मेनोपौज का रिस्क कम करता है टमाटर, ऐसे करें प्रयोग

मेनोपौज आज अधिकतर महिलाओं के लिए एक बड़ी परेशानी बनी हुई है. एक उम्र में आ कर देखा जाता है कि एक बड़ी संख्या में महिलाओं को इस परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. एक हाल की स्टडी में ये बात सामने आई है कि टमाटर का प्रयोग मेनोपौज के लक्षणों को कम करने में काफी मदद करता है.

शोध में पाया गया है कि आठ हफ्तों तक दिन में दो बार 200 मिलिलीटर टमाटर का जूस मेनोपौज के लक्षणों को कम करने में काफी मददगार होता है. इसके अलावा स्ट्रेस और कौलेस्ट्रौल की परेशानी में भी ये बेहद लाभकारी है.

टोक्यो मंडिकल यूनिवर्सिटी में 93 महिलाओं पर इस शोध को किया गया. इसमें महिलाओं के हृदय की गति जैसी कुछ चीजों की जांच की गई. नतीजों में ये बात सामने आई कि स्ट्रेस, उलझन, हौट फ्लैश जैसी परेशानियां काफी कम हुई हैं. इसके अलावा आराम करने के दौरान महिलाओं की अधिक कैलोरी बर्न होती है.

एक अन्य शोध में ये बात सामने आई कि मेनोपौज के बाद महिलाओं के लिए टमाटर का अधिक सेवन ब्रेस्ट कैंसर के रिस्क को भी कम करता है. टमाटर में विटामिन सी, लाइकोपीन, विटामिन और पोटैशियम जैसे जरूरी तत्व पाए जाते हैं. टमाटर में कौलेस्ट्रोल घटाने की क्षमता होती है. वजन घटाने में भी टमाटर का अहम योगदान होता है.

अनियमित मासिकधर्म का गर्भावस्था पर असर

असामान्य मासिकधर्म न केवल आप के दैनिक जीवन को प्रभावित करता है, बल्कि गर्भवती होने की आप की क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है. अपने मासिकधर्म चक्र पर ध्यान रखने से खुद के स्वास्थ्य के बारे में बहुत कुछ पता चल सकता है.

मासिकधर्म चक्र क्या है

यदि शरीर प्राकृतिक नियमों और उन के क्रियाकलापों का पालन करता है, तो हर लड़की और महिला को पीरियड 21 से 35 दिनों के अंदर होता है. इस का साफ मतलब यह भी हो सकता है कि आप को एक कैलेंडर महीने में 2 बार पीरियड हो सकता है. प्रत्येक चक्र को 2 चरणों में विभाजित किया जा सकता है- फौलिक्यूलर फेज और ल्यूटियल फेज.

आप के पीरियड का पहला दिन आप के चक्र का पहला दिन है और फौलिक्यूलर फेज की शुरुआत को चिन्हित करता है, जिस के दौरान मस्तिष्क के उत्तेजित हारमोन (एफएसएच), जोकि फीमेल सैक्स हारमोन है, मस्तिष्क से निकलता है ताकि एक प्रमुख फौलिकल (कूप) जिस में एक अंडाणु होता है उस के विकास को प्रोत्साहित कर सके. चूंकि अंडाणु परिपक्व होता है, फौलिकल गर्भाशय के स्तर की वृद्धि को उत्तेजित करने के लिए ऐस्ट्रोजन को निर्गत करता है.

दूसरे चरण की शुरुआत ओव्युलेशन की शुरुआत के साथ होती है जो ल्यूटियल फेज की शुरुआत को चिन्हित करता है. इस फेज के दौरान अंडाशय गर्भाशय की परत को परिपक्व करने के लिए प्रोजेस्टेरौन को निर्गत करता है और इसे भ्रूण के प्रत्यारोपण के लिए तैयार करता है. अगर गर्भावस्था अस्तित्व में नहीं आती है, तो प्रोजेस्टेरौन का स्तर गिरता है और रक्तस्राव 14 दिनों के अंदर होता है जब ल्यूटियल फेज समाप्त हो जाता है.

21 से 35 दिनों का सामान्य मासिकचक्र यह दर्शाता है कि ओव्युलेशन अस्तित्व में आया और सभी यौन हारमोन प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने के लिए संतुलित हैं. 35 दिनों या इस से अधिक समय तक जारी लंबे या अनियमित मासिकधर्म चक्र से यह संकेत मिलता है कि ओव्युलेशन नियमित नहीं है या यह अस्तित्व में ही नहीं आ रहा है. ऐसा तब होता है जब एक फौलिकल परिपक्व और अंडाकार नहीं होता है और प्रोजेस्टेरौन को निर्गत करने की अनुमति नहीं देता है.

