सरप्राइज गिफ्ट: मिताली ने संजय को सरप्राइज गिफ्ट देकर कैसे चौंका दिया

Serial Story: सरप्राइज गिफ्ट (भाग-3)

09.06.07

सं…जी ने मुझे अपनी लिखी कविताएं दीं. कविताएं…? मुझे हंसी आ रही थी. कविता नहीं बातें थीं वे, जो उन्होंने मेरे लिए लिखी थीं. यानी वे भी मेरे बारे में सोचते हैं? आज डेढ़ साल बाद मुझे एहसास हुआ है. वे भी मुझे बेहद चाहते हैं. ‘मेरी पत्नी सुंदर है, पर रूह, तुम में एक अजीब सी कशिश है, जो किसी में नहीं है. तुम बहुत ही अलग हो.’

हाय. आज उन्होंने यह एहसास दिला दिया कि मैं अपनी पत्नी से कहीं ज्यादा उन्हें भाती हूं. कभीकभी सोचने लगती हूं कि मैं ने इतनी जल्दी शादी क्यों की? थोड़ा इंतजार नहीं कर सकती थी. कभीकभी उन्हें छोड़ने का मन नहीं होता.

06.07.07

संजयजी यह काम भी करते हैं? मैं हैरान हो गई. मुझे वह कागजों का पुलिंदा अहमद खान को देने के लिए होटल भेजा. बाद में मुझे बता रहे हैं कि वे कोई सीक्रेट कागज थे, जो वे स्वयं उसे नहीं दे सकते थे. ऐसा क्या होगा उन में? छोड़ो, संजयजी ने कहा और मैं ने किया, बस, मेरे लिए इतना ही काफी है. सो स्वीट सं…

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09.07.07

क्या बात है, आज सं… ने मुझे लेख लिखने के लिए अपने आफिस के कुछ ऐसे ओरिजिनल पत्र दिखाए. जिन्हें शायद उन्हें किसी को दिखाने भी नहीं चाहिए थे. इतना विश्वास करते हैं वे मुझ पर? हां, वैसे तो उन्होंने मुझे अपना लैपटौप, मोबाइल यहां तक कि अपने केबिन की हर चीज इस्तेमाल करने का हक भी दे रखा है, अपनी पत्नी के सामने भी रोब से ही रहते हैं. अब तो मुझे उन की पत्नी के आने, देखने या खड़े रहने की जरा भी परवाह नहीं होती, बल्कि मुझे लगता है कि मैं ही उन की पत्नी… हाय कितना अच्छा लगता है यह सोचना.

02.08.08

क्या बात है. इस बार भी क्रिसमस से पहले मुझे सरप्राइज गिफ्ट दिया. मुझे बहुत पसंद आया. मेरे लिए एक नया बेड. अ आ… बहुत ही शानदार. मजा आ गया.

09.09.08

आज डाक्टर के पास हो कर आई. उस ने कहा कि मैं… मुझे शर्म आ रही थी. मैं ने संजय को बताया, वह कहने लगे कि अबार्ट करा लो. पैसे मैं दे दूंगा. पता नहीं क्यों, मन नहीं है अबार्ट कराने का. पर क्या कहूंगी लोगों से? पति तो पास में है ही नहीं. कराना तो पड़ेगा ही. मन बहुत दुखी हो रहा है.

21.09.08

आज सं… मेरे पास बैठे रहे पर मेरा मन नहीं हो रहा था बात करने को. मुझे बहुत से ड्राई फ्रूट, फल और पैसे भी दे गए. आज मैं ने मम्मी को पैसे भिजवाए हैं. पूरे 6 महीने के लिए निश्चिंत हो गई मैं. क्या करूं? भावुक हो कर क्या मिलेगा, पैसा भी तो चाहिए. पर लगता है भीतर से कोई जोरजोर से रो रहा है. चुप चुप…

30.10.08

मैं बहुत खुश हूं, मैं ने आज लेटैस्ट डिजाइन की टीशर्ट्स और जींस ली. आज मेरे लगातार 3 लेख अलगअलग अखबारों में छपे हैं. 2 तो संजय की जानपहचान से ही लिए गए इंटरव्यू थे. मेरे संपादक भी मुझ से बहुत ही खुश हैं. एक संपादक ने तो मुझे एक रेगुलर कालम भी दे दिया है. थैंक्यू संजयजी…

