5 ब्राइडल मेकअप ट्रैंड

समय के साथ मेकअप ट्रैंड में काफी तरह के बदलाव हुए हैं, फिर चाहे वह साधारण मेकअप हो, रैंप मेकअप या फिर ब्राइडल मेकअप. आजकल ब्राइडल मेकअप का जो ट्रैंड है उस में रंग को निखारने से ज्यादा नैननक्श को हाईलाइट किया जा रहा है.

मेकअप ट्रैंड

मेकअप में भी कई तरह के मेकअप होते हैं, लेकिन ब्राइडल मेकअप में सिमर वाला या ग्लौसी मेकअप ज्यादा फबता है. इस बारे में ब्यूटी ऐक्सपर्ट डा. वीना का कहना है, ‘‘किसी भी मेकअप का अच्छा परिणाम मेकअप करने के तरीके पर निर्भर करता है. अधिकतर ब्राइडल मेकअप की शुरुआत बेस से करती हैं, लेकिन यदि आई मेकअप से इस की शुरुआत की जाए तो अच्छी फिनिशिंग आती है.

ब्राइडल आई मेकअप में आजकल कैंची आई मेकअप का काफी ट्रैंड है. आंखों के मेकअप की शुरुआत आईबेस से करनी चाहिए ताकि मेकअप करने के बाद आंखों पर रेखाएं न पड़ें. आईबेस बाजार में कुछ ही ब्रैंडों में मौजूद है.

‘‘आईबेस के बाद आइब्रो के नीचे वाले हिस्से को लाइट कलर के आईशैडो से हाईलाइट करना चाहिए. कलर का चुनाव ड्रैस में मौजूद रंगों के हिसाब से करें. इस के बाद आईलिड पर डार्क कलर का आईशैडो और कलर पैसिंल से आईलाइनर लगाएं. फिर हाईलाइटिंग के लिए इस्तेमाल किए गए कलर को लाइनर के ऊपर भी लगाएं, थोड़ा सा आईलिड के बीच वाले हिस्से में नैचुरल कलर का आईशैडो लगा कर उसे भी मर्ज करें. फिर लाइनर के ऊपर ब्लैक आईलाइनर लगा कर उसे डार्क करें. आंखों के नीचे के हिस्से में काजल लगाने के बाद उस के ऊपर कलरफुल पैंसिल भी चलाएं और अंत में मसकारा लगाएं.

‘‘आई मेकअप के बाद आंखों को छोड़ कर बाकी पूरे चेहरे को क्लींजिंग मिल्क से साफ करें. फिर टोनर और मौइस्चराइजर लगाने के बाद बेस लगाएं. बेस को ब्रश की सहायता से लगाना चाहिए. इस से रेखाएं नहीं पड़ती हैं. चेहरे और गरदन के रंग में फर्क होने पर स्किन टोन के हिसाब से अलगअलग बेस कलर का इस्तेमाल करना चाहिए.

उस के बाद आवश्यक जगहों में कंसीलर लगाना चाहिए. नैननक्श को शेप देने के लिए भी कंसीलर का इस्तेमाल करना चाहिए. उस के बाद आवश्यक जगहों में कंसीलर लगाना चाहिए. इस के बाद कौंपैक्ट लगाएं. उसे गीला कर के भी लगाया जा सकता है.

‘‘ब्राइड्स को मैट लिपिस्टक लगाने की जगह शाइनिंग वाली लिपस्टिक लगाएं. केक को रूई के माध्यम से चेहरे पर लगाएं. अब स्पंज से उसे पूरे चेहरे पर अच्छे से मिलाएं. लिप मेकअप के लिए लिप लाइनर से होंठों के ऊपर आउटलाइन बनाएं और अंदर शाइनिंग वाली लिपस्टिक लगाएं. लिपस्टिक के बाद गालों पर ब्लश लगा कर फाइनल टच दें.

‘‘बिंदियों में आजकल स्टर्ड और गोल डिजाइनर बिंदियां ज्यादा फैशन में हैं और ये अच्छी भी लगती हैं. चेहरा चौड़ा है तो आप गोल की जगह लंबी डिजाइनर बिंदी लगाएं. आईब्रो के ऊपर बिंदी न लगाएं. आजकल यह फैशन में नहीं है.

हेयरस्टाइल: ब्राइडल मेकअप तभी पूरा होता है जब उस के साथ सही हेयरस्टाइल हो. दुलहन के ऊपर हाई बन ज्यादा अच्छा लगता है. लेकिन अगर समय की कमी या बाल छोटे हैं तो आप राउंड फ्लौवर बन भी बना सकती हैं. इस के लिए आगे के बालों में पफ बनाया जाता है. पीछे के बालों में पोनी बना लें और उस के ऊपर नकली बाल लगा कर बैंड के साथ बांध दें.