गर्भाशय की परत ऐस्ट्रोजन के कारण निर्माण जारी रखती है और इतनी मोटी हो जाती है कि यह अस्थिर हो जाती है और अंत में इस की वजह से रक्तस्राव होता है. अकसर भारी रक्तस्राव होता है.

एक छोटा मासिकधर्म चक्र 21 दिनों से कम समय में होता है जो इंगित करता है कि ओव्युलेशन बिलकुल अस्तित्व में नहीं आया. यह यह भी संकेत दे सकता है कि आप के अंडाशय में सामान्य से कम अंडाणु पैदा हो रहे हैं और रजोनिवृत्ति समीप आने वाली है. इस की पुष्टि करने के लिए आप को खून की जांच करने की जरूरत होती है. अंडाशय में अंडाणुओं की घटती संख्या के साथ मस्तिष्क एक फौलिकल विकसित करने के लिए अंडाशय को उत्तेजित करने के लिए अधिक एफएसएच निर्गत करता है. इस का परिणाम समय से पहले फौलिकल और ओव्युलेशन के विकास में होता है. इस के अलावा कभीकभी रक्तस्राव तब भी हो सकता है जब आप छोटे मासिकचक्र की वजह से ओव्युलेट की स्थिति को प्राप्त नहीं कर पाती हैं.

यदि आप को रक्तस्राव 5 से 7 दिनों से अधिक समय तक हो रहा है, जिस के परिणामस्वरूप सिलसिलेवार तरीके से यह दर्शाता है कि आप को ओव्युलेशन प्राप्त नहीं हुआ है. यदि आप को इस से अधिक समय तक या फिर पीरियड के बीच में रक्तस्राव होता है, तो यह गर्भाशय या गर्भाशय के भीतर संभावित पौलिप्स, फाइब्रौयड, कैंसर या फिर संक्रमण के कारण हो सकता है. यदि भू्रण इस समय गर्भाशय में प्रवेश करता है, तो गर्भधारण कर पाने में अक्षमता या गर्भपात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.

छोटा मासिकचक्र

छोटा मासिकचक्र निम्नलिखित में से किसी एक को इंगित कर सकता है:

अंडाणु की खराब गुणवत्ता: छोटा चक्र विशेषरूप से उम्रदराज महिलाओं में डिंबग्रंथि की गुणवत्ता में कमी को दर्शाता है. आप का मासिकधर्म चक्र उम्र के साथ घटता जाता है. खासतौर से पहले भाग के समय जिस के दौरान अंडाणु परिपक्व होता है और ओव्युलेशन के लिए तैयार होता है. एक अविकसित अंडाणु पूरी तरह परिपक्व नहीं हो सकता है और इस की वजह से गर्भाधान की स्थिति कमजोर हो सकती है.

गर्भपात का जोखिम: छोटे मासिकधर्म चक्र वाली महिलाओं की तुलना में 30 से 31 दिनों के मासिकधर्म चक्र वाली महिलाओं में गर्भधारण करने की अत्यधिक संभावना होती है. जिन महिलाओं का मासिकधर्म छोटा होता है वे गर्भधारण तो कर लेती हैं, लेकिन उन में गर्भावस्था के नुकसान या फिर गर्भपात होने की संभावना अधिक रहती है. यदि ल्यूटियल फेज छोटा होता है, तो गर्भावस्था के अवसर को बढ़ाने वाली स्थिति के लिए छोटी जगह ही मिलती है.

 

क्यों सड़क से संसद तक पैंटीज लेकर उतरा है देश ?

आयरलैंड की सड़कों पर इन दिनों महिला, वकील और एक्टिविस्ट हाथ में पैन्टीज लेकर घूम रहे हैं और साथ में हैं तख्तियां जिस पर मोटे-मोटे अक्षरों में लिखा है #ThisIsNotConsent यानी यह सहमति नहीं है. यह हैशटैग कुछ ही दिनों में पूरी दुनिया में फैल गया है जहां लोग अपने अपने सोशल मीडिया एकाउंट्स के जरिए थोंग्स (एक तरह की डोर वाली पैंटी) की पिक्स के साथ #ThisIsNotConsent की पोस्ट शेयर कर रहे हैं. महिलाओं के अंतःवस्त्रों को लेकर पूरे देश में आन्दोलन क्यों छिड़ गया है, आइये जानते हैं.

