इन दिनों एक नए किस्म का सिनेमा बनने लगा है. फिल्मकार चाहते हैं कि दर्शक अपना दिमाग, अपना विवेक सब कुछ घर पर रखकर उनकी फिल्म देखने आएं और उनकी वाहवाही करते हुए चले जाएं, जो कि नामुमकिन सा है. यही वजह है कि हास्य व रोमांचक फिल्म ‘‘बैंक चोर’’ दर्शकों को आकर्षित करने या हंसाने की बजाय बोर करती है.

फिल्म की कहानी तीन बैंक चोरों के इर्द गिर्द घूमती है. एक महाराष्ट्रियन युवक चंपक (रितेश देशमुख) दो दिल्ली के युवकों गेंदा (विक्रम थापा) और गुलाब (भुवनेश अरोड़ा) के साथ बैक में चोरी करने जाता है. फिर एक आफिसर अमजद खान (विवेक ओबेराय), एक टीवी रिपोर्टर गायत्री गांगुली ( रिया चक्रवर्ती), एक दूसरे गैंग का चोर (साहिल वैद्य) के अलावा सिक्यूरिटी फोर्स, अलार्म, टीवी कैमरा और अनावश्यक गीत संगीत के माध्यम से लोगों को हंसाने की कहानी है.

मगर फिल्म का एक भी सीन ऐसा नहीं है, जहां दर्शक को हंसी आ सके. हर किरदार वही घिसे पिटे व सुने सुनाए जोक्स ही सुनाता है. इंटरवल से पहले दर्शक सोचने पर मजबूर हो जाता है कि वह कहां फंस गया. इंटरवल के बाद फिल्म सधती हुई नजर आती है, मगर कुछ समय बाद बिखर जाती है. इतना ही नहीं फिल्म का क्लायमेक्स बहुत निराश करता है.

पटकथा लेखक बलजीत सिंह मारवाह ने पटकथा लेखन में बहुत लापरवाही बरती है. बम्पी का निर्देशन भी उत्साहित नहीं करता. परिणामतः रितेश देशमुख व विवेक ओबेराय जैसे प्रतिभाशाली कलाकार भी फिल्म को संभाल नहीं पाते.

दो घंटे 6 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘बैंक चोर’’ का निर्माण ‘वाय एफ’ फिल्मस के बैनर तले किया गया है. निर्देशक बम्पी हैं. कलाकार हैं-रितेश देशमुख, विवेक ओबेराय, भुवनेश अरोड़ा, विक्रम थापा  व अन्य.

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