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मिताली ने डायरी बंद की. उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि यह रूही की डायरी है या संजय का काला चिट्ठा. संजय, जो उस का पति है, वह संजय जिस के बारे में वह यह सोचती थी कि उस की पर्सनैलिटी के साथ केवल मुझ जैसी पढ़ीलिखी खूबसूरत लड़की ही मेल खाती है. वह नीचे तो आंख झुकाना जानता ही नहीं. वही आदमी, गली की हर गंदगी को गले लगाता फिरता है? और अगर... रूही ने उस का कहना नहीं माना तो उस ने उस के साथ क्या किया, जो रूही कांपती हुई डरी हुई आवाज में माफी मांग रही थी? संजय की बातों से तो कुछ भी जाहिर नहीं हो रहा था. मुझे भी सालों से सरप्राइज गिफ्ट देता रहा, उधर जाने किसकिस को रूही जैसे सरप्राइज गिफ्ट बांटता रहा है. और क्याक्या लिखा था रूही ने? कोई फाइल अहमदजी को पहुंचाता था? कुछ समझ नहीं आ रहा. संजय क्या कर रहा है? सरप्राइज... यह भी एक सरप्राइज ही तो है.

दिमाग चकराने लगा था. अचानक अक्षत ने आ कर टीवी औन कर दिया. चैनल पर चैनल घुमाने लगा.

‘‘बंद करो टीवी, अगर स्कूल नहीं गए तो इस का मतलब यह नहीं कि टीवी लगा कर देखो.’’

‘‘ममा प्लीज... देखने दो न,’’ अक्षत मिमियाया था. चैनल पर चैनल घुमातेघुमाते आवाज आई. ‘एक बहुत बड़ी खबर दिल्ली से आ रही है कि एक आईएएस आफिसर संजय सहगल ने एक जासूस नेपाली लड़की को पकड़वाया, जो देश के सीक्रेट कागजों को नेपाल पहुंचाने की कोशिश कर रही थी.’

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