रेप, कोर्ट और वकील की घटिया दलील

हुआ यूं की आयरलैंड की एक अदालत में 17 साल की लड़की से साथ हुए रेप को लेकर बहसबाजी चल रही थी. बलात्कार के इस मुकदमे में आरोपी (27 वर्षीय युवक) के वकील ने पीड़ित लड़की की की पैंटी (थोंग- डोर वाली पैंटी) का जिक्र करते हुए अपने मुवक्किल को बचा लिया. बस इसी बात को लेकर लोगों ने पैंटी लहराकर जज के इस फैसले का विरोध कर डाला. देखते देखते आयरलैंड की तमाम महिलाएं विरोध में एक साथ सड़कों पर उतर आयीं. उनके साथ पुरुष भी सड़कों पर प्रदर्शन करते दिखे.

#ThisIsNotConsent

protest in ireland

9 नवंबर को आये इस फैले में जज को और जूरी को संबोधित करते हुए बचाव पक्ष की वकील एलिजाबेथ ओ’कौनेल ने पीड़ित लड़की का अंडरवियर दिखाते हुए कहा कि, ‘आप इसे देखिये, देखिये कि इस लड़की ने कैसे अंडरगारमेंट पहने थे. उसने एक Thong (डोर वाली पैंटी) पहनी थी. इससे साफ जाहिर है कि लड़की इस लड़के के प्रति आकर्षिंत थी और और जो भी हुआ वह सहमति से हुआ.’  उसने यह आरोप भी लगाया कि क्यों कि पीड़िता आरोपी के प्रति आकर्षित थी इसलिए इसलिए सारे सबूत खारिज हो सकते हैं. सबसे अजीब और त्रासद यह है कि इस दलील के बाद कोर्ट ने मामले में आरोपी को बरी कर दिया है. बस इसी बात को लेकर हंगामा शुरू हुआ कि किसी के कपड़े पहनने के अंदाज से उसकी रजामंदी का अंदाजा कैसे लगाया जा सकता है. उनका कहना है कि #ThisIsNotConsent, यानी ‘यह सहमति नहीं है.’

संसद में भी लहराई

protest in ireland

विरोध सिर्फ सड़कों तक ही सीमित नहीं रहा. बल्कि जब आयरलैंड की महिला सांसद रूथ कौपिनगर ने यह मामला वहां की संसद में भी उठाया तो दुनिया भर की राजनीति में यह मामला गरमा गया. एक और महिला समूह I Believe Her  ने भी अपने समर्थकों को इस निर्णय के विरोध के रूप में अपनी अपनी पैंटी की तस्वीरें साझा करने के लिए बुलाया. राजधानी डबलिन में महिला प्रदर्शनकारियों ने सिटी सेंटर पर वीमेन अंडरवियर लटकाकर प्रदर्शन किए. कौर्क में एक प्रदर्शनकारी कोर्ट रूम में ही पैंटी लेकर चली गई. कौर्क सेक्शुअल वौइलेंस सेंटर की डायरेक्टर मैरी क्रिली कहती है हमारा सवाल इस पर नहीं है कि बैरिस्टर ने क्या कहा. सवाल उस व्यवस्था पर भे एही जोया ऐसी जिरह को स्वीकारता है.’

फीते वाली पैन्टीज से इंडियन पिंक चड्डी तक..

protest in ireland

यह इस तरह का पहला मामला नहीं है. इस से पहले भी इस तरह के प्रोटेस्ट हो चुके हैं. रूस और कज़ाखस्तान के यूरेशियन में सिंथेटिक फीते के अंडरवियर के आयात, उत्पादन और बिक्री पर प्रतिबंध के विरोध में जब महिलाएं सिर पर फीते वाले अंडरवियर पहनकर लिबर्टी फौर पैंटीज के नारे लगा रही थी तो करीब 30 से ज्यादा महिलाओं को जेल में डाल दिया गया. भारत में इसी तरह का एक कैम्पेन चला था जिसका नाम था पिंक चड्ढी अभियान. यह अभियान कट्टरपंथियों के विरोध में था जब बेंगलुरु में भारतीय संस्कृति की रक्षा के नाम पर श्रीराम सेना संगठन ने कुछ लोगों ने पब में लड़कियों की सरेआम पिटाई कर डाली.

बुर्का, पैंटी हो या साड़ी...

भारत में रेप की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं. भारत में 57 फीसदी अपराध में कपड़ों को भी जिम्मेदार माना जाता है. दरअसल मामला सोच का है. भारत में भी जब जब रेप या छेड़छाड़ की घटनाएं होती हैं लोग यही दलील देते हैं कि लड़की ने छोटे या भड़काऊ कपड़े पाहने थे, ऐसा इसलिए हुआ होगा. दरअसल यह मामला छोटे कपड़ों का नहीं बल्कि छोटी सोच का है. वर्ना जिन देशों में कपड़े बड़े होते हैं वहां महिलाओं के प्रति अपराध क्यों बढ़ जाते हैं. बात कपड़ों के है तो बुरका पहनने वाली महिलाओं के साथ रेप क्यों हो जाता है. सच तो यह यह कि आप चाहे जैसे कपड़े पहन लो लोग अपनी नियत और आंखों से नंगा कर देते हैं.