फिर बालों को 2 भागों में बांट कर ढीलीढीली चोटी बना लें, नीचे 2 इंच बाल छोड़ दें. इस के बाद बालों के एक सिरे को पकड़ कर दूसरे सिरे को ऊपर की ओर ले जाएं. उस से एक बंच तैयार हो जाएगा. उसे राउंड शेप में फोल्ड कर के चारों और अच्छे से पिनअप कर दें. बचे हुए बालों को बीच में एस शेप में फोल्ड करते हुए पिनअप करें.

मेकअप और हेयरस्टाइल कंप्लीट होने के बाद ज्वैलरी पहनें. अच्छा रहेगा यदि पल्लू को जूड़े के ऊपर पिनअप करें.

ग्लौसी पाउट: आजकल ब्राइड्स लिप्स को नैचुरल ग्लौसी लुक देना ज्यादा पसंदकर रही हैं. पीच, पिंक और रैड कलर ग्लौसी लुक के लिए पहली पसंद बने हुए हैं. मेकअप आर्टिस्ट ग्लौसी पाउट लुक इसलिए भी दे रही हैं ताकि होंठों की नमी लंबे समय तक बरकरार रहे.

स्किन बेस मेकअप: शाइन फ्री और पाउडरी मेकअप अब उतना पसंद नहीं किया जाता. इन की जगह अब ग्लोई, क्रीमी मेकअप ने ले ली. ऐसा मेकअप पसंद किया जा रहा है जो स्किन टोन से मैच करता हो. इस में खास बात यह है कि फाउंडेशन मौइस्चराइजिंग होना चाहिए.

मिनिमलिस्टिक लुक: कुछ ब्राइड्स को मिनिमलिस्टिक लुक पसंद आ रहा है. इस में हैवी मेकअप, भारी ज्वैलरी आदि से ब्राइड्स बचती हैं.

सौ बातों की एक बात यह है कि लुक चाहे जो अपना लें लेकिन यदि आप ने अपनी फिटनैस पर काम नहीं किया है तो इन लुक्स का पूरा फायदा नहीं मिल पाएगा.

Wedding Special: सुंदरता और विरासत बढ़ाते गहने

विरासत एक ऐसी चीज है जो पिछली पीढ़ी से अगली पीढ़ी तक एक हाथ से दूसरे हाथ को जाती है. पारंपरिक गहने इस विरासत का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं. इसीलिए अपनी जिंदगी के सब से बड़े दिनों में से एक शादी पर इन में से कोई एक पहनने से ब्राइड खुद को अपनी जड़ों से जुड़ने का एहसास कर पाती है.

यही मिस्टर इंडिया के नाम से फेमस ऐक्टर अनिल कपूर की बेटी रिया कपूर ने अपनी शादी में महंगे और ट्रैंडी गहनों के बजाय अपनी मां के गहने पहने थे. ऐसा कर के उन्होंने न सिर्फ अपनी मां को सम्मान दिया बल्कि अपने पारंपरिक मूल्यों का भी मान बढ़ाया.

इसी तरह पटौदी खानदान की सब से छोटी बेटी सोहा अली खान ने जब कुणाल खेमू से शादी की तो उन्होंने अपनी शादी में अपने जमाने की खूबसूरत अदाकारा शर्मीला टैगोर जो उन की मां भी हैं का अपनी शादी में रत्नों से जडि़त सब्यसाची लहंगा और रानी हार पहना था, जिस में हरे पन्ने और ट्रेडमार्क पासा था. इस के अलावा उन्होंने हाथीदांत, सोने के आभूषण भी पहने थे.

आम लोगों में भी प्रचलित

यह चलन सैलिब्रिटी से शुरू हो कर अब आम नागरिकों के बीच भी प्रचलित हो गया है. तभी तो शहरों में रहने वाली लड़कियां भी विटेंज ज्वैलरी को अपना रही हैं.

ऐसी ही कहानी नमिता मुखर्जी की है. वे 30 साल की हैं और वह उत्तर प्रदेश की रहने वाली हैं तथा अपने लौंग टर्म बौयफ्रैंड विनय मेहता से शादी की है. वे कहती हैं, ‘‘एक लड़की की जब शादी हो रही होती है तो वह बहुत भावुक होती है. शादी के टाइम पीरियड के दौरान वह बस यह सोच रही होती है कि वह किसी तरह अपने परिवार और उन की मान्यताओं से जुड़ी रहे. इस के लिए वह अपने खानदान के पुश्तैनी जेवर पहनने से भी नहीं हिचकाती बल्कि उन्हें पहन कर खुद को उन से जुड़ा पाती है.

