अगर बच्चा करता है बिस्तर गीला तो ऐसे करें इलाज

अगर बच्चे को यह प्रौब्लम तनाव या किसी और स्वास्थ्य प्रौब्लम के कारण है तो पहले उसे दूर करने का प्रयास किया जाता है. कईं तरीके हैं जिससे नौकटर्नल एनुरेसिस को कम किया जा सकता है या रोका जा सकता है. ऐसे ही कईं तरीके हैं, जिससे इस परेशानी से छुटकारा पाया जा सकता है…

बेड वीडिंग अलार्म

अनुसंधानों में यह बात सामने आई है कि जो बच्चे एनुरेटिक (बेडवेटिंग) अलार्म का इस्तेमाल करते हैं उनमें से लगभग आधे बच्चे कुछ सप्ताह पश्चात रात में बिस्तर गीला नहीं करते हैं. जैसे ही बच्चे का अंडरवियर गीला होता है, अलार्म बजने लगता है. समय के साथ मस्तिष्क इस बात के लिए प्रशिक्षित हो जाता है कि अलार्म बजने पर उठकर यूरीन पास करने के लिए जाना है. इसमें परिवार के सदस्यों को भी सक्रिय रूप से भाग लेना होता है ताकि अलार्म बजने पर बच्चे को पूरी तरह उठाकर बाथरूम भेजें.

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दवाईयां

इसके लिए एफडीए (फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन) द्वारा दो ही दवाईयां अनुमोदित की गई हैं; इमिपरामीन और डेस्मोप्रेसिन. लेकिन जब दवाईयां लेना बंद कर दिया जाता है तब यह प्रौब्लम वापस आ जाती है.

माता-पिता के लिए टिप्स

  1. बच्चे को ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन कम करने दें जिसमें कैफीन, नमक और शूगर की मात्रा अधिक होती है, विशेषकर शाम के समय.
  2. अपने बच्चे को दिन के समय नियमित रूप से (प्रत्येक दो या तीन घंटे में) और बिस्तर पर जाने के ठीक पहले यूरीन पास करने के लिए प्रेरित करें.
  3. रात में एक बार बच्चे को यूरीन पास करने के लिए उठाएं, लेकिन एक बार से अधिक नहीं क्योंकि इससे उसकी नींद खराब हो जाएगी.
  4. अगर बच्चा रात को कहीं रूक रहा है तो उसे डिस्पोज़ेबल अंडरपेंट्स पहनाएं और उसके ऊपर बॉक्सर शार्ट्स. किसी जिम्मेदार व्यक्ति से इस प्रौब्लम के बारे में चर्चा भी करें ताकि वो बच्चे की निजीतौर पर सहायता कर सके.

क्या व्यस्क होने तक रहती है यह प्रौब्लम

अधिकतर बच्चों में किशोरवास्था प्रारंभ होने तक या उसके पहले ही यह प्रौब्लम अपने आप ठीक हो जाती है. सेकंडरी एनुरेसिस को इसके कारणों का पता लगाकर ठीक किया जा सकता है. अगर किशोरावस्था समाप्त होने तक भी यह प्रौब्लम न रूके तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं. इस प्रौब्लम के बारे में पैडियाट्रिक सर्जन से बात करने में देर न करें.

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विशेषज्ञ- डौ. संदीप कुमार सिंहा, सीनियर कंसल्टेंट-पीडियाट्रिक सर्जरी, रेनबो चिल्ड्रन्स हौस्पिटल, नई दिल्ली

कहीं आपका बच्चा रात में बिस्तर तो गीला नहीं करता

नवजात शिशु और छोटे बच्चे तो रात में भी 1-2 पेशाब करते हैं, क्योंकि इनमें मस्तिष्क और ब्लैडर (मूत्राश्य) के मध्य संबंध पूरी तरह से निर्मित नहीं होता है. लेकिन जैसे-जैसे उनकी उम्र बढ़ती है, यह संबंध विकसित हो जाता है और मस्तिष्क, ब्लैडर को नियंत्रित करने लगता है, जिससे यूरीन पास करने की जरूरत होने पर मस्तिष्क अलर्ट हो जाता है और नींद खुल जाती है. लेकिन बहुत से बच्चों के साथ ऐसा नहीं होता है, किशोर उम्र में भी नींद में अक्सर ब्लैडर पर उनका नियंत्रण नहीं रहता और वो बिस्तर पर ही पेशाब कर देते हैं. जो जानिए क्यों होती है यह प्रौब्लम और कैसे इससे निपटा जाए.

