वजह: भाग-3

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( अब तक आप ने पढ़ा कि पिता की मौत के बाद अपनी माँ रीता देवी की दूसरी शादी करा कर निशा जिम्मेदारी से मुक्त होना चाहती थी मगर रीता देवी अपने नए पति कमल कुमार से दूर ही भागती रहीं. शिमला ट्रिप के दौरान अपनी बेटी निशा की सहेली के साथ कमल कुमार के अवैध रिश्ते को देख कर रीता देवी आप से बाहर हो जाती हैं. अब आगे….. )

हल्ला सुन कर कमल कुमार और कुसुम भी भी नजरें चुराते कमरे में आ कर खड़े हो गए. उन्हें देख कर रीता देवी दहाड़ उठीं, ” मुझे क्या पता था कि मेरे पीठ पीछे यह सब होता है? मेरी बेटी की सहेली मेरे पति के साथ….. ? हाय मैं मर क्यों नहीं गई यह सब देखने से पहले….. ” कहतेकहते वह जमीन पर गिर पड़ीं और फूटफूट कर रोने लगीं.

रोतेरोते भी वह कुसुम को भलाबुरा सुनाती रहीं ,”मैं ने सोचा था कि मेरी बेटी मेरी खुशियों की चिंता कर रही है इसलिए मेरी शादी कराई पर मुझे क्या पता था कि इस सब के पीछे वह अपनी सहेली की खुशियां ढूंढ रही थी. मेरी अपनी बेटी की सहेली मेरे पति के प्यार पर डाके डाल रही है. तुझे लाज नहीं आई कुसुम अपने बच्चों को छोड़ कर उस शख्स के साथ मुंह काला कर रही है जो रिश्ते में तेरे बाप जैसा है और लानत है ऐसे मर्द पर भी जिस ने एक विधवा से केवल इस लिए शादी की ताकि उस की जवान बेटी की सहेली को अपने झांसे में ले कर मजे उड़ा सके…”

“बस करो रीता। किन रिश्तो की बात कर रही हो तुम? मेरे साथ अपना रिश्ता भला कब निभाया तुम ने? हमारी शादी को 5 महीने बीत चुके हैं पर आज तक 1 दिन भी मुझे अपने करीब नहीं आने दिया। जब साथ में बैठती हो, रमेश की बातें करने लगती हो. जब मैं प्यार करना चाहता हूं तो भी रमेश बीच में आ जाता है. तुम आज भी रमेश के लिए जीती हो , रमेश के लिए सजती हो और रमेश के लिए ही रोतीहंसती हो. तो फिर मैं कहां हूं? जब तुम्हें मेरी खुशियों की परवाह नहीं तो फिर मैं तुम्हारी परवाह क्यों करूँ ? हो कौन तुम मेरी जिंदगी में ? क्या दिया है तुम ने मुझे ? क्यों की थी मैं ने शादी ? एक ऐसी औरत को अपने घर में लाने के लिए जिस के पास मेरे लिए कभी समय ही नहीं? अपने बेटे को छोड़ कर मैं यहाँ आ कर क्यों बसा? अगर ऐसे ही रहना था तो उसी के साथ क्यों न रहूं? “कमल कुमार का गुस्सा भी भड़क उठा था.

अब तक निशा भी संभल चुकी थी. मां के कन्धों को झकझोरते हुए बोली, “मां यह पुरुष जो सामने खड़ा है, इस से मैं ने आप की शादी कराई थी ताकि आप को इस के जरिए सुरक्षा मिल सके.आप का भविष्य सुरक्षित हो जाए. आप का अपना घर हो, पति हो. जरूरत के वक्त आप को किसी अपने या पैसों के लिए मेरे मोहताज न रहना पड़े। जब कि मैं जानती थी कि मैं आप के लिए कुछ नहीं कर सकूंगी। पर आप ने इन्हें अपनाया ही नहीं। मिस्टर कमल कुमार ने कितनी दफा मुझ से अपने दुखड़े रोए. मैं ने आप को समझाया पर आप नहीं समझी और फिर धीरेधीरे मिस्टर कमल की नजरें कुसुम पर गईं . उन्हें लगा लगा कि कुसुम वह स्त्री बन सकती है जो उन्हें प्यार और साथ देगी. उन की शारीरिक आवश्यकताओं को पूरा कर सकेगी. मैं चाहती तो साफ इंकार कर सकती थी. कुसुम को उन से दूर कर सकती थी. पर हर बार इन्होने यह धमकी दी कि वह तुम्हें छोड़ कर चले जाएंगे। यह बात मुझे बैचैन कर देती थी. मैं गिड़गिड़ ई। आप का साथ न छोड़ने की विनती की और तब बदले में उन्होंने कीमत के तौर पर कुसुम का साथ मांगा। कुसुम भी पहले तैयार नहीं थी पर बाद में उस ने इस रिश्ते के लिए स्वीकृति दे दी. ”

“तो क्या उस ने इस वजह से…. ” रीता देवी के शब्द गले में अटक कर रह गए.

“हां मां।  आप ही बताओ क्या करती मैं? आप इन के और अपने बीच से न तो दूरियां हटने दे रही थी और न पापा को बीच में लाने से रुकी. बहुत समय तक मैं कशमकश में रही। पर अंत में यह सोच कर कि शायद समय के साथ आप बदल जाओ मैं ने इन का कहा मान लिया. इन्हें आप की जिंदगी में रोके रखने के लिए वह सब किया जो इन्होंने कहा. मैं मानती हूं कि मैं गलत हूं. कुसुम भी गलत है और मिस्टर कुमार भी गलत हैं. पर क्या अपने सीने पर हाथ रख कर आप कह सकती है कि आप गलत नहीं? गलती की शुरुआत तो आप ने ही की थी न. तो फिर हमारी तरफ उंगली उठाने से पहले अपने अंदर झांक कर देखो. अब सब आप के सामने है. आप को मिस्टर कुमार से रिश्ता रखना है या नहीं और कितना रिश्ता रखना है यह सब आप के ऊपर छोड़ कर जा रही हूं मैं. कुसुम भी कभी आप की जिंदगी में दोबारा नहीं आएगी. अब मैं आप की जिंदगी में कोई दखल भी नहीं दूंगी। पर अपना कल आप को खुद देखना है. पापा लौट कर नहीं आएंगे आप को संभालने….. इस लिए फैसला आप का है कि आप मिस्टर कुमार को माफ कर नया जीवन शुरू करेगी या तलाक ले कर … ,” अपनी बात अधूरी छोड़ते हुए निशा ने बैग उठाया और कुसुम के साथ जाने लगी. रीता देवी ने हाथ बढ़ा कर निशा को रोका और निढाल सी सोफे पर बैठती हुई बोली, “सॉरी मिस्टर कुमार…”

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