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30.05.09

मुझे बहुत ही परेशानी हो रही है. मन बहुत ही खराब हो रहा है. लगता है कि फिर गड़बड़ हो गई है. यही सोच कर डाक्टर के पास गई थी. पर डाक्टर ने कहा कि अभी इंतजार कर लो. कभीकभी लेट भी हो जाते हैं. हे भगवान, कोई गड़बड़ न हो. मैं ने तो इतना ध्यान रखा था फिर कैसे? अंहं… संजयजी का एक पैकेट सुबहसुबह फिर अहमदजी को देने भी तो जाना है. अब सो जाना चाहिए. रात के 2 बजे सो कर सुबह साढ़े 4 बजे फिर कैसे उठ पाऊंगी. पर जाना तो जरूरी है. मन कर रहा है कि पैकेट खोल कर देखूं कि इस में क्या है? पर नहीं, कहीं सं… को पता न चल जाए. ख्वाहमख्वाह का लफड़ा पड़ जाएगा. अपने पास झंझट क्या कम हैं, जो एक झंझट और मोल ले लूं.

04.06.09

क्या करूं? कुछ समझ में नहीं आ रहा. सं… को बताऊं या नहीं. मेरा मन चाहता है कि वह मुझे अपनी बना कर रखें. पर उस ने पहले भी कहा था कि वह मेरे साथ रिश्ता तो रख सकता है पर बच्चे को नहीं अपनाएगा. बताना तो पड़ेगा ही.

15.06.09

मन कर रहा है कि या तो संजय का गला दबा दूं या खुद मर जाऊं. कहता है कि मुझे तुम्हारे बच्चे से कोई लेनादेना नहीं है. पैसा चाहिए तो ले लो. मुझे भी गुस्सा आ रहा है.

एक मन करता है कि उस की पत्नी को सब कुछ बता दूं. पर नहीं, संजय नाराज हो जाएगा फिर… पर मैं इस बार अबार्ट नहीं कराना चाहती. मैं इसे रखना चाहती हूं. मुझे दुनिया की परवाह नहीं है. मैं उस की पत्नी को भी कुछ नहीं बताऊंगी, बस, वह इसे अपना नाम दे दे. तो संजय ने जवाब दिया कि ऐसे तो मेरे नाम का एक स्कूल खुल जाएगा. मैं हक्कीबक्की रह गई. संजय ने ऐसा कहा, मैं विश्वास नहीं कर पा रही.

19.06.09

आज तो संजय ने हद कर दी. उस का व्यवहार एकदम से बदल गया. मुझे सब के सामने बेइज्जत कर दिया. मुझे अपने कमरे के भीतर ही नहीं आने दिया. मैं जबरदस्ती चली गई तो चपरासी से कह कर बाहर निकलवा दिया. इतना अपमान. इतनी जिल्लत. सिर्फ इसलिए कि मैं वह बच्चा अबार्ट नहीं कराना चाहती. वह क्यों नहीं समझ रहा कि मैं उस से प्रेम करती हूं. पर अब पता चला कि वह प्रेम तो उस के मन में ही नहीं. मैं… मेरी इतनी इंसल्ट. क्या इतने दिनों की दोस्ती कोई माने नहीं रखती? पर आज तो मैं उसे धमकी दे ही आई कि तुम्हारी पत्नी को मैं सब कुछ बता दूंगी. तो उस ने भी पलट कर मुझे धमकी दी कि अगर मेरे मुंह से एक शब्द भी निकला तो उस का अंजाम बहुत ही बुरा होगा. क्या कर लेगा संजय? मैं भी देख लूंगी. मैं ने भी कह दिया कि मैं डीएनए टैस्ट करा कर यह साबित कर दूंगी कि बच्चा तुम्हारा ही है.

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18.08.09

क्या करूं, कुछ समझ नहीं आ रहा? यह बच्चा… संजय ने मेरा फोन तक नहीं उठाया. मुझ से इतनी बेइज्जती बरदाश्त नहीं हो रही. मुझे इतना नीचे गिरा दिया उस ने. मुझ से अपना लैपटौप भी वापस मांगा. आज तो हद ही हो गई. मैं 4 घंटे उस के कमरे के बाहर बैठी रही. जब बाहर निकला तो किसी आफिसर के साथ था. मुझे बैठे देख चपरासी को डांटने लगा कि तुम्हें पता है कि मैं बिजी हूं तो लोगों की लाइन क्यों लगवा लेते हो, और मुझे बिना देखे वहां से चला गया. अब मैं चुप नहीं रहूंगी. बहुत हो गया.

