शादी किसी की भी जिंदगी का सब से खूबसूरत समय होता है जब इंसान अपने सपनों को सच होता देखता है. वह अपनी शादी में वह सब करना चाहता है जिस की कल्पना उस ने लंबे समय से की होती है. शादी सिर्फ 2 व्यक्तियों का ही नहीं अपितु 2 परिवारों का भी मिलन होता है. दूल्हा और दुलहन दोनों के ही घर वाले इस शादी को यादगार और शानदार बनाना चाहते हैं. वे इन लमहों बारबार याद कर खुश होना चाहते हैं. इस बात से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता कि आप बहुत रईस हों या फिर एक सामान्य परिवार से संबंध रखते हों. जरूरी है तो दिल का उत्साह और सही अरेंजमैंट. कुछ यूनीक आइडियाज और कूल एवं क्रिएटिव माइंड ताकि शादी का हर पल यादगार हो.

आइए, जानते हैं अपने घर में होने वाली शादी को खूबसूरत, यादगार और शानदार इवेंट का रूप कैसे दें:

वैडिंग प्लान करें कुछ ऐसे

विवाह लग्जरी वैडिंग्स के फाउंडर मोहसिन खान बताते हैं कि वैडिंग प्लान करते समय इन बातों का ध्यान रखें:

  •  सब से पहले जरूरी है कि आप कुछ बातें पहले से क्लीयर करें जैसे आप को लोकल मैरिज  करनी है या डैस्टिनेशन वैडिंग. अपने बजट के हिसाब से लोकेशन और गैस्ट लिस्ट तैयार करें. अब फंक्शंस डिसाइड करें कि कौनकौन से फंक्शन होने हैं जैसे सगाई, हलदी, संगीत, मेहंदी, शादी आदि. अगर समय या बजट का इशू है तो आप 2-3 फंक्शन को एक में भी मिला सकते हैं. अब हर फंक्शन की गैदरिंग डिसाइड करें. इस के बाद आप एक वैंडर लिस्ट तैयार करें जैसे डैकोरेटर, ऐंटरटेनमैंट, मेकअप आर्टिस्ट, बैंडबाजा वाला, पगड़ी वाला, कैटरिंग वाला. अब या तो सारे प्लान और इंतजाम के लिए वैडिंग प्लानर हायर करें या फिर घर के 2 मैंबर को सारे इंतजाम की जिम्मेदारी सौंपें.
  •  शादी के दौरान वेन्यू डिसाइड करना भी एक महत्त्वपूर्ण फैसला है. ध्यान रखें कि जो प्रौपर्टी आप ने ली है उस में मल्टीपल औप्शन हों जैसे लौन, पूल साइड, बैंक्वेट आदि सब हों. उस का अप्रोच अच्छा हो, खाना अच्छा हो, रिव्यूज भी अच्छे हों और यह वैडिंग फ्रैंडली हो. ज्यादा ट्रैफिक जाम वाला एरिया न हो ताकि आप के गेस्ट्स को वहां तक पहुंचने में दिक्कत न हो. मैट्रो के पास हो. कई ऐसी प्रौपर्टी होती हैं मार्केट में जो कौरपोरेट फंक्शन ज्यादा करती हैं उन्हें वैडिंग का ज्यादा ऐक्सपीरियंस नहीं होता.
  •  कोशिश करें कि आप की शादी के सारे फंक्शन अलगअलग वेन्यू में हों. वेन्यू रिपीट करेंगे तो फोटोग्राफी में सारे फंक्शन एक जैसे लगेंगे और फोटोग्राफी में मजा नहीं आएगा.
  • यह मौका जश्न का होता है. जाहिर है लजीज व्यंजनों के बिना कोई भी जश्न अधूरा लगता है. ऐसे में शादी में अच्छे खाने की व्यवस्था की जाती है, जिस के लिए पहले से तैयारी करनी होती है और शादी का मेन्यू तैयार किया जाता है.

डैस्टिनेशन वैडिंग के मेजर औप्शंस

राजस्थान में पुष्कर, जयपुर, रणथंबोर, उदयपुर, जोधपुर आदि हैं. यहां के पैलेस और फोर्ट्स में शादी शानदार नजर आती है मगर ये महंगे औप्शन हैं. खर्च काफी आता है. सस्ते औप्शंस में जिम कार्बेट, आगरा, ऋषिकेश, मसूरी, नैनीताल आदि आते हैं जहां रीजनेबल शादी हो सकती है. वैसे कुल मिला कर दूसरे शहर जा कर यानी डैस्टिनेशन वैडिंग महंगी होती है. लोगों की फीस ज्यादा होती है और आनाजाना भी महंगा हो जाता है.

  •  शादी यादगार हो इस के लिए ऐसे ऐलिमैंट्स ऐसे रखने होंगे- डैकोरेशन क्रिएटिव हो, कोई खास थीम पर सजावट करें जैसे मोरक्कन थीम, विलेज थीम, दुबई थीम आदि ट्रैंड में हैं. ब्राइड ऐंट्री यनीक हो जैसे लो फौग ऐंट्री जबरदस्त और सपनों सी लगती है जैसे बादलों पर चल रहे हैं. जयमाला में इफैक्ट डाले जा सकते हैं.  फ्लौवर रेन करवा सकते हैं जो महंगा नहीं होता मगर सुंदर लगता है. इसी तरह कोल्ड फायर करा सकते हैं. आजकल लोग फेरों के वक्त भी कुछ डिफरैंट करते हैं जैसे मैजिकल फेरे ट्रैंड में हैं. दूल्हा जलती हुई मशाल आदि के साथ ऐंट्री कर सकता है. लाइव बैंड के द्वारा धूम मचा सकते हैं. डीजे और ढोल की जुगलबंदी भी शानदार लगती है.

शादी को ऐसे बनाएं मजेदार और यादगार

  •  आप अपनी शादी में डांस या गाने का कंपीटिशन करवा सकते हैं. इस के लिए आप मेहमानों की टीम बना कर भी कंपीटिशन करवा सकते हैं. इस तरह की फन ऐक्टिविटीज आप के मेहमानों के लिए यादगार बन जाएंगी और सभी को पसंद भी आएंगी. आप अपने मेहमानों को इन फन ऐक्टिविटीज के बाद कुछ खास गिफ्ट भी दे सकती हैं.
  •  आप अपनी शादी में फ्लौवर फ्रेम लगा सकती हैं. इस से डैकोरेशन भी सुंदर दिखेगा, साथ ही साथ फोटोज लेने के लिए भी एक अच्छा फ्रेम मिल जाएगा. यह आप के यादगार पलों को और खास बनाएगा. इस फ्रेम को आप अलगअलग फूलों से सजा सकती हैं या फिर एक ही रंग के फूल भी इस्तेमाल कर सकती हैं.

आज की जैनरेशन सोशल मीडिया पर काफी ऐक्टिव रहती है वहीं इस फ्रेम में फोटो खिंचवाने के बाद आप इसे सोशल मीडिया पर भी शेयर कर सकती हैं.

  •  फोटो डैकोरेशन मेहंदी या हलदी के फंक्शन के लिए परफैक्ट डैकोरेशन है. इस डेकोरेशन को आप लाइट और फोटोज से कवर कर सकती हैं. इन फोटोज में आप अपनी पुरानी यादों को ताजा कर सकती हैं और इसे सीरीज के बीच में सजा सकती हैं. इस डैकोरेशन से आप की आज की यादें तो यादगार बनेंगी ही साथ ही साथ आप की कुछ खास पुरानी यादें भी ताजा होंगी. फोटो डैकोरेशन के साथसाथ आप फूलों का बंच बना कर बीचबीच में टांग सकते हैं.

आप अपने पलों को और यादगार बनाने के लिए इमोजी फ्रेम्स का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इन फ्रेम्स की खासीयत यह है कि यह आप के आज के पलों को फोटो में संजो कर रखेगा जिसे आप भविष्य में याद कर अपने पलों को ताजा कर सकते हैं. इन फ्रेम्स में आप कई तरह की इमोजी का इस्तेमाल कर सकते हैं. आप कुछ प्यारेप्यारे संदेश भी लिख सकते हैं.

  •  इंडियन वैडिंग्स में अपने परिवार से ज्यादा रिश्तेदारों का खयाल और उन की जरूरतों का खयाल रखा जाता है. रिश्तेदारों को स्पैशल फील करवाने के लिए आप थैंक्यू पैकिंग का इस्तेमाल कर सकते हैं. इस की खास बात यह है कि यह आप को ज्यादा महंगा भी नहीं पड़ेगा और देने में बेहद खूबसूरत भी लगेगा.

इस के अंदर आप कुछ स्पैशल गिफ्ट रख सकते हैं और बाहर एक थैंक्यू मैसेज भी दे सकते हैं. आप ऐसी पैकिंग का इस्तेमाल शादी के अलावा भी किसी छोटेमोटे फंक्शन में कर सकते हैं. पैकेट्स के अंदर कुछ ड्राई फ्रूट्स या फिर बच्चों को देने के लिए चौकलेट रख सकते हैं.

प्री वैडिंग फोटोशूट हो यादगार

  •  आप अपने प्री वैडिंग शूट को किसी खास जगह ??पर करवा सकते हैं जिस से फोटोज का बैकग्राउंड जबरदस्त लगेगा. आप इस के लिए किसी ऐतिहासिक बिल्डिंग, बीच या पहाड़ी जगह को चुन सकते हैं.
  • आप चाहें तो अपने प्री वैडिंग शूट का फिल्मी थीम रख सकते हैं जैसे आप खेतों में दिलवाले दुलहनिया ले जाएंगे के थीम पर फोटोशूट करवा सकते हैं. इसी तरह अगर आप को कोई और फिल्म पसंद है तो आप उस के थीम पर शूट करवा सकते हैं.
  • अपने प्री वैडिंग शूट में आप थोड़ा ड्रामैटिक एंगल दे सकते हैं जैसे यहां हवा में उड़ता हुआ दुपट्टा, ग्रीन बैकग्राउंड के साथ रैड आउटफिट, सरप्राइज प्रपोजल पोज आप के फोटोज को ड्रामैटिक टच देंगे, साथ ही आप कुछ फनी भी ट्राई कर सकते हैं. अगर आप के पास कोई लोकेशन नहीं है तो आप कुछ अलग तरह से शूट करवा सकते हैं जैसे ऊपर से गिरती हुई गुलाब की पत्तियां एक अलग ही इफैक्ट देंगी.

धर्म के नाम पर पैसे बरबाद न करें

प्राचीनकाल से ही हमारे यहां शादी के दौरान धार्मिक रीतिरिवाजों पर बहुत ज्यादा जोर दिया जाता है. धर्मग्रंथों में भी बेकार के रिवाजों पर जोर दिया जाता है. कौन सा कदम पहले उठाना है, कौन से रंग के कपड़े पहनने हैं, कौन से मुहूर्त में शादी होगी, कौन सी पूजा सामग्री के होने पर ही पूजा संपन्न होगी, कौन से मंत्र जरूरी हैं, कौन सी चीजें बनानी जरूरी हैं, कौन से पकवानों का भोग लगाना जरूरी है जैसे नाना प्रकार के रिवाज हैं जिन्हें पूरा करना जरूरी माना जाता है वरना यह कह कर डराया जाता है कि शादी टूट सकती है. बारबार रस्मों का उल्लेख किया जाता है और लोग नाहक परेशान हो उठते हैं. पुराणों में शादियों का जिक्र है पर उन में भव्यता का जिक्र है जिस का इस्तेमाल पंडेपुजारी अपने फायदे के लिए करते हैं. इस में न फंसें.

रामायणकाल में जनक और दशरथ के बच्चों की शादी का विस्तृत विवरण वाल्मीकी रामायण में है जिसे आज न तो दोहराया जा सकता है न दोहराने लायक है जैसे वाल्मीकि रामायण के बालकांड में भी इस बात का उल्लेख है.

विवाह वेदी को चारों ओर से गंध पुष्प तथा यवांकुर आदि से अलंकृत किया. उस के पास यवांकुर युक्त तथा विचित्र वर्ण के कलश रखे. उन कलशों पर यवांकुर युक्त परई और धूप युक्त धूपपात्र रखे. तदनंतर अर्घ्य आदि से युक्त शंखपात्र, सुवा सुक् आदि जुटाए गए. इन के अतिरिक्त लावा से भरे पात्र, हलदी आदि से रंगे अक्षत भरे पात्र आदि यथास्थान रखे गए. तब मंत्रोच्चारण के साथ विधिवत् कुश बिछा कर वेदी पर अग्नि का आधान किया और मुनिपुंगव तथा महातेजस्वी वसिष्ठ अग्नि में हवन करने लगे.

ये सब करने के बाद क्या शादी करने वाला जोड़ा सुख पाया. उन की शादी को सफल शादी तो कतई नहीं कहा जा सकता. जानकी को शादी के बाद कितने कष्ट सहने पड़े. दोनों को सालों पहले जंगलों में रहना पड़ा फिर 2 बार विरह पीड़ा सहनी पड़ी और अंत में एक ने प्राण ही त्याग दिए. रामायण के अनुसार तो आखिर हंसीखुशी से दोनों ने गिनेचुने दिन ही गुजारे. फिर क्या फर्क पड़ा शादी की विधियां निभाने से?

दरअसल, ये रीतिरिवाज और पूजापाठ तो धर्म के ठेकेदारों की खोली गई दुकानें हैं और वे इन के जरीए दानपुण्य करा कर अपनी जेबें भरने का कारोबार करते हैं. इसलिए बेकार के रिवाजों के पीछे समय और पैसा जाया करने के बजाय शादी के जश्न के दौरान खुशियां बटोरें और रिश्तों को सहेजें. पौराणिक ग्रंथों की कहानियां इस खुशी के अवसर को पंडोंपुजारियों के हवाले कर देती हैं. अत: ऐसा न करने दें.

दहेज न दें और न लें

हमारे यहां दहेज की प्रथा भी सदियों से चली आ रही है. यही वजह है कि लड़कियों के पैदा होने पर लोग दिल खोल कर खुशियां नहीं मना पाते जैसाकि बेटे के जन्म के बाद होता है. बेटी के आते ही लोगों को एक बो?ा सा महसूस होता है और वे उस बच्ची के लिए दहेज जुटाने की तैयारियों में लग जाते हैं. वहीं लड़कों के परिजन सोचते हैं कि उन्होंने एक फैक्टरी डाल ली है.

अब लड़का बड़ा होगा तो उस की शादी में ढेर सारा दहेज ले कर अपनी शान दिखाएंगे. मगर क्या आप को नहीं लगता कि शादी के शानदार होने के लिए दहेज का शोऔफ करने की जरूरत नहीं. यह तो एक तरह से खरीदबिक्री की रस्म हो गई. यह रस्म आज की नहीं है. रामायण और महाभारत काल से भी पहले से चली आ रही है. वाल्मीकि रामायण में सीता की शादी के दौरान जनक द्वारा दी गई दहेज सामग्री का बखूबी बखान किया गया है.

बालकाण्डे दशरथपुत्रोद्वाहो नाम त्रिसप्ततितम: सर्ग:॥ 73॥

(जामदग्न्याभियोग:)॥ अथ रार्त्यां व्यतीतायां विश्वामित्रो महामुनि:॥ आपृच्छय तौ च राजानौ जगामोत्तरपर्वतम्॥ 1॥ आशीभि: पूरयित्वा च कुमाराश्च सराघवान्॥ विश्वामित्रे गते राजा वैदेहं मिथिलाधिपम्॥ 2॥ आपृच्छपाथ जगामाशु राजा दशरथ: पुरीम्॥ गच्छन्त तं तु राजानमन्वगच्छन्नराधिप:॥ 3॥ अथ राजा विदेहानां ददौ कन्याधनं बहु ॥ गवां शतसहस्राणि बहूनि मिथिलेश्वर:॥ 4॥ कम्वलानां च मुख्यानां क्षौमकोट्यम्बराणि च॥ हस्त्यश्वरथपादातं दिव्यरूपं स्वलंकृतम्॥ 5॥ ददौ कन्याशतं तासां दासीदासमनुत्तमम्॥ हिरण्यस्य सुवर्णस्य मुक्तानां विद्रुमस्य च॥ 6॥ ददौ परमसंहृष्ट: कन्याधनमनुत्तमम्॥ दत्त्वा बहुधनं राजा समनुज्ञाप्य पाथिवम्॥ 7॥ प्रविवेश स्वनिलयं मिथिलां मिथिलेश्वर:॥ राजाप्ययोध्याधिपति: सह पुत्रैर्महात्मभि:॥ 8॥

