कंचन अवस्थी ने लखनऊ में गायकी से करियर की शुरुआत की थी. उस वक्त तक कंचन अवस्थी ने कभी नहीं सोचा था कि वह एक दिन अभिनय को अपना करियर बनाएंगी. मगर संयोग व उन्हें संत गाड़गे आडीटोरियम, लखनऊ में एक दिन नाटक ‘‘यहूदी की बेटी’’ में राहिल की भूमिका निभाना पड़ा और फिर उनके अभिनय करियर की शुरुआत हो गयी. उन्होंने ‘पिया परदेशी’, ‘त्रिया चरित्र’, ‘उपर की मंजिल खाली’, जयशंकर प्रसाद के नाटक ‘बनारस का गुंडा’ के साथ साथ सलीम आरिफ के निर्देशन में पृथ्वी थिएटर पर ‘‘चंपा की चिट्ठी’’ सहित कई नाटकों में अभिनय किया.

लखनऊ से मुंबई पहुंचने की उनकी कहानी कम नाटकीय नहीं है. वह बताती हैं-‘‘धीरे धीरे अब अभिनय का चस्का लग गया. 2012 में लखनऊ महुआ टीवी के एक सीरियल में मुझे अभिनय करने का अवसर मिल गया. मैने एक सप्ताह तक शूटिंग की. फिर पता चला कि अब इसकी शूटिंग मुंबई में होगी. मेरे पापा ने तो मना कर दिया कि मुंबई नहीं जाना है. उस वक्त तक मैंने इंटर साइंस तक ही पढ़ाई पूरी की थी. लेकिन सीरियल की निर्माता ने कन्टीन्युटी की बात समझाकर पांच दिन के लिए मुझे मुंबई भेजने के लिए मेरे पापा को मना लिया. मैं मुंबई में अपनी चचेरी बहन के यहां रूकी थी. मुंबई 5 दिन शूटिंग करके वापस लखनऊ लौट गयी थी और वहां थिएटर करने लगी थी. 2013 में सलीम आरिफ नाटक ‘‘चंपा की चिट्ठी’’ लेकर लखनऊ गए, तो मैंने वहां इस नाटक में अभिनय किया. फिर इसी नाटक का मुंबई के पृथ्वी थिएटर में शो होना था, इसलिए मुंबई आयी. पृथ्वी थिएटर में ‘चंपा की चिट्ठी’ नाटक में अभिनय किया. काफी शोहरत मिली. इस नाटक के सिलसिले में मैं एक सप्ताह मुंबई में रूकी थी. उसी दौरान मुझे विक्रम भट्ट की फिल्म ‘‘अंकुर अरोड़ा मर्डर केस’ मिल गयी. इस फिल्म में मैंने के के मेनन के साथ डाक्टर हिया शाह का किरदार निभाया. मेरा किरदार पूरी फिल्म में है.’’

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