आने वाला है 30 साल बाद ‘वागले की दुनिया’ शो, ‘साराभाई वर्सेज साराभाई’ एक्टर आएंगे नजर

कई हिंदी कॉमेडी शो और फिल्मों में काम कर चुके अभिनेता सुमित माधवन किसी परिचय के मोहताज नहीं. उनकी कुछ चर्चित शो हद कर दी, साराभाई वर्सेज साराभाई, सजन रे झूठ मत बोलो आदि है. हिंदी के अलावा उन्होंने मराठी फिल्मों में भी काम किया है. इतना ही नहीं वे एक क्लासिकल सिंगर है. उन्होंने हमेशा उस शो में काम करना पसंद किया, जिसे करने में उन्हें मज़ा आये. बचपन से ही उन्हें अभिनय का शौक था, जिसमे उनके पिता राघवन और माँ प्रेमा ने हमेशा साथ दिया. 80 के दशक की चर्चित शो ‘वागले की दुनिया’ सोनी सब टीवी पर एक बार फिर से करीब 30 साल बाद आ रही है, जो आगे की पीढ़ी की कहानी बताएगी. सुमित ने इसमें वागले की बेटे की मुख्य भूमिका निभाई है. पेश है उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश.

सवाल-इस शो में आपके लिए चुनौती क्या होगी?

हर किरदार मेरे लिए चुनौतीपूर्ण होती है, लेकिन इस शो में मेरा जुड़ना अलग है, क्योंकि इस शो का प्रभाव दर्शकों के दिमाग पर पहले से छाया हुआ है, कई यादें जुडी हुई है. लेकिन मैं वो वागले नहीं हूं, मैं उनका बेटा हूँ और इस वागले की कहानी नयी पीढ़ी और नए किस्से के साथ है. 

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सवाल-आपने अपनी भूमिका के लिए कितनी तैयारी की है?

ये कॉमेडी शो नहीं है. ये पहले की तरह ही एक आम जिंदगी से जुडी हुई शो है, जिसमें एक व्यक्ति अपने परिवार और माता-पिता के साथ रहता है. उसकी जिंदगी में रोजमर्रा कुछ न कुछ समस्या आ ही जाती है, फिर कैसे वह इससे निकलता है, उसी को दिखाया है, जिसमें इमोशन, हंसी के साथ-साथ उन बातों को भी याद दिलाया जाएगा, जो नई पीढ़ी भूल चुकी है. असल में आज की पीढ़ी भाग-दौड़ की जिंदगी में सब भूलकर, पैसे के पीछे भाग रही है. ये सही है कि पैसा जरुरी है, पर रिश्तों को गर्माहट को नजरंदाज करना ठीक नहीं. इसलिए इस शो के लिए तैयारी अधिक नहीं करनी पड़ी. 

सवाल-एक्टिंग में आना इत्तफाक था या बचपन से सोचा था?

इत्तफाक नहीं था, मैंने बचपन से ही तय कर लिया था कि एक्टिंग करना है. मेरा पहला शो वर्ष 1985 में आया था तब मैं 15 साल का था. अभिनय के क्षेत्र में आये हुए 36 साल हो चुके है. मैंने चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में अभिनय शुरू किया था और आज यहाँ तक पहुंचा हूँ. 

सवाल-आपने एक लम्बा सफ़र तय किया है, कितना अंतर तब की कहानियों और आज की कहानी में पाते है? 

अंतर बहुत है, खासकर पेश करने का तरीका बहुत अलग हो चुका है. तब तकनीक अधिक नहीं थी, ऐसे में स्क्रिप्ट कलाकार को पकड़ा दिया जाता था और कलाकार के तैयार होने के बाद शूट कर लिया जाता था. आज अलग-अलग पहलू पर ध्यान दिया जाता है. पहले की पब्लिसिटी आज की तरह नहीं होती थी. तब फिल्मों के ही होर्डिंग्स लगते थे, आज के जैसे टीवी शोज के लिए होर्डिंग्स कभी लगे नहीं है. मेरे हिसाब से सबकुछ बदल जाय, ठीक है, पर इंसान की इंसानियत बदलनी नहीं चाहिए. 