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Serial Story: सरप्राइज गिफ्ट (भाग-1)

रूही का ही फोन होगा, यह सोच कर मिताली ने फोन उठा लिया. फोन उठाते ही उस ने हैलो बोलने के लिए जैसे ही मुंह खोला, वहां से बहुत ही घबराई और कांपती हुई आवाज कानों में पड़ी, ‘‘संजयजी, प्लीज, प्लीज, मुझे बचा लो, मैं आप के आगे हाथ जोड़ती हूं, संजयजी. प्लीज, फोन नहीं काटना, संजय. आप की कसम, मैं मितालीजी के पांव पकड़ कर माफी मांग लूंगी. पर प्लीज, मुझे बचा लो… मैं सारी बातें अपने सिर ले लूंगी. मैं तुम्हारे सामने कबूल कर लूंगी कि यह बच्चा भी आप का नहीं है. संजयजी, आप मुझे हर बार सरप्राइज गिफ्ट देते हो. आज अंतिम बार अपनी दया का गिफ्ट दे दो. मैं कभी आप की जिंदगी में नहीं आऊंगी. प्लीज, संजय…’’ मिताली का चेहरा पत्थर सा हो गया.

उस ने अपनेआप को संभाला और बोली, ‘‘हैलो… हैलो… हैलो… कौन बोल रहा है? मुझे आवाज नहीं आ रही. हैलो… हैलो…’’ कहतेकहते मिताली ने अपने पति संजय को देखा, जो बेड पर बैठा शान से बेड टी का आनंद ले रहा था. फोन वहीं से कट हो गया. मिताली ने भी अपनी चाय उठा ली.

वह सोच में पड़ गई, ‘इस का मतलब सुबहसुबह जो 4-5 बार लगातार फोन बज रहे थे वे रूही के ही फोन थे? मुझे तो ऐसा लगा कि रात 3 बजे के करीब भी संजय का मोबाइल बजा था. पर शायद फिर संजय ने उसे म्यूट पर रख दिया था. क्या संजय मुझे यह जताना चाह रहा है कि उस का अब रूही से कोई वास्ता नहीं. पर अचानक ही रूही किस मुसीबत में फंस गई है, जो वह संजय से अपने को बचाने की गुहार लगा रही है. यहां तक कि उस के पेट का बच्चा भी संजय का नहीं है यह कबूल कर लेने को तैयार है? अब फिर यह फोन? उस की आवाज इतनी डरी हुई क्यों थी? अचानक ही आधे दिन में ऐसा क्या हो गया?’

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एक के बाद एक शौक लग रहे थे मिताली को. वह जानबूझ कर संजय को बताना नहीं चाह रही थी कि रूही फोन पर उस से क्या कह रही थी. वह चाहती थी कि जो भी बात है उसे संजय स्वयं उस से कहे. पर संजय तो बेड टी पी कर निश्चिंत हो कर बाथरूम में नहाने चला गया.

संजय नहा कर निकला तो गुनगुना रहा था. नाश्ता करते समय भी संजय ने मिताली से फोन के बारे में कुछ नहीं पूछा, बल्कि गुनगुनाता हुआ नाश्ता करता रहा. उस के चेहरे पर एक अजीब सी शांति भी थी. जैसे ही उस का अर्दली आया, उस ने अपना ब्रीफकेस और खाना उसे पकड़ा कर बाहर भेज दिया और स्वयं गहरी मुसकराहट से मिताली की ओर देखने लगा.

‘‘और…? जानेमन, माई स्वीटहार्ट, रात अच्छी नींद आई न? भई, मुझे भी तो बहुत ही गहरी नींद आई. आनंद आ गया. ऊं…पुं…’’ कहतेकहते जैसे ही अपने होंठ सिकोड़ कर संजय मिताली की तरफ बढ़ा तो मिताली ने उस के होंठों पर अपनी हथेली रख दी, ‘‘प्लीज, अभी मन नहीं है.’’

एक पल के लिए संजय का चेहरा परेशान हुआ पर फिर वह तुरंत ही संभल गया, ‘‘ओके, नो प्रौब्लम. शाम को बात करेंगे. क्रिसमस के लिए अगर कहीं शौपिंग वगैरह करने जाना हो तो फोन कर देना, आई विल बी आलवेज एट युअर सर्विस मैम,’’ और अपनी हमेशा की स्टाइल में मुसकराते हुए ‘फ्लाइंग किस’ उछाल कर बाहर निकल गया.

पर आज उस के इस ‘फ्लाइंग किस’ से मिताली के मन का कोई कोना नहीं हिला.