‘‘मैं ने अपनी शादी के लिए दुलहन का कलर कहे जाने वाले रैड कलर को चुना. मैं समझ नहीं पा रही थी मैं  ज्वैलरी कौन सी पहनूं. तभी मैं ने सैलिब्रिटीज की शादियों के बारे में पढ़ा. तब मुझे पता चला कि पारंपरिक आभूषणों को पहनना ट्रैंड बना हुआ है. मुझे ऐसा लगा जैसे मुझे भी इस ट्रैंड को फौलो करना चाहिए. अत: मैं ने यही किया. मैं ने भी अपनी नानी की शादी के समय का माथटीका अपनी शादी में पहना. हां अगर बात करूं फैशन की तो इस के मामले में हम लड़कियां कोई समझौता नहीं करना चाहती हैं. इसलिए मैं ने अपनी नानी के माथटीके में 2 अतिरिक्त डबल चैन जोड़ कर उसे माथापट्टी बना दिया था. अब मैं ने अपने खानदान के पुश्तैनी आभूषणों और उन के एहसासों को भी जी लिया, साथ ही फैशन के साथ अप टू डेट भी रही.’’

इसी तरह गुरुग्राम में कटैंट राइटिंग की जौब करने वाली 28 वर्षीय मोनिका रवीश शेख कहती हैं, ‘‘मैं ने अपनी रिसैप्शन के लिए रोज गोल्ड कलर का लहंगा लिया है, जिसे मैं अपनी मां के सोने के कुंदन के गहनों के साथ पहनूंगी. मैं रिसैप्शन में कुंदन के झुमके, नैकपीस और मांगटीका पहनूंगी. वहीं शादी के लिए मैं ने मुगलकाल के शुद्ध सोने से बने पारंपरिक हैदराबाद के निजामी गहनों को चुना जो मीनाकारी काम के साथ हमारे परिवार में पीढि़यों से चले आ रहे हैं. अपने खास दिन के लिए मैं ने इन्हें चुना है. इन्हें पहनने के बाद यकीनन मैं खूबसूरत तो लगूंगी ही साथ ही बहुत भावुक भी हो जाऊंगी.’’

शादी का अहम हिस्सा

असल में गहने हमारी भारतीय शादी का सब से अहम हिस्सा हैं. ये सिर्फ खूबसूरती के लिए नहीं होते बल्कि कीमती विरासत भी हैं जो पारिवारिक परंपराओं और विरासतों का भार उठाते हैं. पारंपरिक गहने अतीत को जोड़ने वाली एक ठोस कड़ी के रूप में काम करते आए हैं.

होने वाली ब्राइड आखिर पारंपरिक आभूषणों को क्यों चुन रही हैं? इस बारे में ज्वैलर्स बताते हैं कि होने वाली लगभग 90त्न ब्राइड पारंपरिक गहनों को चुन रही हैं, जिन में चोकर और लंबी गरदन के गहनों से ले कर मांगटीका, माथापट्टी, सतलदास, जड़ाऊ और पोल्का व कुंदन में हाथफूल तक शामिल हैं. ज्वैलर्स का मानना है कि 2017 में अनुष्काविराट की शादी के साथसाथ उस के बाद की सैलिब्रिटी शादियों ने भी इस रिवाज को आगे बढ़ाया है.

नई दिल्ली के उत्तम नगर इलाके के अग्रवाल ज्वैलर्स के सोनी अग्रवाल कहते हैं, ‘‘पिछले एक साल में हुई सभी सैलिब्रिटी शादियों के बाद पारंपरिक गहनों के चलन में भारी तेजी आई है. जिन की शादी होने वाली है वे दुलहनें विरासत में मिले गहने पहनने की इच्छुक हैं. उन की शादी के लिए और सासससुर पारिवारिक परंपराओं को जीवित रखने के लिए अपनी बहुओं को उपहार देने के लिए अपने पुराने गहनों में कुछ बदलाव करवाने के लिए हमारे पास आ रहे हैं.

‘‘दुल्हनें जड़ाऊ, पोल्की और कुंदन में पारंपरिक गहने चुन रही हैं क्योंकि ट्रैंड यह है कि मूल पैटर्न और डिजाइन को बरकरार रखते हुए इन्हें एक नया रूप दिया जाए. ‘‘वैडिंग सीजन में सतलाडा के विरासती गहने भी मांग में हैं. वहीं भारी और चौड़े मंगलसूत्र के उलट चिकने मंगलसूत्र ट्रैंड में छाए हुए हैं.’’

डिजाइन की मौलिकता

हैदराबाद के बड़ा बाजार के ज्वैलरी डिजाइनर नितिन अग्रवाल कहते हैं, ‘‘दुलहनें अपने पुराने पारंपरिक आभूषणों को इस तरह से संशोधित करवा रही हैं कि डिजाइन की मौलिकता खत्म न हो. दुलहनें अपने पुश्तैनी आभूषणों को नया रूप देने के साथसाथ मैचिंग माथापट्टी, मांगटीका और नाक की अंगूठी के साथ पत्थर, मोती और रंगीन पत्थरों को जोड़ कर विरासत के इन गहनों को फिर से बनाने की काफी इच्छुक हैं.’’

