आने वाले समय में टीवी को अपग्रेड होना जरुरी – उत्कर्षा नाईक

 धारावाहिक ‘इस प्यार को क्या नाम दूँ’ में मनोरमा सिंह रायजादा की भूमिका निभाकर चर्चित होने वाली अभिनेत्री उत्कर्षा नाईक मुंबई की है. उन्होंने टीवी धारावाहिकों के अलावा कई फिल्मों में भी काम किया है. छोटे पर्दे की वह सबसे अधिक चहेती अभिनेत्री है. उत्कर्षा को अभिनय हमेशा से पसंद था, इसलिए उन्होंने पहले थिएटर ज्वाइन किया और बाद में अभिनेत्री बनी. उन्होंने हर तरह की भूमिका निभाई है और एक सफल जर्नी तय की है. काम के दौरान वह अपने पति मनोज वर्मा से मिली, प्यार हुआ, शादी की और एक बेटी गहना वर्मा की माँ बनी. अभी वह दंगल टीवी पर धारावाहिक ‘प्रेम बंधन’ में सविता शास्त्री, एक माँ की भूमिका निभा रही है. उत्कर्षा साल 2020 को कोसती नहीं, बल्कि इसे लोगों को अपने, परिवार, दोस्तों और खुद के लिए समय निकलने की दिशा में एक सबक है, जिसे लोग जीवन की आपाधापी में खो चुके थे. उन्होंने अपनी जर्नी के बारें में बात की, पेश है कुछ अंश.

सवाल-इस धारावाहिक में माँ की भूमिका निभाने की खास वजह क्या है?

मैं किसी भी चरित्र को करने से पहले देखती हूं कि मेरे चरित्र को जस्टिस मिल रहा है या नहीं. इस शो में मुझे आगे चलकर बहुत सारे शेड्स अभिनय के मिलेंगे, जिसे करना मुझे अच्छा लगता है.

सवाल-धारावाहिकों में कहानी कुछ शुरू होती है, बाद में टी आर पी के हिसाब से इसे बदल दिया जाता है, जिसमें कलाकार को पता सेट पर आकर मिलता है, क्या कभी आपके साथ ऐसा हुआ?

मेरे साथ ऐसा नहीं हुआ, क्योंकि टीआरपी की वजह से कहानी और अधिक मेरे पक्ष में आ गयी, इससे मुझे काम करने में अच्छा लगा है. मुझे उम्मीद है कि ‘प्रेम बंधन’ शो भी आगे चलकर अच्छा प्रदर्शन करेगी.

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सवाल-अभिनय में आने की प्रेरणा कहाँ से मिली?

मेरे हिसाब से अभिनय व्यक्ति में पैदाइशी होता है. जन्म से ही ये आपको मिलता है. जब से मैंने आँख खोली हूं, मेरे अंदर अभिनय आ चुका है. मेरे लिए नाटकों में अभिनय करना एक जुनून होता था, लेकिन मुझे पता था कि इसमें अधिक स्कोप भी नहीं है. उस समय इतने सारे चैनल और धारावाहिक नहीं थे. इसलिए मैंने अभिनय को हॉबी के रूप में लेकर  थिएटर ज्वाइन किया और साथ में जॉब भी करने की इच्छा थी. मेरा हॉबी ही मेरा बाद में प्रोफेशन बनेगा, ये मैंने सोचा नहीं था, क्योंकि मेरा कैरियर अलग रहा है, मैं एक ऑक्यूपेशनल थिरेपिस्ट थी. मैंने 10 साल कूपर अस्पताल में काम भी किया है. शादी के बाद समय मिलना मुश्किल था. मैंने फिर अभिनय को ही अपना उद्देश्य बनाया और इस क्षेत्र में आ गयी.

सवाल-पहली बार पेरेंट्स को कहने पर उनकी प्रतिक्रिया क्या थी?

मैं महाराष्ट्रियन हूं और मुंबई में रहती हूं, यहाँ अभिनय को एक अच्छी दृष्टि से देखा जाता है. मेरे घर से कभी भी रुकावट नहीं रहा. हमेशा उन्होंने हौसला दिया, इससे मुझे काम करने में सहजता रही. मैंने अपनी कैरियर अपने बल पर खुद की मर्जी से किया.

सवाल-समय मिलने पर क्या करती है?

मैं अधिकतर फिटनेस पर ध्यान देती हूं, जिसमें वाक करना, जिम, योगा आदि करती हूं. इसके अलावा मुझे जानवर बहुत पसंद है, खासकर स्ट्रीट एनिमल्स जिसमें उनका वेक्सिनेशन, ट्रीटमेंट, देखभाल आदि करती हूं.   

सवाल-किस शो से आप घर-घर जानी गयी?

 मैं धारावाहिक ‘इस शो को क्या नाम दूँ’ की मनोरमा से मैं घर-घर पहचानी गयी, केवल भारत में ही नहीं ग्लोबली वह शो हिट रही. मेरा टैग लाइन ;हेलो हाय बाय-बाय’ को आज भी लोग पसंद करते है. आर्मेनिया, लन्दन, यूनाइटेड अरब अमीरात आदि जगहों पर डब कर इसे दिखाया गया. उस शो की आज भी फैन फोलोइंग बरक़रार है, जबकि शो को ख़त्म हुए 6 साल बीत चुके है. 