संजय जातेजाते उसे याद दिला गया था कि क्रिसमस पास में ही है और उसे शौपिंग करनी है. हर क्रिसमस पर संजय उसे खास उस की पसंद का एक सरप्राइज गिफ्ट देता था. वह हमेशा ही क्रिसमस का इंतजार किया करती थी. उस की तो शादी भी क्रिसमस के 3 दिन बाद थी. पर संजय ने शादी से 3 दिन पहले ही गिफ्ट भेज कर सब को चौंका दिया था. वह पहला क्रिसमस कितना रंगीन और चमकीला हो गया था.

शायद यही कारण था कि संजय जरूरत से ज्यादा सामान्य और बहुत ही जल्दी सामान्य होने की कोशिश कर रहा है ताकि घर पर क्रिसमस का माहौल खराब न हो, पर मैं चाह कर भी इस बात को पचा नहीं पा रही हूं कि संजय जैसा बड़ा आफिसर एक घटिया सी दिखने वाली लड़की को इतना सिर चढ़ा देगा कि वह उस के ही मुंह पर थूकने जैसी हरकत कर जाएगी. वह लड़की किसी सरप्राइज गिफ्ट की भी बात कर रही थी यानी कि संजय मेरे अलावा औरों को भी सरप्राइज गिफ्ट बांटता रहता है?

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पहली बार 3 साल पहले संजय के आफिस के कमरे में मिताली ने रूही को बेतकल्लुफ सा बैठे देखा था. तब उसे रूही पर गुस्सा आया था. रूही आधुनिक कपड़ों में लिपटी एक गंदी मैली सी नेपाली गुडि़या लग रही थी. संजय कोई छोटामोटा आफिसर थोड़े ही था कि कोई भी उस के कमरे में कुरसी के साथ कुरसी जोड़ कर बैठ जाए. वह एक आईएएस आफिसर था. उस की भी सरकार के प्रति कुछ जिम्मेदारियां हैं. एक रुतबा है उस का. ऐसे ही किसी को मिलने की भी इजाजत नहीं मिलती संजय से. तो फिर रूही, उस के साथ ऐसे कैसे पसरी हुई सी बैठी है. शायद मेरे अचानक आ जाने की उम्मीद नहीं होगी संजय को. पर संजय तब भी मेरे सामने घबराया नहीं था.

बहुत ही संयत स्वर में उस ने मुझे बैठने को कहा और रूही से मिलवाया था. संजय के ही शब्दों में रूही एक स्वतंत्र पत्रकार है, जो कभीकभी उस के पास इंटरव्यू लेने आती है.

मिताली को रूही का वहां बैठना अच्छा नहीं लगा. इसलिए नहीं कि वह एक लड़की है, बल्कि इसलिए कि वह गंदी सी मैलीकुचैली दिख रही थी. वह संजय के स्टैंडर्ड से बहुत नीचे की थी.

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उस के बाद  तो 1-2 बार संजय ने ही घर पर रूही का जिक्र करते हुए बताया था कि आज रूही फिर किसी इंटरव्यू के सिलसिले में उस के पास आई थी, तो उस ने फलां आफिसर से उसे मिला कर उसे इंटरव्यू की इजाजत दिला दी है. गरीब लड़की है, 2-4 लेख लिख लेती है, उसे पैसे मिल जाते हैं. हमारा क्या जाता है.

कई बार वह यहां तक कहता कि बेचारी कह रही थी कि उस के पति ने उसे छोड़ दिया है. इसीलिए वह नेपाल छोड़ कर अपने बच्चे पालने भारत आई है.

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Serial Story: सरप्राइज गिफ्ट (भाग-2)

परसों ही तो रूही मिताली के घर आई थी. दोपहर का समय था और तेज धूप में रूही का यों घर पर आना उसे बहुत ही खटका था. एक तो वैसे ही उसे रूही पसंद नहीं थी. रूही के मुंह खोलते ही मिताली ने कहा था, ‘संजय तो घर पर नहीं है. आप घर पर क्यों आ गईं?’

‘मुझे आप से ही मिलना था,’ रूही की बात सुनते ही मिताली ने उसे ऐसे देखा था जैसे किसी कौकरोच को देख कर उसे झाड़ू से बाहर फेंकने का मन होता है. मिताली अभी सोच रही थी कि वह फिर बोली, ‘मैं आप को यह डायरी देने आई थी, हो सके तो इसे पढ़ लें.’

