकी गैस पर रोस्ट कर के उन का पाउडर बनाएं. फिर उस को सलाद में डाल लें अथवा सब्जी के शोरबे में मिलाएं. रायते पर बुरकें अथवा आटे में मिलाएं. सेहत के लिए अच्छा रहेगा. जिन महिलाओं के जोड़ों में दर्द रहता है, उन के लिए तो यह बहुत फायदेमंद है. लेकिन इस का सेवन 1 दिन में 2 बड़े चम्मच से ज्यादा नहीं करना चाहिए.

10. केसर

सब से महंगे मसालों में एक है केसर. सर्दियों में जुकामखांसी में, तो गरमियों में ठंडाई में इस का सेवन बखूबी होता है. खजूर, मुनक्के और बादाम के साथ पके दूध में इस के चंद रेशे डालें क्योंकि यह एक बेहतरीन टौनिक होता है. इस की खूबी यह है कि जब ठंडी खीर या दूध में यह डाला जाता है तो यह ठंडक पहुंचाता है और सर्दी के मौसम में यदि यह गरम दूध में डाला जाए तो चमत्कारी गरमी पहुंचाता है. इस को शाही सब्जी, जाफरानी और पुलाव में भी प्रयोग करते हैं. इस के चंद धागों को गुलाबजल या कुनकुने दूध में भिगो कर 10 मिनट रखें फिर उसी में घोट कर डाल दें. स्वाद व खुशबू दोनों बढ़ जाएंगे.

11. सौंफ

सौंफ भी हमारे मसालों में खूब प्रयोग में आती है. मुखशुद्धि के अलावा सूखी सौंफ पाचनतंत्र पर प्रभावशाली असर डालती है. हमारी कई पारंपरिक सब्जियों में इस का प्रयोग पाउडर के रूप में होता है. साथ ही कई अचारों में भी इस को डालते हैं. मुख्यतया यह 2 प्रकार की होती है. एक मोटी सौंफ, जो भोजन के काम आती है और दूसरी बारीक सौंफ जिस को मुखशुद्धि के लिए प्रयोग में लाते हैं. इस के सेवन से कब्ज, पेटदर्द, गले की खराश, पित्त ज्वर, हाथपांव में जलन आदि में राहत मिलती है.

इस को करेले, गोभी व अचारी सब्जी आदि में प्रयोग किया जाता है. पंचफोड़न में भी सौंफ होती है. कुल मिला कर इस का प्रयोग सेहत और भोजन की स्वादिष्ठता को बढ़ाने के लिए होता है.

12. तेजपत्ता

इस का उपयोग भी लौंग, दालचीनी या बड़ी इलायची की भांति सुगंध व स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है. विशेष रूप से इस का सेवन कफ प्रधान रोगों, अपचता, उदर रोग व पाचनतंत्र संबंधी रोगों के लिए फायदेमंद रहता है. लेकिन इस के ज्यादा पुराने पत्तों से खुशबू निकल जाती है.

सब्जी में खड़े गरम मसाले के साथ व पुलाव में इस का प्रयोग खूब होता है. पिसा मसाला भूनने से पहले कड़ाही में तेल में इस के 2-3 पत्ते डालें फिर मसाला भून कर सब्जी डालें. स्वाद बढ़ जाएगा.

उपरोक्त मसालों के अलावा और भी बहुत से मसाले ऐसे हैं. जिन का प्रयोग सब्जी बनाते समय होता है. जैसे मेथीदाना, खसखस, हरड़, हींग, मिर्च, बड़ी और छोटी इलायची, हलदी पाउडर, धनिया पाउडर आदि. ये सभी स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं. बस जरूरत इस बात की होती है कि इन सब का प्रयोग सीमित मात्रा में सही तरीके से किया जाए. इस के अलावा मसालों को सही तरीके से रखें ताकि उन की खुशबू बरकरार रहे.

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