सवाल-क्या परिवार का कोई सदस्य फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ा था? उनका सहयोग कितना रहा?

नहीं, कोई भी मेरे परिवार में मनोरंजन की इंडस्ट्री से जुड़ा नहीं था. केवल मैं ही इस क्षेत्र में काम कर रहा हूँ, पर परिवार का सहयोग बहुत रहा है, तभी मैं इतना आगे बढ़ पाया हूँ. उन दिनों मेरे पेरेंट्स मुझे लेकर हर जगह घूमते थे और ऑडिशन दिलवाते थे. उनका सहयोग अगर नहीं होता, तो मैं यहाँ तक नहीं पहुँच पाता. हर क्षेत्र में निराशा होती है, लेकिन अभिनय इंडस्ट्री में उम्र को लेकर निराशा होती है. सही समय पर काम भले ही न मिले, पर उम्र बढती रहती है. उस समय मेरे पेरेंट्स ने केवल सहयोग ही नहीं, बल्कि काउंसलिंग भी की है. मैं भी कई बार काम न मिलने की वजह से निराश हुआ था, पर माता-पिता की वजह से आसानी से उससे बाहर निकल गया. हर परिवार को ऐसी मनस्थिति आज रखने की जरुरत है. 

सवाल-पत्नी का सहयोग कितना रहा है?

मेरी पत्नी चिन्मयी मराठी एक्ट्रेस है और अभी एक मराठी फिल्म की शूटिंग सांगली में कर रही है. बेटा नीरद संगीत निर्देशक है और बेटी बिया सिनेमेटोग्राफी की कोर्स पूणे में कर रही है. पूरा परिवार कला से जुड़ा हुआ है. माता-पिता पर्दे के आगे और बच्चे पर्दे के पीछे काम करेंगे. हम, दोनों पति-पत्नी का एक ही क्षेत्र में काम करने से आपसी तालमेल बहुत अच्छा रहता है. किसी भी स्क्रिप्ट के आने पर मैं पत्नी और बच्चों की राय लेता अवश्य लेता हूँ.

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सवाल-कोई ऐसी शो जिसने आपकी जिंदगी बदली हो?

धारावाहिक ‘साराभाई वर्सेज साराभाई’ ने मेरी जिंदगी पूरी तरह से बदल दी है. 

सवाल-आपने शास्त्रीय संगीत सीखा है, उस दिशा में क्या कर रहे है?

संगीत के क्षेत्र में कुछ करने की इच्छा थी, पर एक बड़ा प्रोजेक्ट मुझे मिल गया था. तब मैंने अभिनय को ही चुन लिया. संगीत की दिशा में काम न कर पाने का मुझे मलाल है. आगे समय मिला तो कुछ अवश्य करूँगा. 

सवाल-आपने थिएटर, फिल्में, शोज, डबिंग आदि किये है, किसमें आपको काम करना सबसे अधिक अच्छा लगता है?

जिस काम को करने में मेरा मन लगे, मैं उसी को करता हूँ. एक्टिंग में मुझे सबसे अधिक ख़ुशी मिलती है, इसलिए मैंने बाकी सबकुछ छोड़ दिया है. 

सवाल-आज के परिवेश में बच्चे पढलिखकर विदेश चले जाते है और माता-पिता अकेले रह जाते है, ऐसे में आप उन बच्चों को क्या सन्देश देना चाहते है?

ये सही है कि आज के यूथ को कुछ अच्छा करने के लिए विदेश जाना पड़ता है, लेकिन उन्हें ये ध्यान देना है कि वे दुनिया में क्यों आये है? वे इसे भूले नहीं. माता-पिता को साथ भले ही न रखे, पर करीब अवश्य रखे.

सवाल-क्या कोई मेसेज देना चाहते है? 

पिछले साल कोरोना संक्रमण ने जो कहर सभी पर ढाया है, उसका अर्थ शायद सभी को समझ में आ गया है. आज सबको धीरज के साथ रूककर, साँस लेकर आगे बढ़ना है. इसके अलावा जो आपके पास है, उससे आप गुजारा कर सकते है, इसी बात को कोविड 19 ने अच्छी तरह से सिखा दिया है. 

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