यही वजह है कि देश दुनिया में बुर्काधारी, नवजात, बच्ची और बड़ी-बूढ़ी महिलाएं कोई भी यौन शोषण से अछूती नहीं है. उस पर तुर्क यह कि लड़की की स्कर्ट छोटी तो मतलब उसका चरित्र खराब. संस्कृति, संस्कार का वास्ता देकर लड़कियों की आजादी पर अंकुश लगाया जाता है. स्कर्ट या कपड़े छोटे बड़े नहीं छोटी या बड़ी सोच होती है. पांव को पूरी तरह ढकने वाली स्कर्ट से लेकर घुटने के ऊपर वाली स्कर्ट तक, साड़ी हो या लहंगा या घाघरा, यौन शोषण करने वाला कपड़े नहीं देखता. फिर चाहे वह इंडिया का हो या आयरलैंड.

सोच के मामले में आयरलैंड के वकील, वो भी महिला की ऐसी दलील सुनकर शर्म और गुस्सा दोनों आता है.

पीरियड्स के दौरान भूल कर भी ना खाएं ये चीजें, कम होगी परेशानी

महिलाओं को मासिक धर्म यानि पीरियड्स में काफी परेशानी होती है. सुस्ती और मूड स्विग्स के अलावा उन्हें काफी तेज दर्द का सामना भी करना पड़ता है. कई लड़कियां इस वक्त में इसता परेशान होती हैं कि वो डिप्रेशन में चली जाती हैं. इन दिनों में आपको काफी सोच समझ कर और संतुलित खान पान रखना चाहिए. मासिक धर्म के दौरान अपनी सेहत को बनाए रखने के लिए आपको पौष्टिक आहार लेना चाहिए. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि इस दौरान आप किस तरह की खानपान से दूरी बनाएं जिससे आपको ज्यादा परेशान ना होना पड़े.

  • चीनी युक्‍त खाद्य पदार्थों से बनाएं दूरी

avoid these eatables during periods

कोशिश करें कि स दौरान चीनी युक्‍त खाद्य पदार्थ पीरियड्स के समय ना खाएं. ये और भी ज्‍यादा दर्द पैदा करते हैं.पर अगर मीठा खाने का मन करे भी तो, आप मीठे फल जैसे, आम, तरबूज या सेब आदि खा सकती हैं.

  • फैट वाले खानों से रहे दूर

avoid these eatables during periods

इस दौरान आप फैट वाले खानों से दूर रहें. जैसे मीट में भारी मात्रा में सैच्यूरेटेड फैट पाया जाता है. इसके सेवन से आपके पेट में सूजन और दर्द हो सकता है. पिरीयड्य में ये परेशानी काफी ज्यदा बढ़ जाती है. इस दौरान अगर आपको नौन वेज में कुछ खाना हो तो आप मछली का सेवन कर सकती हैं.

  • शराब

avoid these eatables during periods

शराब हमेशा नुकसानदायक होता है. इसे कभी भी हाथ नहीं लगाना चाहिए. पर खास कर के इस वक्त शराब को और भी ज्‍यादा नुकसानदायक होती है. इससे ये डिप्रेशन होती है. यह खून को और भी ज्‍यादा पतला बनाती है, जिससे पीरियड्स कई दिनों के लिये बढ़ सकते हैं. चाय पीजिये ना कि शराब.

  • बेक किया हुआ फूड

avoid these eatables during periods

बेक्ड फूड हमेशा लोगों को काफी आकर्षित करते हैं. ये काफी टेस्टी होते हैं. पर इसमें भी ट्रांस फैट भारी मात्रा में होता है. पीरियड्स के दौरान इससे दूरी बनाएं क्योंकि यह आपके एस्‍ट्रोजन लेवल को बढ़ा सकता है और इससे यूट्रस में दर्द होता है. इसकी जगह पर आप ब्रेड खा सकती हैं, जिससे आपको काफी सारा फाइबर मिले.

  • गैस बनाने वाले खानों को कहें ना

avoid these eatables during periods

पीरियड्य के दौरान ऐसे सभी खाद्य पदार्थों से आप दूरी बना लें जो गैस बनाती हों. फास्ट फूड, तले हुए खानोंसे बचें और साबुत आहार खाएं जो कि हेल्‍दी होते हैं. असके अलावा आप मेवे भी खा सकती हैं.

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