अगर आप ऐसी जगहों पर जाने से बचने लगी हैं जहां धूप होती है, क्योंकि इस से आप को त्वचा पर टैनिंग का खतरा रहता है तो आप को इस से जुड़ी कुछ अन्य चिंताओं से भी अवगत होना होगा. सूर्य की रोशनी के अत्यधिक संपर्क में आने से आप अपनी वास्तविक उम्र से अधिक की दिख सकती हैं. सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणें उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को तेज कर सकती हैं. तमाम अध्ययनों से इस की पुष्टि भी हो चुकी है.

कुछ साल पहले द न्यू इंगलैंड जर्नल औफ मैडिसिन में एक यूनीक केस स्टडी छपी थी, जिस में बताया गया है कि किस तरह से एक 69 साल के व्यक्ति के चेहरे के बाएं हिस्से पर बहुत ही ज्यादा झुर्रियां आ गई थीं. ऐसा इसलिए हुआ था, क्योंकि पेशे से ट्रक ड्राइवर होने की वजह से उस व्यक्ति के चेहरे का वह खास हिस्सा लगातार धूप की किरणों के संपर्क में रहता था.

इस तरह के तथ्यों से यह पता चलता है कि घंटों सूर्य की रोशनी में बैठने से कैसे त्वचा डैमेज हो सकती है और आप उम्र से अधिक बड़े दिखाई देने लगते हैं.

हालांकि एक निश्चित मात्रा में सूर्य की रोशनी के संपर्क में आना शरीर के लिए जरूरी होता है, क्योंकि धूप विटामिन डी का इकलौता स्रोत है. लेकिन धूप का अत्यधिक संपर्क चेहरे पर बारीक रेखाएं और झुर्रियां उभरने की वजह बन सकता है. 

एजिंग एक सामान्य प्राकृतिक प्रक्रिया है और वक्त के साथ त्वचा में कई तरह के बदलाव आते हैं. त्वचा में नमी को संभाल कर रखने की क्षमता कम होने लगती है. साथ ही इस में नई कोशिकाओं के बनने की गति भी धीमी हो जाती है. इन दोनों कारणों से झुर्रियां बनती हैं.

छोटीछोटी मांसपेशियों पर पड़ने वाला नियमित खिंचाव भी इस की वजह बनता है, जैसेकि आंखों के दोनों किनारों पर कौए के पंजों जैसे निशान और दोनों भौंहों के बीच रेखाएं उभरना आदि. उम्र बढ़ने के साथ त्वचा पर इस तरह के निशान दिखना आम बात है, लेकिन उम्र से पहले इन का दिखाई देना आप के लिए चेतावनी है.

झुर्रियों की मुख्य वजहें

झुर्रियां बनने की वजहों के बारे में जानना बेहद जरूरी है. तभी आप इन से निबटने के लिए तैयार हो सकती हैं. धूम्रपान और वातावरण में प्रदूषण के अलावा त्वचा पर झुर्रियों की जो सब से बड़ी वजह है, वे हैं अल्ट्रावायलेट किरणें. बेहद कम देर तक अल्ट्रावायलेट किरणों के संपर्क में आने से भी त्वचा की एजिंग प्रक्रिया तेज हो जाती है और झुर्रियां बननी शुरू हो जाती हैं. एजिंग की 3 मुख्य वजहें इस प्रकार हैं: 

अल्ट्रावायलेट किरणें: सूर्य की किरणों की वजह से होने वाली प्रीमैच्योर एजिंग को फोटो एजिंग भी कहते हैं. सूर्य की रोशनी में मौजूद यूवीए और यूवीबी किरणें त्वचा पर झुर्रियों के लिए जिम्मेदार होती हैं. इस से त्वचा संबंधी अन्य समस्याओं के साथसाथ स्किन कैंसर भी हो सकता है.

धूम्रपान: धूम्रपान से त्वचा पर जल्दी झुर्रियां आ सकती हैं. धूम्रपान की वजह से औक्सीजन फ्री रैडिकल्स एजिंग की प्रक्रिया को तेज कर सकते हैं. सिगरेट व अन्य तंबाकू उत्पादों में मौजूद खतरनाक कैमिकल त्वचा से उस की लचक छीन लेता है और इसे सामान्य एजिंग से पहले ही झुर्रियों के खतरे के दायरे में ले आता है.

वायु प्रदूषण: त्वचा पर उम्र से पहले बढ़ती उम्र के निशान लाने के लिए वातावरण संबंधी प्रदूषण भी जिम्मेदार होता है, क्योंकि प्रदूषण के तत्त्व त्वचा से ऐंटीऔक्सीडैंट विटामिन ई छीन लेते हैं और इसे बेजान बना देते हैं.

सूर्य की रोशनी से कैसे बनती हैं झुर्रियां

एक महत्त्वपूर्ण प्रोटीन जोकि त्वचा को स्थिरता देता है, जिसे कोलोजन कहते हैं, धूप के संपर्क से बुरी तरह डैमेज हो जाता है. न सिर्फ कोलोजन बल्कि त्वचा के एक अन्य प्रोटीन इलास्टिन, जोकि त्वचा को लचीलापन देता है, को भी सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों से नुकसान पहुंचाता है. जब इलास्टिन को लगातार नुकसान पहुंचाता है तब मैटालोप्रोटीनेज नामक ऐंजाइम शरीर में बनना शुरू हो जाता है. कोलोजन बनने की प्रक्रिया को कम कर के यह ऐंजाइम झुर्रियां भी बनाने लगता है. पूरी प्रक्रिया में त्वचा में फ्री रैडिकल्स का बनना भी बढ़ जाता है. फ्री रैडिकल्स की अत्यधिक उपलब्धता झुर्रियां बनने की वजह बनती है, क्योंकि ये मैटालोप्रोटीनेज ऐंजाइम को बढ़ावा देते हैं.

झुर्रियों का इलाज

डर्मल फिलर: डर्मल फिलर झुर्रियां हटाने का सब से आसान और दर्दरहित विकल्प है. त्वचा की लचक बरकरार रखने में रैस्टिलेन जैसे डर्मल फिलर बेहद कारगर होते हैं. प्रक्रिया के दौरान, ह्यालुरोनिक इमाइक्रो इंजैक्शन के जरीए त्वचा की ऊपरी परत में लगाया जाता है. ह्यालुरोनिक ऐसिड नमी को त्वचा के भीतर रोक कर रखने में कारगर होता है और त्वचा को लचक प्रदान करता है. जब त्वचा के भीतर पर्याप्त नमी होती है तब यह बिना किसी झुर्री अथवा बारीक लाइन के पूरी तरह कसाव वाली दिखती है. इस प्रोसीजर का रिजल्ट करीब 1 साल तक बरकरार रहता है. कई मामलों में इस से ज्यादा समय तक भी रहता है.

डर्माएब्रोजन: यह प्रक्रिया त्वचा संबंधी कई समस्याओं का समाधान करती है, जिस में झुर्रियां भी शामिल हैं. कैमिकल पील्स के विपरीत ये त्वचा की भीतरी परत तक काम करते हैं. यह एक ऐक्सफौलिएशन प्रक्रिया भी है और त्वचा की मुरझाई परत को भी हटाती है. इस के बाद त्वचा की एक मुलायम सतह सामने आती है, जो झुर्रियों और बारीक रेखाओं से मुक्त होती है.

– डा. सोनी नंदा, शाइन ऐंड स्माइल स्किन क्लीनिक

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