(मॉडल और अभिनेता)

धारावाहिक ‘कोई अपना सा’ से अभिनय कैरियर की शुरुआत करने वाले अभिनेता ऋषिकेश पांडे आर्मी बैकग्राउंड से है. उन्हें सफलता CID धारावाहिक में इंस्पेक्टर सचिन की भूमिका से मिली. अभिनय से पहले वे एक एजेंसी में मार्केटिंग का काम किया करते थे. वहां आने वाले लोगों से ऋषिकेश की जान पहचान बढ़ी और उन्होंने मॉडलिंग शुरू की. थोड़े दिनों बाद उन्होंने धारावाहिक ‘कोई अपना सा’के लिए ऑडिशन दिया और काम मिल गया. इसके बाद उन्हें पीछे मुड़कर देखना नहीं पड़ा. उनके कुछ प्रमुख सीरियल इस प्रकार है, कहानी घर-घर की, विक्रम और गबराल, कामिनी दामिनी, हमारी बेटियों का विवाह, तारक मेहता का उल्टा चश्मा आदि कई है. अभी वे ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में मुकेश की भूमिका निभा रहे है. काम के दौरान उनका परिचय तृषा दबास से हुआ. प्यार हुआ, शादी की और एक बेटे दक्षय पांडे के पिता बने, लेकिन कुछ पर्सनल अनबन की वजह से 10 साल पहले ऋषिकेश औरतृषा एक दूसरे से अलग हो गए. इस साल उनकाकानूनी तौर पर डिवोर्स कुछ महीने पहले हो चुका है.

मुश्किल था बेटे को संभालना

 

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ऋषिकेश अपने बेटे दक्षय का पालन-पोषण खुद कर रहे है. काम के साथ बेटे की देखभाल कैसे करते है, पूछे जाने पर वे कहते है कि एक छोटे बच्चे के साथ काम बहुत कठिन और तनावपूर्ण था. शादी के बाद सब ठीक था, लेकिन कुछ सालो बाद हम दोनों में अनबन शुरू हो गयी. तृषा मुझे छोड़ अलग रहने लगी. मेरा जीवन हमेशा से बहुत सिंपल रहा है, मुझे पार्टी, नशा ये सब पसंद नहीं. काम के बाद घर पर आना ही मेरा उद्देश्य रहा. डिवोर्स के बाद अच्छी बात ये रही कि तृषा के पेरेंट्स, बहन और कजिन्स ने मेरा साथ दिया, इसलिए कई बार जरुरत पड़ने पर मैं बेटे को उसके नाना-नानी के घर छोड़ता था. वे लोग मेरातृषा से अलग होने की वजह जानते है. इस प्रकार मेरे लिए काम के साथ बच्चे को सम्हालना मुश्किल हो रहा था. कई बार पूरी रात शूटिंग करने के बाद 300 किमी गाड़ी चलाकर उसके स्कूल के फंक्शन में जाता था और टीचर से मिलकर उसे स्कूल पहुंचाकर मैं शूटिंग पर सुबह 11 बजे चला जाता था. बेटे के बीमार होने पर पूरी रात शूट कर उसके पास दिन में रहता था. तब मैंने सोचा कि मैं या तो बच्चा सम्हालूँ या काम करूँ. दोनों काम एक साथ करने में बहुत मुश्किल हो रहा था. जब हमारी अनबन चल रही थी, उस दौरान मेरे पिता की भी मृत्यु हो गयी थी. उस समय मेरा बेटा बहुत छोटा था और तीसरी कक्षा में पढता था. एक बार उसकी छुट्टियां शुरू होने पर उसे कहाँ रखूं उसकी समस्या हो रही थी. उसे मैं अपनी माँ के पास भी छोड़ नहीं सकता था, क्योंकि पिता की मृत्यु के बाद माँ बीमार रहने लगी थी. मैं सोचता था कि बेटे को हमारी बातें न बताई जाय, ताकि उसके मन पर गहरा चोट न लगे. इसलिए पहले की तरह ही बच्चे की देखभाल करता रहा. अभी मैंने उसे होस्टल में डाल दिया  है, क्योंकि अब वह 12 साल का हो चुका है. लॉकडाउन की वजह से अभी वह मेरे साथ मुंबई में है.

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