उत्तराखंड की निवासी रति रावत कहती हैं, ‘‘हमारे पारंपरिक आभूषणों में नथ का बहुत महत्त्व है. यही कारण है कि मैं ने भी अपनी शादी में अपनी परदादी की पुश्तैनी नथ पहनी थी. यह नथ उन्होंने मेरी दादी को दी थी और फिर मेरी दादी ने मेरी मां को. फिर मेरी मां ने मु?ो दी. हमारे पारंपरिक आभूषण पहनने का कारण हमारा अपने कल्चर के प्रति सम्मान और जुड़ाव है जिसे हम खोना नहीं चाहते.

‘‘जल्द ही दुलहन बनने वाली लड़कियां क्यों ट्रैडिंग और लेटस डिजाइन के महंगे गहनों को छोड़ कर अपने पुश्तैनी या कहें पारंपरिक आभूषणों को अपनी शादी में पहन रही हैं? इस बारे में मेरी अपनी राय है कि हर घर में ऐसा कोई न कोई आभूषण जरूर होता है जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलता आता है. फिर आगे इन्हीं आभूषणों को अपने बच्चों को सौंप दिया जाता है ताकि वे अपने बच्चों को विरासत में इन्हें दे सकें.

‘‘मेरी मम्मी के पास भी कुछ पारंपरिक आभूषण हैं जैसे तगड़ी, बाजूबंद और खंड़ाऊ. इन्हें उन्होंने संभाल कर रखा है. इन में से बाजूबंद उन्होंने मेरी बड़ी बहन को उस की शादी में दे दिया. खंड़ाऊ उन्होंने मेरे लिए रखी है. वही तगड़ी उन्होंने अपनी होने वाली बहू के लिए रखी है. ये उन के पारंपरिक आभूषण हैं जो उन्हें उन की मम्मी से मिले थे और अब हम बहनों को मिल रहे हैं.’’

पारंपरिक गहने

असल में ये गहने सिर्फ सजावट का सामान नहीं हैं बल्कि विरासत का एक हिस्सा हैं जिन्हें महिलाएं संजो कर रखती हैं ताकि ये पीढ़ी दर पीढ़ी इन्हें अपने बच्चों को सौंप सकें और अपनी विरासत के एक भाग से अपने पोतेपोतियों, नातिनातिनों से मिला सकें.

अगर दुलहन अपनी शादी में अपने परिवार या अपने होने वाले परिवार के पारंपरिक गहने पहनती है तो वह 2 परिवारों को आपस में जोड़ने का काम करती है, साथ ही वह अपने पूर्वजों को भी जान लेती है. वह यह भी जान लेती है कि वे किस घराने के रहने वाले हैं. इस के अलावा पारंपरिक आभूषणों में एक जुड़ाव होता है जो परिवारों के बीच समन्वय स्थापित करता है.

अगर आप के पास भी अपने खानदान की विरासत के रूप में कुछ गहने हैं तो आप अपने खास दिन में पहन कर उस के एहसासों को जीवंत कर सकती हैं, साथ ही उन में छोटेमोटे बदलाव कर के आप ट्रैंड में भी रह सकती हैं जिस से चारों तरफ आप की वाहवाही होगी.

Wedding Special: कम खर्च में यादगार शादी

शादी किसी की भी जिंदगी का सब से खूबसूरत समय होता है जब इंसान अपने सपनों को सच होता देखता है. वह अपनी शादी में वह सब करना चाहता है जिस की कल्पना उस ने लंबे समय से की होती है. शादी सिर्फ 2 व्यक्तियों का ही नहीं अपितु 2 परिवारों का भी मिलन होता है. दूल्हा और दुलहन दोनों के ही घर वाले इस शादी को यादगार और शानदार बनाना चाहते हैं. वे इन लमहों बारबार याद कर खुश होना चाहते हैं. इस बात से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता कि आप बहुत रईस हों या फिर एक सामान्य परिवार से संबंध रखते हों. जरूरी है तो दिल का उत्साह और सही अरेंजमैंट. कुछ यूनीक आइडियाज और कूल एवं क्रिएटिव माइंड ताकि शादी का हर पल यादगार हो.

आइए, जानते हैं अपने घर में होने वाली शादी को खूबसूरत, यादगार और शानदार इवेंट का रूप कैसे दें:

वैडिंग प्लान करें कुछ ऐसे

विवाह लग्जरी वैडिंग्स के फाउंडर मोहसिन खान बताते हैं कि वैडिंग प्लान करते समय इन बातों का ध्यान रखें:

  •  सब से पहले जरूरी है कि आप कुछ बातें पहले से क्लीयर करें जैसे आप को लोकल मैरिज  करनी है या डैस्टिनेशन वैडिंग. अपने बजट के हिसाब से लोकेशन और गैस्ट लिस्ट तैयार करें. अब फंक्शंस डिसाइड करें कि कौनकौन से फंक्शन होने हैं जैसे सगाई, हलदी, संगीत, मेहंदी, शादी आदि. अगर समय या बजट का इशू है तो आप 2-3 फंक्शन को एक में भी मिला सकते हैं. अब हर फंक्शन की गैदरिंग डिसाइड करें. इस के बाद आप एक वैंडर लिस्ट तैयार करें जैसे डैकोरेटर, ऐंटरटेनमैंट, मेकअप आर्टिस्ट, बैंडबाजा वाला, पगड़ी वाला, कैटरिंग वाला. अब या तो सारे प्लान और इंतजाम के लिए वैडिंग प्लानर हायर करें या फिर घर के 2 मैंबर को सारे इंतजाम की जिम्मेदारी सौंपें.
  •  शादी के दौरान वेन्यू डिसाइड करना भी एक महत्त्वपूर्ण फैसला है. ध्यान रखें कि जो प्रौपर्टी आप ने ली है उस में मल्टीपल औप्शन हों जैसे लौन, पूल साइड, बैंक्वेट आदि सब हों. उस का अप्रोच अच्छा हो, खाना अच्छा हो, रिव्यूज भी अच्छे हों और यह वैडिंग फ्रैंडली हो. ज्यादा ट्रैफिक जाम वाला एरिया न हो ताकि आप के गेस्ट्स को वहां तक पहुंचने में दिक्कत न हो. मैट्रो के पास हो. कई ऐसी प्रौपर्टी होती हैं मार्केट में जो कौरपोरेट फंक्शन ज्यादा करती हैं उन्हें वैडिंग का ज्यादा ऐक्सपीरियंस नहीं होता.
  •  कोशिश करें कि आप की शादी के सारे फंक्शन अलगअलग वेन्यू में हों. वेन्यू रिपीट करेंगे तो फोटोग्राफी में सारे फंक्शन एक जैसे लगेंगे और फोटोग्राफी में मजा नहीं आएगा.
  • यह मौका जश्न का होता है. जाहिर है लजीज व्यंजनों के बिना कोई भी जश्न अधूरा लगता है. ऐसे में शादी में अच्छे खाने की व्यवस्था की जाती है, जिस के लिए पहले से तैयारी करनी होती है और शादी का मेन्यू तैयार किया जाता है.

डैस्टिनेशन वैडिंग के मेजर औप्शंस

राजस्थान में पुष्कर, जयपुर, रणथंबोर, उदयपुर, जोधपुर आदि हैं. यहां के पैलेस और फोर्ट्स में शादी शानदार नजर आती है मगर ये महंगे औप्शन हैं. खर्च काफी आता है. सस्ते औप्शंस में जिम कार्बेट, आगरा, ऋषिकेश, मसूरी, नैनीताल आदि आते हैं जहां रीजनेबल शादी हो सकती है. वैसे कुल मिला कर दूसरे शहर जा कर यानी डैस्टिनेशन वैडिंग महंगी होती है. लोगों की फीस ज्यादा होती है और आनाजाना भी महंगा हो जाता है.

  •  शादी यादगार हो इस के लिए ऐसे ऐलिमैंट्स ऐसे रखने होंगे- डैकोरेशन क्रिएटिव हो, कोई खास थीम पर सजावट करें जैसे मोरक्कन थीम, विलेज थीम, दुबई थीम आदि ट्रैंड में हैं. ब्राइड ऐंट्री यनीक हो जैसे लो फौग ऐंट्री जबरदस्त और सपनों सी लगती है जैसे बादलों पर चल रहे हैं. जयमाला में इफैक्ट डाले जा सकते हैं.  फ्लौवर रेन करवा सकते हैं जो महंगा नहीं होता मगर सुंदर लगता है. इसी तरह कोल्ड फायर करा सकते हैं. आजकल लोग फेरों के वक्त भी कुछ डिफरैंट करते हैं जैसे मैजिकल फेरे ट्रैंड में हैं. दूल्हा जलती हुई मशाल आदि के साथ ऐंट्री कर सकता है. लाइव बैंड के द्वारा धूम मचा सकते हैं. डीजे और ढोल की जुगलबंदी भी शानदार लगती है.

शादी को ऐसे बनाएं मजेदार और यादगार

  •  आप अपनी शादी में डांस या गाने का कंपीटिशन करवा सकते हैं. इस के लिए आप मेहमानों की टीम बना कर भी कंपीटिशन करवा सकते हैं. इस तरह की फन ऐक्टिविटीज आप के मेहमानों के लिए यादगार बन जाएंगी और सभी को पसंद भी आएंगी. आप अपने मेहमानों को इन फन ऐक्टिविटीज के बाद कुछ खास गिफ्ट भी दे सकती हैं.
  •  आप अपनी शादी में फ्लौवर फ्रेम लगा सकती हैं. इस से डैकोरेशन भी सुंदर दिखेगा, साथ ही साथ फोटोज लेने के लिए भी एक अच्छा फ्रेम मिल जाएगा. यह आप के यादगार पलों को और खास बनाएगा. इस फ्रेम को आप अलगअलग फूलों से सजा सकती हैं या फिर एक ही रंग के फूल भी इस्तेमाल कर सकती हैं.

