फोन पर लंबी बातचीत करना किशोरों में विकास का है एक तरीका

टीनएजर और उनके फोन पर देर तक बातचीत करने के बारे में कई किस्से कहानियां होती हैं. माता पिता द्वारा कई शिकायतें की जाती हैं और इसके बारे में वे एक दूसरे से चुटकुले भी शेयर करते हैं. चूंकि इन दिनों परिवार के ज्यादातर सदस्य कोरोना संक्रमण के कारण ज्यादातर समय घर मंे रह रहे हैं, इसलिए किशोरों की फोन पर की जाने वाली लंबी लंबी बातचीतें कुछ ज्यादा दिख भी रही हैं और सुनने में भी आ रही हैं. लेकिन यह कोरोना संकट न हो तो भी इस उम्र के बच्चे (टीनएजर) अकसर फोन पर बहुत देर तक बातें करते हैं. दरअसल बच्चे जब छोटे होते हैं तो जिस फोन पर बातचीत करने में उन्हें दिक्कत होती है, वही अब इस उम्र के उनके हाथ में होता है. इसलिए भी वे लंबे समय तक इससे चिपके रहते हैं. जाहिर है इस बातचीत में लड़के लड़कियां डेटिंग भी करते हैं अगर सब कुछ सही हो तो ये बातें भी होती हैं कि आज पार्टी कहां पर होनी है, क्या पहनना है, फलां क्या पहनकर आ रही है या आ रहा है वगैरह वगैरह.

विशेषज्ञों का मानना है कि इस उम्र मंे बच्चों का फोन के साथ लगाव बढ़ जाता है; क्योंकि उनके पास कहने के लिए बहुत कुछ होता है. भले ही उनके माता पिता उन्हें वक्त गुजारने का एक जरिया भर समझें. कुछ हद तक यह उनके लिए फायदेमंद होता है और काफी हद तक नुकसानदायक भी क्योंकि इससे कई बार उनके आॅनलाइन पढ़ाई और होमवर्क पर भी बुरा असर होता है. वास्तव मंे टीनएजर फोन का इस्तेमाल बड़ों और बच्चों की तुलना में अलग तरह से करते हैं. घर के बड़े सदस्य जरूरत हो तभी फोन पर बातें करते हैं. लेकिन टीनएजर कोई काम न हो तो भी लंबे समय तक बातचीत करते हैं. अगर आपस में बातचीत किये काफी वक्त बीत गया है, तो इसलिए भी लंबी बातचीत करते हैं. पैरेंट्स को यह समझ ही नहीं आता कि स्कूल से तुरंत घर लौटने के बाद वे अपने उन्हीं दोस्तों से इतनी लंबी लंबी बातें कैसे कर लेते हैं, जिनके साथ अभी घंटों बिताकर आये हैं.

ये भी पढ़ें- खूबसूरत कल के लिए आज लव जिहाद है जरूरी!

पैरेंट्स इस बात को लेकर कई बार बहुत सोच में भी चले जाते हैं कि आखिर स्कूल से घर लौटने के बीच ऐसा उनके साथ क्या घटित होता है कि जिसके बारे में उन्हें अपने दोस्तों के साथ फोन पर लंबी बातचीत करनी पड़ती है. विशेषज्ञों की मानें तो इस सवाल का जवाब टीनएजर्स के जीवन में आने वाली उन मानसिक समस्याओं में है, जिन्हें वे अपने दोस्तों के साथ फोन पर छोटी छोटी बातों और अनुभवों के रूप में साझा करते हैं. वह उनसे पूछ सकते हैं कि उन्होंने जो चीज देखी क्या उसके दोस्त ने भी उसे उसी ढंग से देखा? जो उसने समझा है क्या वह भी वही समझ रहा है? बच्चों के लिए अपने इस तरह के सवालों का जवाब पाने के लिए उनके पास टेलिफोन या मोबाइल फोन, एक ऐसी चीज होती है जो उन्हें उसके साथ जोड़े रहती है या वह फोन पर उसके साथ जो बातचीत करते हैं, वह दोनो के बीच रहती है. इसके अलावा फोन ही उनके लिए एकमात्र वह जरिया होता है, जिसके द्वारा वे सामने जो बात नहीं कह सकते वह इस माध्यम से कह सकते हैं.

