थियेटर से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाले अभिनेता उपेन चौहान उत्तर प्रदेश के नॉएडा के है. उन्होंने नाटकों में काम करने के साथ-साथ कई विज्ञापनों, टीवी धारावाहिकों और वेब सीरीज में काम किया है. उपेन स्पष्टभाषी और खुश मिजाज इंसान है, इसलिए उन्हें कभी तनाव नहीं होता. वे वर्तमान में जीते है और पीछे की बात कभी नहीं सोचते. उनकी सफलता के पीछे उनके माता-पिता का सहयोग है, जिन्होंने हमेशा उनके काम की सराहना की. उनकी वेब सीरीज ‘भौकाल’ रिलीज हो चुकी है, जिसमें उनके काम की बहुत प्रसंशा मिल रही है. इस कामयाबी से वे खुश है और  अपनी जर्नी के बारें में बात की, आइये जाने उनकी कहानी.

सवाल-इस वेब सीरीज में आपके अभिनय की बहुत तारीफ की जा रही है, क्या इस बात का आपको अंदेशा था?

मैंने कभी नहीं सोचा था. शुरू में जिस किरदार के लिए मेरी बात हो रही थी, वह बिल्कुल अलग थी. 6 महीने के बाद मुझे राजेश यादव का किरदार मिला. पहले कुछ एपिसोड तक मुझे जरा भी अच्छा नहीं लगा. 9वीं एपिसोड के बाद मुझे कहानी अच्छी लगने लगी और मैंने करने के लिए हां कह दिया. ये चरित्र बहुत ही अच्छा और पॉजिटिव है. असल जिंदगी में मैं इतना शरीफ कभी भी नहीं रहा. मेरा काम सबको पसंद आ रहा है. ये मेरे लिए अच्छी बात है.

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सवाल-आपने पॉजिटिव और निगेटिव दोनों भूमिका निभाई है, दोनों में अन्तर क्या होता है और किसे करने में अधिक अच्छा लगता है?

मैंने टीवी शो ‘ये है चाहते’ में निगेटिव व्यवसायी की भूमिका निभाई है. दरअसल हर व्यक्ति पूरी दुनिया को भले ही खराब समझे, पर खुद को हमेशा अच्छा इंसान समझता है. पॉजिटिव अभिनय करना मुश्किल नहीं, क्योंकि खुद को अच्छा मानकर सबके सामने उसी रूप में खुद को पेश करना आसान होता है, लेकिन निगेटिव करने में मुझे बहुत अच्छा लगता है, क्योंकि इसमें अभिनय के कई रेंज मिलते है. इसमें खुद की पहचान से अलग जाना पड़ता है, जिसमें अभिनय के लिए आज़ादी मिलती है.

सवाल-टीवी पर निगेटिव रोल बहुत दिनों तक चलता है, क्या उसका असर आपके लाइफ पर पड़ता है?

ये सही है कि टीवी का किरदार लम्बा चलता है, लेकिन एक समय के बाद वह शांति बना लेता है. उसका प्रभाव शुरुआत में एक दो महीने ही रहता है, बाद में चरित्र की दोस्ती कलाकार से हो जाती है. मैं किसी भी किरदार को लम्बे समय तक निभाना नहीं चाहता, क्योंकि अंदर की खोज लिमिट में होने लगती है. 5 से 8 महीने से अधिक किसी भूमिका को करना नहीं चाहता. इसके अलावा कई और प्रोजेक्ट पर भी काम चल रहा है.

सवाल-रियल लाइफ में आप कैसे है?

मैं रियल लाइफ में हर चीज के लिए शुक्रगुजार रहता हूं. काम मिले या न मिले मैं अधिक नहीं सोचता. मुझे हर तरह का भोजन ट्राय करना बहुत पसंद है और तरह-तरह लोगों से मिलना पसंद है. मेरे लिए कुछ भी नापसंद नहीं है. केवल डर इस बात से रहता है कि किसी दिन मेरी क्षमता जो लोगों को पसंद करने और चाहने की है, वह किसी दिन ख़त्म न हो जाय.

सवाल-एक्टिंग की प्रेरणा आपको कहाँ से मिली?

मुझे एक्टिंग का शौक कभी नहीं था और न ही उद्देश्य था. मुझे एक सफल व्यवसायी बनना था. मैंने कंप्यूटर साइंस में बी टेक करने के बाद, एम् बी ए की तैयारी करने के साथ-साथ व्यवसाय शुरू कर दिया. 7 साल में मैंने अपनी आई टी कंपनी, 2 कॉल सेंटर, मार्केटिंग कंपनी, दो रेस्तरां, कई एजुकेशन कंसल्टेंसी आदि स्थापित कर लिया था और इसी पर दिन-रात फोकस्ड रहता था. 5 साल बाद मैं थकने लगा था. आर्ट में मेरी रूचि पहले से थी. कविता लिखना, पढ़ना, गाने गाना, मिमिक्री करना पसंद था. एक दोस्त ने मुझे सप्ताह के अंत में थिएटर वर्कशॉप ज्वाइन करने को कहा. मैंने किया और पहले ही दिन मुझे बहुत अच्छा लगा. उन 3 घंटों में मुझे परिवार और काम कुछ भी याद नहीं आया. मैं पूरी तरह से रिलैक्स हो चुका था. इसके बाद मैंने पार्ट टाइम थिएटर करना शुरू किया. 3 साल बाद मुझे इस दिशा में काम करने की इच्छा पैदा हुई और सबकुछ छोड़कर मैं मुंबई आ गया.

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सवाल-मुंबई आने पर कितना संघर्ष रहा?

मुंबई ने अच्छा स्वागत किया. यहाँ आकर मैंने 3 महीने एडवांस एक्टिंग क्लास ज्वाइन किया, क्योंकि मुझे अभिनय की बारीकियां और मुंबई को समझना था. 27 साल की उम्र में मैंने पहली बार अपना घर छोड़ा था. साल 2017 से मैंने काम ढूँढना शुरू किया और वेब सीरीज ‘द फॉरगॉटन आर्मी में काम मिला. इसके बाद लगातार काम कर रहा हूं.

सवाल-क्या आउटसाइडर को काम मिलना बहुत मुश्किल होता है?

मेरे हिसाब से एक्टिंग का काम सबको मेहनत करने पर मिलता है. अगर कोई इसे बहाना बना ले और शिकायत करें तो उसे काम नहीं मिलेगा. मैंने शुरुआत में 2 महीने के अंदर 150 ऑडिशन दिए है. मैं नॉएडा में एक अच्छा इज्जतदार व्यवसायी था, पर यहाँ मुंबई मैं कुछ भी नहीं था. रोज निकलकर काम खोजिये और अगर नहीं मिलता है, तो अपनी स्किल पर काम कीजिये. लोग आज मेहनत नहीं करना चाहते. यहाँ काम सबके लिए है. मैंने छोटे-छोटे काम भी किया है.

सवाल-जब आप घर से निकले तो माता-पिता की प्रतिक्रिया क्या थी? परिवार का सहयोग कितना रहा?

सभी ने मन से सहमति जताई और मेरे निर्णय को सही ठहराया. इससे मुझे कोई समस्या नहीं आई. उन्होंने मुझे हमेशा सहयोग दिया. पहली बार पिता को मुंबई जाने की बात कहा, तो उन्होंने एकदम से हाँ कह दिया, जिसकी उम्मीद मुझे नहीं थी. उन्होंने कभी भी मुझे काम के बारें में नहीं पूछा.

सवाल-किसी फिल्म को चुनते समय किस बात का ध्यान रखते है?

मैं पहले सेलेक्ट करने की अवस्था में नहीं था, इसलिए जो भी काम मिलता था, कर लेता था, पर अब चुन सकता हूं. मैं कहानी का सेन्स, रिलेटेबलिटी, भूमिका का महत्व और नया क्या सीखूंगा इसे देखता हूं.

सवाल-क्या कोई ड्रीम है?

मैं एक लेखक हूं और कहानियां लिखता भी हूं, लेकिन मैं एक एक्टर ही आजीवन बने रहना चाहता हूं. इसके अलावा रवीन्द्रनाथ टैगोर और विवेकानंद की बायोपिक में काम करना चाहता हूं. बाद में खुद की बायोपिक को बनाने की इच्छा रखता है.

सवाल-किस शो ने आपकी जिंदगी बदली ?

मैंने एक छोटा किरदार वेब फिल्म 377 एब्नार्मल में किया था, जिसका मुझपर बहुत प्रभाव पड़ा. 3 दिन के किरदार के लिए मैंने काफी मेहनत किया था. बहुत प्रभावशाली वह चरित्र होमोसेक्सुअल व्यक्ति का था. उस चरित्र ने मेरी सोच को बदल दिया. भौकाल का राजेश यादव भी प्रभावशाली किरदार था.

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सवाल-बाहर से आने वाले यूथ को क्या कोई मेसेज देना चाहते है?

एक्टिंग का काम सिर्फ पैशन से हो सकता है. ये दुनिया का सबसे अधिक असुरक्षित और मेहनत का काम है, जो कब चला जाएँ, पता नहीं होता. अगर आप इस काम से प्यार करते है तो सफलता अवश्य मिलेगी साथ ही किसी भी परिवेश में खुश रहना सीखे. खुश रहिये तो सब मिल जाएगा, कुछ पाकर ख़ुशी कभी भी मिलने वाली नहीं है.

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