आज की जैनरेशन सोशल मीडिया पर काफी ऐक्टिव रहती है वहीं इस फ्रेम में फोटो खिंचवाने के बाद आप इसे सोशल मीडिया पर भी शेयर कर सकती हैं.

  •  फोटो डैकोरेशन मेहंदी या हलदी के फंक्शन के लिए परफैक्ट डैकोरेशन है. इस डेकोरेशन को आप लाइट और फोटोज से कवर कर सकती हैं. इन फोटोज में आप अपनी पुरानी यादों को ताजा कर सकती हैं और इसे सीरीज के बीच में सजा सकती हैं. इस डैकोरेशन से आप की आज की यादें तो यादगार बनेंगी ही साथ ही साथ आप की कुछ खास पुरानी यादें भी ताजा होंगी. फोटो डैकोरेशन के साथसाथ आप फूलों का बंच बना कर बीचबीच में टांग सकते हैं.

आप अपने पलों को और यादगार बनाने के लिए इमोजी फ्रेम्स का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इन फ्रेम्स की खासीयत यह है कि यह आप के आज के पलों को फोटो में संजो कर रखेगा जिसे आप भविष्य में याद कर अपने पलों को ताजा कर सकते हैं. इन फ्रेम्स में आप कई तरह की इमोजी का इस्तेमाल कर सकते हैं. आप कुछ प्यारेप्यारे संदेश भी लिख सकते हैं.

  •  इंडियन वैडिंग्स में अपने परिवार से ज्यादा रिश्तेदारों का खयाल और उन की जरूरतों का खयाल रखा जाता है. रिश्तेदारों को स्पैशल फील करवाने के लिए आप थैंक्यू पैकिंग का इस्तेमाल कर सकते हैं. इस की खास बात यह है कि यह आप को ज्यादा महंगा भी नहीं पड़ेगा और देने में बेहद खूबसूरत भी लगेगा.

इस के अंदर आप कुछ स्पैशल गिफ्ट रख सकते हैं और बाहर एक थैंक्यू मैसेज भी दे सकते हैं. आप ऐसी पैकिंग का इस्तेमाल शादी के अलावा भी किसी छोटेमोटे फंक्शन में कर सकते हैं. पैकेट्स के अंदर कुछ ड्राई फ्रूट्स या फिर बच्चों को देने के लिए चौकलेट रख सकते हैं.

प्री वैडिंग फोटोशूट हो यादगार

  •  आप अपने प्री वैडिंग शूट को किसी खास जगह ??पर करवा सकते हैं जिस से फोटोज का बैकग्राउंड जबरदस्त लगेगा. आप इस के लिए किसी ऐतिहासिक बिल्डिंग, बीच या पहाड़ी जगह को चुन सकते हैं.
  • आप चाहें तो अपने प्री वैडिंग शूट का फिल्मी थीम रख सकते हैं जैसे आप खेतों में दिलवाले दुलहनिया ले जाएंगे के थीम पर फोटोशूट करवा सकते हैं. इसी तरह अगर आप को कोई और फिल्म पसंद है तो आप उस के थीम पर शूट करवा सकते हैं.
  • अपने प्री वैडिंग शूट में आप थोड़ा ड्रामैटिक एंगल दे सकते हैं जैसे यहां हवा में उड़ता हुआ दुपट्टा, ग्रीन बैकग्राउंड के साथ रैड आउटफिट, सरप्राइज प्रपोजल पोज आप के फोटोज को ड्रामैटिक टच देंगे, साथ ही आप कुछ फनी भी ट्राई कर सकते हैं. अगर आप के पास कोई लोकेशन नहीं है तो आप कुछ अलग तरह से शूट करवा सकते हैं जैसे ऊपर से गिरती हुई गुलाब की पत्तियां एक अलग ही इफैक्ट देंगी.

धर्म के नाम पर पैसे बरबाद न करें

प्राचीनकाल से ही हमारे यहां शादी के दौरान धार्मिक रीतिरिवाजों पर बहुत ज्यादा जोर दिया जाता है. धर्मग्रंथों में भी बेकार के रिवाजों पर जोर दिया जाता है. कौन सा कदम पहले उठाना है, कौन से रंग के कपड़े पहनने हैं, कौन से मुहूर्त में शादी होगी, कौन सी पूजा सामग्री के होने पर ही पूजा संपन्न होगी, कौन से मंत्र जरूरी हैं, कौन सी चीजें बनानी जरूरी हैं, कौन से पकवानों का भोग लगाना जरूरी है जैसे नाना प्रकार के रिवाज हैं जिन्हें पूरा करना जरूरी माना जाता है वरना यह कह कर डराया जाता है कि शादी टूट सकती है. बारबार रस्मों का उल्लेख किया जाता है और लोग नाहक परेशान हो उठते हैं. पुराणों में शादियों का जिक्र है पर उन में भव्यता का जिक्र है जिस का इस्तेमाल पंडेपुजारी अपने फायदे के लिए करते हैं. इस में न फंसें.

रामायणकाल में जनक और दशरथ के बच्चों की शादी का विस्तृत विवरण वाल्मीकी रामायण में है जिसे आज न तो दोहराया जा सकता है न दोहराने लायक है जैसे वाल्मीकि रामायण के बालकांड में भी इस बात का उल्लेख है.

विवाह वेदी को चारों ओर से गंध पुष्प तथा यवांकुर आदि से अलंकृत किया. उस के पास यवांकुर युक्त तथा विचित्र वर्ण के कलश रखे. उन कलशों पर यवांकुर युक्त परई और धूप युक्त धूपपात्र रखे. तदनंतर अर्घ्य आदि से युक्त शंखपात्र, सुवा सुक् आदि जुटाए गए. इन के अतिरिक्त लावा से भरे पात्र, हलदी आदि से रंगे अक्षत भरे पात्र आदि यथास्थान रखे गए. तब मंत्रोच्चारण के साथ विधिवत् कुश बिछा कर वेदी पर अग्नि का आधान किया और मुनिपुंगव तथा महातेजस्वी वसिष्ठ अग्नि में हवन करने लगे.

ये सब करने के बाद क्या शादी करने वाला जोड़ा सुख पाया. उन की शादी को सफल शादी तो कतई नहीं कहा जा सकता. जानकी को शादी के बाद कितने कष्ट सहने पड़े. दोनों को सालों पहले जंगलों में रहना पड़ा फिर 2 बार विरह पीड़ा सहनी पड़ी और अंत में एक ने प्राण ही त्याग दिए. रामायण के अनुसार तो आखिर हंसीखुशी से दोनों ने गिनेचुने दिन ही गुजारे. फिर क्या फर्क पड़ा शादी की विधियां निभाने से?

दरअसल, ये रीतिरिवाज और पूजापाठ तो धर्म के ठेकेदारों की खोली गई दुकानें हैं और वे इन के जरीए दानपुण्य करा कर अपनी जेबें भरने का कारोबार करते हैं. इसलिए बेकार के रिवाजों के पीछे समय और पैसा जाया करने के बजाय शादी के जश्न के दौरान खुशियां बटोरें और रिश्तों को सहेजें. पौराणिक ग्रंथों की कहानियां इस खुशी के अवसर को पंडोंपुजारियों के हवाले कर देती हैं. अत: ऐसा न करने दें.

दहेज न दें और न लें

हमारे यहां दहेज की प्रथा भी सदियों से चली आ रही है. यही वजह है कि लड़कियों के पैदा होने पर लोग दिल खोल कर खुशियां नहीं मना पाते जैसाकि बेटे के जन्म के बाद होता है. बेटी के आते ही लोगों को एक बो?ा सा महसूस होता है और वे उस बच्ची के लिए दहेज जुटाने की तैयारियों में लग जाते हैं. वहीं लड़कों के परिजन सोचते हैं कि उन्होंने एक फैक्टरी डाल ली है.

अब लड़का बड़ा होगा तो उस की शादी में ढेर सारा दहेज ले कर अपनी शान दिखाएंगे. मगर क्या आप को नहीं लगता कि शादी के शानदार होने के लिए दहेज का शोऔफ करने की जरूरत नहीं. यह तो एक तरह से खरीदबिक्री की रस्म हो गई. यह रस्म आज की नहीं है. रामायण और महाभारत काल से भी पहले से चली आ रही है. वाल्मीकि रामायण में सीता की शादी के दौरान जनक द्वारा दी गई दहेज सामग्री का बखूबी बखान किया गया है.

बालकाण्डे दशरथपुत्रोद्वाहो नाम त्रिसप्ततितम: सर्ग:॥ 73॥

(जामदग्न्याभियोग:)॥ अथ रार्त्यां व्यतीतायां विश्वामित्रो महामुनि:॥ आपृच्छय तौ च राजानौ जगामोत्तरपर्वतम्॥ 1॥ आशीभि: पूरयित्वा च कुमाराश्च सराघवान्॥ विश्वामित्रे गते राजा वैदेहं मिथिलाधिपम्॥ 2॥ आपृच्छपाथ जगामाशु राजा दशरथ: पुरीम्॥ गच्छन्त तं तु राजानमन्वगच्छन्नराधिप:॥ 3॥ अथ राजा विदेहानां ददौ कन्याधनं बहु ॥ गवां शतसहस्राणि बहूनि मिथिलेश्वर:॥ 4॥ कम्वलानां च मुख्यानां क्षौमकोट्यम्बराणि च॥ हस्त्यश्वरथपादातं दिव्यरूपं स्वलंकृतम्॥ 5॥ ददौ कन्याशतं तासां दासीदासमनुत्तमम्॥ हिरण्यस्य सुवर्णस्य मुक्तानां विद्रुमस्य च॥ 6॥ ददौ परमसंहृष्ट: कन्याधनमनुत्तमम्॥ दत्त्वा बहुधनं राजा समनुज्ञाप्य पाथिवम्॥ 7॥ प्रविवेश स्वनिलयं मिथिलां मिथिलेश्वर:॥ राजाप्ययोध्याधिपति: सह पुत्रैर्महात्मभि:॥ 8॥