इससे दोस्ती बढ़ती है- फोन पर लंबी बातचीत के द्वारा टीनएजर एक दूसरे के साथ फ्रेंडशिप बनाते हैं और इससे उनमें विपरीत सेक्स के प्रति रिलेशनशिप बनाने में भी मदद मिलती है. टीनएजर अपने दोस्तों के साथ अपने विचार साझा करते हैं. यह वह उम्र होती है, जब उनके जीवन में फ्रेंडशिप के मायने बदल जाते हैं. अब वह वयस्क वाली दोस्ती होती है. इस दोस्ती को बनने और इसे मजबूती देने के लिए फोन ही उनके पास जरिया होता है.

अनुभव साझा करने में मदद मिलती है- इस उम्र में बच्चों के पास पर्याप्त समय होता है और उनमें कम्युनिकेशन स्किल का तेजी से विकास हो रहा होता है. इसलिए वह एक दूसरे के साथ खुलकर बातें करते हैं. छोटे बच्चे जहां खेलकूद की गतिविधियों में और एक दूसरे के साथ गप्पबाजी करने में अपना समय गुजारते हैं, वही टीनएजर इस गपशप में जल्द ही फ्रेंडशिप का एंगल जोड़ देते हैं. इस उम्र में उन्हें अपने अनुभव बड़े यूनीक लगते हैं और वह चाहते हैं कि उनके ये अनुभव उनके दोस्तों को भी पता चले. इसलिए भी वे फोन के जरिये इन्हें दोस्तों से साझा करते रहते हैं.

बातों से लड़कियां होती हैं परिपक्व- यदि आपकी बेटी टीनएजर है तो इस बात में कोई दो राय नहीं है कि आपका लैंडलाइन या उसका मोबाइल ज्यादातर समय व्यस्त रहते होंगे. जानकारों का मानना है कि लड़कियां अपने विचारों को एक दूसरे के साथ, लड़कों की तुलना में ज्यादा साझा करती हैं. लेकिन इसका यह भी मतलब नहीं है कि लड़कों को अपनी फीलिंग्स को शेयर करने की जरूरत नहीं होती. हकीकत यही है कि लड़कियां अपनी भावनाओं का इजहार ज्यादा तेजी से करती हैं, शायद इसीलिए वे लड़कों की अपेक्षा जल्दी परिपक्व होती हैं.

उलझन में पड़ते हैं पैरेंट्स- अकसर टीनएजर बच्चों के पैरेंट्स की शिकायत होती है कि जब वह अपने फ्रेंड्स के साथ फोन पर इतनी बातें करते हैं तो वह अपने पैरेंट्स से इतने कम शब्दों में ही काम कैसे चला लेते हैं. दरअसल टीनएजर के जीवन में ऐसी बहुत सारी चीजें होती हैं जिन्हें अपने पैरेंट्स के साथ शेयर करने में वह खुद को अनकंफर्टेबल महसूस करते हैं. यह बुरी बात नहीं है. ऐसा होता है. इसलिए माता पिता को चाहिए कि बच्चों में आने वाले बदलाव को समझें और उनकी प्राइवेसी का सम्मान करे. क्योंकि एक बच्चा अपनी मां को यह बताने में शर्म महसूस कर सकता है कि उसे उसकी क्लास में पढ़ने वाली कोई खास लड़की बहुत अच्छी लगती है. वह अपनी मां से इसके बारे में कुछ बताने की बजाय अपने दोस्तों से ही बात करता है.

ये भी पढ़ें- 9 टिप्स: ऐसे रहेंगे खुश

बदलावों को समझने में मिलती है मदद- टीनएजर जब फोन पर लंबी लंबी बातें करते हैं तो उसकी एक वजह कई तरह के शारीरिक बदलावों को समझने में मदद हासिल करना भी होता है. क्योंकि वे अपने मम्मी-पापा से उन बातों में बात करते हुए तो असहज होते ही हैं, दोस्तों से भी आमने सामने ऐसी बातें करते हुए सहज नहीं होते. लेकिन फोन में उन सभी बातों को वे ईमानदारी से एक दूसरे के सामने रखते हैं और डिस्कस करते हैं. इससे उन्हें अपने ही बदलावों को समझने में मदद मिलती है.

इन बातों से साफ है कि टीनएजर आपस में फोन पर लंबी बातचीत किसी बुरी आदत के कारण नहीं करते बल्कि यह ज्यादा से ज्यादा बातचीत करना भी उनके जीवन विकास का हिस्सा है. इसलिए मां-बाप को चाहिए उन्हें फोन पर कम से कम या बिल्कुल ही बातचीत करने का लैक्चर न दें. हां, अगर वे ऐसा चाहते हों तो बच्चों को परिवार के दूसरे सदस्यों के साथ समय बिताने के लिए प्रेरित करना चाहिए.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें