अनुपमा की खनकदार आवाज का जादू फिल्म और वीडियो अलबम में देखने को मिलता है. उन के साथ सब से खास बात यह है कि वे किसी फिल्मी खानदान से संबंध नहीं रखतीं. इस के बाद भी न केवल गाने लिखती हैं,बल्कि उन्हें स्वर भी देती हैं और ऐक्टिंग भी करती हैं. अनुपमा ने शादी के बाद पति अनुराग सिंह के सहयोग से मुंबई जा कर गायन में कैरियर बनाना शुरू किया. यह उन की आवाज का ही दम था कि कम समय में ही उन के खाते में कई हिट फिल्में आ गईं. अब उन का सोलो अलबम ‘नैना रे’ आने वाला है. इस के अलावा हनी सिंह के साथ भी उन का एक अलबम आने वाला है.

अनुपमा अपने घरपरिवार और सरकारी नौकरी के साथ सब कुछ मैनेज कर रही हैं, जो अपनेआप में एक मिसाल है. पेश हैं, उन के साथ हुई बातचीत के प्रमुख अंश:

परिवार में कोई फिल्मों में नहीं था. ऐसे में अलग दिशा में कैरियर बनाने की कैसे सोची?

लखनऊ के लोरेटो कौन्वैंट से इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई करने के बाद मैं ने अवध गर्ल्स डिग्री कालेज से स्नातक किया. इस के बाद अपना गायन का शौक पूरा करने के लिए भातखंडे संगीत महाविद्यालय जाने लगी. यहां से विशारद करने के बाद गायकी में कैरियर बनाने मुंबई फिल्म इंडस्ट्री पहुंच गई. यह सरल काम नहीं था. एक गाने की रिकौर्डिंग कई आवाजों के साथ की जाती है. जिस की वौइस क्वालिटी अच्छी होती है और जिसे पब्लिक पसंद करती है उसे ही फिल्म में मौका दिया जाता है. ऐसे में कई बार तो फिल्म में आतेआते गाना रह जाता था. जब गाना फिल्म में आता है तभी पता चलता है कि हमारा गाना इस फिल्म में है.

सफलता का एहसास कब हुआ?

मैं ने क्लासिकल गायन सीखा था. फिल्मों में मेरी आवाज में फोक सौंग ज्यादा पसंद किया गया. मुझे वे गाने ही गाने के लिए मिले जो पब्लिक की पसंद के हिसाब से तैयार किए गए थे. मेरी फिल्म ‘बिन बुलाए बराती’ भले ही न चली हो पर मेरा गाया गाना ‘मुन्नी भी मानी शीला भी मानी शालू के ठुमके की दुनिया दीवानी…’ लोगों की जबान पर खूब चढ़ा. फिल्म ‘जिला गाजियाबाद’ में मेरा गाना ‘गाजियाबाद की रानी हूं मैं…’ भी खूब पसंद किया गया. फिल्म ‘गुलाब गैंग’ में ‘रंगी सारी गुलाबी चुनरिया रे…’ गाने में माधुरी दीक्षित का साथ देने के बाद मेरेकई वीडियो अलबम आ चुके हैं. इन में मीका सिंह और उर्वशी रौतेला के साथ ‘लाल दुपट्टा’, राहत फतेह अली खान, कुणाल खेमू और वर्तिका सिंह के साथ ‘सांवरे’ को लोगों ने खूब पसंद किया. मेरा सोलो वीडियो अलबम ‘नैना रे’ आने वाला है. इस में मैं ने खुद ही गाने लिखे, गाए और ऐक्टिंग की है.

शादी के बाद कैसे संभाला सब कुछ?

2004 में मेरी शादी हो गई. उस समय मैं जौब करने लगी थी. शादी के बाद ही पति अनुराग को पता चला कि मुझे गाने का शौक है. तब वे मुझे इसी क्षेत्र में कैरियर बनाने की सलाह देने लगे. पति के हौसला बढ़ाने के बाद ही मैं ने गायन के रियाज को गंभीरता से लेना शुरू किया. मैं सुबहशाम 2 घंटे रियाज करने लगी. उस समय पति खुद मेरे श्रोता बन जाते थे. इस के बाद मैं मुंबई आनेजाने लगी. यहां का संघर्ष बहुत लंबा नहीं रहा. 2007में पहला म्यूजिक अलबम ‘रूद्र’, 2009 में म्यूजिक अलबम ‘अर्श’ और 2011 में पहली फिल्म ‘बिन बुलाए बराती’ में गाने का मौका मिला, तो धीरेधीरे पहचान भी बनने लगी.

आप का छोटा बेटा भी है. उसे कैसे संभालती हैं?

हम संयुक्त परिवार में रहते हैं. ऐसे में मेरे पेरैंट्स उसे संभाल लेते हैं. काम के बाद मेरे पास जो समय बचता है उसे बच्चे को देती हूं.

आप स्कैचिंग का भी शौक रखती हैं?

स्कैचिंग ऐसी कला है जिस के जरीए अपने मन की बातें दूसरे तक पहुंचाई जा सकती हैं. मैं जब खाली समय पाती हूं तो पैंसिल से कुछ न कुछ बनाने का प्रयास करती रहती हूं. अब यह लोगों को पसंद आ रहा है. 

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