श्रीमद्वाल्मीकीय रामायणम्॥ सर्ग 73॥

‘‘(जनकपुर से महाराज दशरथ की विदाई और मार्ग में परशुराम से भेंट) रात बीतने पर सवेरे महाराज दशरथ तथा विदेहराज जनक से अनुमति ले कर विश्वामित्र उत्तर पर्वत पर चले गए. उन के जाते ही अवधेश दशरथ ने भी जनकजी से पूछ कर अयोध्या जाने की तैयारी

कर ली॥ 1-3॥ उस समय विदेह राज ने बहुत

सा धन दहेज में दिया. उस के अतिरिक्त कई लाख गाऐं, अच्छेअच्छे कंबल, करोड़ों कपड़े, सुंदर और अलंकृत हाथीथोड़े, रथ तथा पैदल सेना, सौ सुंदरी कन्याएं, सुंदर दासदासी, सोनाचांदी और मूंगे आदि भी बड़े प्रसन्न मन से दिए. इस प्रकार बहुत तरह की वस्तुएं दे कर जनकजी बहुत दूर तक पहुंचाने गए. फिर राजा दशरथ से अनुमति ले कर के मिथिला को लौट आए.’’

जनक अमीर थे राजा थे. सो उन्होंने सहजता से सब जुटाया और दहेज दिया. मगर इसे रिवाज बना कर जब आगे की पीढि़यों द्वारा निभाया गया तो बहुत से सामान्य लोगों के लिए यह गले का फंदा बन गया. रिवाज की दुहाई दे कर ऐसे लोगों से भी दहेज निकलवाया गया जो इस के चक्कर में खुद को गिरवी रखने को मजबूर हो गए. लोग विवाह को संस्कारों से जोड़ते हैं. उन के लिए रामायण का यह प्रसंग आंख खोलने वाला है कि हर संस्कार तार्किक हो जरूरी नहीं. आज लड़के और लड़कियां मिल कर घर चलाते और कमाते हैं. ऐसे में दहेज की शान दिखाना महज बेवकूफी है और कुछ नहीं.

तनाव हावी न होने दें

यह बहुत जरूरी है कि आप शादी के दौरान तनाव हावी न होने दें. सगाई और शादी के बीच का समय सपनों का होता है. व्यक्ति अपने भावी जीवनसाथी के साथ प्यारमनुहार भरे लमहों का आनंद लेना चाहता है. उसे ले कर कुछ अपेक्षाएं होती हैं. मगर इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि यह समय एक तरह के डर और अजनबीपन का भी होता है. किसी को महसूस हो सकता है कि शादी के बाद उस की जिंदगी बदल जाएगी और इस बात को ले कर उसे कुछ भय या तनाव हो सकता है. उस के मन में कुछ शंकाएं हो सकती हैं कि क्या उस ने सही जीवनसाथी चुना है?

मन में उठ रहे ये सवाल तब गहरे होने लगते हैं जब आप का जीवनसाथी आप की सोच या अपेक्षा से अलग व्यवहार करने लगे. जैसाकि फिल्म ‘जिंदगी न मिलेगी दोबारा’ में दिखाया गया है. इस में कल्कि अपने होने वाले पति अभय को ले कर ज्यादा ही पजैसिव हो जाती है. इस की वजह से अभय को घुटन महसूस होने लगती है. कल्कि भी तनाव में रहने लगती है. उस के अंदर का तनाव और बेचैनी उस के व्यवहार में ?ालकने लगती है. इस से हालात बिगड़ते हैं और दोनों के बीच कहासुनी होने लगती है.

जल्द ही अभय को समझ आ जाता है कि कल्कि के साथ शादी कर वह खुश नहीं रह पाएगा. वह शादी से इनकार कर देता है. इस तरह एक खूबसूरत रिश्ता जुड़ने से पहले ही टूट जाता है. ऐसा ही कुछ ‘विवाह’ फिल्म में हुआ जब अमृता की चाची बड़े घर में हो रही उस की शादी के दौरान खुश नहीं थी और घर में तनाव था. इसी तनाव की वजह से घर में हादसा होता है और अमृता काफी जल जाती है.

ऐसा कुछ न हो और शादी खुशीखुशी

निबट जाए इस के लिए जरूरी है कि शादी से पहले का समय कूल हो कर और एकदूसरे को सम?ाने की कोशिश कर के बिताया जाए. तनाव हावी न होने दें.

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