Relationship Tips: रीना अकसर चिढ़ सी जाती जब आकाश उस के सामने अपनी कलीग का जिक्र करता. कई बार तो वह आकाश से कह ही देती,”आखिर क्या बला है यह आप की कलीग, जिस के गुण आप सारा दिन गाते रहते हो? इतनी ही अच्छी है तो मिलवाते क्यों नहीं? आखिर हम भी तो देखें.”

आकाश ने झट से जवाब दिया,”ठीक है, संडे शाम की चाय हमारे साथ ही पीएगी वह. तब तुम खुद उस की स्मार्टनैस देख लेना.”

“अच्छा जी, देखना तो पड़ेगा…” हलकी तिरछी मुसकान के साथ रीना की जासूसी आत्मा जाग उठी और संडे का इंतजार जारी रहा.

जरूरी है संयम

दरअसल, ऐसा अवसर जीवन में अकसर कभी न कभी आ ही जाता है, जहां आप के आत्मविश्वास, भावनाएं और रिश्तों की गहराई सभी की एकसाथ परीक्षा होती है. ऐसे समय में संयम और शिष्टाचार बनाए रखना जरूरी है, साथ ही भीतरी तुलनात्मक विचारों से दूरी बनानी चाहिए.

पहली मुलाकात के समय दिल की धड़कन का तेज होना स्वाभाविक है, क्योंकि एक भय रहता है कि कहीं हमारी छवि सामने वाले के सामने खराब न हो. साथ ही यह भी संशय रहता है कि सामने वाला व्यक्ति मिलनसार होगा या नहीं.

ऐसी स्थिति में 2 भावनाएं जन्म लेती हैं- एक डर की और एक सहजता की. यह पूरी तरह हम पर निर्भर करता है कि हम किसे अपनाते हैं.

सकारात्मक छवि

पति की कलीग अगर व्यवहार में नम्र, मिलनसार और प्रोफैशनल हो तो एक सकारात्मक छवि बनती है. वहीं, यदि वह अत्यधिक आत्मविश्वासी या दिखावे में डूबी लगे तो पत्नी के मन में असुरक्षा या खीझ की भावना भी आ सकती है. तब उस के मन में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर मेरे पति को यह इतनी क्यों पसंद है.

क्योंकि यह मुलाकात कोई साधारण घटना नहीं होती, बल्कि यह दांपत्य रिश्ते और आत्मसम्मान की भी परीक्षा बन कर सामने आती है.

एक समझदार जीवनसाथी और पत्नी होने के नाते जरूरी है कि ऐसे समय में स्वयं पर भरोसा रखा जाए. हर व्यक्ति की अपनी पहचान और आकर्षण होता है. पति का रिश्ता कलीग से केवल पेशेवर दायरे तक ही सीमित है और पत्नी का आत्मविश्वास ही उसे इस स्थिति में सहज और मजबूत बनाए रखता है. यदि मन में कुछ सवाल खड़े हों, तो उन्हें सहजता और विश्वास के साथ पति के सामने रखना चाहिए.

इस पहली मुलाकात से एक सीख यह भी मिलती है कि रिश्तों में पारदर्शिता और विश्वास बहुत जरूरी है.

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