मानसून आते ही चारों तरफ हरियाली छा जाती है, मनुष्य से लेकर जीव-जंतु, प्रकृति सभी खुश हो जाते है. बारिश की झमाझम बूंदे दिनरात गिरती रहती है, ऐसे में स्किन की सही देखभाल करना बहुत आवश्यक है, बरसात के मौसम में नमी अधिक होती है, ऐसे में स्किन सम्बन्धी कई बीमारियों के होने का खतरा रहता है. इस बारें में स्किनक्राफ्ट के एक्सपर्ट डॉ. कौस्तव गुहा कहते है कि बारिश के पानी से खुद को हमेशा बचाने की जरुरत होती है, क्योंकि अधिक देर तक स्किन के गीले रहने से कई प्रकार की स्किन सम्बन्धी बीमारियाँ हो सकती है. कुछ सुझाव निम्न है,

 

1. चेहरे पर मुंहासे का होना आम समस्या है, जिसका सामना हर कोई करता है. खासकर, बारिश के मौसम में यह समस्या अधिक बढ़ जाती है. असल में बारिश की वजह से वातावरण में नमी अधिक हो जाती है, लेकिन स्किन रूखी हो जाती है, क्योंकि तैलीय स्तर को संतुलित बनाए रखने के लिए स्किन अतिरिक्त सीबम का उत्पादन करती है. कई बार जरूरत से ज्यादा तेल या सीबम स्किन के रोम छिद्रों में भरकर उन्हें बंद कर देता है, जो मुंहासे निकलने का कारण बन सकता है. ऐसे में बारिश के मौसम में मुंहासों या पिंपल से बचने और उन्हें नियंत्रित करने के लिए न सिर्फ गर्म पानी से नहाना फायदेमंद हो सकता है, बल्कि ऑयल फ्री क्लिंजर भी इस मौसम में लाभदायक होता है.

2. स्किन संबंधी रोग अधिकतर बारिश के मौसम में ही देखने को मिलते है, इन्हीं में से एक समस्या एक्जिमा है,इसके कारण स्किन लाल, खुजलीदार और सूजी हुई नजर आती है, संवेदनशील स्किन को मानसून में एक्जिमा की समस्या अधिक होती है. पहले से ही एक्जिमा की समस्या से जूझ रहे लोगों को बरसात के मौसम में  परेशानी अधिक झेलनी पड़ती है,इसलिए इस अवस्था में प्रभावित जगह को गीले कपड़े से लपेटने से कुछ राहत मिलती है. इसके अलावा,डॉक्टर द्वारा बताया गया, क्रीम भी फायदेमंद हो सकता है. क्रीम लगाकर प्रभावित जगह को गीली पट्टी से कवर करने पर जल्दी आराम मिलता है.

3. ‘स्कैबीज’ एक प्रकार का संक्रामक रोग है, जो सारकोपटेस स्केबीज़ नामक कीट के काटने से होता है. बारिश के चलते तापमान और ह्यूमिडिटी में होने वाले उतार-चढ़ाव के कारण इस कीट को पनपने का मौका मिलता है. स्कैबीज होने पर स्किन पर चकत्ते और गंभीर खुजली हो सकती है.इसलिएबारिश के मौसम में दूषित पानी के संपर्क में आने से बचना चाहिए, ताकि स्कैबीज जैसी समस्या न हो.यह स्किन संबंधी संक्रामक विकार है, इसलिए अगर कोई पहले से ही इससे ग्रसित हैं, तो उसे दूसरों से दूरी बनाकर रखने की कोशिश करनी चाहिए, ताकि यह बीमारी न फैल सके.