नौकटर्नल एनुरेसिस

रात में बिस्तर गीला करने की प्रौब्लम को चिकित्सीय भाषा में नौकटर्नल एनुरेसिस कहते हैं. यह प्रौब्लम पांच साल तक के बच्चों में अक्सर देखी जाती है, लेकिन कईं बच्चों में पांच साल के बाद भी यह प्रौब्लम बनी रहती है. कुछ बच्चों का तो किशोर उम्र तक ब्लैडर पर नियंत्रण विकसित नहीं हो पाता. हालांकि अधिकतर मामलों में नौकटर्नल एनुरेसिस की प्रौब्लम अपने आप ठीक हो जाती है और उपचार की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन कुछ मामलों में उपचार जरूरी हो जाता है. वैसे यह गंभीर प्रौब्लम नहीं है, लेकिन बच्चे और माता-पिता दोनों के लिए यह एक तनावपूर्ण स्थिति होती है.

आंकड़ों की मानें तो 5 साल तक के लगभग 20 प्रतिशत बच्चे रात में बिस्तर गीला कर देते हैं, जबकि सात साल तक के 10 प्रतिशत बच्चों में यह प्रौब्लम होती है. 1-3 प्रतिशत बच्चे किशोर उम्र तक नौकटर्नल एनुरेसिस से परेशान रहते हैं. लड़कों में यह प्रौब्लम लड़कियों की तुलना में 2-3 गुना अधिक होती है.

नौकटर्नल एनुरेसिस के प्रकार

नौकटर्नल एनुरेसिस की प्रौब्लम दो प्रकार की होती है.

प्राइमरी एनुरेसिस

इसमें बच्चे का ब्लैडर पर नियंत्रण नहीं होता और वो हमेशा बिस्तर गीला कर देता है.

सेकंडरी एनुरेसिस

जब बच्चों का कभी ब्लैडर पर नियंत्रण रहता है, कभी नहीं रहता तो इसे सेकंडरी एनुरेसिस कहते हैं. अगर किशोरावस्था में आपके बच्चे को यह प्रौब्लम है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं. इस उम्र में इसका कारण युरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन, न्युरोलॉजिकल प्रौब्लम (मस्तिष्क से संबंधित), तनाव या कोई और स्वास्थ्य प्रौब्लम हो सकती है.

क्या हैं कारण

हालांकि यह पूरी तरह स्पष्ट नहीं है कि यह प्रौब्लम क्यों होती है, ऐसा माना जाता है कि रात के समय निम्न तीन क्षेत्रों में आसामान्या के कारण होती है:

ब्लैडर

रात के समय ब्लैडर में कम स्थान होना.

किडनी

रात में यूरीन अधिक बनना.

मस्तिष्क

रात में उठ नहीं पाना.

अन्य रिस्क फैक्टर्स

  1. अनुवांशिक कारण.
  2. स्लीप पैटर्न गड़बड़ा जाना.
  3. औब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया/ स्नोरिंग.
  4. ब्लैडर या किडनी रोग.
  5. न्युरोलौजिकल प्रौब्लमएं जैसे स्पाइनल कार्ड से संबंधित प्रौब्लमएं.
  6. दूसरी स्वास्थ्य प्रौब्लमएं जैसे डायबिटीज़, हाइपर एक्टिविटी डिसआर्डर.
  7. कुछ दवाईयों के साइड इफेक्ट्स.
  8. तनाव.
  9. कब्ज.

विशेषज्ञ- डौ. संदीप कुमार सिंहा, सीनियर कंसल्टेंट-पीडियाट्रिक सर्जरी, रेनबो चिल्ड्रन्स हौस्पिटल, नई दिल्ली

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