‘आप की डायरी मैं क्यों पढ़ूं?’ मिताली ने डायरी पकड़ने के लिए हाथ तक आगे नहीं बढ़ाया.

‘आप को ही फायदा होगा. ले लीजिए.’

‘हैं? मुझे? कैसे?’ न चाहते हुए भी मिताली का हाथ डायरी लेने के लिए बढ़ गया.

रूही ने डायरी दी और बोली, ‘आप को पता नहीं, विश्वास हो या न हो, पर मैं बता दूं कि मैं संजय के बच्चे की मां बनने वाली हूं.’

और वह उलटे पांव लौट गई. मिताली हक्कीबक्की उसे देखती रह गई. ऐसा लगा मानो रूही उस के मुंह पर चांटा जड़ कर चली गई थी.

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लुटीपिटी सी मिताली डायरी को ऐसे देखने लगी मानो कोई उस के हाथ में अंगारा रख गया हो. इतनी बड़ी बात वह इतनी आसानी से कह कर चली गई. उस ने मेरे मन में उमड़ रहे भावों को जानने की कोशिश भी नहीं की? क्या रूही के शब्दों की सचाई डायरी में बंद है? जब डायरी खोली तो जगहजगह लेखों का, उस के बच्चों का या उलटेसीधे शेरों की बातें ही दिखीं. खीज कर मिताली ने डायरी बंद कर दी. सब झूठ होगा. जानबूझ कर संजय को नीचा दिखाने के लिए वह बकवास कर गई होगी. शायद उन की आपस में लड़ाई हो गई है और वह संजय के घर में फूट डालना चाहती है. उस समय कुछ ऐसा ही सोचा था मैं ने. पर फिर भी मन के कोने में कहीं शक पैदा हो गया था, जिसे मैं ने संजय के सामने उगल दिया था. तब संजय सकपकाया था, उस ने सफाई पेश की. मिताली भी उस से बहस में उलझ गई थी. पर कोई नतीजा नहीं निकला.

पर आज जिस तरह से रूही कांपती आवाज में रो रही थी, गिड़गिड़ा कर रहम की भीख मांग रही थी, इस से तो यही जाहिर हो रहा है कि संजय ने ही कुछ ऐसा किया है कि वह बहुत बड़ी मुसीबत में फंस गई है.

मिताली का ध्यान फिर डायरी की तरफ चला गया. जरा ध्यान से पढ़ती हूं उसे, शायद मन की परतों में दबी बातों का खुलासा हो जाए. यही सोच कर उस ने डायरी खोली.

शुरुआत में फिर वैसे ही 1-2 बेतुके से शेर लिखे पड़े थे. मिताली ने अनमने ढंग से सारे पन्ने पलट डाले. क्या है इस डायरी में? यह रूही…? मेरा कौन सा फायदा कराने जा रही थी. अंत के पन्ने पलटतेपलटते एक जगह निगाह अटक गई. संजय का नाम? रूही ने अपनी डायरी में संजय का नाम लिखा है. पन्ना पलटा, फिर संजय, 2-4 और पन्ने पलटे, संजय… यहां भी. संजय के नाम की शुरुआत कहां से है? मिताली की उत्सुकता बढ़ गई यह सोच कर उस ने पन्नों को पीछे से पलटना शुरू कर दिया.

25.04.06 – 12 बजे दोपहर

आज एक आईएएस आफिसर संजय सहगल का इंटरव्यू लेने जाना है, मैं ने सोचा था कि कोई बुड्ढा खूसट सा आदमी होगा. जल्दी ही बात समाप्त कर के चली आऊंगी. पर जैसे ही कमरे में घुसी तो आंखें चौंधिया गईं. एक स्मार्ट, डैशिंग पर्सनैलिटी का युवक बैठा था. हां, युवक ही तो लग रहा था. होगा 50 के आसपास, पर 40 से ज्यादा का तो दिख नहीं रहा था. उस ने बहुत ही प्यार से बात की. पता नहीं वह दिल में उतर सा गया है. इंटरव्यू छप जाए तो उसे इंटरव्यू की कापी खुद ही देने जाऊंगी. शायद एक बार और बात करने का मौका मिले.

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14.05.06 – 11.00 बजे सुबह

वाओ. आज तो कमाल ही हो गया. उस ने अखबार के बहाने मेरे पूरे हाथ को ही अपने हाथ में ले लिया और कितनी मासूमियत से सौरी बोल दिया. मुझे पता है यह सब नाटक है. पर मुझे अच्छा लगा. एक झुरझुरी सी हो गई पूरे बदन में. उस ने मुझे बहुत देर तक बैठाए रखा. 2 बार चाय पिलाई. आलतूफालतू बातें कीं. उस ने मुझे कहा कि मुझे कभी भी उस की जरूरत पड़े तो मैं बेझिझक उस के आफिस आ जाऊं.

02.06.06 – 2.00 बजे दोपहर

पता नहीं क्यों उसे देखना अच्छा लगता है. ऐसा लगता है कि मैं कोई सपना देख रही हूं, वह इतना स्मार्ट है कि उस के सामने सब फीके लगते हैं, पर आज उस ने मुझ से कहा कि मैं बहुत खूबसूरत दिख रही हूं. आज उस ने टेबल के नीचे से अपने पांवों को बढ़ा कर, अपने पांवों की उंगलियों से मेरे पांवों को पकड़ा. मुझे शरारत से देखा. ये क्या कर रहे हैं संजयजी, मैं तो पागल हो जाऊंगी. उन की छुअन मुझे अभी तक महसूस हो रही है. नींद ही नहीं आ रही. संजय… संजय… संजयजी…

13.09.06 – 6.00 बजे शाम

आह. ये 2 दिन मैं नहीं भूल पाऊंगी. सं… मेरे साथ 2 दिन तक रहे. सुबहशाम, सुबहशाम बस एक ही काम… आह. ऐसा तो कभी मेरे ‘उस ने’ भी मुझे नहीं दिया. आग, आग और बस, आग… पूरा… जल रहा है. मैं ने मना किया कि मत जाओ. लोगों को तो यही पता है कि मेरे पति आए हैं. तो डर किस बात का है. इस पर सं… बोले कि पर मैं तो केवल घर पर 2 दिन के टूर की बात कह कर आया था. फिर कभी सही…

यह ‘फिर’ कब आएगा? कब? कब आएगा. मेरा बिस्तर से उठने को मन ही नहीं है. मुझे अपने बदन से ही विदेशी परफ्यूम की खुशबू आ रही है. आज उस ने मुझे सरप्राइज गिफ्ट दिया है? थैंक्यू… सं…

14.12.06 – 10.00 बजे रात

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बाप रे… कैसे पैसे खर्च करते हैं संजय…

आईएएस आफिसर जो ठहरे. घर में पैसों की बरसात जो हो रही होगी. थैंक्यू… आज तुम्हारी वजह से मेरे बच्चों की परवरिश हो पाएगी. मां बहुत खुश होगी, पूरे 6 महीने के खानेपीने और बच्चों का खर्च निकल जाएगा. मैं निश्चिंत हूं. पर इस से ज्यादा सं… की दोस्ती से खुश हूं. वह भी मुझे पसंद करता है. मुझे अपनी रूह कहता है. रूह… क्या नाम दिया है, यानी अपनी जान… वाओ. जिंदगी इतनी हसीन भी दिख सकती है, मैं ने कभी सोचा नहीं था. पर अब तो खुशियां मेरे दोनों हाथों में हैं.

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Serial Story: सरप्राइज गिफ्ट (भाग-4)

मिताली ने डायरी बंद की. उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि यह रूही की डायरी है या संजय का काला चिट्ठा. संजय, जो उस का पति है, वह संजय जिस के बारे में वह यह सोचती थी कि उस की पर्सनैलिटी के साथ केवल मुझ जैसी पढ़ीलिखी खूबसूरत लड़की ही मेल खाती है. वह नीचे तो आंख झुकाना जानता ही नहीं. वही आदमी, गली की हर गंदगी को गले लगाता फिरता है? और अगर… रूही ने उस का कहना नहीं माना तो उस ने उस के साथ क्या किया, जो रूही कांपती हुई डरी हुई आवाज में माफी मांग रही थी? संजय की बातों से तो कुछ भी जाहिर नहीं हो रहा था. मुझे भी सालों से सरप्राइज गिफ्ट देता रहा, उधर जाने किसकिस को रूही जैसे सरप्राइज गिफ्ट बांटता रहा है. और क्याक्या लिखा था रूही ने? कोई फाइल अहमदजी को पहुंचाता था? कुछ समझ नहीं आ रहा. संजय क्या कर रहा है? सरप्राइज… यह भी एक सरप्राइज ही तो है.

दिमाग चकराने लगा था. अचानक अक्षत ने आ कर टीवी औन कर दिया. चैनल पर चैनल घुमाने लगा.

‘‘बंद करो टीवी, अगर स्कूल नहीं गए तो इस का मतलब यह नहीं कि टीवी लगा कर देखो.’’