सवाल-काम के साथ परिवार का सामंजस्य कैसे बिठाती है?

मेरे पति भी एक्टिंग क्षेत्र से जुड़े है, लेकिन अब उन्होंने ‘मंडी हाउस’ नाम से एक थिएटर सेंटर खोला है. मैं हमेशा से चाहती थी कि मेरी शादी एक्टिंग फील्ड के किसी से हो, क्योंकि ये फील्ड बहुत डिमांडिंग है, इसलिए आम आदमी के लिए इसे समझना शायद मुश्किल होगा. मेरे पति मेरे काम को समझते है और सहयोग करते है. साथ ही अगर आपने क्वालिटी टाइम पति के साथ बिताया हो, तो कोई समस्या नहीं होती. हम दोनों एक दूसरे के काम को लेकर आपस में चर्चा भी करते है. एक क्षेत्र से होने की वजह से ट्यूनिंग अच्छी बनी हुई है. 

सवाल-आप मनोज वर्मा से कैसे मिली? 

मैंने एक फिल्म ‘संशोधन’ की थी, उसकी शूटिंग जयपुर में हो रही थी. उसमें मनोज भी थे. कड़ाके की धूप और गर्मी में शूटिंग हो रही थी. शाम को हम सभी होटल के स्विमिंग पूल में रहा करते थे और उसी दौरान मनोज ने अपनी इच्छा जाहिर की. मैंने कहा कि अगर शादी करनी है, तो बताओं, नहीं तो कोई इंटरेस्ट नहीं. इसके बाद मेरा पैकअप मनोज से पहले हुआ और मुझे वापस आना था. होटल का वेटर नहीं आया, तो मनोज ने मेरे सामान को फटाफट उठाया और मेरी मदद की. ये मुझे अच्छा लगा और मुंबई आकर मैंने सहमति जताई और कुछ दिनों बाद शादी की, एक बेटी की माँ बनी. मेरी बेटी भी एक्टर के साथ-साथ एक बेहतर डांसर है. पढाई के साथ वह कथक और वेस्टर्न दोनों डांस अच्छा करती है. सोशल मीडिया पर उसके फैन फोलोअर्स काफी है.

सवाल-टीवी पर कुछ शो में मक्खी, सांप, बिच्छू आदि दिखाए जाते है, आज के दौर में ऐसी शो के बारें में आपके विचार क्या है?

मेरे हिसाब से टीवी को थोडा अपग्रेड होना जरुरी है. टीवी पर अधिकतर चीजे रेट्रो की दिखाई जाती है. जबकि ओटीटी में आज के परिवेश को दिखाया जाता है और दर्शक पसंद भी कर रहे है. थोड़े सुधार टीवी पर कहानी में होने चाहिए. ये सही है कि मनोरंजन के लिए ऐसा किया जाता है, जिसे लोग पसंद करते है. इसलिए दर्शक को इसमें स्टेप लेना चाहिए और उम्मीद है कि आगे समय के साथ सुधार अवश्य आएगा. 

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सवाल-साल 2020 बहुत ही परेशानियों से गुजरा है, आपके अनुभव इस बारें में क्या है?

लोग साल 2020 को कोसते रहते है, पर मैं ऐसा नहीं सोचती, बल्कि इससे हमें कुछ सीख मिली है. अभी तक किसी की आँख नहीं खुली थी, जो साल 2020 ने खोल दी. कोरोना संक्रमण, हेल्थ हेजार्ड्स, पोलीथिन का बढ़ना, जनसँख्या विस्फोट आदि सब होता जा रहा है, पर इंसान चेत नहीं रहा. अभी इस महामारी से सीख लेकर सबको आगे बढ़ने की जरुरत है. लॉकडाउन को मैंने पोजिटीव रूप में लिया, क्योंकि दो शो के बीच में भी कई बार लॉक डाउन ही होता है. इस दौरान मैंने अपनी ऑडिटोरियम ‘मंडी हाउस’ के लिए काम किया है. इसमें नए कलाकारों के नाटक को दिखाने के अलावा उसे प्रमोट भी किया जाता है. हम दोनों इस काम में सफल रहे और ऑडिटोरियम के साथ-साथ मैंने एक कॉफ़ी हाउस भी खोला है. इसके बाद लॉकडाउन हो गया. अभी वैक्सीनेशन के बाद इसे शुरू किया जाएगा.

सवाल-साल 2021 का संकल्प क्या है?

मेरा संकल्प यह है कि कोविड 19 की वजह से काम में बहुत बाधाएं आई है, इसलिए नए साल में एक बहुत अच्छा काम करना चाहती हूं. साथ ही सभी ‘बैक टू नार्मल लाइफ’ आ जाय, क्योंकि साल 2020 में मैंने काम को बहुत मिस किया है. 

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