नवजात शिशु और छोटे बच्चे तो रात में भी 1-2 पेशाब करते हैं, क्योंकि इनमें मस्तिष्क और ब्लैडर (मूत्राश्य) के मध्य संबंध पूरी तरह से निर्मित नहीं होता है. लेकिन जैसे-जैसे उनकी उम्र बढ़ती है, यह संबंध विकसित हो जाता है और मस्तिष्क, ब्लैडर को नियंत्रित करने लगता है, जिससे यूरीन पास करने की जरूरत होने पर मस्तिष्क अलर्ट हो जाता है और नींद खुल जाती है. लेकिन बहुत से बच्चों के साथ ऐसा नहीं होता है, किशोर उम्र में भी नींद में अक्सर ब्लैडर पर उनका नियंत्रण नहीं रहता और वो बिस्तर पर ही पेशाब कर देते हैं. जो जानिए क्यों होती है यह प्रौब्लम और कैसे इससे निपटा जाए.

नौकटर्नल एनुरेसिस

रात में बिस्तर गीला करने की प्रौब्लम को चिकित्सीय भाषा में नौकटर्नल एनुरेसिस कहते हैं. यह प्रौब्लम पांच साल तक के बच्चों में अक्सर देखी जाती है, लेकिन कईं बच्चों में पांच साल के बाद भी यह प्रौब्लम बनी रहती है. कुछ बच्चों का तो किशोर उम्र तक ब्लैडर पर नियंत्रण विकसित नहीं हो पाता. हालांकि अधिकतर मामलों में नौकटर्नल एनुरेसिस की प्रौब्लम अपने आप ठीक हो जाती है और उपचार की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन कुछ मामलों में उपचार जरूरी हो जाता है. वैसे यह गंभीर प्रौब्लम नहीं है, लेकिन बच्चे और माता-पिता दोनों के लिए यह एक तनावपूर्ण स्थिति होती है.

आंकड़ों की मानें तो 5 साल तक के लगभग 20 प्रतिशत बच्चे रात में बिस्तर गीला कर देते हैं, जबकि सात साल तक के 10 प्रतिशत बच्चों में यह प्रौब्लम होती है. 1-3 प्रतिशत बच्चे किशोर उम्र तक नौकटर्नल एनुरेसिस से परेशान रहते हैं. लड़कों में यह प्रौब्लम लड़कियों की तुलना में 2-3 गुना अधिक होती है.

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