‘‘ममा प्लीज… देखने दो न,’’ अक्षत मिमियाया था. चैनल पर चैनल घुमातेघुमाते आवाज आई. ‘एक बहुत बड़ी खबर दिल्ली से आ रही है कि एक आईएएस आफिसर संजय सहगल ने एक जासूस नेपाली लड़की को पकड़वाया, जो देश के सीक्रेट कागजों को नेपाल पहुंचाने की कोशिश कर रही थी.’

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मिताली के कान खड़े हो गए. उस ने अक्षत के हाथ से रिमोट छीन कर वौल्यूम बढ़ा दिया. खबर चल रही थी.

‘कहा जा रहा है कि यह लड़की एक पत्रकार के रूप में संजय सहगल से मिलती रहती थी. उस के पास से कुछ सीक्रेट कागज भी मिले हैं, जिन का पकड़ा जाना एक बहुत ही बड़ी अचीवमैंट माना जा सकता है. पकड़ी गई लड़की का नाम रूही बताया जाता है. पुलिस ने रूही को हिरासत में ले लिया है और उस से पूछताछ कर रही है. अभी हमारी आईएएस संजय सहगलजी से बात नहीं हो पाई है. हम जल्द ही संजयजी से मुलाकात करेंगे. आप हमारे साथ बने रहिए. मिलते हैं एक छोटे से ब्रेक के बाद.’

‘‘वाओ… ममा, पापा ने जासूस पकड़वाया. ममा, पापा को तो इनाम मिलेगा न? वाओ… ममा, पापा को चैनल वाले इंटरव्यू के लिए ढूंढ़ रहे हैं. मेरी सारे दोस्तों में कितनी शान हो जाएगी. ममा, पापा आफिस पहुंचने वाले ही होंगे न? ममा, देखो न, पापा का आफिस दिखा रहे हैं. कैसे चैनल वाले पापा का इंतजार कर रहे हैं.’’

मिताली के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं. ‘यानी कि जब रात के 3 बजे रूही ही फोन कर रही थी, उसी समय पुलिस ने उसे पकड़ा था? जब मैं ने रूही के आने और उस की कही बातों को संजय से बताया था तो संजय ने यही प्लान बनाया था उसे अपने रास्ते से हटाने का? इसीलिए वह कह रहा था कि अगर रूही ने मुझे कुछ भी बताया तो अंजाम बुरा होगा? मेरा संजय, जिसे मैं पिछले 17 सालों से जानती हूं, उसे मैं कभी जान ही नहीं पाई? संजय इतना ज्यादा खतरनाक इनसान है?’ मिताली का पूरा शरीर सूखे पत्ते की तरह कांपने लगा.

‘एक मासूम लड़की को इस कदर फंसाया कि वह कहीं की नहीं रही? वह आदमी, जो सालों मेरे साथ सोता रहा, मुझे अपने प्यार की दुहाई देता रहा, जिसे मैं अपना सब कुछ मानती रही, वह इस कदर खतरनाक है? दरिंदा है?’ मिताली के रोंगटे खड़े हो गए थे. उस के माथे पर पसीने की बूंदें चमकने लगीं.

टीवी पर संजय की आवाज से मिताली की निगाहें फिर टीवी की तरफ उठ गईं.

‘‘देखिए, देखिए, मैं आप लोगों को अभी कुछ नहीं बता पाऊंगा, क्योंकि जैसे ही मुझे शक हुआ कि यह पत्रकार जासूसी कर रही है, मेरे कमरे से कुछ जरूरी कागजात गायब हुए हैं तो मैं ने फौरन पुलिस को शक की बिना पर इत्तला कर दी, बाकी पुलिस से पूछें कि उन्हें उस लड़की… का नाम है उस का…अं… रूई…’’ लोगों का तेज हंसी का ठहाका गूंजा था.

‘‘सर, रूही…’’ कोई पत्रकार बीच में से बोला.

‘‘एनीवे… जो भी उस का नाम है. आप  पुलिस से ही पूछें कि उस के घर से क्याक्या मिला है.’’

‘‘सर, सुना है आप का लैपटौप भी उस पत्रकार लड़की के घर से मिला है?’’

‘‘हां, मैं ने भी सुना है. डेढ़ साल पहले यह मेरी गाड़ी से चोरी हो गया था. मैं ने इस की रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी. प्लीज, आप पुलिस से पूछताछ करें. मैं और कुछ नहीं जानता,’’ मिताली इंटरव्यू के बीच में ही सुनना छोड़, उठ कर दूसरे कमरे में आ गई.