4. मानसून में पैर सबसे अधिक प्रभावित होते है. फर्श पर नमी होने या बारिश की वजह से मोजे गीले होने से बचना चाहिए. तापमान में लगातार उतार-चढ़ाव होने से पांव पसीने से भर जाता है, ऐसे में नमी की वजह से पाँव में सफेद फंगल इन्फेक्शन और खुजली की समस्या हो सकती है. इस समस्या को एथलीट फुट (Athlete’s foot)भी कहा जाता है. यह समस्या पैरों में अधिक नमी के कारण होता है,लेकिन इसे कंट्रोल किया जा सकता है. बारिश में अपने पैरों को हमेशा सूखा रखने का प्रयास करना आवश्यक है. लंबे समय तक गीले मोजे न पहनना और घर में हमेशा चप्पल पहनकर चलना भी जरुरी है.

5. बारिश का मौसम कितना ही खूबसूरत क्यों न हो, लेकिन हवा में नमी बढ़ जाने से शरीर से पसीना निकलने लगता है. इस वजह से स्किन पर रैशेज और खुजली जैसी समस्याएं होने लगती है. इसलिएमानसून में ज्यादातर ढीले कपड़े पहने,साथ ही स्किन की समस्याओं से बचने और उन्हें नियंत्रित रखने के लिए ऑयल फ्री मॉइस्चराइजर या लोशन लगाते रहे.

6. मानसून में ह्यूमिडिटी बढ़ जाने से स्किन रूखी और खुरदुरी हो जाती है. इससे स्किन बेजान व पीली दिखाई देने लगती है, ऐसे में चेहरे को नियमित रूप से माइल्ड फेस वॉश से धोकर,मॉइस्चराइजर लगाने से इस समस्या से बचा जा सकता है.

7. बारिश में फॉलिक्युलिटिस की समस्या भी होती है. यह केशों के रोम छिद्र में होने वाले बैक्टीरियल इंफेक्शन है. इससे बाल टूटने लगते है और बालों के रोमछिद्रों में सूजन व खुजली होने लगती है. यह समस्या मानसून में पसीने, डिहाइड्रेशन और ह्यूमिडिटी की वजह से होती है. इसे दूर करने के लिए एक्सपर्ट की सलाह के आधार पर बताये गए साबुन या क्रीम लगायें.

8. मॉनसून में कुछ लोगों के शरीर पर गोलाकार लाल पैच दिखाई देते हैं, जिसमें खुजली भी होती है. यह एक प्रकार का फंगल इंफेक्शन है, जिसे दाद भी कहा जाता है. यह शरीर से अधिक पसीना निकलने की वजह से होता है. अगर किसी को दाद हो गया है, तो उसे साफ और ढीले कपड़े पहनने चाहिए.नहाते समय एंटीबैक्टीरियल युक्त साबुन का उपयोग करे. इसके अलावाअपनी चीजें मसलन मेकअप ब्रश, तौलिया, साबुन और कपड़ों को दूसरों के साथ शेयर न करें.

9. नेल इंफेक्शन भी मॉनसून में होने वाली विभिन्न समस्याओं में से एक है. यह इंफेक्शन नाखूनों के नीचे गंदगी और मृत स्किन के जमा होने पर होता है. इससे नाखूनों में दर्द होने के अलावा स्किन संबंधी अन्य बीमारी भी हो सकती है. ऐसे में बेहतर यही है कि समय-समय पर नाखूनों को काटते रहें और एंटी-बैक्टीरियल पाउडर या लिक्विड सॉल्यूशन का उपयोग करें.

10. इस मौसम में हाइव्स की समस्या भी होती है, ऐसा कीट-पतंगों के काटने से होता है. इससे स्किन पर लाल दाने बन जाते है,जिनमें बहुत खुजली होती है. सामान्य दिनों की तुलना में मॉनसून में कीड़ों के काटने की आशंका ज्यादा होती है. इसलिए, अगर कोई कीड़ा काटे, तो उससे राहत पाने के लिए कोल्ड कंप्रेस का इस्तेमाल करना चाहिए. अगर हालत गंभीर हो,तो डॉक्टर की सलाह पर ही दवाई लें.

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