श्रीमद्वाल्मीकीय रामायणम्॥ सर्ग 73॥

‘‘(जनकपुर से महाराज दशरथ की विदाई और मार्ग में परशुराम से भेंट) रात बीतने पर सवेरे महाराज दशरथ तथा विदेहराज जनक से अनुमति ले कर विश्वामित्र उत्तर पर्वत पर चले गए. उन के जाते ही अवधेश दशरथ ने भी जनकजी से पूछ कर अयोध्या जाने की तैयारी

कर ली॥ 1-3॥ उस समय विदेह राज ने बहुत

सा धन दहेज में दिया. उस के अतिरिक्त कई लाख गाऐं, अच्छेअच्छे कंबल, करोड़ों कपड़े, सुंदर और अलंकृत हाथीथोड़े, रथ तथा पैदल सेना, सौ सुंदरी कन्याएं, सुंदर दासदासी, सोनाचांदी और मूंगे आदि भी बड़े प्रसन्न मन से दिए. इस प्रकार बहुत तरह की वस्तुएं दे कर जनकजी बहुत दूर तक पहुंचाने गए. फिर राजा दशरथ से अनुमति ले कर के मिथिला को लौट आए.’’

जनक अमीर थे राजा थे. सो उन्होंने सहजता से सब जुटाया और दहेज दिया. मगर इसे रिवाज बना कर जब आगे की पीढि़यों द्वारा निभाया गया तो बहुत से सामान्य लोगों के लिए यह गले का फंदा बन गया. रिवाज की दुहाई दे कर ऐसे लोगों से भी दहेज निकलवाया गया जो इस के चक्कर में खुद को गिरवी रखने को मजबूर हो गए. लोग विवाह को संस्कारों से जोड़ते हैं. उन के लिए रामायण का यह प्रसंग आंख खोलने वाला है कि हर संस्कार तार्किक हो जरूरी नहीं. आज लड़के और लड़कियां मिल कर घर चलाते और कमाते हैं. ऐसे में दहेज की शान दिखाना महज बेवकूफी है और कुछ नहीं.

तनाव हावी न होने दें

यह बहुत जरूरी है कि आप शादी के दौरान तनाव हावी न होने दें. सगाई और शादी के बीच का समय सपनों का होता है. व्यक्ति अपने भावी जीवनसाथी के साथ प्यारमनुहार भरे लमहों का आनंद लेना चाहता है. उसे ले कर कुछ अपेक्षाएं होती हैं. मगर इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि यह समय एक तरह के डर और अजनबीपन का भी होता है. किसी को महसूस हो सकता है कि शादी के बाद उस की जिंदगी बदल जाएगी और इस बात को ले कर उसे कुछ भय या तनाव हो सकता है. उस के मन में कुछ शंकाएं हो सकती हैं कि क्या उस ने सही जीवनसाथी चुना है?

मन में उठ रहे ये सवाल तब गहरे होने लगते हैं जब आप का जीवनसाथी आप की सोच या अपेक्षा से अलग व्यवहार करने लगे. जैसाकि फिल्म ‘जिंदगी न मिलेगी दोबारा’ में दिखाया गया है. इस में कल्कि अपने होने वाले पति अभय को ले कर ज्यादा ही पजैसिव हो जाती है. इस की वजह से अभय को घुटन महसूस होने लगती है. कल्कि भी तनाव में रहने लगती है. उस के अंदर का तनाव और बेचैनी उस के व्यवहार में ?ालकने लगती है. इस से हालात बिगड़ते हैं और दोनों के बीच कहासुनी होने लगती है.

जल्द ही अभय को समझ आ जाता है कि कल्कि के साथ शादी कर वह खुश नहीं रह पाएगा. वह शादी से इनकार कर देता है. इस तरह एक खूबसूरत रिश्ता जुड़ने से पहले ही टूट जाता है. ऐसा ही कुछ ‘विवाह’ फिल्म में हुआ जब अमृता की चाची बड़े घर में हो रही उस की शादी के दौरान खुश नहीं थी और घर में तनाव था. इसी तनाव की वजह से घर में हादसा होता है और अमृता काफी जल जाती है.

ऐसा कुछ न हो और शादी खुशीखुशी

निबट जाए इस के लिए जरूरी है कि शादी से पहले का समय कूल हो कर और एकदूसरे को सम?ाने की कोशिश कर के बिताया जाए. तनाव हावी न होने दें.

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