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‘इतना झूठ. इतना धोखा. यह इनसान तो कभी भी, कुछ भी कर सकता है,’ मिताली का पूरा शरीर पत्ते की तरह कांप रहा था. ‘अपनेआप को ईमानदार और देशभक्त साबित करने के लिए संजय यहां तक गिर सकता है? प्रेम, दया, सहानुभूति और परिवार, ये सब बातें इस इनसान के लिए कोई माने नहीं रखतीं? एक तीर से दो वार? अपने सारे कुकर्मों का बोझ रूही के कंधों पर फेंक दिया?’ सोचसोच कर मिताली का सिर फटने लगा.

शाम को संजय बहुत ही अच्छे मूड में घर पहुंचा. अक्षत तो आते ही पिता से लिपट गया था. संजय के हाथ में 2-3 गिफ्ट पैक थे.

‘‘पापा, यू आर ब्रेव. वह पत्रकार कितनी धोखेबाज थी न, पापा. आप ने देखा, कई लेडीज ने कहा कि उसे तो सरेआम जूतेचप्पल मारने चाहिए. आज तो पार्टी होनी चाहिए, पापा.’’

संजय ठहाका मार कर हंसा था. अक्षत भी बहुत खुश था.

‘‘ये गिफ्ट पैक मेरे लिए हैं. इस की क्या जरूरत थी, पापा, आप ने तो हमें क्रिसमस का गिफ्ट तो पहले ही दे दिया है, इस बहादुरी को दिखा कर.’’

‘‘रियली. पर फिर भी हम आप की मम्मी को हर साल सरप्राइज गिफ्ट देते हैं. इसलिए आज कुछ दिन पहले ही ले आए. जानेमन, खोल कर नहीं देखोगी?’’ संजय ने हमेशा की तरह रोमांटिक मूड में कहा.

मिताली मुसकराई तो जरूर, पर मन की कंपन चेहरे से उतरी नहीं. नजरें चुरा कर वह किचन में चली गई.

‘हमेशा औरत ही बेवकूफ क्यों बनती है? यह सरप्राइज गिफ्ट, यह मुसकराहट, यह प्रेम प्रदर्शन के चोंचले’ हम औरतें क्यों फंस जाती हैं इन में? बेवकूफ तो हम दोनों ही बनीं, रूही 3 साल तक बनी और मैं… मैं पूरे 17 सालों से बनती आ रही हूं. पूरे 17 सालों से…? उस के बावजूद भुगतना भी हमें ही पड़ रहा है? क्यों? संजय तो ठहाके लगा रहा है. रूही के साथ क्या बीत रही होगी? एक देशद्रोही और जासूस के साथ क्याक्या हो सकता है? पुलिस उस की पिटाई भी कर सकती है, उसे बिजली के करंट भी लगा सकती है, उस के साथ कुछ भी…’ सोचसोच कर मिताली का सिर फटने लगा. फिर टीवी चलने लगा.

चैनल वाले बारबार संजय की वही क्लिपिंग दिखा रहे थे.

‘‘क्रिसमस की इस बार तुम ने शौपिंग नहीं की? कब चलोगी?’’ संजय ने मिताली से पूछा.

‘‘इस बार मैं आप के लिए ‘सरप्राइज गिफ्ट’ लाई हूं.’’ मिताली की आंखें एकटक संजय को देख रही थी.

संजय ने हैरत से देखा फिर मुसकराया, ‘‘भई वाह, मजा आ गया, लाइए.’’

मिताली ने कागजों का एक पुलिंदा संजय को थमा दिया.

‘‘यह क्या है? मेरे लिए कोई मकान खरीद लिया है क्या? पुलिंदा खोलतेखोलते संजय ने मिताली को देख कर हंसी उड़ाते हुए देखा.

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‘‘डायवोर्स पेपर?’’ संजय की आंखें फट सी गईं.

‘‘हां. मैं तुम्हें और यह घर छोड़ कर जा रही हूं. मैं ने रूही की डायरी की प्रतियां न्यूज चैनल वालों को दे दी हैं,’’ मिताली अपनी अटैची समेटने लगी.

मिताली के दिए 17 सालों के इस इकलौते क्रिसमस सरप्राइज गिफ्ट को पा कर संजय के पैरों तले से जमीन खिसक गई. उसे टीवी पर हर जगह अपना ही नाम सुनाई देने लगा था.

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